!! #चंदपा , #फर्जीहाथरसकांड !!
सबसे पहले तो मैं आप लोगों को बता दूं कि मेरी यह पोस्ट ग्राम बुलगढ़ी और आसपास के विभिन्न जाति के लोगों द्वारा बताए गए कथ्यों , जारी वीडिओज़ , कटु राजनैतिक अनुभवों पर आधारित है ! जिसे केवल इस कारण लिखा जा रहा है कि लोग इस घटना का एक पक्ष जान सकें…न कि यह पोस्ट किसी भी प्रकार से उक्त घटना को लेकर किसी भी प्रकार से सत्य को प्रभावित करे… इस मंशा से लिखी जा रही है !
शेष जो होगा वह परमेश्वर एवं भारतीय न्यायिक प्रणाली के विवेक पर निर्भर है…और स्वीकार्य है…

बुलगढ़ी में कुछ वर्षों पहले किसी बात पर ग्राम के ही दो परिवारों में कहासुनी और फिर झगड़ा होता है…जिससे दोनों परिवारों में आपसी रंजिश का माहौल बनता है !…इसमें एक परिवार क्षत्रिय है और दूसरा वाल्मीकि जाति से संबंधित है !…इस क्षत्रिय परिवार से एक अन्य क्षत्रिय परिवार भी उसकी समृद्धि के कारण ईर्ष्या का भाव रखता है लेकिन खुलकर सामने नही आता जबकि वह वाल्मीकि परिवार से निकटता रखता है !
वाल्मीकि परिवार की लड़की मीनाक्षी और विरोधी क्षत्रिय परिवार के लड़के के मध्य संयोग से प्रेम संबंध स्थापित हो जाते हैं जो कि अनैतिकता की सीमा तक पहुंचते हैं….इसमें लड़की की माता को इसका भान है , और लड़का अनेक बार इन्हें आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराता है !
ऐसी बातें छुपाएं नही छिपती…और क्षत्रिय परिवार को इसकी भनक लगती है , जिसे लेकर लड़के के भाई और लड़की के भाई में आपसी टकराव होता है ! लड़की के भाई को यह सब स्वीकार नही और वह अपने परिवार में इस बात के विरोध में कई बार चेतावनी देता है , लेकिन इसकी बात सुनी-अनसुनी की जाती रही ! लेकिन इस लड़के के भारी दबाव के कारण इस संबंध को ब्लैकमेल का जरिया बनाया जाता है…लड़की उस लड़के से उगाही का दवाब डालती है जिसके कारण क्षत्रिय लड़का अपना बचाव करने के लिए प्रयासरत रहता है…बढ़ते दवाब के कारण आखिरकार वह घटना वाले दिन बात करने के लिए पहुंचता है !
घटना वाले दिन अर्थात 14 सितंबर को पहले से तय मुलाकात के लिए क्षत्रिय परिवार का लड़का खेत की ओर जाता है…उधर लड़की और उसकी माता समय का ध्यान रखते हुए अपने भाई को चारे के गट्ठर बनाकर सौंप देती है और वह उसे उठाकर घर की ओर चल देता है…रास्ते में उसे खेत की ओर आते बाइक से आते लड़के की झलक मिलती है और लड़की का भाई भी वहां पहुँचने के लिए वापिस हो लेता है…उधर क्षत्रिय लड़के और वाल्मीकि लड़की में कुछ कहासुनी होती है और लड़का लड़की की पिटाई करता है और वहां से चला जाता है…लड़की अपनी मां को यह सब बताती है जो कि खेत में ही मौजूद होती है , अब यहां ध्यान देने योग्य बात है कि अधिक पिटाई या जिस तरह कहा जा रहा है कि दुष्कर्म हुआ अगर वह होता तो क्या लड़की की माता की सहमति से होता….उसने साधारण सा भी संघर्ष नही किया !…खैर वाल्मिकी लड़का वहां पहुंचता है और नए हालातों में वह रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए विचार बनाता है और तीनों गांव की ओर चल देते हैं !
