अडाणी की जांच JPC से कराने पर अड़ा विपक्ष: इसी JPC के चलते 3 बार केंद्र की सरकार पलटी; इसे बनाने से क्यों कतरा रही सरकार

अडाणी की जांच JPC से कराने पर अड़ा विपक्ष: इसी JPC के चलते 3 बार केंद्र की सरकार पलटी; इसे बनाने से क्यों कतरा रही सरकार दुनिया के दूसरे सबसे अमीर गौतम अडाणी को 17वें नंबर पर पहुंचाने वाली हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर संसद में शुक्रवार को भी जबरदस्त हंगामा हुआ। कांग्रेस, AAP, तृणमूल समेत 13 विपक्षी दल इसे घोटाला बताकर JPC से जांच की मांग पर अड़े हैं, लेकिन सरकार इसे अनसुना किए बैठी है। JPC यानी जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी ।

यूं तो संसद में बनने वाले कई कानूनों की ऊंच-नीच जांच के लिए J PC बन चुकी है, लेकिन आजाद भारत में सिर्फ 6 बार किसी घोटाले की जांच के लिए JPC बनाई गई।

JPC की रिपोर्ट ने ऐसे-ऐसे खुलासे किए कि राजीव गांधी जैसी ताकतवर सरकार भी चुनाव हार गई। देश में उदारवाद का फाटक खोलने वाले नरसिम्हा राव दरकिनार हो गए। मनमोहन सरकार 2जी घोटाले में ऐसी फंसी कि कांग्रेस दोबारा सत्ता में नहीं लौटी। भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि वित्तीय घोटालों के लिए कब-कब JPC बनाई गई और उसका क्या असर हुआ? JPC होती क्या है और विपक्ष इससे जांच कराने पर क्यों अड़ा है?

लोकसभा की वेबसाइट के मुताबिक, देश में हुए वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए आजादी के बाद अब तक 6 बार JPC बनाई जा चुकी है….

1. बोफोर्स घोटाला, 1987

देश में राजीव गांधी की मजबूत सरकार थी। 543 में से 414 सांसद कांग्रेस के थे। 16 अप्रैल 1987 को स्वीडिश रेडियो स्टेशन ने पहली बार एक खबर चलाई। इसमें उसने आरोप लगाया कि स्वीडिश हथियार कंपनी बोफोर्स ने कई देशों के लोगों को कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए घूस दी है। आरोपों की आंच राजीव गांधी सरकार तक पहुंची। विपक्ष ने JPC बनाने की मांग की। अगस्त 1987 में JPC बनाई गई । कांग्रेस नेता बी. शंकरानंद इस कमेटी के अध्यक्ष थे। कमेटी ने 50 बैठकों के बाद 26 अप्रैल 1988 को अपनी रिपोर्ट दी। JPC में शामिल कांग्रेस सदस्यों ने राजीव गांधी सरकार को क्लीन चिट दे दी थी। हालांकि, AIADMK (जानकी गुट) के सांसद और इस कमेटी के सदस्य अलादी अरुणा ने इस रिपोर्ट में असहमति का नोट लगाया था और घोटाला होने की बात कही थी। 414 सीटों वाली कांग्रेस 1989 के लोकसभा चुनाव में 197 सीटों पर सिमट गई। JPC रिपोर्ट को इसकी एक बड़ी वजह माना जाता है।

2. हर्षद मेहता घोटाला, 1992

देश में नरसिम्हा राव की सरकार थी । शेयर मार्केट घोटाले में हर्षद मेहता का नाम जोर-शोर से उछाला गया। मेहता ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि उसने PM नरसिम्हा राव को एक करोड़ की रिश्वत दी थी। कांग्रेस और राव ने आरोपों को नकार दिया। इसका कभी कोई सबूत भी नहीं मिला, लेकिन इस मामले ने नरसिम्हा राव की बहुत किरकिरी की, क्योंकि इसी दौरान उन पर अपनी सरकार बचाने के लिए JMM सांसदों को रिश्वत देने के भी आरोप लगे थे। विपक्ष ने इसकी जांच कराने के लिए JPC की मांग की। अगस्त 1992 में JPC बनाई गई थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राम निवास मिर्धा ने इस कमेटी की अध्यक्षता की। JPC की सिफारिशों को न तो पूरी तरह से स्वीकार किया गया और न ही लागू किया गया। इसके बाद जब 1996 में आम चुनाव हुए तो कांग्रेस की हार हुई।

