क्या सच में पुलवामा हमला एक सोची समझी साजिश थी,जानिए पूरी सच्चाई सरकार ने पुलवामा हमले की रिपोर्ट देने से किया मना

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सरकार ने पुलवामा हमले की रिपोर्ट देने से किया मना:

केंद्र सरकार ने पुलवामा आतंकी हमले की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है जिसमें पिछले साल 14 फरवरी को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ( CRPF ) के 40 जवान शहीद हो गए थे. सूचना के अधिकार (RTI) के सवाल पर गृह मंत्रालय के जवाब में सरकार के इनकार का खुलासा हुआ।

पुलवामा हमला पर किए गए प्रश्न का जवाब नही मिला:

पानीपत के एक RTI कार्यकर्ता पीपी कपूर ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में हमले में मारे गए सैनिकों के बारे में जानकारी मांगने के लिए एक प्रश्न दायर किया था।लेकिन केंद्र ने न तो नामों का खुलासा किया है और न ही यह बताने को तैयार है कि सरकार उन्हें शहीद मानती है या नहीं।

इसने मृतक सैनिकों के परिवारों को दी जाने वाली सभी प्रकार की सहायता के विवरण का खुलासा करने से भी इनकार कर दिया है।कपूर जी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत CRPF के महानिदेशक के पास दो अलग-अलग RTI आवेदन 9 जनवरी और 10 जनवरी को दायर किया था। उन्होंने मारे गए जवानों के नाम और पदनाम, जांच रिपोर्ट की एक प्रति के साथ-साथ जांच में दोषी पाए गए अधिकारियों सहित पांच बिंदुओं पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी।“CRPF निदेशालय (प्रशासन) के DIG और जन सूचना अधिकारी राकेश सेठी ने जनवरी 2020 के जवाब में मांगी गई जानकारी देने से इनकार कर दिया।

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क्या इस हमले की जानकारी देना गैर कानूनी है?:

बता दे कि सूचना को सार्वजनिक न करने के पीछे CRPF द्वारा बताया गया कारण यह है कि RTI अधिनियम-2005 के अध्याय-6 के पैरा-24 (1) के प्रावधानों के अनुसार CRPF को भ्रष्टाचार के मामलों को छोड़कर किसी भी प्रकार की जानकारी देने से छूट है,पर सरकार ने बाकी की जानकारी देने से भी मना कर दिया इसीलिए यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है, यह “कपूर” ने कहा।

उन्होंने दावा किया कि सरकार जानबूझकर सूचना जारी नहीं कर रही है।“यह अपनी विफलताओं को छिपाना चाहता है। एक तरफ जहां 40 भारतीय जवानों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी वही दूसरी तरफ सरकार उनका नाम तक लेने को तैयार नहीं है।”कपूर ने कहा कि पुलवामा हमला भ्रष्टाचार और CRPF कर्मियों के मानवाधिकारों के उल्लंघन का सीधा मामला है, इसलिए अधिकारी उन्हें जानकारी देने से इनकार नहीं कर सकते।

उन्होंने कहा, ‘शायद सूचना न देने का कारण यह भी हो सकता है कि शहीद सैनिकों की संख्या बताई गई संख्या से अधिक भी हो सकता है।

इसका अर्थ ये है कि 2019 में कश्मीर के पुलवामा में जो हमला इस्लामिक आतंकवादियो ने किया वो केंद्र सरकार ने करवाया था, यानी तात्कालिक सरकार ने जो सीधे इस्लामिक आतंकवादियो से मिली हुई है।

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