उमेश हत्याकांड के गुड्डू मुस्लिम का गोरखपुर कनेक्शन:0

श्रीप्रकाश शुक्ला का करीबी रहा; परवेज ताडा की हत्या के बाद बना था अतीकका शार्गिद-:

उमेश पाल हत्याकांड में अतीक अहमद के करीबी बमबाज गुड्डू मुस्लिम का गोरखपुर से भी गहरा कनेक्शन है। गुड्डू 90 के दशक में डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला का बेहद करीबी रहा है। जिस वक्त गोरखपुर समेत पूरे यूपी में श्रीप्रकाश के खौफ का आतंक था, उस वक्त गुड्डू श्रीप्रकाश के करीबी शूटरों में रहा। हालांकि, श्रीप्रकाश शुक्ला के एनकाउंटर के बाद गुड्डू मुस्लिम गोरखपुर से ही कुख्यात ISI एजेंट परवेज टांडा और अतीक के संपर्क में आ गया और तभी से वह अतीक के लिए काम करने लगा।

यह फुटेज पुलिस ने जारी की है। सफेद शर्ट में गुड्डू मुस्लिम ।

इस तरह गुड्डू मुस्लिम बना गुड्डू बमबाज गुड्डू मुस्लिम को बम बनाने से लेकर चलती बाइक पर बम से टारगेट करने में महारथ हासिल है। इसीलिए उसका नाम गुड्डू मुस्लिम से गुड्डू बमबाज पड़ गया। शायद यही वजह है कि यूपी में 90 के दशक के बाद किसी घटना में बम का इस्तेमाल होता देखा गया। क्योंकि, उमेश की हत्या करने वाले शूटरों को टारगेट दिया गया था कि वह किसी भी हाल में बचने न पाए। उमेश हत्याकांड में सामने आए CCTV फुटेज में भी गुड्डू बड़े आराम से बमबाजी करता नजर आ रहा है।

अब आइए जानते हैं, गुड्डू मुस्लिम का गोरखपुर कनेक्शन…

गोरखपुर के व्यापारी की ली थी हत्या की सुपारी यह वही गुड्डू मुस्लिम है, जो साल 2001 में गोरखपुर जेल में भी बंद था। जानकारों के मुताबिक, उस दरम्यान गुड्डू ने कोतवाली इलाके के एक व्यापारी की हत्या की सुपारी ली थी। जिसे अंजाम देने वो गोरखपुर आया था। लेकिन, वारदात को अंजाम देने से पहले ही पुलिस ने उसे गोरखपुर में दबोच लिया था। दाऊद गैंग और ISI एजेंट के संपर्क में रहने वाले कुख्यात बदमाश परवेज टाडा के साथ उसने करीब डेढ़ से दो साल का वक्त भी गोरखपुर में जेल काटा है। हालांकि, इसके बाद वह जमानत पर रिहा हो गया था।

परवेज टाडा के लिए बम बनाता था गुड्डू गोरखपुर में 90 के दशक में विजय चौक स्थित मेनका टॉकिज में कुख्यात बदमाश परवेज टाडा ने बम ब्लास्ट कराया था। उस वक्त परवेज टाडा का आतंक चरम पर था और गुड्डू उसका सबसे करीबी था। बताया जाता है कि इस घटना में भी परवेज के लिए बम गुड्डू मुस्लिम ने ही मुहैया कराया था।

यही नहीं गुड्डू मुस्लिम ने परवेज के इशारे पर गोरखपुर और आसपास के इलाकों में कई घटनाओं को अंजाम दिया था।

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नेपाल बॉर्डर पर है गुड्डू की गहरी पैठ

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, परवेज की वजह से ही गुड्डू मुस्लिम की नेपाल बॉर्डर पर भी अच्छी पैठ हो गई। किसी भी घटना को अंजाम देने के बाद गुड्डू सीधा नेपाल निकल जाता। गोरखपुर में कई घटनाओं में वांछित परवेज टांडा ने डॉन दाऊद के बल पर नेपाल में अच्छी साख जमा ली थी। बताया जाता है कि उसे दाऊद का राइट हैंड भी कहा जाने लगा था। दाऊद के संपर्क में आने के बाद परवेज ISI के टच में आकर जाली नोटों का कारोबार करने लगा था।

परवेज की मौत गुड्डू को अतीक के नजदीक लाई गोरखपुर से फरार अपराधी परवेज टांडा ने नेपाल में जाली नोटों के कारोबार से खूब पैसा कमाया। वो नेपाल में इलेक्शन लड़ने की तैयारी कर रहा था। इसी बीच 25 दिसंबर 2009 को नेपाल में परवेज की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके बाद परवेज का गैंग खत्म हो गया।

वहीं, उसका करीबी गुड्डू मुस्लिम ने प्रयागराज की ओर अपना रुख कर लिया। प्रयागराज में वह अतीक के संपर्क में आया। गोरखपुर STF ने भी एक बार गुड्डू मुस्लिम को अरेस्ट किया था। तब अतीक ने ही पैरवी कर उसे जेल से बाहर निकालने में मदद की थी।

जेल की बैरक नंबर-2 रहा है गुड्डूगुड्डू मुस्लिम साल 2001 में गोरखपुर जेल के दो नंबर बैरक में रहता था। इस बैरक को कच्ची बैरक भी कही जाती थी। उस समय परवेज टांडा के साथ गुड्डू मुस्लिम और गोरखपुर के कई कुख्यात बदमाश भी यहां बंद थे।

कई घटनाओं में आया है गुड्डू का नाम पुलिस विभाग के रिटायर्ड सीओ शिवपूजन यादव बताते हैं, 90 से 2000 के दशक में मैं गोरखपुर पुलिस विभाग में था। उस वक्त गुड्डू मुस्लिम का कई बड़ी घटनाओं में नाम आया था। उस समय नेपाल बॉर्डर पर इसका हमेशा लोकेशन मिलता रहता था। किसी भी घटना को अंजाम देने के बाद गुड्डू नेपाल भागकर वहीं शरण लेता था।

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माटीकला से जुड़े 3 शिल्पकार को किया गया सम्मानित

माटीकला से जुड़े शिल्पकारों के उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए शुक्रवार 24 मार्च को सम्मानित किया गया। इसमें पहला पुरस्कार जिले के हस्त शिल्पकार सतीश चंद्र को , दिया गया। दूसरा पुरस्कार सिद्धार्थनगर के अवधेश कुमार को जबकि तीसरा पुरस्कार संत कबीर नगर के राजेंद्र कुमार को दिया गया।

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