
भारत की भी दशा यूक्रेन जैसी बना सकता है अमेरिका वो चीन से करा सकता है हमला क्योंकि रूस पर हमला पहले अमेरिका ने किया, और रूस यूक्रेन पर हमला करके सिर्फ़ अमेरिकी हमले का जवाब दे रहा है,और अगर भारत ने ये नही समझा तो अमेरिका की वजह से चीन भी भारत के साथ ऐसा कर सकता है।
रूस को तोड़ने के लिए अमेरिका कर रहा है यूक्रेन का इस्तेमाल:
यूक्रेन से मास्को की दूरी लगभग 400 km है। यदि यूक्रेन नाटो साइन कर देता तो अमेरिका एक वर्ष के भीतर ही “यूक्रेन की सुरक्षा” का हवाला देकर यूक्रेन में इतना अस्लहा तैनात कर देता कि रूस से फ़ुल स्केल वॉर किया जा सके और इसके बाद अमेरिका रूस को तोड़ने के लिए यूक्रेन का इस्तेमाल अपने ऊँट की तरह करता। यानी की ये सारा का सारा खेल अमेरिका का ही है जो रूस को खुद के आगे झुकना चाहता है और इसीलिए वो यूक्रेन के साथ इतनी हमदर्दी दिखा रहा है। क्योंकि उसे पता है कि अगर यूक्रेन NATO में शामिल हो गया तो वो अपनी सेना और हथियार यूक्रेन में ला सकता है और रूस पर बड़े आराम से हमला कर सकता है और अगर यूक्रेन पर रूस का कब्जा हो गया तो भी अमेरिका का कुछ नुकसान नही होगा बल्कि दोनो तरफ से इसका ही फायदा है। यूक्रेन को हराने के चक्कर में रूस की आर्थिक और सैनिक दोनो व्यवस्था खराब हो रहीं है जिससे अमेरिका का बहुत फायदा होगा और अगर यूक्रेन नही हारा तो अमेरिका वहां अपना अड्डा जमा लेगा।
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अतः अमेरिकी सेनाओं को यूक्रेन में घुसने से रोकने के लिए रूस के पास हमला करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नही था।
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अमेरिका का ऊँट नम्बर 2 भारत है:
बता दे कि यूक्रेन के बाद अमेरिका भारत को भी अपने ऊट के रूप में प्रयोग कर सकता है। क्योंकि दुनिया का एक दूसरा महाशक्ति है चीन ,जिसे अमेरिका भारत का इस्तेमाल करके तोड़ने की कोशीश करेगा। पर जब चीन को ये बात पता चलेगी तो वो भी वही करेगा जो रूस ,यूक्रेन के साथ कर रहा है। जी हां वो भी भारत पर हमला करेगा और उसे अपने कब्जे में लेने का प्रयास करेगा ताकि अमेरिका को भारत में घुसने से रोक सके, और चीन भारत पर बहुत जगह से हमला कर सकता है जिसमे पाकिस्तान सबसे अहम है।
चीन पर हमला करने के लिए अमेरिका निम्नलिखित तैयारी कर चुका है :
(1) मीडिया में FDI ताकि जनता को कंट्रोल करके राजनैतिक नेतृत्व को नियंत्रित किया जा सके।
(2) डिफ़ेंस में FDI ताकि भारत में अमेरिकी कम्पनियाँ युद्ध के लिए हथियारों का उत्पादन कर सके।
(3) कोमकासा एग्रिमेंट ताकि अमेरिकी जनरल भारतीय सेना का अधिकृत रूप से संचालन कर सके, एवं भारतीय ज़मीन पर अपनी सेना उतार सके।
(4) धारा 370 का निरसन ताकि वहाँ पर राष्ट्रपति शासन लगाकर अमेरिकी कश्मीर में निवेश के नाम पर अपने इस्टाब्लिशमेंट खड़ी कर सके। और वहाँ पर अमेरिकीयों एवं सऊदी अरब ने निर्माण शुरू भी कर दिया है। अगले चरण में अमेरिकी जिहादियों को अस्लहा और पैसा देकर खुद के ही निर्माण पर आतंकी हमले करवाएगा, या इसी तरह का कोई ड्रामा स्टेज करेगा । इसके बाद अमेरिकी कहेंगे कि हमारे निवेश को आतंकियों से ख़तरा है, और अब हम (अमेरिकी) कश्मीर में आतंकवाद को ख़त्म करने की जंग लड़ेंगे। पेड़ मीडिया रिपोर्ट करेगा कि — अब आतंकियों की ख़ैर नही है, और फिर अमेरिकी सेनाएँ कश्मीर में आना शुरू करेगी। कश्मीर से CPEC कुछ सौ किलोमीटर की दूरी पर ही है॥ इन हालात में चीन को इस बिंदु पर गम्भीरता से विचार करना पड़ेगा कि क्या उसे अमेरिकी सेनाओं के कश्मीर में अड्डा जमाने से पहले ही भारत पर आक्रमण कर देना चाहिए या नही !!!यदि चीन भारत पर हमला करता है तो चीन भारत पर सभी तरफ़ से हमला कर सकता है।

पाकिस्तानी, कश्मीर की तरफ़ से, पूर्वोत्तर से और नेवी के माध्यम से दक्षिण की सभी दिशाओं से॥ इसीलिए जरूरी है की भारत पहले ही इन सभी बातों को ध्यान में रख ले ताकि बाद में भारत की हालत यूक्रेन जैसी ना हो।