15.जूरी सिस्टम में प्रस्तावित कानून:

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जूरी सिस्टम में प्रस्तावित कानून,निम्न है।

भारत के नागरिकों,
यह कानून पारित होने के बाद हत्या, अपहरण, बलात्कार, मारपीट तथा लापरवाही के कारण होनी वाली मौत आदि जैसे अपराधिक मामलो की सुनवाई करने और सजा सुनाने का अधिकार नागरिको की जूरी के पास रहेगा। इस जूरी मंडल का चयन किसी जिले या किसी राज्य अथवा भारत की मतदाता सूचियों में से क्रम रहित ( रेंडमली ) तरीके से किया जाएगा। जूरी सदस्यों का आयु वर्ग 25 से 55 वर्ष के बीच होगा तथा इस जूरी मंडल में 15 से 1500 तक जूरी सदस्य हो सकेंगे। इस क़ानून के लागू होने के बाद से इन मुकदमो का फैसला आम नागरिको के जूरी मंडल द्वारा किया जाएगा न कि जजों द्वारा | यदि आप इस क़ानून का समर्थन करते है तो अपने प्रधानमंत्री को @pmoindia पर ट्वीट द्वारा निर्देश भेजें कि इसे गेजेट में प्रकाशित किया जाये।

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हत्या और अन्य हिंसक अपराधों के लिए जिला जूरी सिस्टम ड्राफ्ट का प्रारम्भ :

यह कानून पारित होने के बाद हत्या, अपहरण, बलात्कार, मारपीट तथा लापरवाही के कारण होनी वाली मौत आदि जैसे अपराधिक मामलो की सुनवाई करने और सजा सुनाने का अधिकार नागरिको की जूरी के पास रहेगा। इस जूरी मंडल का चयन किसी जिले या किसी राज्य अथवा भारत की मतदाता सूचियों में से क्रम रहित ( रेंडमली ) तरीके से किया जाएगा। जूरी सदस्यों का आयु वर्ग 25 से 55 वर्ष के बीच होगा तथा इस जूरी मंडल में 15 से 1500 तक जूरी सदस्य हो सकेंगे | बाद मे यदि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री चाहे तो अन्य प्रकार के अपराधों को भी इसमें जोड़ सकते है। इस क़ानून के लागू होने के बाद से इन मुकदमो का फैसला आम नागरिको के जूरी मंडल द्वारा किया जाएगा न कि जजों द्वारा।

[ टिप्पणी : इस कानूनी ड्राफ्ट को लोकसभा और राज्यसभा में साधारण बहुमत से पास करके देश में लागू किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि इस कानून को पारित करने के लिए किसी भी प्रकार के संविधान संशोधन की जरुरत नहीं है

इस ड्राफ्ट के 2 भाग है —
भाग -1: नागरिकों के लिए सामान्य निर्देश
भाग – 2 : अधिकारियों और नागरिकों के लिए अन्य निर्देश व टिप्पणियाँ
इस क़ानून ड्राफ्ट की महत्त्वपूर्ण धाराएं है — (1.2) , (2) , (2.1) to (2.5) , (4.1) , (4.2) , (8.1) , (9) , (12) , (13) , (14) , (17) , (19) , (20) , (28) , (28.1)

इस ड्राफ्ट में लिखी गयी “टिप्पणियां” किसी भी अधिकारी / मंत्री / जज आदि पर बाध्यकारी नहीं है | जूरी सदस्य, नागरिक एवं अन्य अधिकारी इन टिप्पणियो का उपयोग मार्गदर्शन के रूप में कर सकते हैं | वस्तुत: ये टिप्पणियाँ बाध्यकारी नहीं है | ]

भाग -1: नागरिकों के लिए सामान्य निर्देश:
(1) टिप्पणी : कानून का सारांश
(1.1) टिप्पणी :
यह कानून हत्या, अपहरण, बलात्कार, मार-पिटाई, धमकी और अन्य सभी ऐसे अपराधों जिनमे शारीरिक बल या शारीरिक हिंसा का प्रयोग किया गया है, के लिए मजिस्ट्रेट अदालतों, जिला अदालतों और सेशन अदालतों में जूरी सिस्टम की स्थापना करता है |
1.2) टिप्पणी : इस कानून के पारित होने बाद आप (आप अर्थात भारत में पंजीकृत मतदाता) को जूरी ड्यूटी के लिए बुलाया जा सकता है | जूरी ड्यूटी में आपको आरोपी, पीड़ित, गवाहों और दोनों पक्षों के वकीलों द्वारा प्रस्तुत तथ्य और बहस सुननी होगी और सजा / जुर्माना या रिहाई तय करनी होगी |
(1.3) टिप्पणी : किसी जिले में जूरी सिस्टम का पर्यवेक्षण एवं संचालन “जिला जूरी प्रशासक” द्वारा किया जायेगा | जिला जूरी प्रशासक की नियुक्ति मुख्यमंत्री करेंगे तथा आप ( अर्थात अमुक जिले के मतदाता ) जूरी प्रशासक को इस कानून में “राईट टू रिकॉल जिला जूरी प्रशासक” धाराओं में दी गयी प्रक्रिया का प्रयोग करके बदल सकेंगे |
(1.3.1) टिप्पणी : “राईट टू रिकॉल जिला जूरी प्रशासक” के चयन के लिए आप अधिकतम 5 उम्मीदवारों को किसी भी दिन अनुमोदित कर सकते है, और किसी भी उम्मीदवार का अनुमोदन किसी भी दिन निरस्त कर सकते है | यदि आप अपना अनुमोदन दर्ज नहीं करना चाहते तो आपको अनुमोदन दर्ज करने की आवश्यकता नहीं है |
(1.3.2) टिप्पणी : जिस उम्मीदवार के अनुमोदनों की संख्या सबसे ज्यादा हो और यह अनुमोदनो की यह संख्या जिले में दर्ज सभी मतदाताओं के 35% से अधिक हो , तो ऐसा उम्मीदवार पदासीन जिला जूरी प्रशासक को प्रतिस्थापित करके नया जिला जूरी प्रशासक बनेगा |

