किसान हमेशा विपक्ष का बोल कर किसानों को खत्म किया जाता है…
किसान अगर कॉंग्रेस शासन काल में विरोध करें तो किसान भाज्पाई हो जाता है
और भाजपा के शासनकाल में विरोध करें तो किसान को देशद्रोही आतंकवादी का तमगा मील जाता है..
आखिर ये लोग जो अपने घरों और दुकानों और ऑफिस में बैठकर किसान को गालिया दे रहे हैं
क्या एक कीलों अनाज उगाकर देखा है इन लोगो ने कभी..
ज़रा एक बोरी गेहूँ चावल दाल उगा कर उसे बाजार में बेच कर बताओ कितना मुनाफ़ा होता है??
कितनी मेहनत और लागत लगती है…?
जो तकलीफ होती हैं उसको तुम सहन भी नही कर सकते
असल में किसान अन्ग्रेजो की बनाई उस नीति के खीलाफ है जो किसानों का शोषण और जमीन को बंजर बना रही है… अन्ग्रेजो की उन्ही काली योजनाओं को आज कॉंग्रेस BJP सभी आगे बढ़ा रहे हैं
इसलिए किसान की लड़ाई को सिरफ किसान की लड़ाई ना समझे ये. किसी सरकार के खीलाफ नही बल्कि देश के हित में है… किसानों को खत्म किया गया तो खेती और खेत खत्म… वैसे भी रासायनिक खाद और पेस्टीसाइड से ज़मीन की उपजाऊ क्षमता खत्म हो ही रही है लोगो को कैंसर जैसी बीमारिया हो रही है..
तो विदेशों से अनाज मँगवाना भिखारी बन जाना.. विदेशी कोर्पोरेट के आगे…
इसलिए किसानों के साथ पूरे देश के किसान है बल्कि
हर आम खास.. जनता को इस विरोध में किसानों का सहयोग करना चाहिए..
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कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का कानून यह कहता है कि किसान की जमीन को किसी भी एग्रीमेंट द्वारा ली नहीं जा सकती। पर उसी कानून का सेक्शन 14 का सबसे सबसेक्शन 7 कहता है कि एसडीएम द्वारा दिए गए किसी भी निर्णय में अगर कोई भी राशि किसान को भरनी है तो वह भूमि के राजस्व के रूप में वसूला जा सकता है।
भूमि बेचकर राजस्व वसूलने की एक प्रक्रिया मैंने पढ़ी है जिसका लिंक में यहां दे रहा हूं इसके अलावा सिविल प्रोसीजर कोड 1908 मैं भी कुछ हो सकता है ( जो मैंने नहीं पढ़ा है )।
पर एक लिंक और है जो कई ऐसे कई जजमेंट देता है जिससे भूमि को बेचकर तेजी से राजस्व की वसूली को सही ठहराया गया है।
तो यह निश्चित है कि सरकार कांट्रैक्ट फार्मिंग के कोंटेक्ट के माध्यम से नहीं पर एसडीएम द्वारा दिए गए या कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय जोकि सिविल प्रोसीजर कोड 1908 के समान ताकत रखेगा के द्वारा राजस्व वसूलने के नाम पर किसानों की जमीन को ले सकती है।
कुछ ऐसे कोर्ट जजमेंट जिसमें राजस्व के नाम पर जमीन को बेचना सही ठहराया गया है।
1890 का रिवेन्यू रिकवरी एक्ट
https://indiankanoon.org/doc/201374/
यह नई जानकारी मुझे मिली है जो कि मैं पुरानी से बदल रहा हूं तो कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का पूरा विरोध तब तक किया जाना चाहिए जब तक राइट टू रिकॉल पार्टी के दूसरे सुझाव को माना नहीं जाता। हाल फिलहाल जिस तरह सेना का उपयोग करने की बात सरकार कर रही है तीनों कानूनों का विरोध करता हूं। कोई और जानकारी पर पोस्ट में डालूंगा।
Copied from Amit Upadhyay
जय हिंद
जय जवान
जय किसान..
🙏🙏🙏
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