श्रीलंका ने 51 अरब डालर के कर्ज चुकाने से किया इंकार :-

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श्रीलंका ने 51 अरब डॉलर की कर्ज चुकाने से किया इनकार

श्रीलंका में आर्थिक संकट :-

भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका ने आखिर विदेशी कर्ज के भुगतान में फिलहाल असमर्थता जता ही दी। श्रीलंका की सरकार ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से बेलआउट के तहत मिले 51 अरब डालर के कर्ज का वह भुगतान नहीं कर पाएगी। मंत्रालय ने घोषणा की है कि द्वीपीय राष्ट्र को कर्ज देने वाली संस्थाएं व विदेशी सरकारें मंगलवार दोपहर से लंबित व्याज को पूंजी में तब्दील कर सकती हैं अथवा श्रीलंकाई रुपये के रूप में भुगतान वापसी का विकल्प चुन सकती हैं।

यह नीति (Central bank of srilanka) व दूसरे देशों के Central bank के बीच आदान-प्रदान की छोड़कर सभी अंतरराष्ट्रीय वांड, द्विपक्षीय कर्ज तथा संस्थानों व वाणिज्यिक बैंकों से लिए गए ऋण पर लागू होगी। सेंट्रल बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर overline sec-40 , विजयवर्धना ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार खाली होने के कारण सरकार के पास कोई विकल्प नहीं बचा था।

इस बीच, श्रीलंका ने पाकिस्तान की तरफ से गत वर्ष प्रस्तावित आर्थिक मदद की निर्गत करने में तेजी लाने की अपील की है। इनमें खेल गतिविधियों के लिए 5.2 करोड़ पाकिस्तानी रुपये, रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए एक करोड़ डालर का कर्ज, पांच करोड़ डालर की एक अन्य रक्षा कर्ज सुविधा तथा आपसी सहमति की सामग्री की खरीद के लिए 20 overline 4.46 डालर का कर्ज शामिल है।

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श्रीलंका ने विदेशी कर्ज के भुगतान से इनकार :-

श्रीलंका ने विदेशी कर्ज के भुगतान से इनकार किया है। यानी उसने एक तरह से खुद को डिफॉल्टर घोषित कर दिया है। हालांकि आधिकारिक तौर पर श्रीलंका अभी डिफॉल्टर घोषित नहीं हुआ है। कोई देश डिफॉल्टर है या नहीं इसकी घोषणा क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां (Credit Rating agencies) करती हैं। जानकारों का कहना है कि डिफॉल्टर होने का मतलब है यह है कि आप निर्धारित तिथि तक कर्ज नहीं चुका पाए। यह एक तरह से दिवालिया होने की शुरुआत है। कई बार ऐसा होता है कि देशों के पास इसके अलावा कोई रास्ता नहीं बचता।

चीन के जाल से श्रीलंका बेहाल

श्रीलंका ने अंतिम उपाय के तौर पर यह फैसला किया है। कि श्रीलंका में विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका है और देश 70 साल में सबसे बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा है। IMF का कहना है कि श्रीलंका की स्थिति गंभीर है। अनुमानों के मुताबिक देश पर करीब 35 अरब डॉलर का कर्ज है और इसमें से सात अरब डॉलर का भुगतान जल्दी किया जाना है। मंगलवार को ही देश सेंट्रल बैंक के गवर्नर पी. नंदलाल वीरसिंघे ने कहा कि हमें जरूरी चीजों के आयात पर फोकस करने की जरूरत है और विदेशी कर्ज को लेकर ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए।

मूडीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी के अंत तक श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 2 अरब डॉलर था जो दो महीने के आयात के खर्च से भी कम है। विदेशी मुद्रा भंडार के कम होने से सरकार ने आयात पर पाबंदी लगा दी थी। इससे देश में फ्यूल, मिल्क पाउडर जैसी जरूरी चीजों की कमी हो गई और लोग सड़कों पर आ गए। महंगाई दिन पर दिन दोहरे अंकों में पहुंच गई है। रूस-यूक्रेन लड़ाई से सप्लाई चेन प्रभावित हुई है जिससे पर्यटन पर निर्भर देश की इकॉनमी की हालत और खराब हो गई। कोरोना महामारी ने पहले ही श्रीलंका के टूरिज्म सेक्टर की कमर तोड़ दी थी।

देश में ऑर्गेनिक खेती (जैविक खेती) के प्रयोग ने फार्म सेक्टर को बुरी तरह प्रभावित किया और देश में खाद्यान्न की भारी कमी हो गई। 2.2 करोड़ की आबादी वाले इस देश में जरूरी चीजों के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं और लोगों के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई है। इसीलिए श्रीलंका के नाम प्रदर्शन करने तथा विरोध करने सड़कों पर उतर आए।

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किसी देश का डिफॉल्ट होना क्या होता है?

