राजीव भाई दीक्षित जी द्वारा चलाई गई व्यवस्था परिवर्तन की मुहिम आज घुटने टेक रही है।

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राजीव भाई द्वारा बताई गई व्यवस्था आखिर विकसित क्यो नही हो पा रही है?
दो कारण हो सकते हैं या तो राजीव भाई दीक्षितजी द्वारा बताई हुई व्यवस्था गलत है। या उनके जाने के बाद उनकी बताई हुई व्यवस्था को संचालित करने वाले कार्यकर्ता गलत है। उनके उद्देश्य कार्य करने के तरीके गलत है।
व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर कोई इतिहास की गलतियों को समाज के बीच जा जाकर गिना रहा है तो कोई अपने प्रोडक्ट के फायदे।

हर कोई स्वयं को आगे करने के लिए अंधी दौड़ दौड़े जा रहा है। सिर्फ हम सबसे आगे रहे सिर्फ हम सबसे आगे रहे यही द्वंद ही हमारी असफलता का मूल कारण रहा है।

समस्याएं विकराल रूप लेती जा रही है। किसी को कोई सुध नही, सब अपना अपना काम करने में व्यस्त हैं। कोई एक साथ आगे आकर इस व्यवस्था की बागडोर संभालने को तैयार नही।
बाजार,बैंक, के माध्यम से भारी लूट अब भी जारी है। दिन प्रतिदिन मीडिया एवं राजनीति का गिरता हुआ स्तर समाज को नैतिक, बौद्धिक,चारित्रिक शारीरिक, मानसिक, एवं आर्थिक पतन की ओर धकेल रही है।

किसी भी स्वदेशी कार्यकर्ताओ ने अभी तक न तो सम्पूर्ण आमजनमानस के लिये बाज़ार एवं बैंक की स्थापना की है। और न ही स्वदेशी स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकने वाली मीडिया की,
और दुर्भाग्य तो देखिए, एक भी राजीवसमर्थको के अंदर सामर्थ्य नही रहा जो 10 सालों में एक विधानसभा या लोकसभा में एक सीट निकाल पाया हो पता है क्यो क्योंकि इन्होंने धरातल पर सच मे राजीव भाई के जाने के बाद कोई कार्य किया ही नही है। व्यवस्था परिवर्तन जैसे विषय पर कौन कितना व्यापक कार्य किया है। कुछ अता पता नही है।

जो जितना ज्यादा ज्ञानी है वह शांत बैठा, कंप्यूटर की क्रांति अपने नरम नरम उंगलियों के घर्षण के माध्यम से कर रहा है।

पोस्टर बनाओ बैनर बनाओ, सोशल मीडिया पर समस्याओं को गिनाओ, गाय को राष्ट्रीय माता घोषित करवाओ, कत्लखाने बंद करवाओ, राजीव भाई को न्याय दिलवाओ, ऑनलाइन उत्पाद बेचो और खरीदो।

मुझे पता है, बाज़ार, बैंक, मीडिया एवं राजनीति आदि अंगों की स्थापना तथा इन्हें सुचारू रूप से संचालित करने में सर्वाधिक धन पर नियंत्रण होना आवश्यक है। तथा एक बड़ी टीम भी चाहिए।

परंतु इसकी शुरुआत एक बेहतर तरीके से की जाए तो यह सब सम्भव है।

 

हम सबकी समस्या का एक समाधान हमारी एकता है।
हम कभी एक होंगे नही, ऐसा संकल्प ले रखा है कि एक छत के नीचे कभी आएंगे नही। बस अलग अलग दिशा में गला फाड़कर फाड़कर चिल्लाते हुए बताएंगे कि राजीव भाई ने ये कहा राजीव भाई ने वो कहा। परन्तु व्यवहारिक रूप से उसका संबंध निजी एवं व्यक्तिगत जीवन से कोई संबंध नही है।

राजीव भाई के नक्शेकदम पर चलते हैं राजीव भाई को मानते हैं परंतु राजीव भाई की नही मानते हैं।
कितना अंतर स्थापित करता है ये का और की,
इसी से समझ जाना चाहिए।

खैर स्वदेशी संकल्प क्रांतिसेवा ट्रस्ट अपने प्रबंध कारिणी समिति के सभी सदस्यों के साथ बैठक करके

