आपको बता दे कि नगालैंड के इतिहास में पहली बार एक महिला MLA बनी हैं। हेकानी जाखालू जो कि 7 महीने पहले राजनीति में आईं थीं और इस बार का चुनाव भी वो जीत गई है।

पहली बार एक महिला बनी MLA

उत्तर पूरब के तीन राज्यों नगालैंड, त्रिपुरा और मेघालय में चुनाव के नतीजे या चुके है। त्रिपुरा में 16 फरवरी को और मेघालय-नगालैंड में 27 फरवरी को वोटिंग हुई थी। बता दे कि तीनों राज्यों के लोगों को रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार था, लेकिन सबकी नजरें नगालैंड पर थीं।
1963 में नगालैंड राज्य बना था , 60 साल गुजर गए, 14वीं बार लोग CM को चुन रहे हैं, लेकिन आज तक किसी भी सीट से कोई भी महिला MLA नहीं बनी थी ,पर इस बार ये रिकार्ड टूट गया। आपको बता दे कि Nationalist Democratic Progressive Party (NDPP) की महिला उम्मीदवार हेकानी जाखालू दीमापुर III सीट जीतकर नगालैंड की पहली महिला MLA बन गई हैं।
यह भी पढे :-G-4, G-6, G-7, G-8, G-20 संगठन क्या है? जानिए विस्तार से
राजनीति मे महिलाओ का विरोध होता था

आपको बता दे कि नगालैंड में महिला वोटर्स की संख्या (49.79%) पुरुषों के बराबर है, यानी वे भी पुरुषों कि बराबरी से सरकार चुनती हैं। इसके बावजूद भी उनके राजनीति में आने का हमेशा से विरोध होता आया है। वही दूसरी तरफ 60 विधानसभा सीटों वाले मेघालय में सिर्फ समाज मे ही नहीं बल्कि सरकार में भी महिलाओं का बहुत प्रभाव है।
उत्तर-पूरब के ही मेघालय में कई जनजातियों में महिलाएं ही परिवार की मुखिया होती हैं।वहाँ कि बेटियां वारिस होती हैं और लड़कों को संपत्ति में हक नहीं दिया जाता है। बता दे कि यहाँ लड़की पैदा होने पर लोग खुशियां मनाते हैं।
इसे भी पढे :- Election Results 2023 : त्रिपुरा-नगालैंड में भाजपा को फिर बहुमत
यहाँ पर चुनाव कर अलग ही तरीके है :-
आपको बता कि नागालैंड मे एक अलग ही सिस्टम है जिसे जीबी सिस्टम कहा जाता है | यह सिस्टम ही तय करता है कि वह के गाव के लोग किसे वोट देंगे | इस बार भी यही जीबी सिस्टम नागालैंड का चुनाव से पहले ही रिजल्ट्स तय कर रहा है |
वही बात करे यूपी और बिहार कि तो आपको बता दे कि :-
आपने यूपी-बिहार और अन्य राज्यों के दूर-दराज के इलाकों में बूथ कैप्चरिंग की घटनाएं अवश्य ही सुनी होंगी। जहां इलाके के कुछ दबंग या क्रिमिनल लोग वहाँ के लोगों को डरा-धमकाकर उनका वोट किसी भी खास कैंडिडेट के पक्ष में डलाते हैं या फिर या फिर ऐसा भी करते है कि किसी अन्य कैंडिडेट के पक्ष में वोटिंग ही नहीं होने देते हैं|
नगालैंड के गांवों में यही सब खुलेआम चल रहा है। यहां पर पूरे परिवार के बदले एक ही व्यक्ति सभी वोट डाल देता है और इसके लिए गांव के लोगों की बाकायदा मीटिंग भी होती है और जैसा वो कहते है उसी एक तौर पर परिवार के सदस्यों के हिसाब से पैसा भी दिया जाता है। इस बार यह पर एक एक परिवार को 25 हजार से 50 हजार तक पैसे दिए गए हैं|