भाग-2 : अधिकारियों और नागरिकों के लिए अन्य निर्देश व टिप्पणियाँ :

2 : यह कानून आरोपी या पीड़ित की आयु की अवहेलना करते हुए निम्नलिखित मामलो पर लागू होगा :
(2.1) : हत्या, हत्या के प्रयास, किसी दुर्घटना या लापरवाही के कारण हुई मानव मृत्यु या किसी भी प्रकार की अप्राकृतिक मानव मृत्यु।
(2.2) : ऐसे सभी अपराध जिसमे हिंसा, जान लेवा धमकी, दुर्घटना, एवं ऐसी लापरवाही जिससे शरीर को क्षति कारित हो या गंभीर चोट कारित होना संभाव्य हो।
(2.3) : अपहरण / बलात्कार / छेड़छाड़ / उत्पीड़न / किसी भी आयु की महिला का पीछा करना, कार्यस्थल पर उत्पीड़न आदि।
(2.4) : सभी प्रकार के ऐसे अपराध या नागरिक विवाद जिन्हे प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ने राजपत्र अधिसूचना द्वारा इस सूची में शामिल किया हो।
(2.5) : कोई भी अपराध या कोई भी नागरिक विवाद जिसे इस क़ानून में वर्णित “जनता की आवाज” धाराओ का उपयोग करके नागरिको के बहुमत ने बताया हो और उसे प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री द्वारा स्वीकृत किया गया हो |

(3) : यदि किसी प्रकार का अपराध या नागरिक विवाद मुख्यमंत्री द्वारा जोड़ा जाता है, तब यह केवल अमुक राज्य के लिए ही लागू होगा | यदि इसे प्रधानमंत्री द्वारा जोड़ा जाता है, तब यह सम्पूर्ण राष्ट्र या राजपत्र अधिसूचना में प्रधानमंत्री द्वारा स्पष्ट किये गए राज्य / राज्यों के लिए लागू होगा | मुख्यमंत्री / प्रधानमंत्री स्पष्ट कर सकते हैं कि क्या जूरी सदस्य जिला / राज्य से या फिर पड़ोसी जिलों / राज्यों से या सम्पूर्ण भारत से चुने जाएंगे |

(3.1) टिप्पणी : इस कानून में शुरूआती तौर पर सिर्फ कुछ अपराधों को शामिल किया गया है ताकि इस तर्क को कि -“जूरी सदस्य ‘ऐसे वाले और वैसे वाले’ अपराधो की प्रकृति समझने की अक्ल नहीं रखते” – नागरिकों द्वारा एक सफ़ेद झूठ के रूप में ख़ारिज किया जा सके | बाद में प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री या मतदाता अन्य अपराधों के प्रकार एवं नागरिक विवादो के अन्य प्रकार भी जोड़ सकते हैं। इस तरह ये स्थापित किया जा सकेगा कि यह तर्क कि -“जूरी सदस्य ऐसे वाले और वैसे वाले’ अपराधो की प्रकृति समझने की अक्ल नहीं रखते ”- अधिकतम मतदाताओं द्वारा एक सफ़ेद झूठ के रूप में ख़ारिज किया जाता है | उदाहरण : गोहत्या, भ्रष्टाचार, भाई भतीजा वाद , चोरी, धोखाधड़ी, चेक बाउंस, कर्ज ना चुकाना, जमीन विक्रय के दस्तावेजों की जालसाजी इत्यादि जैसे अपराध प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री / मतदाताओ द्वारा इस क़ानून में जोडे जा सकेंगे |
(3.2) टिप्पणी : प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री अन्य सामान्य अपराधो जैसे किरायेदार / मकान मालिक विवाद, मजदूर-नियोक्ता विवाद इत्यादि भी जोड़ सकते हैं। क्योंकि प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री / मतदाता आदि के सामने यह सिद्ध हो चुका होगा कि अमुक मामले बहुत सरल है तथा जूरी सदस्य इसे आसानी से समझ सकते है तथा ये तर्क कि-“जूरी सदस्य ऐसे-वैसे अपराध के बारे में कानून नहीं समझते ”- अधिकतम मतदाताओं द्वारा एक सफ़ेद झूठ के रूप में ख़ारिज किया जा चुका है |

(4) किसी जिले में जूरी सिस्टम का अस्थायी निलंबन:
(4.1) : किसी राज्य में दर्ज सभी मतदाताओं के 51% से अधिक अनुमोदन मिलने पर मुख्यमंत्री ऊपर बताये सभी खंडो / धाराओं को निलंबित कर सकते है ,और किसी एक या अधिक जिलों में अपनी पसंद का जिला जूरी प्रशासक 5 वर्षों के लिए नियुक्त कर सकते है | इन 5 वर्षों के दौरान मुख्यमंत्री किसी भी समय जिला जूरी प्रशासक को बदल सकते है | मुख्यमंत्री अमुक जिले के किसी मामले को क्रमरहित तरीके से चुने हुए किसी अन्य जिले में भी भेज सकते है |
(4.2) : भारत में सभी मतदाताओं का 51% से अधिक अनुमोदन मिलने पर प्रधानमंत्री भारत में किसी भी एक या अधिक जिलों में ऊपर बताये सभी खंडो को निलंबित कर सकते है, और अमुक जिलों में अपने विवेक से जिला जूरी प्रशासक 5 वर्षों के लिए नियुक्त कर सकते है | इन 5 वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री किसी भी समय जिला जूरी प्रशासक को बदल सकते है | प्रधानमंत्री अमुक जिले के किसी मामले को क्रमरहित तरीके से चुने हुए किसी पडोसी राज्य के जिले में भी भेज सकते है ।

(5) : मुख्यमंत्री प्रत्येक जिले के लिए एक अधिकारी को जिला जूरी प्रशासक के रूप में नियुक्त करेंगे, जिसे नागरिक इसी कानून में दिए गए “राईट टू रिकॉल जिला जूरी प्रशासक” की धाराओं का उपयोग करके बदल सकते हैं ।