बाज़ार , बैंक, मीडिया , राजनीति
इन चार अंगों की स्थापना के लिए ट्रस्ट पूरे भारत मे इन्ही चार अंगों से संबंधित व्यवस्था परिवर्तन अभियान के अंतर्गत व्याख्यान की शुरुआत करने जा रहा है।
यदि आप अपने क्षेत्र में व्याख्यान करवाना चाहते हैं तो आज से ही व्याख्यान हेतु आवेदन निम्न नम्बर परव्हाट्सएप कर सकते हैं।

नाम -पूरा पता- कार्यक्रम स्थल- मोबाइल नम्बर- इन चार अंगों से अतिरिक्त यदि और भी कोई विषय हो तो अवगत कराएं।

बाजार , बैंक, मीडिया , राजनीति इन चार अंगों की स्थापना क्यो जरूरी है?
आइए थोड़ा विस्तार से समझते हैं -:

स्वदेशी संकल्प क्रांतिसेवा ट्रस्ट पूरे देश से ऐसे योद्धाओं की खोज करने के लिए व्यवस्था परिवर्तन अभियान के अन्तर्गत व्याख्यान को अपना माध्यम बनाने जा रही है जो व्यवस्था परिवर्तन के लिए कार्य कर सके। 2024 तो नही कह सकता लेकिन यदि आप सभी ने बाज़ार एवं बैंक की स्थापना करने में सक्रिय भूमिका निभाएंगे तो यदि 2022 तक बाज़ार एवं बैंक सुचारू रूप से संचालित कर पाने में सक्षम होते हैं एवं 2022 या 2023 तक देश के 15 करोड़ किसानों को सीधे बाज़ार एवं बैंक से जोड़ पाने में सफल होते हैं तो यकीन मानिए आधा व्यवस्था परिवर्तन 2024 में ही हो जाएगा।

साथ ही ट्रस्ट को तलाश है देश के भावी सांसदों की जो
सांसद बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं। तथा इस व्यवस्था को उखाड़कर राजीव भाई दीक्षित जी द्वारा बताई हुई व्यवस्था को स्थापित कर सके।

चुनावी लड़ाई लड़ने से पहले हम बाज़ार एवं बैंकों की लूट से तो लड़ ले। मीडिया द्वारा फैलाई जा रही भ्रामक अफवाहों के माध्यम से डर एवं गलत जानकारी से देशवासियों को बचा ले इसके लिए तीसरा कदम इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया की स्थापना।
क्योंकि आज के समय मे यह यह तीन मार्ग ऐसे मार्ग है कि इस क्षेत्र में आने के बाद धन पर सर्वाधिक नियंत्रण हो जाता है माने धनाभाव दूर हो जाता है। और आपको तो पता ही है कि विदेशी कंपनियां एवं बैंक किस प्रकार देश को लूट रहे हैं बर्बाद कर रहे हैं।
और लाखों करोड़ रुपये जो विदेशी कंपनियां लूट लेकर चली जाती है उसे बचाया जा सकता है। तथा मीडिया के माध्यम से वह सब कुछ प्रचारित एवं प्रसारित किया जा सकता है जो ट्रस्ट आगामी योजना को लेकर कार्य करने वाला है। तथा देशवासियों को भ्रामक एवं अफवाहों से बचाया जा सकता है। जिससे देशवासियों के मानसिक संतुलन बना रहे और वे बिना किसी के बहकावे में आये स्वतंत्रतापूर्वक निर्णय ले सकें।

बैंकों में हो रहे घोटाले, तथा डूब रहे बैंक , हवा में बढ़ते व्याज के बोझ तले दबते देश के नागरिकों को उबारा जा सकता है। मीडिया के माध्यम से अफवाहों से फैल रही अराजकता, आक्रोश, अशांति,गलत भ्रामक जानकारियां, और बिगड़ता आमजनमानस का मानसिक संतुलन इन सब चीजो से उबारा जा सकता है।
और जब हम व्यवस्था परिवर्तन के लिए कार्य करेगे तो क्या ये मीडिया हमारा सहयोग करेगी बिल्कुल नही इसलिए तीसरे चरण में मीडिया की स्थापना सबसे जरूरी है।
कल्पना करो जिस दिन देश के 15 करोड़ किसान विदेशी बैंकों से अपना पैसा निकालकर एक ही स्वदेशी बैंक में जमा करेंगे। तो बाकी के बैंकों पर क्या असर पड़ेगा यह बात मुझे बताने की आवश्यकता नही है।

