क्या यूक्रेन रूस से लड़ाई में हार सकता है? पुतिन की सेनाएं आखिर क्यों हो रही हैं पस्त1

यूक्रेन और रूस की लड़ाई को अब एक वर्ष होने वाला है। ऐसी स्थिति में रूसी सेनाएं अभी तक उन्हीं परिस्थितियों का सामना कर रही हैं, जिसके चलते पिछले साल अर्थात् 2022 में उन्हें मिली शुरुआती बढ़त पर पानी फिर गया था। यूक्रेन के एक ही क्षेत्र में एक-एक करके रूसी सेनाएं डोनबास शहर में आगे बढ़ रही हैं लेकिन इसके लिए भी रूसी सेनाओं को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

Russian Ukraine News : यूक्रेन और रूस की लड़ाई को अब एक वर्ष होने वाला है। ऐसी स्थिति में रूसी सेनाएं अभी तक उन्हीं परिस्थितियों का सामना कर रही हैं, जिसके चलते पिछले साल अर्थात् 2022 में उन्हें मिली शुरुआती बढ़त पर पानी फिर गया था। यूक्रेन में ठंड का मौसम अब धीरे-धीरे खत्म होने वाला है, इसी बीच रूस बखमुत शहर पर अपना कब्जा करने के उद्देश्य से डोनबास क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।

बखमुत शहर का क्षेत्रीय परिवहन केंद्र के रूप में कुछ खास रणनीतिक महत्व है लेकिन प्रतीकात्मक और भौतिक रूप से देखा जाए तो यह इतना कीमती भी नहीं है जिसके लिए रूस जी-जान लगा रहा है। एक ही क्षेत्र में एक-एक करके रूसी सेनाएं डोनबास शहर में आगे बढ़ रही हैं लेकिन इसके लिए भी रूसी सेनाओं को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

रूसी सेनाएं अभी तक कर रही है मुश्किल परिस्थितियों का सामना :-

यूक्रेन और रूस की लड़ाई को अब एक वर्ष होने वाला है। ऐसी स्थिति में रूसी सेनाएं अभी तक उन्हीं मुश्किल परिस्थितियों का कर रही हैं सामना

यूक्रेन और रूस की लड़ाई को अब एक वर्ष होने वाला है। ऐसी स्थिति में रूसी सेनाएं अभी तक उन्हीं मुश्किल परिस्थितियों का सामना कर रही हैं,जिसके चलते पिछले साल अर्थात् 2022 में उन्हें मिली शुरुआती बढ़त पर पानी फिर गया था। इतिहासकार यह बताते हैं कि इस क्षेत्र में सैन्य अभियानों की गति सर्दी का मौसम खत्म होने पर तय किया जाता है।

पहले के समय में भी रासपुतित्सा अर्थात् बर्फ के पिघलने पर कीचड़ जमा होने के समय में मंगोलों और नेपोलियन की बहुतायत सेना के लिए भी यह क्षेत्र तबाही लेकर आया हुआ था। यहां तक कि द्वितीय विश्व युद्ध में भी रासपुतित्सा ने महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई। इस दौरान वर्ष 1941ई. में मॉस्को ने नाजी जर्मनी को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया था।

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यूक्रेन-रूस के युद्ध में आखिर क्यों हो रही है इतनी दिक्कतें :-

यूक्रेन-रूस के युद्ध की वजह से यहां कई बार सोवियत सेना को इसकी मार झेलनी पड़ रही है और उसके अभियानों पर पानी फिर गया। वसंत का मौसम कितना जरूरी होता है, इसको समझने के लिए बहुत पुराना इतिहास को ढूंढने की कोई आवश्यकता नहीं है। पिछले साल सर्दी के मौसम और रूसी थलसेना की खराब हालत के चलते रूस को मुख्य राजमार्गों के जरिए कीव पर शुरुआती हमले करने पड़ गये थे।

रूसी सेनाएं जब मुख्य सड़कों से होती हुई यूक्रेन की राजधानी कीव की ओर बढ़ रही थीं तब उन्होंने राजमार्गों पर घिरने की आशंका को मद्देनजर रखते हुए बड़ी संख्या में टैंक और अन्य साजो-सामान भेजने का फैसला लिया था। इस दौरान रूसी सेना के कई वाहन नष्ट हो गए थे या उन्हें त्याग दिया गया। ऐसे में यह कहना उचित होगा कि मौसम के कारण शुरुआत में रूस को निःसंदेह असफलताओं का सामना करना पड़ा।

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आखिर रूसी सेनाओं को ही क्यों हो रही है ज्यादा दिक्कतों का सामना :-

आखिर रूसी सेनाओं को ही क्यों हो रही है ज्यादा दिक्कतों का सामना

एक साल बीत जाने के बाद बर्फ पिघलने की वजह से जमा हुई कीचड़ फिर से रूसी की सक्रियता पर असर हो रही है। रूसी सेना उन सभी बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करने की पूरी कोशिश कर रही है जहां वे पहुंच सकते हैं और वास्तविक रूप से हमला कर सकते हैं। रेलहेड (यानी जहां सैन्य साजो-सामान उतारा और वितरित किया जाता है) के काफी करीब होने और सड़क मार्ग की उपस्थिति की वजह से बखमुत रूसी परिप्रेक्ष्य के मुताबिक अपेक्षाकृत काफी सुलभ है।

यह उन थोड़े स्थानों में से एक है जहां रूस खराब मौसम में प्रभावी रूप से साजो-सामान की आपूर्ति करने में सक्षम है, यही वजह है कि पूरी सर्दी और अब वसंत ऋतु में यहां दोनों ओर से हमले तेजी से हुए हैं।

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