छत्तीसगढ़ में नक्सली हमला, 22 जवान शहीद, लेकिन नक्सलवाद की समस्या के समाधान के लिये कोई प्रयास नहीं कर रहा है।

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छत्तीसगढ़ में नक्सली हमला, 22 जवान शहीद राजनीतिक पार्टियां व उनके कार्यकर्ता इस पर दुःख जता रहे हैं।

भारत की सभी राजनीतिक पार्टियां व उनके कार्यकर्ता इस पर दुःख जता रहे हैं।
कुछ देश प्रेमी अपने स्टेटस पर शहीद जवानों के फोटो लगाकर संवेदनाए जुटा रहे हैं।

उन्हें बस संवेदना जुटाकर अपना वोट बैंक सुरक्षित करना हैं।

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हमारे अनुसार नक्सली समस्या के निम्न समाधान हो सकते हैं।

  1. हथियार बन्द नागरिक समाज :- नक्सलियों की मुख्य आय का स्रोत है अवैध हफ्ता वसूली।
    नक्सली वहां के लोकल व्यापारियों को हथियार के दम पर धमकाकर उनसे पैसे वसूलते है और जो पैसा नहीं देता है उन्हें मार देते है।

यदि भारत के सभी नागरिको के पास हथियार होंगें, नक्सलियों की आय में भारी कमी आएगी, क्योकि जब वे व्यापारी से वसूली करने जाएंगे तो व्यापारी के पास भी हथियार होने के कारण उनका रिस्क बढ़ जाएगा।

  1. धनवापसी पासबुक कानून:- धनवापसी कानून प्रत्येक व्यक्ति की जीवनयापन करने लायक आय सुनिश्चित करता है और जिला खनिज अधिकारी वोट वापसी पासबुक के दायरे में आने के बाद सरकार उस जिले के नागरिको की बिना सहमति के वहाँ के प्राकृतिक संसाधन हड़प नहीं सकती हैं।

नक्सलियों की शुरुआत यही से हुई थी कि सरकार उनके जंगल हड़पना चाहती थी।

तो लोगों ने हथियार उठा लिये।

  1. वोट वापसी, जुरीकोर्ट, टीसीपी जैसी लोकत्रांतिक प्रकियाएं :- कोई भी समाज सत्ता के खिलाफ तब हथियार उठाता हैं जब सरकार उस समाज का शोषण करती हैं यदि सत्ता पक्ष में नागरिको की बेहतर सुनवाई होती है, त्वरित न्याय व इज्जत मिलती है तो समाज मे शासन के प्रति अपनत्व का भाव आता हैं।

मानव स्वभाव है कि जिस देश मे सरकार नागरिको की बेहतर सुनवाई व न्याय की स्थापना करती है उस देश के नागरिक ज्यादा देश भक्त होते हैं

जिस देश मे सरकार नागरिको का शोषण करती है, समाज मे अन्याय होता है तो नागरिको में सरकार के प्रति असंतोष पैदा होता है और यह असंतोष विद्रोह का कारण बनता हैं।

जुरीकोर्ट, वोट वापसी,टीसीपी जैसी लोकतांत्रिक प्रकियाए आने के बाद किसी भी नागरिक या समुदाय में सरकार के प्रति असंतोष न्यूनतम हो जाएगा।

जिससे विद्रोह की भावना कम होगी।

4.आदिवासी इलाकों में प्रत्येक मतदाता को मुफ्त स्मार्ट फोन देना :- आदिवासी इलाकों में कुछ लोग बेहद गरीब है और बिल्कुल अनपढ़ है।

उनका नक्सली नेता गलत इस्तेमाल करते हैं, वे आदिवासी बाकी दुनिया से बिल्कुल कटे हुए होते हैं, यदि उनके पास मोबाइल होगा तो वे बाकी दुनिया से कनेक्ट हो पाएंगे और जंगल से मिलने वाली वस्तुओं को सही दाम पर बेच पाएंगे

वर्तमान में उन्हें जंगल से मिलने वाली वस्तुओं की सही कीमत ही नहीं मिलती हैं।

  1. सेना को आत्मनिर्भर बनाने के लिये #जुरीकोर्ट, #रिक्तभूमिकर #woic जैसे कानून:-क्योकि आदिवासियों को रॉकेट लॉन्चर ,AK47 जैसे हथियार नहीं बनाने आते है,इतना तय है कि कोई न कोई देश उन्हें हथियार या मेटेरियल सप्लाई करता हैं,यह बात भारत के सभी शीर्ष रक्षा विशेषज्ञ को पता हैं।
    लेकिन वर्तमान भारत युद्ध लड़ने की स्थिति में नहीं है इसलिए चुप बैठा हैं।

यदि भारत में जुरीकोर्ट, रिक्तभूमिकर, woic जैसे कानून आ जाते है तो हम 5 सालो में हथियार उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाएंगे।

उसके बाद कोई भी देश नक्सलियों को हथियार सप्लाई करने की हिम्मत नहीं कर पायेगा।

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