कनाडा की जनता ने lockdown के इस नाटक को किया खत्म और हो गए गुलामी से आजाद। वहा की सरकार इतना ज्यादा विरोध प्रदर्शन देख कर परिवार सहित घर छोड़ कर भाग गई और वहा की जनता ने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि जो हम चाहेंगे वो होगा ये नही की सरकार जबरन कुछ भी करे और सब मन ले।

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क्यों किया कनाडा की जनता से विरोध प्रदर्शन:-
जबरन टीकाकरण और लॉक डाउन के खिलाफ कनाडा में जनता ने PM कार्यालय पर धरना दिया, जिससे डर के कनाडा के PM दफ्तर छोड़कर किसी सुरक्षित जगह पर छिप गए। वहां की जनता ने एकता बना के अपनी शक्ति सरकार को दिखा दिया और खुद को इस lockdown और टीकाकरण की गुलामी से आजाद करा लिया।
कैसे कर पाए इतना ज्यादा विरोध प्रदर्शन:-
आपको बता दे कि कनाडा में 35% से अधिक वयस्क पुरुषों के पास बंदूकें रखने का लाइसेंस है और राष्ट्रीय कानून के अनुसार, कुछ शिकारी बंदूकें और छोटी बंदूकें बिना लाइसेंस के भी रखी जा सकती हैं। इसके अलावा, कनाडा के ट्रक चालक ट्रक पर कानूनी रूप से बंदूकें ले कर सफर कर सकते हैं। इतनी शक्ति होने के कारण ही वहां की जनता ने इस षडयंत्र को खत्म किया और सरकार को ही उखाड़ फेका।
ट्रक ड्राइवरों का था विशेष योगदान:-
जबरन टीकाकरण और लॉक डाउन के खिलाफ धरने में ट्रक ड्राइवर्स ने अपना विशेष योगदान दिया। वहां ट्रक वाले बंदूकों के साथ थे, जिस कारण वे आत्मविश्वास से भरे थे और वहा की जनता ने भी ये देखा और प्रदर्शन पर उतर आईं। कनाडा में कानून के अनुसार बंदूकें और गोलियों को अलग रखा जाना चाहिए और बंदूक को लॉक करके रखना होता है। लेकिन वह के लोगो द्वारा इस नियम का कठोरता से पालन नहीं होता है।.
अमेरिका में भी ये नाटक हो चुका है खत्म:-
अमेरिकी नागरिकों ने भी ऐसे नाटकों को खत्म कर दिया और खुद को इस षडयंत्र से आजाद कर लिया। परंतु अमेरिका के नागरिको को ऐसे किसी धरना-प्रदर्शन की आवश्यकता नहीं पड़ी क्योंकि अमेरिकियों के पास कनाडाई नागरिको से ज्यादा बंदूकें हैं और उनके पास मुख्यमंत्रियों को नौकरी से किसी भी दिन निकालने का अधिकार है। इसलिए अमेरिका की सरकार ने अपने नागरिको पर जो दमन किया वो कनाडा सरकार द्वारा अपने नागरिको पर दमन का 10% भी नहीं था।
कानाडा की अपेक्षा भारत सरकार कर रहीं है ज्यादा षडयंत्र:-
वहीँ कनाडा की सरकार भारत सरकार की तुलना में 1% ही दमनकारी है। जिसके पीछे वजह ये है कि कनाडा में जूरी सिस्टम और जनसँख्या के बड़े हिस्से के पास बन्दूको का होना है। कनाडा के लोग रैली की हिम्मत कर सके क्योंकि 35% से अधिक वयस्क पुरुष के पास बंदूकें हैं और अदालतों में जूरी प्रणाली है। चूँकि कनाडा में लोग कोरोना के नाम पर अत्याचारों का विरोध करते हैं तो कोई भी जूरी सदस्य अत्याचार-विरोधी व्यक्ति को दंडित नहीं करता सकता है। इसलिए कनाडा में आंदोलनकारी पूरे जोश के साथ आगे बढ़े। तथाकथित मौलिक अधिकार, जनता के अधिकार, वगैरह सब बकवास शब्द हैं। असली ताकत बंदूकों से आती है।
क्या भारत की जनता के पास भी बंदूक रखने का अधिकार होना चाहिए:-
भारत में राइट टू रिकॉल पार्टी सभी वयस्क भारतीयों को बंदूक रखने के कानूनी अधिकार को लेकर जनमत संग्रह कराने का प्रस्ताव करती है। उस जनमत संग्रह में सभी रेकॉलिस्ट (RRP कार्यकर्त) ‘हाँ’ दर्ज करेंगे।
जनमत संग्रह में 50% से अधिक ‘हाँ’ दर्ज होने पर सभी भारतियों को कम से कम एक बंदूक रखना अनिवार्य होगा। कांग्रेस आरएसएस ,आप सपा ,बसपा अकाली ,सभी पेड़ मीडिया पार्टियां साधारण वयस्क नागरिकों को बंदूक देने के अधिकार के खिलाफ हैं क्युकी सभी को पता है की अगर ऐसा हुआ तो सारी पार्टियों को देश छोड़ के भागना पड़ेगा और उस समय वही होगा जो जनता चाहेगी। और हम सभी का मानना है कि भारत की जनता के पास भी ये अधिकार होना चाहिए।-