ठीक इसी प्रकार देश का किसान एक ही स्वदेशी बाज़ार को अपना माल बेचे और खरीदे तो बाकी के फ़ूड एंड,फ्रूट,मिल्क,एंड वेजिटेबल से संबंधित उत्पाद बनाने वाली कंपनियों तथा हर्बल,हमदर्द, यूनानी,वैधनाथ, डाबर आदि आदि दवा बनाने वाली कंपनियों पर क्या असर पड़ेगा इसके विषय मे भी कुछ कहने या बताने की आवश्यकता नही है।
एक सवाल आपके मन मे आएगा कि एक ही बैंक में कोई अपना पैसा क्यो जमा करेगा सब एक ही बाज़ार से खरीददारी क्यो करेगे।
तो सुनिए।
किसान वह हर चीज उत्पादन करता है जिसकी जरूरत हर इंसान को हैं। और फिर हम सब किसान मिलकर अपनी एकता का फायदा उठा सकते हैं। यदि हमने नही उठाया तो कोई दूसरा आकर उठाएगा। एक और बात अलग अलग बटकर यदि किसान अपना भला कर सकता है तो कर ले सिर्फ हमे ही कौन सी फिक्र पड़ी है। और हमे किसानों की फिक्र क्यो न हो क्योंकि व्यवस्था परिवर्तन का सामर्थ्य किसान के अंदर ही है। और जब तक किसान अत्याचार एवं अभाव सहन कर रहा है तब तक यह व्यवस्था भी फल फूल रही है। जिस दिन किसान जाग गया उस दिन वर्तमान व्यवस्था प्रणाली की बुनियाद हिल जाएगी।

स्वदेशी बाज़ार ,बैंक एवं मीडिया की स्थापना
जब हो जाएगी तो जितनी तीव्र गति के साथ हम देश के किसानों को बाज़ार एवं बैंक से जोड़ पाएंगे तो 1वर्ष ही काफी है देश की GDP में 5 प्रतिशत से ज्यादा इज़ाफ़ा हो जाएगा।
कुल मिलाकर शुरुआती वर्ष 30 से 50 लाख करोड़ रुपयो की लूट से इस देश को बचाया जा सकता है।
देश का किसान ही 6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की खरीदारी रासायनिक खाद एवं कीटनाशक ,जंतुनाशक दवाएं खरीदने में खर्च कर डालता हैं। उल्लूपैथी चिकित्सा, शिक्षा आदि पर होने वाला खर्च भी है।
चाय पर होने वाला बेफालतू का खर्च 70 हजार करोड़ रुपये का है,
एक साल में 5 लाख करोड़ से ज्यादा सरकार को प्रतिवर्ष टैक्स के रूप में मिलता हैं।
इसी प्रकार देश में और कई विभिन्न क्षेत्रों से देश का पैसा बाहर जा रहा है। और सरकार को टैक्स के रूप में मिल रहा है।
फिर भी देश की सरकार विश्व बैंक एवं कई अन्य देशों से कर्ज लेती हैं। आखिर किसके कहने पर लेती है। क्या देश की जनता सरकार से कहती है बिल्कुल नही।
फ्री शौचालय, फ्री आवास, सस्ती शिक्षा एवं चिकित्सा की लत देश की जनता को किसने दिया। आधुनिक तकनीक, सरलीकरण,परिवर्तन के नाम पर अश्लीलता, बढ़ती महंगाई,बेरोजगारी, भ्रष्टाचार,अशांति,हर तरफ बढ़ता द्वंद्व का जन्मदाता कौन है।
चारो तरफ द्वंद भरा कोलाहल, राजनीति के प्रति लोगो की बढ़ती लोकप्रियता का कारण आज यह वर्तमान भ्रष्ट व्यवस्था प्रणांली ही है। क्योंकि इंसान यह जान चुका है कि राजनीति में एक बार जगह बना लेने पर वह हमेशा हमेशा के लिए अमीर हो जाता हैं,क्योंकि यहाँ, घोटाले, भ्रष्टाचार एवं 108 प्रकार के अलाउंसेज के द्वार खुल जाते हैं। तथा पैसा, पावर, शोहरत, स्टेटस,व्यापार के सारे रास्ते यहाँ से खुल जाते हैं। शायद इसीलिए राजनीति के प्रति लोगो की लोकप्रियता में काफी इजाफा हो रहा है।

इसे आसानी के साथ रोका जा सकता है।इस व्यवस्था को बदला जा सकता है। तो इस प्रकार कह सकते हैं कि बाज़ार ,बैंक एवं मीडिया से प्राप्त आय उन पर खर्च होगा जो विधानसभा एवं लोकसभा में जाकर देश का नेतृत्व करने के साथ साथ व्यवस्था परिवर्तन के लिए कार्य करेगे।

