यूक्रेन हमले में कितनी कीमत चुकाएगा रूस :-

206

रूस की सेना इस वक्त जिस अनुपात में यूक्रेन पर हावी होती जा रही है, उसी हिसाब से रूस पर प्रतिबंध भी बढ़ते जा रहे हैं। खेल के मैदान से लेकर एयरस्पेस तक, SWIFT से बाहर करने से लेकर अरबपतियों की संपत्ति जब्त करने तक रूस पर प्रतिबंधों के जरिए दबाव बनाने की कोशिशें जारी है।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 2 मार्च को अमेरिकी संसद में ‘स्टेट ऑफ द यूनियन’ स्पीच दी। अपनी स्पीच में बाइडेन ने कहा- पुतिन को अंदाजा भी नहीं है कि इन प्रतिबंधों से रूस को कितना नुकसान होगा। पुतिन को युद्ध के मैदान में बढ़त मिल रही है, लेकिन उन्हें लंबे समय तक इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।

इस हमले से अगर देखा जाए यूक्रेन से ज्यादा नुकसान है उसका हो रहा है रूस को जितना व्यापारिक घाटा हुआ है उतना तो यूक्रेन की जीडीपी भी नहीं है।

रूसी आर्कटिक के White sea में बर्फ क्यों चमक रही है?

रूस-यूक्रेन युद्ध

रूस पर 3 तरह से लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध :-

1. सरकारी बैंकों के वित्तीय लेन-देन पर रोक।

2. इंपोर्ट-एक्सपोर्ट और प्राइवेट कंपनियों के बिजनेस पर रोक।

3. रूस को SWIFT से बाहर करना।

1.सरकारी बैंकों के वित्तीय लेन-देन पर रोक :-

आइए सरकारी बैंकों की वित्तीय लेनदेन को इस कांटेक्ट के माध्यम से समझते हैं और इस कांटेक्ट में दी गई जानकारी को पूरा पढ़िएगा।

• सरकारी और प्राइवेट बैंकों पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध से रूसको कितना नुकसान हुआ है। इसे इस बात से समझ सकते हैं कि यूनाइटेड किंगडम में रूस के VIB बैंक के करीब 10.97 लाख करोड़ रुपए सरकार ने जब्त कर लिए है।

यूनाइटेड किंगडम के द्वारा रूस का पैसा जब्त कर लिया है। आइए एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं। जैसे भारत के अंदर किसी अन्य देशों की बैंक खुली हुई है भारत में बैंक खोलने से मतलब यह हुआ कि भारत में ही वह अन्य देश अपना धन भारत में ही रखा होगा।

अगर आप उस पूरी की पूरी बहन को ही जब कर लेते हैं तो उस बैंक का धन भी आपका हो गया इस प्रकार से यूनाइटेड किंगडम ने रूस के VTB बैंक के करीब 10.97 लाख करोड रुपए सरकार ने जब्त कर लिए हैं।

• UK की तरह ही अमेरिकी ने भी रूस की टॉप फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट नोवीकॉम, सोवोकॉम,ओटीक्रिटी के 6.05 लाख करोड़ रुपए जब्त कर लिए ही कुल देशों में बड़े पैमाने पर रूसी बैंकों के वित्तीय लेनदेन पर रोक लगाई गई है। वहीं, यूरोपीय देशों में रूस के आये दर्जन से ज्यादा बैंको और दूसरी संस्थाओं की संपत्ति जब्त की गई है।

इसे भी पढ़ें :- ग्लोबल वार्मिंग के क्या कारण है?

रूस यूक्रेन युद्ध

• अब तक बैंकों और बिजनेस पर लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से रूसी रूबल 30% तक टूट चुका है। सिर्फ शॉर्ट टर्म में ही नहीं बल्कि लॉन्ग टर्म में भी इससे रूस की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ने वाला है।यानी कि हम अगर इनकी पर्सनल रूपी की बात करें तो जोकि रूस की करेंसी ‘रूबल’ है।

उसको भी बहुत बड़ा नुकसान हुआ है।हम अगर बात करें तो यूरोपियन देशों से इस के व्यापार को रोकने भर से 24 लाख करोड़ व्यापारिक घाटा हुआ है। 2021 में रूस का यूरोपीय देशों से जो व्यापार था वह 21.40 लाख करोड़ का व्यापार था।

रूस का दुनिया भर में जितना बिजनेस है उसका 35.7% व्यापार यूरोपीय देशों से है। जो कि अब घटकर के कम रहने वाला है। 2021 में अमेरिका से भी रूस का 2.61 लाख करोड़ रुपए का व्यापार रहा है इस प्रकार से अंदाजा लगा सकते हैं कि रोज के व्यापारिक प्रतिबंध से कितना नुकसान पहुंचा रहा है।

