रंगो का त्यौंहार होली 2022 :-

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होली का नाम सुनते ही सबके मन में ख़ुशी और उल्लास की भावना उत्पन्न हो जाती है। होली रंगों का त्यौंहार है जिसमे बच्चे से लेकर बूढ़े व्यक्ति तक शामिल हो कर धूम- धाम से इस दिन को सबके साथ मिलकर खुशियों से मनाते हैं इसलिए इस त्यौंहार को सब खुशियों का त्यौंहार भी कहते हैं। होली का त्यौंहार भारत के प्रमुख त्यौंहारों में से एक है।

रंगों का त्योहार होली

इस साल बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होली पर्व है। होली के दिन लोग एक-दूसरे के साथ रंग खेलते हैं और बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं। आप भी अगर इस साल होली पर अपनों से दूर हैं। हमारे भारत देश जैसा पुरे विश्व में दूसरा और कोई भी देश नहीं जहाँ लोग एक साथ मिलकर बिना किसी भेद भाव के भाई-चारे के साथ सारे त्यौंहारों का मनाते हैं।

ये त्योंहार हिन्दुओं का प्रमुख और प्रचलित त्यौंहार है लेकिन फिर भी इस त्यौंहार को हर जगह हर धर्म के लोग एक साथ मिलकर प्रेम से मनाते हैं जिसके वजह से ये त्योंहार एक दूसरे के प्रति स्नेह बढ़ाती है। हमारे देश में जितने भी त्यौंहार मनाये जाते हैं।

उन सबके पीछे एक पौराणिक और सच्ची कथा छिपी हुई होती है। ठीक उसी तरह होली में रंगों के साथ खेलने के पीछे भी बहुत सी कहानियाँ हैं।

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होलिका दहन की कहानी क्या है?

होली का हिरण्यकश्यप की बहन थी। और हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रहलाद को मारने के लिए होलिका से सहायता मांगी। होलिका को भगवान शिव द्वारा एक वरदान प्राप्त था जिसमे उसे एक वस्त्र मिला था। जब तक होलिका के तन पर वो वस्त्र रहेगा तब तक होलिका को कोई भी आग जला नहीं सकता।

हिरण्यकश्यप ने एक षड़यंत्र रचा और होलिका को ये आदेश दे दिया कि वो प्रहलाद को अपने गोद में लेकर आग में बैठ जाए। आग में होलिका जल नहीं सकती क्यूंकि उसे वरदान मिला है लेकिन उसका पुत्र उस आग में जाल कर भस्म हो जायेगा।

जिससे सबको ये सबक मिलेगा कि अगर उसकी बात किसी ने मानने से इनकार किया तो उसका भी अंजाम उसके पुत्र जैसा होगा। यह सोचकर उसने होलिका को आग में बैठ जाने का आदेश दे दिया। प्रहलाद भगवान विष्णु के भक्त थे। जब होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठी तब वो भगवन विष्णु का जाप कर रहे थे।

अपने भक्तो की रक्षा करना भगवन का सबसे बड़ा कर्तव्य होता है इसलिए उन्होंने भी एक षड़यंत्र रचा और ऐसा तूफ़ान आया जिससे की होलिका के शरीर से लिपटा वस्त्र उड़ गया और आग से ना जलने का वरदान पाने वाली होलिका स्वयं भस्म हो गयी और वहीँ दूसरी ओर भक्त प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ। तब से लेकर अब तक हिन्दू धर्म के लोग इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में देखते हैं और उस दिन से होली उत्सव की शुरुआत की गयी और इस दिन को मनाने के लिए लोग रंगों से खेलते थे।

होली से ठीक एक दिन पहले रात में होलिका दहन होता है जिसमे लकड़ी, घास और गाय का गोबर से बने ढेर में इंसान अपने आप की बुराई भी इसके चारो और घूमकर आग में जलाता है और अगले दिन से नयी शुरुआत करने का वचन लेते हैं।

