इलाहाबाद हाईकोर्ट में कोरोना काल के दौरान की फीस लेने को लेकर याचिका दायर की गई थी। जिस पर 6 जनवरी 2023 को कोर्ट ने सरकार को प्रदेश में संचालित सभी बोर्ड के समस्त विद्यालयों को 27 अप्रैल 2020 को जारी किए गए शासनादेश द्वारा निर्धारित दरों के अनुसार शैक्षिक सत्र 2020-21 में लिए गए शुल्क की 15 प्रतिशत धनराशि विद्यार्थियों को लौटानी होगी।
UP News : इलाहाबाद हाईकोर्ट में कोरोना काल के दौरान की फीस लेने को लेकर याचिका दायर की गई थी। जिस पर 6 जनवरी 2023 को कोर्ट ने सरकार को प्रदेश में संचालित सभी बोर्ड के समस्त विद्यालयों को 27 अप्रैल 2020 को जारी किए गए शासनादेश द्वारा निर्धारित दरों के अनुसार शैक्षिक सत्र 2020-21 में लिए गए शुल्क की 15 प्रतिशत धनराशि विद्यार्थियों को लौटानी होगी। सभी जिलों के जिलाधिकारियों को हाई कोर्ट के निर्णय के अनुपालन में आदेश जारी किया गया है।
उत्तर प्रदेश के करोड़ों पेरेंट्स के लिए बड़ी खुशखबरी है। कारण, सूबे की योगी सरकार ने कोरोना काल के दौरान स्कूलों के द्वारा ली गई 15 प्रतिशत फीस का वापसी करने या फिर उसे समायोजित करने के आदेश दिए हैं। इसके लिए बकायदा विशेष सचिव की तरफ से सभी जिलों के DM और जिला विद्यालय निरीक्षकों को आदेश जारी किए गए हैं। हाईकोर्ट के इस आदेश के अनुसार, सभी बोर्ड के स्कूलों को 2020- 21 के सत्र में ली गई फीस अर्थात जो छात्र स्कूल छोड़ चुके हैं, उनको 15 फ़ीसदी फीस वापसी करने होगी।

वहीं स्कूल में पढ़ रहे छात्रों की फीस को समायोजन करना होगा। दरअसल, कोरोना काल के दौरान की फीस लेने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका पहले ही दायर की गई थी जिस पर 6 जनवरी 2023 को कोर्ट ने सरकार को 15 फीसदी फीस वापसी कराने के निर्देश दिए गए थे।शिक्षा विभाग ने इस बारे में गुरुवार को शासनादेश जारी कर दिया है।
इस शासनादेश का कड़ाई से अनुपालन कराने का निर्देश दिया गया है। हाईकोर्ट के निर्णय के अनुपालन में सभी जिलों के जिलाधिकारियों को आदेश जारी कर दिया गया है। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि जो स्कूल प्रबंधन फीस समायोजन या वापसी करने में आनाकानी करेगा, उसके खिलाफ अभिभावक की शिकायत पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अभिभावकों की ओर से कोर्ट में दायर की गई थी ये याचिका :-
दरअसल, कोरोना काल के दौरान 2020-21 में जब लॉकडाउन लगा रहा था। इस दौरान सभी स्कूल कालेज भी बंद रहे थे और ऑनलाइन पढ़ाई ही चल रही थी। पर इन सबके बावजूद भी स्कूलों ने पूरी फीस वसूली कर रहे थे। इसी के खिलाफ माता-पिता ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं।

याचिका दायर कर माता-पिता ने मांग की थी कि कोविड महामारी के दौरान पढाई ऑनलाइन ही हुई है, लेकिन इसके बावजूद भी स्कूलों ने पूरी फीस वसूल रहे थे। लिहाजा स्कूलों में मिलने वाली सुविधाएं उन्हें नहीं मिली है, इसलिए वो उसकी फीस देने के लिए जवाबदेह नहीं हैं।
फीस नहीं बढ़ाने का राज्य सरकार ने दिया था निर्देश :-

कोरोना महामारी के दृष्टिगत लागू किए गए लॉकडाउन के कारण पैदा हुई आपात काल की स्थितियों को देखते हुए राज्य सरकार ने 27 अप्रैल 2020 को शासनादेश जारी कर शैक्षिक सत्र 2020-21 में स्कूलों को फीस नहीं बढ़ाने का आदेश दिया था। स्कूलों से कहा गया था कि वे नए प्रवेश तथा प्रत्येक कक्षा के लिए शैक्षिक सत्र 2019-20 में लागू की गई शुल्क संरचना के अनुसार ही सत्र 2020-21 में छात्र-छात्राओं से शुल्क लें।
और शासनादेश में यह भी कहा गया था कि यदि किसी विद्यालय ने सत्र 2020-21 में फीस बढ़ाकर बढ़ी हुई दर से फीस ले ली है तो बढ़े हुए अतिरिक्त शुल्क को उसे आगामी महीनों के शुल्क में समायोजित करना होगा।
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अगर किसी को समस्या हो तो कर सकता है शिकायत :-

इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से गुरुवार को जारी किए गए शासनादेश में यह भी कहा गया है कि इन आदेशों का अनुपालन न किए जाने से यदि किसी छात्र या संरक्षक, अभिभावक, अध्यापक, एसोसिएशन क्षुब्ध है तो वे UP स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम, 2018 की सुसंगत धारा के तहत जिला शुल्क नियामक समिति के समक्ष शिकायत कर सकेंगे।
जिला समिति इस पर यथोचित निर्णय लेगी। यदि कोई मान्यता प्राप्त विद्यालय या किसी व्यक्ति, जो जिला शुल्क नियामक समिति के निर्णय से व्यथित है तो वह मंडलीय स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष अपील कर सकता है।
फीस वापस करने का हाईकोर्ट ने दिया था आदेश :-

इलाहाबाद हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस की इस पर सुनवाई करते हुए अध्यक्षता वाली बेंच ने स्कूल फीस माफ करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने यह साफ कर दिया था कि 2020-21 में जब सुविधाएं नहीं दी गईं, तो फिर 2019-20 के स्तर की फीस नहीं ली जा सकती। हाईकोर्ट ने 2020-21 में जमा की गई फीस को 15 प्रतिशत फीस माफ करने का आदेश दिया गया था।
ये आदेश राज्य के सभी स्कूलों पर लागू होगा। चाहे वह सरकारी हो या फिर प्राइवेट। 2020-21 में जो फीस ली गई होगी, उसमें से 15 फीसदी माफ करना होगा।
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