
पूरी दुनिया में एक जैसे ही आदमी पाए जाते है। कुछ स्वार्थी, कुछ अच्छे, कुछ कपटी, कुछ ईमानदार। जहाँ क़ानून व्यवस्था अच्छी होती है और नियम / क़ानून तोड़ने पर जल्दी दंड मिलता है वहां अपराधियों में भय समा जाता है और अपराध की दर गिरती है। किन्तु जिस देश में निकम्मे शासक होते है वे व्यवस्था नही सुधारते और अपराधो / अव्यवस्था आदि का दोष जनता के सिर पर डाल देते है। मीडिया इस तरह का माहौल बनाने में मुख्य भूमिका निभाता है।
उदारहण के लिए आप दुबई को लीजिये। वहां पर 60% भारतीय नागरिक निवास करते है। और इनमे से ज्यादातर निचले तबके से आते है। किन्तु ये भारतीय वहां पर बिलकुल भी गंदगी नहीं फैलाते। क्योंकि सिगरेट का टोंटा या सुपारी का रैपर भी सडक पर फेंकने पर 4000 रूपये का जुर्माना देना होता है। और ये देना ही होता है। क्योंकि दुबई प्रशासन ने इस पर चाक चौबंद नजर रखी हुयी है। किन्तु जैसे ही ये भारतीय भारत में लेंड करते है वैसे ही ये सडको पर थूकने और खुले में पेशाब करने लगते है। तो लोग सब जगह एक जैसे है। व्यवस्थाओ का फर्क है। किन्तु वयवस्था की बात करने से शासक की मिट्टी पलीद हो जाती है। तो वे मीडिया को भुगतान करते है कि वे इस आशय का प्रचार करे कि भारत इसीलिए गंदा है क्योंकि भारत के लोग गंदे / जाहिल है और सुअरों की तरह गंदगी फैलाने से इन्हें विशेष प्रेम है। इस तरह की धारणा बनने से शासक वर्ग को क्लीन चिट मिल जाती है।

दूसरा पहलु यह है कि इस तरह के प्रचार से पाश्चात्य विकसित देशो के नागरिको का मनोरंजन होता है। अत: वे इस तरह की थ्योरी को प्रमोट करते है।
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आप खुद सोचिये कि जिनके घरो में शौचालय होता है उनमे से कितने प्रतिशन लोग फिर भी खुले में शौच जाते है ?
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तो अक्षय कुमार हो या मोदी साहेब हो या राहुल गाँधी हो केजरीवाल या फिर कोई मिडिया कर्मी हो। वे इस बात को कभी रेखांकित नहीं करते है भारत के 30 करोड़ लोगो के पास रहने को पक्का घर ही नहीं है और यही वजह है कि वे खुले में शौच जाते है। और साथ ही ये सभी लोग उन सभी कानूनों का भी विरोध करते है जिससे भारत में सेनिटेशन में सुधार आये।
समाधान – Tinyurl.com/Jurycourt
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