अंटार्कटिका में आखिर क्यों बढ़ रही बेतहाशा गर्मी, लगभग 1,70,312 Km लंबा बर्फ टूटकर हुआ अलग :-

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पूर्वी अंटार्कटिका (East Antarctica) में पिछले कुछ दिनों से गर्मी तेजी से बढ़ रही है। पिछले हफ्ते यहां का तापमान (-11.8 डिग्री) दर्ज किया गया था, जो आमतौर पर यहां रहने वाले तापमान से 40 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है। वैज्ञानिकों ने इस गर्मी की वजह बताते हुए कहा है कि अंटार्कटिका में बर्फ के पहाड़ों के नीचे वायुमंडलीय नदी का बहाव देखा जा रहा है। यह एक तरह से गर्म हवा की नदी होती है, जो बहुत दूर तक बहती है। इस वजह से बर्फ की चट्टानें पिघल रही हैं।

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पूर्वी अंटार्कटिका ( East Antarctica) में बर्फ का एक विशाल पहाड़ टूटकर अलग हो गया है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) के मुताबिक, इसका नाम कोंगर आइस शेल्फ (Conger ice shelf) है और इसका साइज 1200 वर्ग किमी है। श तुलनात्मक रूप से देखें तो ये राजधानी दिल्ली (Delhi) से थोड़ा ही छोटा है। अमेरिका के लॉस ऐंजलिस और इटली की राजधानी रोम के बराबर है।

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि कोंगर आइस शेल्फ का टूटना अंटार्कटिका में बढ़ती गर्मी का स्पष्ट संकेत है। अगर इसे नहीं रोका गया तो आने वाले समय में इसके दुष्प्रभाव सामने आने लगेंगे कोंगर नाम का ये विशाल हिमखंड अंटार्कटिका के पूर्वी इलाके में समुद्र के नजदीक शेकलटन (Shackleton) आइस शेल्फ से जुड़ा हुआ था।

कोंगर उस लार्सन बी (Larsen B) आइस शेल्फ का लगभग एक-तिहाई था, जो 2002 में टूट गया था. सैटलाइट तस्वीरों में दिखा कि 15 मार्च को ये पूरी तरह टूटकर अलग हो गया. नासा की साइंटिस्ट डॉ. कैथरीन वॉकर के मुताबिक, कोंगर के टूटने का बहुत बड़ा असर पड़ने की आशंका नहीं है, लेकिन ये उस बात का संकेत है जो भविष्य में होने वाला है।

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विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगले 5 साल में यह ग्‍लेशियर टूट जाएगा जिससे दुनियाभर के समुद्र में जलस्‍तर 25 इंच तक बढ़ जाएगा। इससे मुंबई जैसे दुनिया के तटीय शहरों के कई इलाके पानी में डूब सकते हैं।विशेषज्ञों ने कहा कि इस थवेट्स ग्‍लेशियर में आ रही दरार की गति बहुत ज्‍यादा है। इस बर्फ से निकला पानी वैश्विक स्‍तर पर समुद्र में जलस्‍तर में कुल बढ़ोत्‍तरी का 4% होगा।

अंटार्कटिका का मैप :-

अंटार्कटिका के मैप में जो पूर्वी अंटार्कटिका दिखाई दे रही है यही बर्फ का विशाल टुकड़ा टूट कर गिरा है। आप इसमें को देखकर समझ सकते हैं।

हाल ही में जारी ताजा आंकड़े के मुताबिक समुद्र का गर्म होता पानी थवेट्स ग्‍लेशियर की पकड़ को अंटार्कटिका से कमजोर कर रहा है। इससे ग्‍लेशियर की सतह पर क्रैक आ रहे हैं। इस संबंध में सैटलाइट आंकड़ों को अमेरिकन जिओफिजिकल यूनि‍यन की वार्षिक बैठक में पेश किया गया है।

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आइस शेल्फ क्या होते हैं?

अमेरिका के नैशनल स्नो एंड डाटा सेंटर (National snow and data center) के मुताबिक, आइस शेल्फ बर्फ की ऐसी तैरती हुई चट्टानें होती हैं, जो जमीन से जुड़ी होती हैं। चूंकि ये समुद्र में ही बहती रहती हैं, ऐसे में इनके टूटने से समुद्र के जलस्तर में बढ़ोतरी की संभावना लगभग नहीं होती। लेकिन इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता। आइस शेल्फ बर्फ केवल पहाड़ों को समुद्र में जाने से रोकने में अहम भूमिका निभाती हैं।

वैश्विक स्तर पर समुद्र का जलस्तर 25% बढ़ा :-

वैश्विक स्‍तर पर समुद्र का जलस्‍तर 25% तक बढ़ता इसमें दिखाई दे रहा है कि ग्‍लेशियर में कई विशाल और तिरछी दरारें हैं। वैज्ञानिको के अनुसार, ‘अगर तैरते हुए बर्फ की चट्टानें टूटती है तो थवेट्स ग्‍लेशियर से वैश्विक स्‍तर पर समुद्र का जलस्‍तर 25% तक बढ़ जाएगा।

विशेषज्ञ प्रोफेसर टेड स्‍काबोस ने बीबीसी से बातचीत में कहा, ‘ग्‍लेशियर के मोर्चे पर संभवत: 1 दशक से भी कम समय में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। भिन्न-भिन्न शोध इस दिशा की ओर इशारा करते है।यह थवेट्स ग्‍लेशियर के टूटने की रफ्तार को तेज करेंगे और उसे विस्तारित करेंगे। इस शोध को करने वाले ओरेगांव स्‍टेट यूनिवर्सिटी के शोध दल के मुखिया इरिन पेट्ट‍िट ने कहा कि जैसे कार के आगे के शीशे में हल्‍का सा झटका लगने पर वह कई टुकड़ों में बंट जाता है।

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कुछ उसी तरह से यहां भी है। उन्‍होंने कहा कि इससे वैश्विक स्‍तर पर समुद्र के जलस्‍तर में तीन गुना रफ्तार से तेजी आएगी। यही नहीं इस ग्‍लेशियर के टूटने के बाद और ज्‍यादा ग्‍लेशियर अंटार्कटिका से अलग होंगे। एक शोध के मुताबिक 1980 के दशक से लेकर अब तक कम से कम 600 अरब टन बर्फ नष्‍ट हो चुकी है।

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