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होली महोत्सव का इतिहास जानिए :-

होली का त्यौहार अपनी सांस्कृतिक और पारंपरिक मान्यताओं की वजह से बहुत प्राचीन समय से मनाया जा रहा है। इसका उल्लेख भारत की बहुत से पवित्र पौराणिक पुस्तकों,जैसे पुराण, संस्कृत,नाटक,दशकुमार चरित,रत्नावली में किया गया है। होली के इस अनुष्ठान पर लोग सड़कों, सामुदायिक केंद्र, और मंदिरों के आस-पास के क्षेत्रों में होलिका दहन की रस्म के लिए लकड़ी और अन्य ज्वलनशील सामग्री के ढेर बनाने शुरू कर देते है।

बहुत से लोग घर पर साफ- सफाई भी करते हैं। इसके साथ अलग अलग प्रकार के व्यंजन भी बनाते हैं जैसे- गुझिया, मिठाई, मट्ठी, मालपुआ, चिप्स इत्यादि।

होली पूरे भारत में हिंदुओं के लिए एक बहुत बड़ा त्यौंहार है, जो ईसा मसीह से भी पहले कई सदियों से मनाया जाता है। अगर इससे पहले की होली की बात करें तब यह त्यौंहार विवाहित महिलाओं द्वारा पूर्णिमा की पूजा द्वारा उनके परिवार के अच्छे के लिये मनाया जाता था। होली हिंदुओं के लिए एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्यौंहार में से एक है।

होली शब्द “होलिका” से उत्पन्न हुआ है। होली का त्योंहार विशेष रूप से भारत के लोगों द्वारा मनाया जाता है। जिसके पीछे बड़ा कारण है। एक बड़ा कारण यह है कि यह त्यौंहार केवल रंगों का नहीं बल्कि भाईचारे का भी त्योंहार है। जैसे हम त्यौंहार के दोरान सभी रंगों का इस्तमाल करते हैं ठीक वैसे ही हमें आपस में भाईचारे की भावना से रहना चाहिए और एक दूसरे के साथ मिलजुलकर सभी त्योंहारों को पालना चाहिए। होली एक ऐसा त्यौंहार है जिसे देश का हर प्रान्त बड़ी धूमधाम से मनाता है। अलग- अलग प्रान्तों में उनके सांस्कृति के अनुसार इसे रीती निति से मनाया जाता है। यह त्यौंहार हमें जीवन में सबके साथ मिलजुलकर रहने की प्रेरणा देता है।

होली क्या है?

होली का दिन हमारे भारत में बड़ा ही शुभ दिन होता है। ये पर्व हर साल वसंत ऋतु के समय फाल्गुन यानि की मार्च के महीने में आता है जिसे पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और ये सबसे ज्यादा ख़ुशी देने वाला और यह बसंत का त्योंहार है और इसके आने पर सर्दी खत्म और गर्मी की शुरुआत होती है।

भारत के कुछ हिस्सों में इस त्यौंहार को किसान अच्छी फसल पैदा होने की ख़ुशी में भी मनाते हैं।होली का ये उत्सव फाल्गुन के अंतिम दिन होलिका दहन की शाम से शुरू होता है और अगले दिन सुबह सभी लोग आपस में मिलते हैं, गले लगते हैं और एक दूसरे को रंग और अबीर लगाते हैं।

होली को मनाने का सही तरीका :-

पहले होली के रंग प्राकृतिक चीजों से बनते थे जैसे फूलों से और उन्हें गुलाल कहा जाता था। वो रंग हमारी त्वचा के लिए बहुत ही अच्छा होता था क्यूंकि उसमे कोई भी केमिकल नहीं मिलाया जाता था। लेकिन आज के समय में दुकानों पर रंगों के नाम पर केमिकल से बने powder बिकते हैं जो हम सबकी त्वचा के लिए बहुत हानिकारक है खाशकर के बच्चों के लिए।

