भारत मे हर साल लाखों लोग अलग-अलग बीमारियों से मरते हैं और फ़िर 10 मई की ICMR की गाइडलाइंस के मुताबिक (जिसमें कहा गया : Every respiratory failure will be count as covid.) साधारण मौत को शक की बिनाह पर भी कोरोना से मौत बताया जाएगा, फ़िर कोरोना मौतों के लिए श्मशान भी एक अलग से ही रिज़र्व किया जाएगा और लाशों के संस्कार के लिए लाईन लगने के फ़ोटो विडियो आएंगे तो फिर डर तो पैदा होगा ही न दोस्तों ?
जब बिना कोरोना टेस्ट के इमरजेंसी केस नही लिए जाएंगे तो लोग मरेंगे ही ।
जब करोना पॉजिटिव को नेगेटिव लाने के लिए, वो भी बिना किसी लक्षण के एलोपैथी की hydrochloroquin दवाई, Ramdesivir इत्यादि का खतरनाक इंजेक्शन दी जा रही है, जो कई देशों में प्रतिबंधित है। तो लोग मरेंगे ही ना ?

जब कोरोना के चक्कर में सभी दूसरी बीमारी का इलाज ठीक से नही किया जाएगा तो जिनका पिछले एक साल से अपनी पुरानी बीमारी बढ़ा रहे थे उनकी हालत ज़्यादा खराब होगी ही।
वैक्सीन जो अभी पहले प्रयोग चरण में है। जिसका प्रयोगशाला का कोई सबूत नही है ट्रायल का वो सीधा लोगों को दी जा रही है। अब वैक्सीन लेने से हालात बिगड़ने वालों की तादात ज़्यादा है और सभी वैक्सीन लेने के बाद भी पॉजिटिव आ रहे हैं।
सभी श्मशान भरे नही हैं। हर शहर में दो अस्पताल निश्चित किये है करोना वालो के लिए। वैसे यह बात पिछले साल भी मीडिया ने उठाई थी, डर फैलाने के लिए और तब भी मीडिया चैनलों के कुछ लोगों ने दोनों सरकारी श्मशान घाटों पर जा कर लाइव वीडियो बनाई थी और तब श्मशान घाट के स्टाफों का कहना था ऐसा कुछ नही है मीडिया दिखा रहा है यहां तो उतनी ही लाशें आ रही है जितनी पहले आती थी। और बड़े शमशान घाट तो भरे रहते हैं ही हमेशा से ।
थोड़ा ठंडा दिमाग़ करके सोचिएगा…