इससे सभी Outstanding Series of Bonds प्रभावित होंगे। इनमें Global Capital Market में जारी किए गए bonds, government to government credit, commercial and institutional lenders का साथ हुए फॉरेन करेंसी डिनॉमिनेटेड लोन एग्रीमेंट शामिल है। साथ ही सरकार और सरकारी संस्थाओं द्वाया किया जाने वाला भुगतान भी प्रभावित होगा। किसी देश के डिफॉल्ट करने पर उसे and market से पैसा उठाने से रोका जा सकता है।

महंगाई का हाल

खासतौर से तब तक के लिए जब तक कि डिफॉल्ट का समाधान नहीं हो जाता और निवेशकों को भरोसा नहीं हो जाता कि सरकार भुगतान करना चाहती है और उसके पास क्षमता भी है। बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड के एक सॉवरेन डेट डेटाबेस के मुताबिक 1960 के बाद से 147 सरकारों ने कर्ज के भुगतान में डिफॉल्ट किया है।

कोविड-19 महामारी ने कई देशों को आर्थिक संकट में डाल दिया है। अर्जेंटीना, इक्वाडोर, लेबनॉन और जाम्बिया ने हाल में अपने डेट को रिस्ट्रक्चर करने की कोशिश की है।

watch video :- https://youtu.be/uLLenf1QhCI

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आर्थिक स्थिति अच्छी, तो चिंता की बात नहीं : नेपाल :-

नेपाल के वित्त मंत्री जनांदन शर्मा ने देश की आर्थिक स्थिति की बदहाली के विपक्ष के दावों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा, हिमालयी राज्य की आर्थिक स्थिति सकारात्मक है और इसे लेकर चिंता की बात नहीं है।

इसी क्रम में सोमवार को नेपाल के विपक्षी दल कम्यूनिस्ट पार्टी आफ नेपाल (Communist Party of Nepal,CPN-UML) के पूर्व वित मंत्रियों विष्णु पुडेल और डा. युवाराज खतिवाड़ा ने नेपाल की आर्थिक स्थिति को सूत्रों में समझाते हुए कहा था कि नेपाल गंभीर आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा है। उनका कहना यह था कि सकारात्मक कदम उठाकर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जाना चाहिए।

चीन ने दिया मदद का भरोसा :-

भुगतान का समय और कर्ज की राशि 2.5 अरब डालर से बढ़ाने की श्रीलंका की मांग पर चुप्पी साधने वाले चीन ने कहा है कि वह द्वीपीय राष्ट्र की मदद का हरसंभव प्रयास कर रहा है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा, ‘दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद से हम एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि चीन, श्रीलंका को किस तरह मदद करने का प्रयास कर रहा है। पर चीन का कोई भरोसा नहीं है। उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता है।

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विरोध प्रदर्शनों के बीच गोटावाया के खेमे में लोटे दो असंतुष्ट सांसद :-

देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बीच दो असंतुष्ट सांसदों की गोटावाया सरकार में वापसी ने राजपक्षे परिवार को बड़ी राहत दी है। इनमें पूर्व राष्ट्रपति मंत्रिपाल सिरिसेन की श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (SLFP) के शाता बडारा शामिल हैं, जिन्होंने कुछ दिनों पहले सरकार पर कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था। वह राज्यमंत्री बने है। उधर, (SLFP) उपाध्यक्ष रोहन प्रियदासा ने बडारा के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को छोड़कर श्रीलंका की पूरी कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद सतारूढ़ गठबंधन के 42 सांसदों ने सरकार का साथ छोड़ दिया था। विपक्ष ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का भी ऐलान किया।

भारत ने दी 11,000 टन चावल की सौगात :-

भारत समय श्रीलंका की हर संभव मदद कर रहा है। चेन ग्लोरी वन जहाज मंगलवार को 11.000 टन चावल लेकर कोलंबो बंदरगाह पर पहुंचा। भारत ने पड़ोसी देश को पिछले सप्ताह भी 16 हजार टन चावल भेजा था। खाने-पीने की चीजों के लिए संघर्षरत श्रीलंकावासियों को भारत ने नव वर्ष से पहले बड़ी सौगात दी है। भारत की R5 Rightarrow: गई 11,000 टन चावल की खेप मंगलवार को कोलंबो पहुंच गई।

श्रीलंका में सिहल व तमिल नव वर्ष 13 व 14 अप्रैल को मनाया जाएगा। श्रीलंका स्थित भारतीय उच्चायोग ने कहा, पिछले एक हफ्ते में श्रीलंका को 16,000 टन चावल की आपूर्ति की गई। इन दिनों श्रीलंका में खाने-पीने की चीजों के दाम सातवे आसमान पर है। पेट्रोल व बिजली संकट ने भी लोगों को परेशान कर दिया है।

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