3. केतन पारेख शेयर मार्केट घोटाला,

2001 देश में तीसरी बार IPC 26 अप्रैल 2001 को बनाई गई। इस बार केतन पारेख शेयर मार्केट घोटाले की जांच के लिए। इस कमेटी की अध्यक्षता BJP सांसद रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल प्रकाश मणि त्रिपाठी ने की थी। कमेटी ने 105 बैठकों के बाद 19 दिसंबर 2002 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमेटी ने शेयर मार्केट के नियमों में व्यापक बदलाव की सिफारिश की। इनमें से कई सिफारिशों को बाद में कमजोर कर दिया गया। हालांकि, इस घोटाले में सरकार पर कोई आरोप नहीं था ।

4. सॉफ्ट ड्रिंक में पेस्टिसाइड का मामला,

2003 चौथी बार अगस्त 2003 में JPC बनाई गई। इस बार JPC को सॉफ्ट ड्रिंक, फ्रूट जूस और अन्य पेय पदार्थों में पेस्टिसाइड के मिले होने की जांच का जिम्मा सौंपा गया। इस कमेटी की अध्यक्षता NCP प्रमुख शरद पवार ने की। कमेटी ने इस मामले में 17 बैठकें कीं और 4 फरवरी 2004 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में बताया गया कि शीतल पेय में पेस्टिसाइड था। कमेटी ने पीने के पानी के लिए कड़े मानकों की सिफारिश की। हालांकि इस सिफारिश पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

5. 2G स्पेक्ट्रम केस, 2011

देश में मनमोहन सिंह की सरकार थी। 2009 के चुनाव में कांग्रेस 206 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी और UPA-2 की सरकार बनाई थी। उनकी सरकार पर बेहद कम कीमत पर 2G स्पेक्ट्रम के लाइसेंस देने के आरोप लगे। विपक्ष ने इसकी जांच JPC से कराने की मांग की। फरवरी 2011 में JPC बनाई गई | 30 सदस्यों वाली इस कमेटी की अध्यक्षता कांग्रेस नेता पीसी चाको ने की थी। चाको ने ड्राफ्ट रिपोर्ट में PM मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री पी चिदंबरम को क्लीन चिट दे दी थी। कमेटी में शामिल 15 विपक्षी सदस्यों ने विरोध जताया। चाको बाद में रिपोर्ट के ड्राफ्ट में संशोधन को तैयार हो गए। अक्टूबर 2013 में रिपोर्ट आई। इसमें कहा गया कि उस वक्त के सूचना मंत्री ए. राजा ने मनमोहन सिंह को यूनिफाइड एक्सेस सर्विसेज लाइसेंस जारी करने में दूरसंचार विभाग द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया पर गुमराह किया था। इसका असर ये हुआ कि कांग्रेस 2014 का आम चुनाव हार गई और अब तक सत्ता में नहीं आई।

6. VVIP हेलिकॉप्टर घोटाला, 2013

मामला UPA-2 के दौरान VVIP हेलिकॉप्टर की खरीद से जुड़ा है। ये हेलिकॉप्टर्स प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति और रक्षा मंत्री जैसे VVIP लोगों के लिए खरीदे गए। भारत ने 12 अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर्स खरीदने के लिए 3,700+ करोड़ रुपए का सौदा किया था। आरोप लगा कि सौदा कंपनी के पक्ष में हो, इसके लिए ‘बिचौलियों’ को घूस दी गई जिनमें राजनेता और अधिकारी भी शामिल थे। विपक्ष ने JPC से जांच की मांग की। 27 फरवरी 2013 को JPC बनाई गई। इस कमेटी में 10 सदस्य राज्यसभा और 20 लोकसभा से थे। इस कमेटी ने अपनी पहली बैठक के 3 महीने बाद ही रिपोर्ट सौंप दी थी।

JPC क्या बला है, ये बनती कैसे है?

Swami Vivekananda’s teaching inspires youth to work for nation-building – Nikhil Yadav 

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माटीकला से जुड़े 3 शिल्पकार को किया गया सम्मानित

माटीकला से जुड़े शिल्पकारों के उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए शुक्रवार 24 मार्च को सम्मानित किया गया। इसमें पहला पुरस्कार जिले के हस्त शिल्पकार सतीश चंद्र को , दिया गया। दूसरा पुरस्कार सिद्धार्थनगर के अवधेश कुमार को जबकि तीसरा पुरस्कार संत कबीर नगर के राजेंद्र कुमार को दिया गया।

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