(6) : प्रथम महाजूरी मंडल ( ग्रेंड ज्यूरी ) का गठन – जिला जूरी प्रशासक एक सार्वजनिक बैठक में मतदाता सूची से 25 वर्ष और 55 वर्ष की आयु के मध्य के 50 मतदाताओं का चुनाव क्रमरहित तरीके से करेगा | इन सदस्यों का साक्षात्कार लेने के बाद जूरी प्रशासक किन्ही 20 सदस्यों को निकाल सकता है। इससे 30 महा-जूरी सदस्य शेष रह जायेंगे | यदि धारा (4) के अंतर्गत जिला जूरी प्रशासक मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किया गया है तब जिला जूरी प्रशासक जिला / राज्य / भारत से 100 नागरिक तक चुन सकता है और 70 को निकाल सकता है |

(7) : अनुगामी ( बाद में आने वाली ) महा जूरी मंडलो का गठन – प्रथम महा जूरी मंडल में से जिला जूरी प्रशासक पहले 10 महा-जूरी सदस्यों को हर 10 दिन में सेवानिवृत्त करेगा | पहले महीने के बाद हर महा-जूरी सदस्य का कार्यकाल 3 महीने तक होगा और इसलिए 10 महा-जूरी सदस्य हर महीने सेवानिवृत्त होंगे और 10 नए चुने जाएंगे | जैसा कि ऊपर बताया गया है, 10 महा-जूरी सदस्य चुनने के लिए जिला जूरी प्रशासक जिला या राज्य या भारत की मतदाता सूची में से क्रमरहित तरीके से 20 मतदाता चुनेगा, और साक्षात्कार द्वारा इनमें से किन्ही 10 की छटनी कर देगा।

क्रमरहित तरीके से मतदाताओं को चुनने का तरीका :
(8.1) : जूरी प्रशासक किसी अंक को क्रम रहित ( रेंडमली ) विधि से चुनने के लिए किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का उपयोग नहीं करेगा | वह प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री द्वारा बताई प्रक्रिया का उपयोग करेगा | यदि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ने किसी प्रक्रिया का विवरण नहीं दिया है तो वह नीचे बताये तरीके का प्रयोग करेगा।
(8.2) : मान लीजिये जूरी प्रशासक को 1 और 4 अंको वाली संख्या, जैसे ABCD, के मध्य की संख्या चुननी है | तब वह हर अंक के लिए 4 दौर के लिए पांसे फेकेगा | पहले दौर में, यदि उसे ऐसा अंक चुनना है जो 0 से 5 के मध्य का है, तब वह केवल 1 पांसे का उपयोग करेगा और यदि उसे ऐसा अंक चुनना है जो 0-9 के मध्य है तब वह 2 पांसों का उपयोग करेगा |
(8.3) : चुनी गयी संख्या उस संख्या से 1 कम होगी जो एक अकेला पांसा फेकने पर आएगी और दो पांसे फेकने की स्थिति में यह 2 से कम होगी | यदि पांसों के फेकने पर आई संख्या जरुरत की सबसे बड़ी संख्या से बड़ी है तो वह पांसे दोबारा फेकेगा |
(8.3.1) उदहारण- मान लीजिये जूरी प्रशासक को एक किताब जिसमे 3693 पेज हैं, में से एक पेज का चयन करना है| तब जूरी प्रशासक 4 दौर (राउंड) चलायेगा | पहले दौर में वह एक ही पांसे का प्रयोग करेगा, क्योंकि उसे 0-3 के बीच की संख्या का चयन करना है | यदि पांसा 5 या 6 दर्शाता हैं तो वह पांसा दोबारा फेकेगा | यदि पांसा 3 दर्शाता है तो चुनी हुई संख्या 3-1=2 होगी | अब जूरी प्रशासक दूसरे दौर में चला जायेगा | इस दौर में उसे 0-6 के बीच की एक संख्या चुननी है | इसलिए वह दो पांसे फेकेगा | यदि उनका जोड़ 8 से अधिक हो जाता है तो वह पांसे दुबारा फेकेगा | यदि जोड़ का मान 6 आया तो चुनी हुई संख्या 6-2=4 होगी | इसी प्रकार मान लीजिये चार दौरों में पांसा 3, 5, 10 और 2 दर्शाता है | तब जूरी प्रशासक (3-1), (5-2), (10-2) और (2-1) अर्थात पेज संख्या 2381 चुनेगा |
8.3.2) : एक अन्य तरीका यह हो सकता है – जूरी प्रशासक सभी मतदाताओं की सूची तैयार कर सकता है और क्रमरहित तरीके से किन्ही दो बड़ी प्रधान (प्राइम) संख्याओ को चुन सकता है | मान लीजिये सूची में N मतदाता हैं | तब वह N/2 और 2N के बीच दो प्रधान संख्या जिन्हें n और m मान लेते हैं, चुन सकता है | चुने हुए मतदाता हो सकते हैं (n mod N), (n +m) mod N, (n+2m) mod N से (n+ (k-1)*m) mod N, जहाँ k का आशय चुने जाने वाले व्यक्तियों की संख्या है ।
(8.3.3) :यदि किसी जिले में जूरी सिस्टम निलंबित है और जूरी प्रशासक मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किया गया है, तब जूरी प्रशासक सम्पूर्ण राज्य या भारत से मतदाताओ को चुन सकता है | इनकी आयु 25 वर्ष और 55 वर्ष के बीच होगी |

(8.4) : महा-जूरी सदस्य प्रत्येक शनिवार और रविवार पर बैठक करेंगे | यदि 15 से अधिक महा जूरी सदस्य सहमति देते हैं तो वे अन्य दिनों में भी मिल सकते है | ये संख्या 15 से ऊपर तब भी होनी चाहिए, जब 30 से कम महा-जूरी सदस्य उपस्थित हों | यदि बैठक होती है तो आरंभ सुबह 11 बजे से और समाप्त कम से कम शाम 5 बजे तक हो जानी चाहिए | महा-जूरी सदस्य को प्रति उपस्थिती प्रतिदिन 500 रु. एवं साथ में यात्रा खर्च भी मिलेगा | मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री मुद्रास्फीति (या महंगाई) की दर के अनुसार या यात्रा दूरी जैसी अन्य परिस्थितियों में मुआवजा राशि बदल सकते है | ये राशि उसका कार्यकाल समाप्त होने के 60 दिनों के बाद प्रदान की जाएगी |