2. इंपोर्ट-एक्सपोर्ट और प्राइवेट कंपनियों के बिजनेस पर रोक :-

• रूस और यूरोपीय देशों के बीच 2021 वित्त वर्ष में 21.40 लाख करोड़ रुपए का कुल ट्रेड या व्यापार था यह रूस के कुल ट्रेड का 35.7% अमेरिका से रूस का साल 2021 मे 2.61 लाख करोड़ रुपए ट्रेड रहा है। अमेरिका और यूरोपीय देशों के ट्रेड को मिला देतो रूस से कुल 24 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का सताना ट्रेड होता है।

• वहीं, यूक्रेन की GDP का 11.77 लाख करोड़ रुपए का है। मतलब इस जंग से रूस को जितना ट्रेड घाटा होने वाला है वह यूक्रेन की कुल GDP से ज्यादा है। हालांकि, इसका असर यूरोपीय देशो पर भी पड़ना तय है।

• ऐसे में साफ है कि यूरोपीय देशों और अमेरिका के लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से रूस का करीब 40% वैश्विक व्यापार प्रभावित होगा।

भारत के गिनीज बुक ऑफ़ विश्व रिकॉर्ड : पूरा पढ़िए

3. रूस को SWIFT से बाहर करना :-

• SWIFT यानी(Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunication) यह दुनिया के 200 देशों का एक ऐसा नेटवर्क है, जो करीब 198 से ज्यादा बैंकों के ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को ऑपरेट करता है।

• SWIFT से अलग किए जाने के बाद अब रूसी सेंट्रल बैंक और अन्य प्रतिबंधित बैंक किसी तरह से वित्तीय लेनटेन दूसरे देश के बैंकों से नहीं कर पाएंगे। ऐसे में अब रूस के बिजनेसमैन, सरकारी या प्राइवेट कंपनी या फिर रूसी लोगों को दूसरे देश में सामान खरीदने के बाद बिल पे करने में दिक्कत आएगी। इसका सीधा असर रूस के एक्सपोर्ट-इंपोर्ट पर पड़ेगा।

इस प्रकार से देखा जाए तो यह समझना आसान हो गया है कि यहां पर जो व्यापारिक नुकसान और उसको हुआ है वह अपने आप में यूक्रेन की जीडीपी से काफी ज्यादा है।

पुतिन समेत रूस के 195 लोगों पर लगा कड़ा प्रतिबंध :-

रूस में रहने वाले 195 लोगों के खिलाफ यूनाइटेड किंगडम के द्वारा प्रतिबंध लगाए हैं इनमें से तो यूनाइटेड किंगडम ने 9 लोगों की संपत्ति को भी जब्त कर लिया है वहीं, अमेरिका ने भी पुतिन और उसके परिवार के 6 लोगों को प्रतिबंधित किया है। यूरोपियन यूनियन के देशों ने भी रूस के 26 लोगों पर प्रतिबंध लगा दिए है। अमेरिका ने पुतिन की संपत्ति जब्त करने की बात कही गई है।

ऐसे में मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि पुतिन के नाम पर विदेश में कम संपत्ति है। ज्यादातर संपत्ति उनके संबंधियों या उनसे जुड़े लोगों के नाम पर है। ऐसे में सवाल उठता है कि अमेरिका और यूरोपीय देश पुरिन की संपत्ति कैसे जब्त करेंगे? इस सवाल का जवाब ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिमेटिव अर्नलिज्म की रिपोर्ट में मिलता है।

समान नागरिक संहिता क्या होता है?

रूस पर खेल मनोरंजन और टेक्नोलॉजी पर लगाया गया प्रतिबंध :-

युद्ध के बाद सिर्फ आर्थिक और व्यक्तिगत स्तर पर ही रूस पर प्रतिबंध नहीं लगा है बल्कि खेल और कला के क्षेत्र में दुनिया से बड़े हिस्से से अलग हो गया है। रूस पर कुछ इस तरह से असर पड़ने वाला है।

फुटबॉल खेल में रूस दुनिया भर में 35वीं रैंक पर है। 24 फरवरी के बाद इंटरनेशनल फुटबॉल संस्था FIFA और यूरोपियन फुटबॉल एसोसिएशन (UEFA) ने रूस को बैन कर दिया है। रूस को फॉर्मूला वन रेस के आयोजकों ने करारा झटका दिया है।

यूक्रेन पर हमला करने की वजह से रूस में अब इस कार्यक्रम का आयोजन नहीं होगा क्योंकि यूनाइटेड किंगडम मोटर स्पोर्ट इवेंट में हिस्सा लेने से रूसी टीम को रोक दिया गया है।

रूस पर 38 देशों ने अपने ऊपर से अपने एयर स्पेस पर लगाए प्रतिबंध :-

रूस को 38 देशों ने अपने ऊपर से अपना एयर स्पेस प्रयोग करने से मना कर दिया है। अर्थात रूस के जो एयर स्पेस है वह 38 देशों के ऊपर से नहीं उड़ पाएंगे।

यूरोपियन यूनियन के देशों के अलावा अल्बानिया, आईसलैंड, मोलडोवा, नार्वे, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, नॉर्थ मेसिडोनिया व स्वीटजरलैंड ने रूसी फ्लाइट्स पर बैन लगा दिया है। यहां के ऊपर से रूस की फ्लाइट नहीं हो पाएगी।

