देश का इकलौता हाईवे जहां ग्राउंड रिपोर्ट जानवरों से एक्सीडेंट नहीं होगा : 120 से ज्यादा स्पीड तो जुर्माना; 180 मिनट में पहुंचेंगे जयपुर से दिल्ली पीएम नरेंद्र मोदी रविवार को दौसा में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के पहले फेज का शुभारंभ करेंगे। ये देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेस-वे होगा । दौसा के भंडारेज से सोहना तक एक्सप्रेस-वे पूरी तरह तैयार हो चुका है।
पहले फेज के बाद दूसरे और तीसरे फेज की भी शुरुआत इसी साल हो जाएगी। सबसे तेज काम सोहना से लेकर राजस्थान में ही हुआ है।
हाईवे के निर्माण में जर्मन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। यहां 150 किमी से अधिक स्पीड से वाहन चला सकते हैं, हालांकि यहां स्पीड लिमिट 120 किमी प्रतिघंटा तय की गई है।
दिल्ली से लेकर मुंबई तक राजस्थान में हाईवे की दूरी 373 किमी होगी। इस दूरी में राजस्थान के 7 जिले जुड़ेंगे। दिल्ली से निकलने पर अलवर, भरतपुर, दौसा, सवाईमाधोपुर, टोंक, बूंदी और कोटा जिले कनेक्ट होंगे। एक्सप्रेस-वे से जुड़ने के लिए हर जिले में एक ही एंट्री और एग्जिट पाइंट होगा। यहीं से ही हाईवे पर आ-जा सकेंगे।
अभी जयपुर से दिल्ली पहुंचने में साढ़े छह से सात घंटे लगते हैं। दावा किया जा रहा है कि एक्सप्रेस-वे से ये सफर महज 3 घंटे का रह जाएगा। इस दावे की पड़ताल के लिए हमने जयपुर से दिल्ली का सफर किया। हमने सुबह 11 बजे जयपुर के नारायणसिंह सर्किल से सफर शुरू किया और शाम 4 बजे हम दिल्ली में एक्सप्रेस-वे के स्टार्ट पॉइंट पर थे। हालांकि, सफर 3 घंटे का ही था, 2 घंटे ज्यादा लगे क्योंकि रास्ते में एक्सप्रेस-वे की खूबियांसमझनी और परखनी भी थी।
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45 मिनट में दौसा एंट्री पॉइंट पर पहुंचे
दिल्ली के सफर के लिए हम नारायण सिंह सर्किल पहुंचे। यहां से हमने 11 बजे सफर शुरू किया। हाईवे के एरियल शूट करने के लिए हम ड्रोन भी साथ लेकर गए। नारायण सर्किल से दिल्ली जाने के लिए दो रास्ते हैं। एक पुराना जयपुर-दिल्ली हाईवे, जिससे दिल्ली पहुंचने में 6-7 घंटे लग जाते हैं। दूसरा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे । जिसके लिए पहले जयपुर से दौसा जाना पड़ता है। हमें जयपुर से दौसा में एक्सप्रेस-वे के इंट्री पाइंट तक पहुंचने में 45 मिनट का समय लगा। क्योंकि ट्रांसपोर्टनगर और कानोता के पास ट्रैफिक जाम की समस्या है।
कोई स्पीड ब्रेकर नहीं होगा