(8.5) : यदि कोई महा-जूरी सदस्य बैठक में अनुपस्थित रहता है तो उसे दैनिक भुगतान नहीं मिलेगा | साथ ही वह भुगतान की जाने वाली राशि की तिगुनी राशी से भी वंचित हो सकता है, तथा उसकी संपत्ति का अधिकतम 0.05% तक और उसकी वार्षिक आय का 1% तक का जुर्माना उस पर लगाया जा सकता है | जो भी व्यक्ति महा-जूरी सदस्य होंगे, वे 60 दिनों के बाद जुर्माना तय करेंगे।

(9) : यदि किसी व्यक्ति या कंपनी या जिला अभियोजक या कोई भी संस्था का किसी और व्यक्ति या संस्था पर कोई आरोप है और आरोप धारा-२ या उसके आधार पर किये गए किसी गेजेट नोटीफिकेशन के अंतर्गत है, तो वे महा जूरी मंडल के सदस्यों को लिख कर सूचित कर सकते हैं ,सुनवाई के लिए कह सकते हैं अथवा “जनता की आवाज” धाराओ ( CV ) के अंतर्गत अपनी शिकायत प्रधान मंत्री की वेबसाइट पर दर्ज ( अपलोड ) कर सकते है | अभियोग कर्ता शिकायत के वांछित समाधान के बारे में भी अपना सुझाव दे सकते हैं | समाधान के रूप में अभियुक्त की संपत्ति जप्त करना , अभियुक्त से आर्थिक क्षतिपूर्ति लेना ,अभियुक्त को कुछ वर्षों या महीनो तक कारावास सजा देना या मृत्युदंड देना हो सकता है | समाधान कानूनी सीमा के अन्दर होने चाहिए और इस कानूनी सीमा का अर्थ वही होगा जो जूरी और महा जूरी मंडल सदस्य कानून की व्याख्या करके निर्धारित करेंगे |

(10) : यदि महा जूरी मंडल के 15 से अधिक सदस्य अपनी किसी सभा में यदि किसी गवाह , शिकायतकर्ता या अभियुक्त को बुलावा देते हैं तो वे उनके समक्ष हाजिर हो सकते हैं | महा जूरी मंडल किसी अभियुक्त , गवाह या शिकायतकर्ता को बुलावा भेज सकते हैं या नहीं भी भेज सकते हैं | वे किसी वकील या विशेषज्ञ को बोलने की अनुमति दे सकते हैं या नहीं भी दे सकते हैं |

(11) : यदि महा जूरी मंडल के 15 से अधिक सदस्य किसी मामले को विचार योग्य मानते हैं तो मामले के विचार के लिए जिला जूरी प्रशासक 15 से 1500 नागरिकों की जूरी बुलाएगा जिनकी उम्र 25 से 55 वर्ष की आयु के बीच हो सकती है | यदि 15 से अधिक महा जूरी मंडल के सदस्य कहते हैं कि मामला विचार योग्य नहीं है तो मामले को निरस्त कर दिया जाएगा |

(12) : यदि महा जूरी मंडल के अधिकतर सदस्य मानते हैं कि शिकायत बिलकुल आधारहीन है तो वे मामले की सुनवाई में हुई समय की बर्बादी के लिए 5000 रूपये प्रति घंटे अधिकतम की दर से जुर्माना कर सकते हैं | महा जूरी मंडल का प्रत्येक सदस्य जुर्माने की राशि प्रस्तावित करेगा और सबके द्वारा प्रस्तावित जुर्माने की मध्यराशि (median) को जुर्माने की राशि मानी जाएगी | महा जूरी मंडल के सदस्य ये भी तय करेंगे कि झूठे आरोप की क्षतिपूर्ति के रूप में अभियुक्त को जुर्माने की राशि में से कितनी राशि दी जाएगी | झूठा आरोप होने की स्थिति में अभियुक्त अपने समय , सम्मान और अन्य नुकसान के लिए अधिकतम क्षतिपूर्ति पाने हेतु अलग से एक मामला दायर कर सकते हैं |

(13) : किसी मामले के लिए वांछित जूरी सदस्यों की संख्या का निर्धारण – महा जूरी मंडल का प्रत्येक सदस्य मामले के विचार के लिए वांछित जूरी की संख्या प्रस्तावित करेगा और जिला जूरी प्रशासक सारे सदस्यों द्वारा प्रस्तावित संख्या के माध्य को वांछित जूरी संख्या के रूप मे निर्धारित करेगा | यदि महा जूरी मंडल के सदस्यों की संख्या सम है तो जिला जूरी प्रशासक उच्चतर मध्य संख्या को वांछित जूरी संख्या के रूप मे निर्धारित करेंगे | महा जूरी मंडल के सभी सदस्य 15 से 1500 तक की संख्या के बीच एक संख्या प्रस्तावित करेंगे | महा जूरी मंडल सदस्यों के लिए दिशा निर्देश –
(13.1) : यदि अभियुक्त के पास अधिक आर्थिक या राजनैतिक हैसियत है तो जूरी सदस्यों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।
(13.2) : यदि अपराध जघन्य है तो जूरी सदस्यों की संख्या बढ़ाई जा सकती है | उदाहरण के लिए यदि मामला 100,000 रूपए या उससे कम धन राशि की चोरी का है तो जूरी सदस्यों की संख्या 15 हो सकती है | पर यदि चुराई धन राशि इससे अधिक है तो जूरी सदस्यों की संख्या ज्यादा होगी | यदि मामला हत्या का है तो जूरी सदस्यों की संख्या 50 या 100 या उससे भी अधिक हो सकती है |
(13.3) : यदि कोई व्यक्ति अतीत में एकाधिक अपराधों का अभियुक्त रहा हैं और महा जूरी मंडल के सदस्य ज्यादातर मामलों को विचार योग्य मानते हैं तो वे जूरी सदस्यों की संख्या बढ़ा सकते हैं | उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति पेशेवर अपराधी है और अतीत में बहुत से मारपीट और हत्या जैसे अपराधों में अभियुक्त रह चुका हैं तो आवश्यक जूरी सदस्यों की संख्या 100 या 1500 भी हो सकती है |
(13.4) : यदि मामला ज्यादा पैसों का है तो जूरी सदस्यों की संख्या ज्यादा हो सकती है | न्यूनतम संख्या 15 होगी और प्रत्येक 1 करोड़ की धन राशि के लिए 1 अतिरिक्त जूरी सदस्य जोड़े जा सकता हैं | जूरी सदस्यों की अधिकतम संख्या 1500 होगी |
(13.5) : जूरी सदस्यों की संख्या के संबध में महा जूरी का फैसला अंतिम होगा |
(13.6) : महा जूरी मंडल ये तय करेगा कि जूरी के सदस्य जिला से होंगे, राज्य भर से होंगे या पूरे देश में से होंगे |