इसी संदर्भ में देश से वर्तमान व्यवस्था का तख्ता पलट करने के लिए पूरे भारत में 543 योद्धाओं की तलाश जारी है। ध्यान रहे यब हमारा चौथा एवं अंतिम चरण होगा।
चौथे चरण की लक्ष्य प्राप्ति हेतु 2500 करोड़ का फण्ड भी जुटाना होगा।
इस फण्ड की पूर्ति प्रति किसान 150 रुपये देकर देश का किसान मिलकर कर सकता है दूसरा बाज़ार एवं बैंक इससे 100 गुना फण्ड कलेक्ट कर पाने में सक्षम होगा। इसलिए सर्वप्रथम बाज़ार फिर बैंक इसके बाद मीडिया तत्पश्चात चुनावी कुरुक्षेत्र।

भारत के सभी लोकसभा और विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की खोज की जा रही है। और इसीलिए व्यवस्था परिवर्तन अभियान की इस बेला में व्याख्यान ही एक ऐसा अवसर है जो हमे 543 उम्मीदवारों को ढूढने में मदद कर सकता है। व्यवस्था परिवर्तन अभियान की आवाज सुदूर लोगो के कानों तक जाएंगी तो जरूर इस कार्य हेतु हमे हमारे भाई बहन अवश्य मिलेंगे।

और आज पूरा देश जिन समस्याओं से जूझ रहा है उनके लिए यदि कोई सबसे अधिक ज़िम्मेदार है तो वे हमारे राजनेता एवं देश की बिकाऊ पेड मीडिया ही हैं विदेशी बैंक एवं बाज़ार ही है।। तथा सिस्टम तो है ही। क्योंकि यह सिस्टम ही ऐसा है। जब तक इन राजनेताओें को सत्ता से बाहर नहीं किया जाएगा तथा आमजनमानस तक सच नही पहुचाया जाएगा, और आम लोग सत्ता में नहीं आएगें, कृषि करने वाला कृषि की समझ रखने वाला जब तक सत्ता में नही आएंगे, तब तक कृषि ऐसे ही घाटे में रहेगी। तब तक भारत की समस्याओं का तथा देश के किसानों का समाधान नहीं हो सकता। WTO जब तक रद्द नही होगा कृषि को उन्नत बना पाना थोड़ा चुनौतीपूर्ण होगा।

यह सच है कि इन नेताओं को सत्ता से बाहर करना इतना आसान नहीं होगा, हमें इन नेताओं को सत्ता से बाहर करने में, इनसे लड़ने में धन-बल, बाहुबल, रणनीति और मानसिक मज़बूती की आवश्यकता होगी,हमें हर प्रकार की नीति जैसे साम, दाम, दंड एवं भेद की नीति अपनाकर कार्य करने की आवश्यकता होगी। इसलिए हर योद्धा को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से सबल सक्षम एवं शशक्त बनना होगा तथा इस व्यवस्था परिवर्तन अभियान के अंतर्गत व्यवस्था परिवर्तन के कार्य को आगे बढ़ाने में पूरा सहयोग करना एवं औरों को इस कार्य हेतु तैयार भी करना होगा।

केवल वे ही लोग आगे आये जो सच्चे मायनो में व्यवस्था परिवर्तन करके राजीव भाई के सपनो को साकार करना चाहते हैं। और इसके लिए वे सबसे पहले सहयोग करने के लिए स्वयं को आगे करना चाहते हैं।

हम पर आप पर न जाने क्या क्या आरोप लगेंगे उंगलियां उठेगी,न जाने कौन कौन से रंजिशों में फसाने की कोशिशें होगी। न जाने कौन अंतिम सफर तक साथ खड़ा होगा। कोई नही जानता।

               

नेता एवं क्रांति शब्द की परिभाषा ही देश की मीडिया तथा चंद बिकाऊ इतिहास कारो ने बदल दी है।
हमें भी नेता बनना हैं परंतु लाल बहादुर शास्त्री जैसा, नेताजी सुभाष चंद बोस जैसा स्व० राजीव भाई दीक्षित जैसा।
हम भी बाज़ार एवं बैंक खोलेंगे परंतु उद्देश्य लूटना नही बल्कि देश को टूटने एवं लूटने से बचाना है।
हमारा मकसद गलत खबरे प्रचारित करके उन्हें डराना नही अपितु, सच पहुँचाना है। माइंड कंट्रोलिंग का सबसे अच्छा माध्यम आज के समय मे ये मीडिया तंत्र ही है।
हम अपनी मीडिया के माध्यम से आमजनमानस का दिमाग बदल सकते हैं। तथा उन्हें भटकने से बचा सकते हैं।

