उत्तर : जनता का शस्त्रीकरण, राईट टू रिकॉल प्रक्रियाएं एवं जूरी सिस्टम
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ब्रिटेन में जूरी उन लोगों को दंडित करने से इनकार कर रही थी, जिन्होंने वैक्सीन कानूनों का उल्लंघन किया, और जूरी ने उन प्रदर्शनकारियों को दंडित करने से भी इनकार किया जो वैक्सीन वगेरह का विरोध कर रहे थे। और वजह से सरकार को पीछे हटना पड़ा।
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जब जूरी किसी क़ानून को गलत मानती है और अमुक गलत क़ानून के तहत बनाए गए आरोपी को सजा देने से इंकार कर देती है, तो जूरी के इस कदम को Jury Nullification कहा जाता है।
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तो जूरी सिस्टम की वजह से ब्रिटेन में जबरिया वैक्सीनेशन का अंत हो गया। और इसीलिए कांग्रेस, आरएसएस, आपा, अकाली, एसपी आदि भारत में जूरी सिस्टम लाने के प्रस्ताव का विरोध करते है। क्योंकि तब वे पुलिस प्रशासन का इस्तेमाल करके डंडे से जोर से वैक्सीन नहीं दे सकेंगे।
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BRC, AIM और इसी तरह के अन्य संगठन / नेता भी जूरी सिस्टम के विरोध में इसीलिए है क्योंकि यदि भारत में बाध्यकारी टीकाकरण एवं लॉकडाउन आदि सपाप्त हो जाता है तो ये लोग “NWO को एक्सपोज करने एवं लोगो को जगाने” के नाम पर अपनी दुकान नहीं चला सकेंगे।
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और बाध्यकारी वैक्सीनेशन की बकवास अमेरिका में कभी शुरू भी नहीं हुई। क्योंकि अमेरिका में सैनिकों और पुलिसकर्मियों के पास 40+40 = 80 लाख के लगभग बंदूकें हैं, जबकि अमेरिकी नागरिकों के पास 40 करोड़ (50 गुना अधिक) बंदूके है। इसके अलावा, वहां के नागरिको के पास पुलिस प्रमुख और मुख्यमंत्री को बदलने के लिए राईट टू रिकॉल प्रक्रियाएं है। और राईट टू रिकॉल प्रक्रियाओं के अधीन होने के कारण मुख्यमंत्री एवं पुलिस प्रमुख जबरन टीकाकरण के लिए डंडे के इस्तेमाल की हिम्मत नहीं दिखा सके।
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यूके में वैक्सीन सर्टिफिकेट और बाध्यकारी टीकाकरण की बकवास कुछ महीनों तक इसीलिए चल पायी, क्योंकि यूके में पुलिस प्रमुख एवं पीएम पर राईट टू रिकॉल नहीं है, और एमपी पर राईट टू रिकॉल की बेहद कमजोर प्रक्रियाएं है। और साथ ही यूके के बहुत कम नागरिको के पास बंदूकें हैं
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तो भारत के लिए समाधान है —
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(1) सभी के लिए बंदूक के स्वामित्व को अनिवार्य बनाने पर जनमत संग्रह
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(2) पुलिस प्रमुखों, सीएम, पीएम, एमपी, एमएलए को वोट वापसी के अधीन लाना
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(3) जूरी कोर्ट के प्रस्तावित क़ानून को गेजेट में प्रकाशित करना
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(4) सार्वजनिक रूप से नारको टेस्ट
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