12 फरवरी से एक्सप्रेस-वे पर वाहनों की इंट्री शुरू कर दी जाएगी। अभी यहां टोल गेट पर सीमेंट के ब्लॉक लगाकर रास्ते को रोक रखा है। हम NHAI की ओर से परमिशन लेकर जयपुर की ओर जाने वाले टोल से हाईवे पर चढ़े। एक्सप्रेस-वे पर हर जिले में एक ही इंट्री और एग्जिट पाइंट रखे गए है। यहीं पर ही वापस लौटते समय टोल लगेगा। रास्ते में हाईवे पर कहीं भी रूकावट नहीं होगी। कोई स्पीड ब्रेकर नहीं होगा और एक्सप्रेस-वे को इतना ऊंचा बनाया गया है कि आवारा जानवर नहीं आएंगे। दौसा से हमने दिल्ली की ओर एक्सप्रेस-वे का सफर शुरू किया।

ट्रॉमा सेंटर : रेस्ट एरिया में ट्रॉमा सेंटर बनाया गया है। जहां पर 24 घंटे डॉक्टर डयूटी देंगे। सफर के दौरान किसी की तबीयत खराब हो जाती है तो उसे ट्रॉमा सेंटर लाया जा सकेगा। यहां पर मेल- फीमेल वार्ड अलग से बनाए गए हैं। यहां आईसीयू वार्ड, ऑपरेशन थिएटर भी बनाया गया है। जहां मरीजों का ऑपरेशन भी किया जा सकेगा एम्बुलेंस भी NHAI की ओर लगाई गई है। हाईवे पर हादसा होता है तो एम्बुलेंस से तुरंत ट्रॉमा सेंटर में मरीजों को लाया जा सकेगा।
चार्जिंग पाइंट : भारत में तेजी से ई-व्हीकल का चलन शुरू हो चुका है। प्रोजेक्ट में इस बात का भी ध्यान रखा गया है। इन रेस्ट एरिया में अलग से चार्जिंग स्टेशन बनाए गए हैं, जो 24 घंटे चालू रहेंगे। चार्जिंग स्टेशन के लिए अलग से टेंडर जारी किया गया है।
पेट्रोल पंप : रेस्ट एरिया में दोनों ओर पेट्रोल पंप बनाए गए हैं। क्योंकि दिल्ली से हाईवे पर आने के बाद इंटरचेंज पर ही वापस उतर सकते है। पेट्रोल व जल की समस्या के लिए NHAI की ओर से पेट्रोल पंप के लिए अलग से टेंडर जारी कर किए जाएंगे।
रेस्टोरेंट : रेस्ट एरिया में अलग से दोनों ओर रेस्टोरेंट खोले जाएंगे। यहां पर साउथ इंडियन से लेकर चाइनीज फूड मिल सकेगा। देसी-विदेशी सभी तरह के स्वादिष्ट भोजन का आनंद ले सकेंगे। बच्चों के खेलने के लिए फन पार्क भी रहेंगे।
ग्रामीण हाट : यहां पर एक ग्रामीण हॉट भी बनाया गया है। जिसमें हैंडीक्राफ्ट आइटम बेचे जाएंगे। छोटे कारीगरों के बने हुए प्रोडक्ट यहां पर खरीद कर लाए जाएंगे। इससे स्मॉल इंडस्ट्रीज को भी बढ़ावा मिलेगा। कैश की दिक्कत दूर करने के लिए एटीएम भी लगेंगे।
सर्विस स्टेशन : सबसे बड़ी बात है कि अगर आपकी गाड़ी खराब हो जाती है या एक्सीडेंट में डैमेज हो जाती है तो यहां पर अलग से सर्विस स्टेशन भी बनाए गए हैं।

टेक्नोलॉजी : सड़क से उड़ान भरेंगे फाइटर जेट
एक्सप्रेस-वे पर फाइटर जेट व प्लेन भी उतारा जा सकेगा। दिल्ली से दौसा के बीच में 8 जगह और पूरे हाइवे पर 53 जगह चिन्हित की गई हैं, जहां पर एमरजेंसी लेडिंग कराई जा सकेगी। सड़क को बनाने के लिए 4 लेयर की परत बनाई गई है। जिससे सड़क काफी मजबूत हो जाती है।
सड़क बनाने के लिए जर्मन टेक्निक में फाइबरनुमा मोटे दानों का प्रयोग किया गया है। इसमें मैट्रिक्स या फिर ग्राउंडमास सामग्री के बहुत छोटे-छोटे दानों को मिलाया जाता है। फिर बड़े दाने, क्रिस्टल मिलाते हैं, जिससे सड़क हाई टेम्प्रेचर सहन कर सकती है। लोडिंग वाहनों का सड़क पर कोई असर नहीं पड़ेगा।