हमें इस व्यवस्था को बदलने के लिए 543 योद्धा, 15 करोड़ किसान सदस्य, 50 लाख सक्रिय सदस्य तैयार करने हैं तथा 2500 करोड़ का फण्ड भी जुटाना है।

पहला लक्ष्य है किसान जोड़ो अभियान के अंतर्गत किसान एकीकरण सभी किसान जीवन मे एक बार एक साथ एक हफ्ते के अंदर 500 रुपये का निवेश फार्मर केअर फण्ड में करेगा।
फण्ड में एकत्रित राशि से तीनों कार्य ( बाज़ार, बैंक एवं मीडिया )एक साथ तीव्र गति के साथ संचालित हो सकेगा। और इससे लाभान्वित होने वालों की संख्या 90 करोड़ से ज्यादा होगी।

अर्थात हर घर को सच्चे मायनो में रोजगार मिल सकेंगे।

2022 से पहले देश बक सभी किसानों का एकीकरण करके व्यवस्था परिवर्तन की घोषणा पत्र आमजनमानस तक पहुचाने का कार्य इन तीनो अंगों से जुड़े कार्यकर्ता एवं अपना स्वदेशी मीडिया करेगा।

देश का 15 करोड़ किसान जिस पार्टी को अपना समर्थन देंगे तो क्या भला उसकी जीत निश्चित नही है। जिस दिन देश का किसान बैलेट पेपर के लिए मांग करेंगी तो क्या आपको क्या लगता है कि चुनाव फिर ई वी एम से होगा।
बिल्कुल नही।

अब समझने वाली बात यह है कि किसान ऐसा करेगा क्यो? किसान हमारी बातों पर विश्वास क्यो करेगा?

तो सुनिए किसानों के लिए एक प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। जिसका नाम एजेंडा 2030 FDG ( फार्मर डेवलपमेंट गोल ) हैं।
इंसमे किसानों के लिए 21 तरह की योजनाएं है। जो देश के 15 करोड़ किसान परिवार की निर्भरता 2030 तक सरकार, बाज़ार, विदेशी कंपनियों एवं उनके द्वारा निर्मित उत्पादों के प्रति खत्म हो जाएगी और वे सच्चे मायनो में आत्मनिर्भर बन पाएंगे।
यह मॉडल एजेंडा 2030 FDG किसानों को समृद्धशाली, स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए है।

इसकी क्या गारंटी है कि किसान आत्मनिर्भर 2030 तक बन ही जायेंगे।।

जी गारंटी है, जैसे ही जितनी जल्दी बाज़ार एवं बैंक की स्थापना होगी और देश का किसान इन दो अंगों से जुड़ेगा तो देश के किसानों को जुड़ने की तारीख से लेकर 1 माह के अंदर ही उसकी स्थिति में सुधार दिखेगा जिसका वह प्रत्यक्ष प्रमाण होगा।
और यदि ऐसा नही होता है तो जो फार्मर केअर फण्ड में प्रत्येक किसान ने 500 रुपये का निवेश किया है। उसे आप ट्रस्ट के स्थानीय कार्यलय से वापस मिल जाएगा। या प्लस पेनाल्टी के रूप में उसका 5 गुना पैसा ट्रस्ट आपको रिफंड करेगा।
पेनाल्टी रिफंड 3 माह के अंदर होगी। जिसका आपके पास लीगल अधिकार होगा जो ट्रस्ट आपको अपने पैसे की सिक्योरिटी के रूप में प्रदान करेगा। यदि ट्रस्ट किसी भी प्रकार की आना कानी करता है तो किसी भी न्यायालय में जाकर आप कार्यवाही कर सकते हैं।
और कार्यवाही पर होने वाला आपका खर्च प्लस पेनाल्टी प्लस 500 रुपये आपका मूलधन समेत वापस करेगी।

और यदि आप टर्म एंड कंडीशन को फॉलो किये बगैर दोषारोपण का कार्य करेगे तो उक्त पेनल्टी आपको भरना पड़ेगा। जिसकी लीगल ऑथोरिटी ट्रस्ट के पास होगी।

 