वाल्मीकि परिवार इस घटना को लेकर आक्रोश में है और वह कुछ लोगों से सलाह मिलाकर क्षत्रिय परिवार को सबक सिखाने के उद्देश्य से थाने का रुख करते हैं…यह बात क्षत्रिय परिवार को भी पता चलती है , वह भी कुछ लोगों को साथ लेकर वाल्मीकियों के घर की ओर रवाना होते हैं और उस अन्य क्षत्रिय परिवार के घर के सामने से गुजरते हैं जो वाल्मीकि परिवार का साथ देता है…ये लोग गाली गलौज करते निकलते हैं वहां से…उधर वाल्मीकि परिवार थाने पहुंचता है और मामले को समझते हुए स्थानीय पुलिस प्रशासन समझा बुझाकर इन लोगों को वापिस भेज देता है…जब ये लोग घर पहुंचते हैं तो दोनों पक्षों में कहासुनी होती है और बात बढ़ती हुई स्थानीय नेताओं तक पहुंचती हैं जो कि संयोग से दलित ही हैं !
इन दलित नेताओं का गांव में दौरा लगना शुरू होता है और ये लोग इस मामले को नया मोड़ देते हैं…मामला आपसी रंजिश से होता हुआ sc/st act का बना दिया जाता है ! मामले को गंभीर बनाने के लिए और मोटी रकम हड़पने के लिए एम्बुलेंस में ही लड़की के परिवार द्वारा लड़की की पिटाई की जाती है ! जिला अस्पताल में लड़की की हालत को देखकर अलीगढ़ ट्रांसफर कर दिया जाता है , जहां भीम आर्मी के कार्यकर्ता अपना दबाव बनाने का प्रयास करते हैं लेकिन चिकित्सकों की ईमानदारी के कारण उनकी दाल नही गलती आखिरकार रिपोर्ट में किसी खास चोट और बलात्कार की कोई बात ही नही लिखी जाती (जिसकी कॉपी संग्लन है और उसपर अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज की मोहर भी है !) !!
भीम आर्मी और स्थानीय सत्तासीन नेताओं के दवाब के कारण शुरू में पुलिस उनके कहे अनुसार धारा 307 में केस दर्ज करती है !…इस बीच लड़की का इलाज चलता है , वीडियो बनती हैं , तीन बार बयान भी बदले जाते हैं !
मारपीट से होता हुआ आरोप बढ़कर 307 और फिर 8 दिन बाद बलात्कार और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज होता है जब इसमें बड़े नेताओं का दखल बनता है और यह पूरे 8 दिन के अंतराल के बाद होता है ! इसके भी बाद उन लड़कों का ध्यान किया जाता है जो घटना वाले दिन वाल्मीकि परिवार के घर पर जाकर हंगामा करते हैं तो मामला सामूहिक बलात्कार का बनाकर अन्य तीन लड़कों को भी शामिल कर दिया जाता है , जिनका इस घटना के साथ दूर दूर तक कोई संबंध ही नही है !

इस मामले को सीढ़ी बनाकर भितरघाती , विपक्षी और अवसरवादी योगी की साख को बिगाड़ने का प्रयास करते हुए आगामी 2022 के चुनावों की बिसात पर अपनी अपनी चालें चल रहें हैं…जहां भाजपा इसे विकास दुबे और अन्य विवादित मुद्दों पर Damage Control करने के मूड में हैं , वहीं सपा अपनी राजगद्दी वापिस लेना चाह रही है और आम आदमी पार्टी अपनी जमीन तैयार करने के मूड में है…यह खेल एक साधारण घटना से शुरू होकर सबके लिए मौका बन गया है ! सियासी खेल बना दिया गया है और बलि पर चढ़ाए जा रहे हैं तीन पूरी तरह निर्दोष बच्चे !