रियल लाइफ स्पाइडर मैन सेलें जीत के सबक0

रियल लाइफ स्पाइडर मैन सेलें जीत के सबक पूरी तैयारी रखें, मंजिल पर फोकस करें और हार ना मानें हमें अक्सर ऐसे लोगों की प्रेरक कहानियां सुनाई जाती हैं, जो शिक्षा, बिजनेस, खेलकूद या राजनीति के क्षेत्र में महान ऊंचाइयों को प्राप्त करते हैं। हमें बताया जाता है। कि उनकी सफलता का अनुकरण करना चाहिए और जिस ऊंचाई तक वे पहुंचे हैं, वहां तक पहुंचने की चाहरखनी चाहिए।

60 की उम्र में 48 मंजिला बिल्डिंग पर बिना सहारे चढ़ गया ‘स्पाइडरमैन’, कई बार हो चुका है गिरफ्तार

ऊंचाइयां !

क्या होगा अगर मैं आपसे कहूं कि आप किसी ऐसे व्यक्ति का अनुकरण कर सकते हैं, जो हर दिन वास्तव में ऊंचाइयों पर पहुंचता है। स्पाइडरमैन की तरह बिल्डिंग्स पर कौन चढ़ता है? यह जानना रोमांचक होगा ना।

मानव स्पाइडरमैन एलन रॉबर्ट्स की अद्भुत कहानी

एलन रॉबर्ट्स (Alain Roberts) का जन्म 1962 में फ्रांस में हुआ था और वह 5 फीट 5 इंच लंबे हैं। उनकी प्रसिद्धि की वजह ‘फ्री सोलो क्लाइम्बिंग’ है। वह इसे सालों से कर रहे हैं और लंबी आसमान छूती इमारतों पर चढ़ रहे हैं।

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फ्रांस का एक आदमी है, जिसे इमारतों पर चढ़ना बहुत पसंद है। मेरा मतलब वास्तव में स्पाइडरमैन की तरह चढ़ना है, बिना रस्सियों, हुकों, सुरक्षा जालों या किसी और सहारे के ।

बिना परमिशन के करते हैं चढ़ाई

इस तरह की चढ़ाई कठिन और खतरनाक होती है, इसलिए पुलिस आमतौर पर इसकी अनुमति नहीं देती है। इस वजह से एलन सुबह-सुबह बिल्डिंग में पहुंच जाते हैं और बिना किसी को बताए चढ़ना शुरू कर देते हैं। सूचना मिलने पर पुलिस छत पर पहुंच जाती है और उनके ऊपर आने का इंतजार करती है जिससे उन्हें गिरफ्तार किया जा सके। ऐसा कई बार हो चुका है। उनकी चढ़ाई देखने के लिए हजारों लोग आते हैं।

प्रतिष्ठित इमारतों पर चढ़ गए

रॉबर्ट्स बुर्ज खलीफा, एफिल टावर, सिडनी ओपेरा हाउस और कई अन्य इमारतों पर चढ़ चुके हैं। सितंबर 2022 में 60 साल के होने पर वे पेरिस के पास, फ्रांस की सबसे ऊंची इमारतों में से एक पर चढ़ गए थे!

एलन रॉबर्ट्स की यात्रा से चार बड़े सबक

1) मौत के सामने धैर्य आम तौर पर अधिकांश प्रेरक कहानियों में जीवन या मृत्यु का कोई डर नहीं होता है। एक व्यक्ति सफल स्टार्टअप बनाने में सफल हो सकता है या विफल हो सकता है, लेकिन मरेगा नहीं। लेकिन यहां, एलन रॉबर्ट्स एक छोटी से गलती से भी मर सकते हैं।

तो वह मरने से बचते कैसे हैं? इसका उत्तर है फोकस – वे अपने मन को पूरी तरह से काम पर केंद्रित रखते हैं, और बस चढ़ते हैं, चढ़ते हैं, चढ़ते हैं। तो डिस्ट्रैक्शन को कम करें, और परिणामों की चिंता किए बिना वास्तविक कार्य पर ध्यान केंद्रित करें। हम एलन के लंबे और सुरक्षित जीवन की कामना करते हैं।