अब बात करते हैं ट्रस्ट की या FDG अथवा बाज़ार एवं बैंक के टर्म एंड कंडीशन क्या है?
ये उस समय सार्वजनिक की जाएगी जब बाज़ार एवं बैंक की स्थापना हो जाएगी।

ध्यान रहे यदि आप सब कुछ करते है और एक काम आप नही करेंगे तो बाज़ार एवं बैंक आपके हालातों में बहुत ज्यादा सुधार नही ला पायेगा और न ही व्यवस्था परिवर्तन हो पायेगा। और न ही उन कानूनों को खत्म कर पायेगा जो किसी काम के नही है, जो अश्लीलताओ को बढ़ने में मदद प्रदान करते है वेश्यावृत्ति को बढ़ावा देते,बलात्कारियों के हौसले को बढाते है, जो संविधान को लचीला कहकर उसे नकारा घोषित करते है और वह है भी क्योकि लचीला न होता तो 3 करोड़ से ज्यादा केस आज पेंडिंग न पड़ा होता और इतने देर से न्याय मिलने की प्रक्रिया आज न होती। इसलिए संविधान के लचीलेपन एवं उसकी कमियो को बाज़ार एवं बैंक नही कर सकता। इसलिए

यदि आप बाज़ार एवं बैंक तथा पार्टी को अपना समर्थन नही देना चाहते है तो इस निर्णय के लिए आप स्वतंत्र है। परंतु बाज़ार एवं बैंक में रहते हुए यदि आप पार्टी को सपोर्ट नही करेंगे तो बाज़ार एवं बैंक आपकी सदस्यता रद्द कर सकता है।
बाज़ार एवं बैंक न सिर्फ आपकी आय को बढ़ाएगा, बल्कि आपके लिए रोजगार एवं व्याजमुक्त लोन तथा राजनीति के अवसर भी खोल देगा।

2024 में चयनित सभी योद्धाओं को सांसद बनाकर सदन में भेजा जाएगा,

इस प्रकार की रणनीति तैयार की गई है कि ट्रस्ट द्वारा भविष्य में खड़ी की जाने वाली पार्टी से 2024 का चुनाव लड़ने वाले हर योद्धा को कम से कम 4 से पांच लाख वोट अवश्य प्राप्त होंगे।

पार्टी टिकेट निशुल्क होगा। सारी सुविधाएं ट्रस्ट द्वारा संचालित राजनीतिक पार्टी बाज़ार, बैंक, मीडिया के माध्यम से अर्जित धन से अपने कैंडिडेट्स को उपलब्ध कराएगी।

      

ये लड़ाई बहुत कठिन होने वाली है, सांसद, विधायक को हराना इतना आसान नहीं है परंतु यह कठिन भी नही है। क्योंकि ट्रस्ट द्वारा तैयार चुनावी रणनीति बहुत ही व्यापक एवं प्रभावशाली है।

50 प्रतिशत सीटों पर महिला उम्मीदवारों को अवसर दिया जाएगा।

कैंडिडेट्स योग्यता – : भाषा – हिंदी, इंग्लिश व लोकल भाषा कंपल्सरी
उम्र – 25 + 60

स्वदेशी संकल्प क्रांति सेवा ट्रस्ट
भारत के प्रत्येक राज्य में अपने प्रवक्ता उतारने की तैयारी करने जा रही है। यदि आप प्रवक्ता की योग्यता रखते है सादर आमंत्रित है।

यदि आप कुछ नही कर सकते तो कम से कम 10, 20, 30, 50, या अपने सामर्थ्यनुसार प्रतिमाह सहयोग करने के लिए आगे आएं।
यदि इतना भी नही कर सकते तो राजीव वादी का टैग उतारकर फेक दीजिये।

बैंक डिटेल निम्न है।

बैंक – बैंक ऑफ इंडिया
IFSC Code -: BKID0006970
Acc No -: 697010510004420

Bhim Upi -: 9044086086@ybl

अनिल श्रीवास्तव

     

संस्थापक/अध्यक्ष/राष्ट्रीय प्रवक्ता
स्वदेशी संकल्प क्रांति सेवा ट्रस्ट
रजिस्ट्रेशन संख्या-: ४/१२/३६५-४२०/१३/२०२०

जय मातृभूमि

नोट-: व्याख्यान के लिए आवेदन 15 दिन या 1 माह पहले ही करें। आवेदन पूर्णतयः निशुल्क होगा।
प्रवक्ता के आने जाने का किराया आपको मैनेज करना होगा।

एक कदम हम बढाते है एक कदम तुम भी बढ़ाओ न

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