बजरंग को जीत से ज्यादा परफॉर्मेंस की खुशी: बोले- गोल्ड तो गोल्ड ही होता है, चाहे 2018 का हो या 2022 का; कमबैक अच्छा रहा। स्कूल से बचने को अखाड़े में गए “हरियाणा के गांवों के हर घर में आपको लंगोट मिल जाएगी। अखाड़े में जीतने पर कुछ न कुछ मिलता ही है। ऐसे शुरुआत हुई, लेकिन सच कहूं तो स्कूल से बचने के लिए मैं अखाड़े में जाने लगा था “
कॉमनवेल्थ में देश को गोल्ड दिलाने वाले हरियाणा के रेसलर बजरंग पूनिया अपनी जीत से ज्यादा अपने परफॉर्मेंस से खुश हैं। उनके लिए टोक्यो ओलिंपिक से अब तक का समय काफी उतार चढ़ाव वाला रहा है। शुक्रवार रात को फाइनल मुकाबला जीतने के बाद उन्होंने कहा कि गोल्ड सेम होता है, चाहे 2018 में जीता हो या अब 2022 में, पर इंजरी के बाद उन्होंने जो कमबैक किया है, वो उनके लिए काफी अच्छा है।
टोक्यो ओलिंपिक गेम्स से एक महीने पहले उनको इंजरी हो गई थी। पहले उनका गेम एग्रेसिव होता था, इस बार कॉमनवेल्थ में वे एग्रेसिव के साथ अटैकिंग और डिफेंसिव तरीके से प्रिपेयर होकर माइंडसेट करके आए थे।
फिर से वही बजरंग देखेंगे लोग
सोनीपत निवासी बजरंग पूनिया बीते 8 सालों से भारत के ऐसे पहलवान रहे हैं, जिन्होंने इंटरनेशनल स्तर पर लगातार और निरंतरता के साथ कामयाबी हासिल की है। टोक्यो ओलिंपिक में उनको सबसे दमदार खिलाड़ी माना जा रहा था, लेकिन मैच से करीब एक महीना पहले हुई इंजरी से अच्छा नहीं खेल पाए । सेमीफाइनल में हार गए। हालांकि, बाद में कांस्य पदक के लिए हुआ मुकाबला जीत लिया। इस हार से टूट गए थे। 2018 के कॉमनवेल्थ में पूनिया गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। इंजरी को रिकवर करने में उनको काफी समय लगा है। इससे पहले उन्होंने जो भी टूर्नामेंट खेले, उनमें अपनी परफॉर्मेंस से संतुष्ट नहीं थे। आज उनके लिए खुशी का दिन है। खुशी इसलिए नहीं कि गोल्ड जीता है, बल्कि इसलिए कि वे अच्छा खेल पाए ।
फिर से एग्रेसिव खेलेंगे
बजरंग ने बताया कि कि उनकी कोशिश थी कि वह अपनी तरफ से बेस्ट खेलें। पहले एग्रेसिव खेलते थे, लेकिन इंजरी के बाद काफी चेंज आ गया था। अब प्रयास है कि दोबारा उसी पर आएं। उन्होंने कहा कि कोई भी मैच होता है तो कोई भी खिलाड़ी कमजोर नहीं होता। जो भी आता है, अपने देश के लिए मेडल जीतने को आता है। आज उनकी फाइट बहुत अच्छी हुई है। अब आगे जो टूर्नामेंट आने वाले हैं, उनमें अच्छा परफॉर्मेंस कर देश के लिए मेडल जीते, इसकी तैयारी वे जमकर करेंगे।

सुशील को दिया धन्यवाद
बजरंग पूनिया ने बातचीत में ओलिंपिक पदक विजेता सुशील कुमार का धन्यवाद किया। सुशील फिलहाल सोनीपत के ही एक खिलाड़ी सागर पहलवान की हत्या के आरोप में जेल में है। बजरंग ने कहा कि हमारे जो पुराने खिलाड़ी हैं, चाहे रेसलिंग में लगा लीजिए या फिर किसी भी फील्ड में, जिन्होंने देश के लिए अच्छा किया है, उनको देखकर ही सीखे हैं। जब उन लोगों ने अच्छा किया तो हम भी उनके पदचिन्ह पर चल कर अच्छा करें। रेसलिंग को जिंदा करने वाले ।
कॉमनवेल्थ गेम्स में हरियाणवी दम: बजरंग, साक्षी, दीपक और सुधीर लाए गोल्ड; 1 सिल्वर और एक ब्रॉन्ज भी झोली में, CM ने दी बधाई

इंग्लैंड में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में हरियाणा के पहलवानों ने शुक्रवार को लठ गाड़ दिया। रेसलिंग में बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और दीपक पूनिया और पैरा पावर लिफ्टिंग में सोनीपत के लाठ गांव के सुधीर ढोचक ने गोल्ड जीता। वहीं अंशु मलिक ने सिल्वर और मोहित ग्रेवाल ने ब्रॉन्ज मेडल लिया। CM मनोहर लाल ने विजेता खिलाड़ियों को बधाई दी है।
कॉमनवेल्थ में अबकी बार टूटेगा रिकॉर्ड
कॉमनवेल्थ गेम्स में हरियाणा के 43 खिलाड़ी विभिन्न खेलों में भाग ले रहे हैं। अब तक 7 स्वर्ण समेत 21 मेडल हरियाणा की झोली में आ गए हैं। वर्ष 2018 के कॉमनवेल्थ में प्रदेश के खिलाड़ियों ने 22 पदक जीते थे। इस बार यह पिछला रिकॉर्ड टूटने वाला है।
बजरंग के पिता को पहले ही विश्वास था
सोनीपत के रेसलर बजरंग पूनिया पर हरियाणा ही नहीं बल्कि पूरे देश की निगाहें टीकी हुई थीं। रात 10 बजे के करीब मुकाबला हुआ तो कुछ मिनटों में उसने गोल्ड वाली पटकनी दे दी। बजरंग पूनिया ने पुरुषों के 65 KG फ्रीस्टाइल के फाइनल में कनाडा के लचलान मैकनी को 9-2 से मात दी है। इससे पहले दिन में उन्होंने सेमीफाइनल मुकाबले में इंग्लैंड के जॉर्ज रैम को 10-0 से हराया था। मॉडल टाउन में उसके पिता और परिवार के अन्य सदस्यों की भी मैच पर निगाहें थीं। पिता बलवंत सिंह ने कहा कि पूरा विश्वास था कि इस बार बेटा गोल्ड ही लाएगा। पूरी तैयारी के साथ गया था। कोई दबाव नहीं था और हर मुकाबला अच्छे से खेला। भाई हरेंद्र ने मिठाई बांटी।
साक्षी ने सच किया सपना
रोहतक की रेसलर साक्षी मलिक शुक्रवार को दो मुकाबलों के लिए उतरीं और दोनों में विजेता रह कर देश को गोल्ड दिलाया। साक्षी मलिक तीसरी बार कॉमनवेल्थ गेम्स में गई हैं। रोहतक की नई अनाज मंडी के पास सुनारिया चौक स्थित साक्षी मलिक की ससुराल में उनके पति, परिवार के बाकी सदस्यों और आस पड़ोस के लोगों ने TV पर लाइव मैच देखा।
साक्षी के दांव-पेंच और जीत के साथ पूरा घर तालियों से गूंजता रहा। पति अर्जुन अवार्डी सत्यव्रत कादियान ने कहा कि कॉमनवेल्थ में गोल्ड जीतना साक्षी का सपना था और यह सच हो गया है।