सीख – फोकस ही कुंजी है।

एलन रॉबर्ट की चढ़ाई को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा हो जाते हैं।

2) कभी हार न मानें

कई बार मामूली चढ़ाई और प्रैक्टिस सेशन में वे वास्तव में गिर गए। इससे उनकी हड्डियां टूट गईं या कुछ दिनों के लिए कोमा में चले गए। हर बार, वह ठीक हो गए, और अगली बड़ी चढ़ाई के लिए आगे बढ़ गए। यह ‘बाउंस बैक’ की शक्ति है। कभी हार न मानने की क्षमता यही है।

सीख – असफलताओं को आने दें और उनसे सीख कर आगे बढ़ते रहें ।

3) खुद को मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बनाएं

जब वह ऊंची गगनचुंबी इमारतों पर चढ़ते हैं, तो उन्हें ऊंचाई और तेज हवाओं का एक साथ डर लगता है। लेकिन वे अपने शरीर और दिमाग को दोनों का सामना करने के लिए तैयार करते हैं। इसके लिए भारी अभ्यास की जरूरत होती है। प्रत्येक चढ़ाई से पहले, वह बहुत अभ्यास करते हैं और खुद को मानसिक रूप से मजबूत बनाते हैं। फिर डी-डे पर, वे बस आगे बढ़ते हैं और लक्ष्य पर चढ़ जाते हैं।

फ्री सोलो क्लाइंबिंग क्या है?

यह तकनीकी रॉक क्लाइंबिंग का एक रूप है, जहां पर्वतारोही (फ्री सोलो क्लाइंबर) बिना रस्सियों या किसी सुरक्षात्मक उपकरण के अकेले चढ़ाई करते हैं। वे केवल चढ़ाई वाले जूते और चाक का उपयोग करते हैं। यह चढ़ाई का सबसे खतरनाक रूप है। फ्री सोलो क्लाइंबर ऊंचाइयों पर चढ़ते हैं, जहां से गिरना खतरनाक हो सकता है। एलन रॉबर्ट्स यही करते हैं।

विशेष तकनीक का इस्तेमाल कर वे दीवारों और खिड़कियों के छोटे कोनों के सहारे चढ़ते हैं। कई बार तो उन्हें कई घंटों तक आराम करने का मौका नहीं मिलता।

सीख – अच्छी तैयारी करें, स्टैमिना बनाएं, फिर उसका मुकाबला करें। .

4) अनोखी खोज

जहां कई पर्वतारोही अद्भुत चढ़ाई करते हैं, वहीं एलन रॉबर्ट्स का यह पैटर्न अभूतपूर्व है। उन्होंने अपने लिए एक अनूठी जगह चुनी है और वे लगातार अपनी लिमिट आगे बढ़ा रहे हैं। 60 साल की उम्र में भी वह हार नहीं मान रहे हैं।

सीख – अपना विशिष्ट स्थान खोजें ।

तो हम एलन रॉबर्ट्स की अविश्वसनीय कहानी से जो सीखते हैं, वह है साहस, विजन और दृढ़ता की विशाल शक्ति। वह उन सभी लोगों के लिए निरंतर प्रेरणा का स्रोत हो सकते हैं, जो अक्सर छोटी-मोटी असफलताओं से परेशान रहते हैं।

आज का संडे मोटिवेशन करिअर फंडा यह है कि जुनून की शक्ति सचमुच आपको पहाड़ों पर चढ़ने में मदद कर सकती है!

कर के दिखाएंगे!

Swami Vivekananda’s teaching inspires youth to work for nation-building – Nikhil Yadav 

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माटीकला से जुड़े 3 शिल्पकार को किया गया सम्मानित

माटीकला से जुड़े शिल्पकारों के उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए शुक्रवार 24 मार्च को सम्मानित किया गया। इसमें पहला पुरस्कार जिले के हस्त शिल्पकार सतीश चंद्र को , दिया गया। दूसरा पुरस्कार सिद्धार्थनगर के अवधेश कुमार को जबकि तीसरा पुरस्कार संत कबीर नगर के राजेंद्र कुमार को दिया गया।

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