ये chemicals से बने रंग कम दामों में मिलते हैं और natural रंग जिससे असल में होली के दिन इस्तेमाल करना चाहिये उसके दाम थोड़े ज्यादा होते हैं इसलिए लोग कम दामों वाला रंग खरीद लेते हैं इस बात से अनजान हो कर की वो रंग उनके लिए कितना खतरनाक है।

इस ख़राब रंग के कारण कई लोगो ने होली खेलना छोड़ दिया है जो बड़े ही दुःख की बात है क्यूंकि chemicals से बने रंग की वजह से लोगों को बहुत से शारीरिक रोगों को बाद में झेलना पड़ता है। आइए जानते हैं की होली के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।

होली के दिन क्या करना चाहिए?

1. होली के दिन नेचुरल और ऑर्गेनिक रंगों का इस्तेमाल करें।

2. अस्थमा पीड़ित व्यक्ति फेस मास्क का उपयोग रंग खेलते समय जरूर करें।

3. रंगों को खेलने के बाद अगर आपको कोई भी शारीरिक परेशानी हो जाए तो तुरंत अपने नजदीकी अस्पताल में जाएं।

4. अपने चेहरे, शरीर और बाल पर कोई भी तेल लगा ले ताकि जब आप रंगों को नहाते वक्त छुड़ाएं तो भी आसानी से छूट जाएं।

5. सर पर आप टोपी का इस्तेमाल कर सकते हैं ताकि वालों को बिल्कुल नुकसान ना हो।

होली के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

1. रंगों को किसी भी व्यक्ति की आंख, मुंह, नाक और कान में बिल्कुल ना डालें।

2. केमिकल से बने रंगिया सिंथेसिस रंग का इस्तेमाल बिल्कुल भी ना करें।

3. रंगों को दूसरे किसी पर भी जबरदस्ती ना डालें और ना ही जानवरों पर लगाएं जिस तरह यह रंग हमारे लिए खतरनाक है उसी तरह जानवरों के लिए भी बहुत खतरनाक है।

4. Eczema से पीड़ित व्यक्ति रंगों से दूर रहने की कोशिश करें।

5. सस्ते चायनीज रंगों से दूर रहें क्योंकि वह तो अच्छा के लिए बहुत हानिकारक होते हैं।

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Happy Holi wishes shayri :-

  1. • रूठा है कोई तो आज उसे मनाओ,

आज तो सारी गलती भूल जाओ।

लगा दो आज दोस्ती का रंग सबको यारों,

आज होली मनाओ तो ऐसी मनाओ।

होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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• सात रंगों से बनी रंगोली,

खुशियों से भर गई मेरी झोली,

रंगों का यह खेल है होली।

रंगों में रंग जाते हैं सब जोली,

हर फाल्गुन मास में आती है होली,

रंगों की उड़ान लाती है होली।

होली की हार्दिक शुभकामनाएं !

Happy Holi

• रंगों की हो भरमार,

सारी खुशियों से भरा हो आपका संसार,

यही दुआ है भगवान से हमारी हर बार।

हैप्पी होली!

• राधा के संग कान्हा ने खेली होली,

हम भी लेकर निकले अपनी टोली।

बगल में पिचकारी हाथ में गुलाल,

प्यार के रंग से कर देंगे सबको लाल।

होली की हार्दिक शुभकामनाएं !

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आपके जीवन में हो रंगों की भरमार,

होली मुबारक हो आपको दिल से हर बार।

होली की हार्दिक शुभकामनाएं !

मथुरा की खुशबू और गोकुल का हार,

वृंदावन की सुंगध और बरसाने की फुहार,

राधा की उम्मीद और कान्हा का प्यार,

मुबारक हो आपको होली का त्यौहार।

Happy Holi

आपका जीवन खुशियों और रंगों से भर दे, फाल्गुन का ये प्यारा सा त्यौहार।

होली की हार्दिक शुभकामनाएं।

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