(14) : जूरी सदस्यों का चयन – जिला जूरी प्रशासक मतदाता सूची में से लॉटरी द्वारा वांछित जूरी संख्या से दुगनी संख्या में नागरिकों को चुनेगा | जिला जूरी प्रशासक इन सदस्यो को बुलावा भेजेंगे और उनमे से किसी भी पक्षकार के रिश्तेदार ,पडोसी ,सहकर्मी या उनके वकीलों को जूरी सदस्यों में शामिल नहीं करेंगे | जिला जूरी प्रशासक उनको भी जूरी सदस्यों में शामिल नहीं करेंगे जो जिले में पिछले 10 वर्षों में किसी सरकारी पद पर रहे हैं | शेष लोगों में से बिना किसी इंटरव्यू के जिला जूरी प्रशासक लाटरी द्वारा आवश्यक संख्या के जूरी सदस्य चुनेंगे | जूरी मंडल में शामिल नहीं करने का निर्णय जिला जूरी प्रशासक द्वारा लिया जाएगा और उसे सिर्फ महा जूरी मंडल के अधिकतम सदस्यों द्वारा बदला जा सकेगा।
(14.1) : जिला जूरी प्रशासक जूरी सदस्यों को प्रत्येक जूरी सदस्य की शिक्षागत योग्यता , पेशा और संपत्ति अथवा आय के बारे में सूचित करेगा। जिन जूरी सदस्यों के पास कम जानकारी है या तर्क या गणित में कम दक्षता है वे उन जूरी सदस्यों से सहायता ले सकते हैं जिनके पास ज्यादा जानकारी है या जो तर्क या गणित में ज्यादा दक्ष हैं। जूरी सदस्य अन्य सदस्यों से सलाह लेकर अपने विवेक से अपना पक्ष रखेंगे।

(15) : जिला जूरी प्रशासक जिला मुख्य न्यायधीश से मामले की सुनवाई में जूरी सदस्यों को आवश्यक सलाह देने और मामले के संचालन के लिए एक या अधिकतम 3 न्यायधीशों की नियुक्ती करने के लिए कहेगा। न्यायधीशों के संख्या के बारे मे जिला मुख्य न्यायधीश का निर्णय अंतिम होगा। जिला जूरी प्रशासक ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर की नियुक्त करेंगे और ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर मामले पर विचार करने की प्रक्रिया का संचालन करेंगे।

(16) : विचार प्रक्रिया सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगी। मामले की सुनवाई सिर्फ तभी शुरू होगी जब सारे जूरी सदस्य उपस्थित हों या चुने गए समस्त जूरी सदस्यों में से ( चुने गए समस्त जूरी सदस्यों में से, ना कि सिर्फ उपस्थित जूरी सदस्यों के ) 75% सुनवाई आरम्भ करने के लिए राजी हों। सभी धाराओं में अधिकांश जूरी सदस्य या जूरी सदस्यों के बहुमत का अर्थ चुने गए सभी जूरी सदस्यों के अधिकांश या बहुमत से है, ना कि उपस्थित जूरी सदस्यों से। अधिकांश संख्या, और “x% जूरी सदस्य” का अर्थ “चुने गए सभी जूरी सदस्यो का x%” होगा ना कि सिर्फ उपस्थित जूरी सदस्य संख्या का।

(17) : जिला जूरी प्रशासक के द्वारा नियुक्त ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर शिकायत कर्ता को एक घंटे तक बोलने की अनुमति देगा तथा इस दौरान उन्हें कोई नहीं रोकेगा। इसके बाद ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर अभियुक्त को एक से डेढ़ घंटे तक बोलने की अनुमति देगा तथा इस दौरान उन्हें कोई नहीं रोकेगा। इस तरह ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर एक के बाद एक दोनों पक्षों को बोलने देगा। मध्यान्ह भोजन विराम दोपहर 1 बजे से 2 बजे के बीच शुरू होगा और एक घंटे तक रहेगा। इसी तरह मामले की सुनवाई लगातार प्रत्येक दिन चलेगी। जूरी सदस्यों के बहुमत द्वारा किसी भी पक्ष के बोलने की अवधि को बदला जा सकेगा।

(18) : मामले की सुनवाई न्यूनतम 2 दिन तक चलेगी। तीसरे दिन या उसके बाद ,यदि अधिकांश जूरी सदस्य कहते हैं कि हमने दोनों पक्षों को पर्याप्त सुन लिया है, तो सुनवाई एक दिन और चलेगी। यदि अगले दिन अधिकांश जूरी सदस्य ये कहते हैं कि उन्हें और तर्क सुनना है तो मामले की सुनवाई तब तक चलती रहेगी जब तक अधिकांश जूरी सदस्य ये नहीं कहते की सुनवाई अब ख़त्म होनी चाहिए।

(19) : अंतिम दिन दोनों पक्ष एक एक घंटे तक अपना पक्ष रखेंगे। इसके बाद जूरी सदस्य 2 घंटे तक आपस में विचार मंथन करेंगे। यदि 2 घंटे बाद जूरी सदस्य ये निर्णय लेते हैं की उन्हें और विचार मंथन की आवश्यकता नहीं है तो ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर जूरी सदस्यों से अपने फैसले को सार्वजनिक करने को कहेगा।

