स्थान (वीडियो): दाहोद, गुजरात
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एक गंभीर समस्या, केमिकल ट्रेल्स..
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दोपहर का समय आसमान पूरा साफ़, फिर अचानक से कुछ दृश्य आसमान में दिखते हैं, जो संदेह पैदा करते हैं। हवाई जहाज़ से आसमान में बादलो के निशान बनते हम सब ने देखे होंगे, बच्चे इसे देखकर बहुत उत्साहित हो जाते हैं। जेट इंजन का यातायात इतना आम हो गया है कि दोपहर में इसी तरह की धारियां आसमान में देखना कोई असामान्य बात नहीं है।
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(वीडियो देखें) पहले आसमान में एक धारी दिखती है , फिर दूसरी , तीसरी देखेते देखेते 2 से 3 घंटो में 8 से भी अधिक धारियां आसमान में दिखाई देने लगती है, क्या यह सामान्य बात है?.. यह धारियां पुरे आसमान को ढक लेती है , जिसके कारण पुरे आसमान में जहाँ एक समय एक भी बादल नही था, वहां पर कुछ ही घंटो में पुरा आसमान बादल से भर जाता है, क्या यह सामान्य बात हो सकती है?..
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1991 में, USA के वैज्ञानिक डेविड शांग और आई फू ची को यूएसए patent 5003186 “Stratospheric Welsbach Seeding for Reduction of the Global Warming” की अनुमति मिली जिसका उदेश्य था ग्लोबल वार्मिंग को कम करना। जितने भी environmentalists ने इसमें हिस्सा लिया वह सभी वातावरण में रसायन के उपयोग से इंसानो की सेहत को लेकर चिंतित थे, इस परियोजना में WHO भी शामिल था। और इस प्रकार, इस परियोजना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंजूरी मिली और सन् 2000 में अंटार्कटिक के ऊपर वैश्विक आवेदन शुरू किया हवा को ठंडा करने के लिए और बर्फ के पहाड़ों के पिघलने को धीमा करने के लिए।
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सन् 2004 July में केमिकल ट्रेल्स का प्रयोग EGYPT के CAIRO और गीज़ा में हुआ, जहाँ पर फ्लाइंग जेट्स ने इस स्प्रे को आसमान में हर जगह फैलाया। स्प्रे करने केव् कुछ घंटो के बाद लंबी लंबी धारियों ने विशाल बादल का रूप ले लिया ,कई जगह में फैले पूरे क्षेत्र पर सूरज की गर्मी और प्रकाश को वापस अंतरिक्ष में परावर्तित करने के परिणामस्वरूप हवा के तापमान में तेजी से कमी आई। Egypt में केमिकल स्प्रे करने के 8 घन्टो में ही वहां का तापमान 34 से 14℃ हो गया।
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छिड़काव किया गया एल्यूमीनियम ऑक्साइड (aluminum oxide) हवा की नमी को अवशोषित (absorb) करता है, जो रासायनिक प्रतिक्रिया से एल्यूमीनियम हाइड्रॉक्साइड में परिवर्तीत हो जाता है। केमिकल स्प्रे के नियमित उपयोग से ecosystem की relative humidity (R.H.%)में बहुत कमी आती है।
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वैज्ञानिको के अनुसार एल्युमीनियम ऑक्साइड जो एल्युमीनियम डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है, जब सांस लेने की प्रक्रिया द्वारा हमारे भीतर जाता है तो आँख, नाक, छाती, गले में जलन होने की सम्भावना बढ़ जाती है, जिसका प्रभाव शिशु और वृद्ध व्यक्ति पर अधिक होता है।
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केमिकल ट्रेल्स के छिड़काव से अस्थमा, सिरदर्द, पेटदर्द, कान में इन्फेक्शन, निमोनिया, तनाव, याद्दाश्त कम होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
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सन् 2003 में नासा ने केमिकल ट्रेल्स के कुछ सैंपल्स इकट्ठे करके उसपर अध्यन किया। जिस्से यह बात स्पष्ट हुई की एल्युमीनियम और बेरियम ऑक्साइड्स के particles जो केमिकल ट्रेल्स में पाए जाते हैं, वह इंसान , जानवर, प्रकृति के लिए बहुत हानिकारक है।
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सतर्क रहें, सावधान रहें।