रूस से 38 देशों ने हवाई संपर्क तोड़ा :-

जंग शुरू होने के बाद अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय यूनियन समेत दुनिया के 38 देशों ने अपने एयर स्पेस में रूस की फ्लैट्स पर बैन लगा दिया। इसके जवाब में रूस ने 36 देशों से हवाई संपर्क तोड़ने का ऐलान किया।

2021 में दुनिया की कुल एलरलाइन में रूस का हिस्सा 6%ऐसे में रूसी फ्लाइट पर रोक का सीधा असर रूस के उड्डयन विभाग और वहां की विमानन कंपनियों पर पड़ना तय है।

इसके साथ ही रूस एयरलाइन के बेड़े में सबसे ज्यादा बोइंग के 332 और एयरबस के 304 विमान हो इन दोनों कंपनियों ने रूसको विमानों के पार्ट्स भेजना बंद कर दिया इससे रूस के लिए एयरलाइन ऑपरेट करना मुश्किल होगा हालांकि, जंग समाप्त होने के कुछ समय बाद वे पाबंटी कुछ देशों से सकती है, लेकिन तब तक रूस को लाखों करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका होगा।

इससे क्या होगा नुकसान :-

अब जो फ्लाइट रसिया में होगी इन्हें जाने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना पड़ेगा यानी कि इन्हीं लंबे रास्ते से होकर गुजरना पड़ेगा। तब जाकर यह अपने हवाई क्षेत्र को कवर कर पाएंगे। इनका जो ट्रैक टाइम है वह भी बढ़ जाएगा। जिससे कि हवाई जहाज में बैठे यात्रियों का किराया भी बढ़ जाएगा और अगर किराया बढ़ जाएगा तो यात्रा में आने जाने वाले समय वह भी बढ़ जाएगा।

जिससे कि जो भी रूस से बाहर निकल कर लोग काम करने इधर-उधर अर्थात दूसरे देशों में आते जाते हैं उनका काम भी इससे प्रभावित होगा। इस प्रकार से रूस का हवाई संपर्क टूटने से बहुत ज्यादा नुकसान होना तय है।

वहीं पर हम अगर स्टैटिका का आंकड़ा आपसे शेयर करें तो रसिया को अभी कितना नुकसान हुआ है तो इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि रूस की ट्रक स्कोर 9166 लोग 4 मार्च तक अपनी जान गवा चुके हैं उसी प्रकार अन्य इक्विपमेंट में रूस का युद्ध के अंदर सीधा सीधा नुकसान काफी बड़ा हो चुका है।

रूस का क्रीमिया पर अटैक :-

इससे पहले भी रूस ने क्रीमिया पर अटैक किया था तो इसकी वजह से रूस को व्यापारिक प्रतिबंधों का असर काफी ज्यादा पड़ा था। जब प्रीमियर पर रोशनी अटैक किया था तो उस समय यूरोपीय देशों से रूस का व्यापार था वह बहुत ज्यादा घट गया था वह घटकर के 14% हो गया था।इसका मतलब क्रीमिया पर हमला करने के बाद भी रूस को काफी नुकसान उठाना पड़ा था।

मतलब जब यूरोपीय यूनियन से व्यापार होता था तो 7 गुना घटकर के नीचे रह गया था अर्थात जब-जब प्रतिबंध किसी देश पर लगते हैं तो निश्चित उसका बुरा असर होता है।

2014 में प्रतिबंधों से रूस की इकोनॉमिक पर पड़ा था बुरा असर :-

रूस ने जब 2014 में क्रीमिया पर कब्जा किया था, तब भी यूरोपीय देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए थे। इसकी वजह से रूस की अर्थव्यवस्था पर काफी ज्यादा असर पड़ा था।

2014 के प्रतिबंधों से पहले, रूस और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार या ट्रेड रूस की GDP का 22% और यूरोपीय संघ के GDP का 3% था।प्रतिबंध का असर यूरोपीय यूनियन से ज्यादा रूस की इकोनॉमी पर पड़ा था। दोनों ओर से होने वाला ट्रेड घटकर रूस की GDP का महज 14% रह गया था। हालांकि, 2014 में यूरोपीय संघ ने समझदारी के साथ इस तरह से प्रतिबंध लगाए थे कि इससे उनके देशों के निर्यात यानी एक्सपोर्ट पर ज्यादा असर न पड़े।

इस बार स्थिति बिल्कुल अलग है। पूरी तरह से प्रतिबंध लगाए जाने पर यूरोपीय यूनियन की अर्थव्यवस्था पर असर तो पड़ेगा ही, लेकिन रूस की इकोनॉमी पर 2014 से ज्यादा असर पड़ना तय है।

अगर आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो इसे अन्य सोशल मीडिया पर शेयर कीजिए और कमेंट में बताएं कि आपको यह जानकारी कैसी लगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here