(20) : जुर्माने के निर्धारण हेतु प्रत्येक जूरी सदस्य जुर्माने की राशि प्रस्तावित करेगा, जो कि उसके अनुसार उचित हो तथा प्रवृत क़ानूनी सीमा के अन्दर हो। यदि किसी सदस्य द्वारा प्रस्तावित जुर्माने की राशि कानूनी सीमा से अधिक है तो ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर जुर्माने की अधिकतम कानूनी सीमा को उनके द्वारा प्रस्तावित जुर्माने की राशि के रूप में दर्ज करेगा। ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर सभी प्रस्तावित जुर्माने की राशीयों को घटते क्रम में रखेगा। अर्थात सबसे अधिक प्रस्तावित राशि को सबसे ऊपर और सबसे अंत में सबसे कम जुर्माने की राशि को रखा जायेगा। ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर दो तिहाई जूरी सदस्यों द्वारा मंजूर जुर्माने की राशि को जुर्माने की राशि मानेंगे। उदाहरण के लिए, यदि जूरी सदस्यो की संख्या 100 हैं तो घटते क्रम में 67 क्रमांक पर प्रस्तावित जुर्माने की राशि को जुर्माने की राशि माना जाएगा। अर्थात, यदि 100 में से 34 जूरी सदस्यों ने शून्य जुर्माना प्रस्तावित किया है तो जुर्माने की राशि को शून्य माना जाएगा।

(21) : कारावासीय दंड के मामले में ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर जूरी सदस्यों द्वारा प्रस्तावित कारावास की अवधि को घटते क्रम में सजाएगा। अर्थात सबसे अधिक दंड सबसे पहले और सबसे कम को अंत में रखा जायेगा। यदि किसी जूरी सदस्य द्वारा कारवास की अवधि को कानूनी सीमा से अधिक प्रस्तावित किया जाता है तो ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर उस मामले में कानून द्वारा प्रस्तावित सर्वाधिक कारावास अवधि को प्रस्तावित कारावास की अवधि के रूप में दर्ज करेंगे, और दो तिहाई जूरी सदस्यो द्वारा मंजूर कारावास की अवधि को सम्मिलित रूप से तय की गयी कारावास की अवधि माना जाएगा। अर्थात, यदि एक तिहाई जूरी सदस्य कारावास की अवधि को शून्य प्रस्तावित करते हैं तो अभियुक्त को निरपराध घोषित करके मुक्त कर दिया जाएगा। उदाहरण के लिए, यदि जूरी सदस्यों की संख्या 100 है तो घटते क्रम में 67 क्रम संख्या वाली प्रस्तावित कारावास की अवधि को कारावास की सम्मिलित अवधि के रूप में माना जाएगा और यदि 34 जूरी सदस्य कारावास की अवधि शून्य प्रस्तावित करते हैं तो कारावास नहीं होगा।

(22) : मृत्यु दंड के मामले में 75% से अधिक जूरी सदस्यों की मंजूरी आवश्यक होगी। इस तरह के मामलों में एक अन्य जूरी मंडल द्वारा मामले पर पुनर्विचार किया जाएगा। दूसरी बार में आये जूरी मंडल के सदस्य ही ये निर्णय करेंगे की मृत्युदंड होगा या नहीं। मृत्यु दंड पर पुनर्विचार के लिए आया जूरी मंडल भी मृत्यु दंड को 75% सदस्यों द्वारा अनुमोदित करेगा।

(23) : यदि किसी अन्य समाधान की मांग की गयी है तो जूरी सदस्य दोनों पक्षों को अधिकतम 5 या उससे कम वैकल्पिक प्रस्ताव दाखिल करने को कहेंगे। जूरी सदस्य जज या ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर या जूरी द्वारा मंजूर किसी और व्यक्ति द्वारा सुझाये गए समाधान के प्रस्ताव को विचार के लिए स्वीकार कर सकते हैं। प्रत्येक जूरी सदस्य प्रत्येक वैकल्पिक प्रस्ताव को 0 में से 100 के बीच अंक देगा। यदि किसी प्रस्ताव को किसी जूरी सदस्य ने कोई भी अंक नहीं दिया हैं तो उस प्रस्ताव के लिए उनके द्वारा दिया गया अंक शून्य माना जाएगा। जिस वैकल्पिक समाधान प्रस्ताव को सबसे ज्यादा अंक मिलेंगे उस प्रस्ताव को जूरी द्वारा मंजूर किया गया प्रस्ताव माना जाएगा।

(24) : जिला जूरी प्रशासक जूरी सदस्यों को भत्तों के रूप में महा जूरी मंडल के सदस्यों के समान धनराशी का भुगतान करेगा।

(24.1) : अनुपस्थिति या देर से आने की स्थिति में जूरी सदस्यों पर जुर्माना – यदि कोई जूरी सदस्य या कोई भी पक्ष सुनवाई में अनुपस्थित रहता हैं या विलम्ब से आते हैं तो तीन महीने बाद महा जूरी मंडल जुर्माने की राशी तय करेगा , जो कि उनकी संपत्ति का 0.1% अथवा वार्षिक आय का 1% हो सकता है। जुर्माने के निर्धारण में महा जूरी मंडल का फैसला अंतिम होगा।

(25) : यदि 50% से ज्यादा जूरी सदस्य मानते हैं कि शिकायत बिलकुल निराधार है तो प्रत्येक जूरी सदस्य अधिकतम 1000 रूपए प्रति जूरी सदस्य तक का जुर्माना लगा सकता है। प्रत्येक जूरी सदस्य जुर्माने की राशि प्रस्तावित करेगा और जिला जूरी प्रशासक प्रस्तावित राशियों के मध्य मान को जुर्माने की राशि मानेगा। किन्तु जुर्माने की उच्चतम सीमा वह राशि होगी जो कि शिकायतकर्ता की संपत्ति की 2% या वार्षिक आय की 10% में से उच्च है। जुर्माने की इस राशि में से अभियुक्त को जो राशि दी जायेगी उसकी गणना इस प्रकार होगी – अभियुक्त द्वारा पिछले वर्ष भरे गए आयकर रिटर्न के अनुसार उसकी प्रतिदिन आय का निर्धारण किया जाएगा। तथा जितने दिन सुनवाई चली और अभियुक्त को जितने दिन का नुकसान हुआ उतने दिनों के हिसाब से उसे मुआवजा दिया जाएगा। यदि अभियुक्त को इससे ज्यादा मुआवजा चाहिए तो वह इसके लिए अलग से मामला दायर कर सकता है।

(26) : जटिल मामलों में यदि कोई तकनिकी या कानूनी विशेषज्ञ कोई जानकारी देने अथवा मामले से सम्बंधित किसी तकनिकी विषय के बारे में जूरी सदस्यों को जानकारी देने के इच्छुक हैं तो कोई भी पक्षकार या ट्रायल एडमिनिस्ट्रेटर उनकी मदद ले सकते हैं। जिला जूरी प्रशासक उनकी दैनिक भुगतान राशि तय करेंगे, जो कि उनकी दैनिक आय से अधिक नहीं होगी।

(27) : यदि किसी जिले में तहसील स्तर के न्यायालय हैं तो जूरी प्रशासक तहसील स्तर पर भी महा जूरी मंडल का गठन कर सकता हैं, और तहसील स्तर के न्यायलयों में जूरी व्यवस्था लागू कर सकता हैं। तहसील स्तर की महा जूरी मंडल और तहसील अदालत की जूरी तहसील के अंतर्गत मामलों की सुनवाई करेगी। जिला जूरी प्रशासक तहसील स्तर की अदालतों के लिए तहसील जूरी प्रशासक की नियुक्ति करेंगे और अदालत की कार्यवाही ऊपर दी गयी धाराओं के अनुरूप ही होगी।

(28) अपील : किसी भी पक्ष को 30 दिन के अन्दर अदालत के फैसले के विरुद्ध राज्य उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में अपील करने का अधिकार होगा। उच्चतर न्यायालयों के फैसले को जिला अदालत के ऊपर प्रभावी माना जाएगा।

(28.1) टिपण्णी : यह कानून उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में जूरी व्यवस्था या जज प्रणाली होने के ऊपर कोई अनिवार्यता नहीं रखता। यदि मतदाता या सांसद उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में जूरी व्यवस्था चाहते हैं तो इस विषय में अलग से कानून बना सकते हैं।

(29) : यदि जिला या राज्य के या सम्पूर्ण भारत के नागरिक इस क़ानून में दर्ज CV धाराओं के द्वारा जिला मुख्य जज को जिला जूरी अदालत के फैसले को निरस्त करने का आदेश देते हैं तो जिला मुख्य जज जिला अदालत के फैसले को निरस्त कर सकता है।

(30) : जिला पुलिस प्रमुख या उनके द्वारा निर्धारित कोई पुलिस अधिकारी जज द्वारा लिखित और जूरी द्वारा स्वीकृत किये हुए जुर्माने या कारावास के आदेश को लागू करेंगे।

(31) : इसी क़ानून की धारा 2 में वर्णित मामलो या धारा 2 के तहत जारी की गयी राजपत्र अधिसूचना द्वारा निर्धारित मामलों में जूरी मंडल के 2/3 से अधिक बहुमत द्वारा दी गयी सहमती बिना किसी भी नागरिक को किसी भी सरकारी अधिकारी द्वारा न तो दण्डित किया जा सकेगा और न ही जुर्माना लगाया सकेगा। किन्तु निम्नलिखित दशाओं में जूरी मंडल की सहमती की जरूरत नहीं होगी — यदि ऐसे आदेश को उच्च या उच्चतम न्यायालय ने अनुमोदित किया हो अथवा ऐसे आदेश को इस क़ानून में प्रयुक्त ‘जनता की आवाज’ ( CV ) के प्रावधानों का प्रयोग करते हुए जिले / राज्य / देश के मतदाताओ के बहुमत ने अनुमोदित किया हो। कोई भी सरकारी अधिकारी किसी भी नागरिक को ज्यूरी मंडल के 2/3 से अधिक बहुमत द्वारा दी गयी सहमती बिना या महा जूरी मंडल के साधारण बहुमत द्वारा दी गयी सहमती बिना या इस क़ानून में प्रयुक्त ‘जनता की आवाज’ ( CV ) के प्रावधानों के तहत दर्शाए गए जिला / राज्य / देश के नागरिको के बहुमत बिना 48 घंटो से अधिक समय तक कारावास में नहीं रखेगा।

(32) : मामले के संबध में तथ्यों एवं अभिप्राय का निर्धारण ज्यूरी मंडल करेगा, तथा प्रवृत क़ानून एवं संविधान की व्याख्या का अधिकार भी जूरी मंडल के पास होगा, ताकि जूरी मंडल प्राकृतिक न्याय कर सके। यदि जूरी सदस्यों को लगता है कि प्रवृत क़ानून अव्यवहारिक है एवं निष्पादित किये जाने के योग्य नहीं है तो जूरी मंडल सम्बंधित कानून के विरुद्ध जाकर भी अभियुक्त को “निर्दोष” करार दे सकेंगे।

(RTR) राईट टू रिकॉल जिला जूरी प्रशासक:

(RTR.1) : 30 वर्ष की आयु वाला कोई भी भारतीय नागरिक यदि जूरी प्रशासक बनना चाहता है तो वह देश के किसी भी जिला कलेक्टर कार्यालय में उपस्थित हो कर अपना आवेदन प्रस्तुत कर सकेगा। जिला कलेक्टर सांसद के चुनाव में ली जाने वाली राशि के बराबर आवेदन शुल्क लेकर उम्मीदवार का आवेदन स्वीकार करेगा और एक विशिष्ट सीरियल नंबर जारी करेगा।

(RTR.2) : कोई भी नागरिक पटवारी कार्यालय में उपस्थित होकर 3 रूपये शुल्क देकर अधिकतम पांच उम्मीदवारों को जिला जूरी प्रशासक के पद के लिए अनुमोदित कर सकेगा। पटवारी उसके अनुमोदन को कंप्यूटर में दर्ज करेगा और बदले में रसीद देगा। इस रसीद में नागरिक की मतदाता पहचान पत्र संख्या, दिनांक / समय और उम्मीदवार जिन्हे उसने अनुमोदित किया है दर्ज होंगे। पटवारी प्रत्येक नागरिक द्वारा दर्ज अनुमोदनो को अमुक नागरिक की मतदाता संख्या, नाम और उसके द्वारा अनुमोदित उम्मीदवारों के नाम के साथ प्रधानमन्त्री की वेबसाइट पर रखेगा।

(RTR.3) : यदि कोई नागरिक अपना अनुमोदन निरस्त करने आता है तो पटवारी उसके एक या उससे अधिक अनुमोदन बिना कोई शुल्क लिए निरस्त कर देगा।

(RTR.4) : यदि किसी नए उम्मीदवार को प्राप्त अनुमोदनों की संख्या अमुक जिले में दर्ज मतदाताओ की कुल संख्या के 35% (सभी दर्ज मतदाताओ की कुल संख्या के 35%) से अधिक हो, तथा उसे मिले अनुमोदनों की संख्या पदासीन जिला जूरी प्रशासक को मिले अनुमोदनों की संख्या से भी 2% अधिक हो तो मुख्यमंत्री पदासीन जिला जूरी प्रशासक को पद से हटा सकते है और ऊपर दी गयी शर्ते पूरी करने वाले नए उम्मीदवार को जिला जूरी प्रशासक नियुक्त कर सकते है, या उन्हें ऐसा करने की ज़रूरत नहीं है। इस संबध में मुख्यमंत्री का फैसला अंतिम होगा।

(RTR.5) : यदि पदासीन जूरी प्रशासक के अनुमोदनो की संख्या जिले में दर्ज कुल मतदाताओ की संख्या के 35% से कम हो जाती है तो मुख्यमंत्री उसे बदल सकते है।

(RTR.6) : प्रधानमंत्री ऐसा सिस्टम बना सकते है जिससे नागरिक अपने पंजीकृत मोबाइल से SMS भेजकर या इन्टरनेट द्वारा या एटीएम द्वारा या मोबाइल फ़ोन एप्प द्वारा अपने अनुमोदन दर्ज करवा सके।

(RTR.7) टिपण्णी : बाद में प्रधानमंत्री ऐसा सिस्टम बना सकते है जिससे नागरिक किसी उम्मीदवार को अंक ( -100 से 100 के बीच ) दे सके। यदि मतदाता द्वारा सामान्य अनुमोदन किया जाता है तथा कोई अंक नहीं दिए जाते है तो इस अनुमोदन को 100 अंको के समकक्ष माना जाएगा, तथा यदि कोई मतदाता अपना अनुमोदन दर्ज नहीं करता है तो इसे शून्य अंक माना जाएगा। इस तरह मतदाता के पास दो विकल्प होंगे। या तो वह सामान्य अनुमोदन कर सकता है या अनुमोदन नहीं कर सकता है, अथवा वह उम्मीदवार को अंक दे सकता है। किन्तु यदि मतदाता उम्मीदवार को अंक देता है तो मतदाता द्वारा दिए गए अंक ही मान्य होंगे। यदि किसी उम्मीदवार को जिले में दर्ज कुल मतदाताओ के 33% से अधिक अंक प्राप्त हो जाते है तो अमुक उम्मीदवार के नकारात्मक अंको को खारिज कर दिया जाएगा। प्राप्त किये जाने वाले सबसे अधिक संभाव्य अंको के 51% तथा सबसे अधिक अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को मुख्यमंत्री जिला जूरी प्रशासक के पद पर नियुक्त कर सकते है।

CV) जनता की आवाज (Citizens’ Voice):

(CV.1) [ तलाटी अथवा पटवारी के लिए निर्देश ]:
किसी पटवारी कार्यालय के कार्यक्षेत्र में निवास करने वाला कोई भी नागरिक मतदाता यदि इस विधेयक अथवा इसके किसी अनुच्छेद पर अपनी आपत्ति दर्ज कराना चाहता हो अथवा ऊपर दी गयी धारा (CV.1 ) के तहत प्रस्तुत किसी भी शपथपत्र पर अपनी हां / नहीं दर्ज कराना चाहता हो, तो वह अपना मतदाता पहचान पत्र लेकर तलाटी के कार्यालय मं उपस्थित होगा और उपलब्ध आवेदन पर शपथपत्र का सीरियल नंबर दर्ज करके अपनी हाँ / नही दर्ज करेगा। पटवारी 3 रूपए का शुल्क लेकर इस हाँ / नहीं को दर्ज करके एक रसीद जारी करेगा । मतदाता द्वारा दर्ज की गयी हाँ / नहीं को प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर मतदाता के नाम, मतदाता पहचान संख्या, दिनांक एवं अन्य विवरणों के साथ रखा जाएगा। ये हां/नहीं की गिनती प्रधानमंत्री या अन्य अधिकारी आदि पर बंधनकारी नहीं होगी । नागरिक अपनी हां / नहीं दर्ज एसएमएस या एप्प द्वारा कर सके, प्रधानमंत्री ऐसी व्यवस्था बना सकते हैं।

(CV.1 ) [ जिला कलेक्टर या उसके द्वारा नियुक्त कर्मचारी के लिए निर्देश ]:
यदि देश के किसी भी क्षेत्र में निवास करने वाला कोई भी नागरिक मतदाता इस विधेयक के किसी अनुच्छेद में बदलाव चाहता हो अथवा वह इस विधेयक से सम्बन्धित कोई शिकायत दर्ज करना चाहता हो तो ऐसा नागरिक मतदाता जिला कलेक्टर के कार्यालय में उपस्थित होकर एक शपथपत्र प्रस्तुत कर सकता है। जिला कलेक्टर या उसका क्लर्क इस शपथपत्र को 30 रूपए प्रति पृष्ठ का शुल्क लेकर दर्ज करेगा तथा एक सीरियल नंबर जारी करके इस शपथपत्र को स्कैन करके अमुक मतदाता के छाया चित्र (फोटो) एवं अन्य विवरण के साथ प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर रखेगा।

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