जज ने लिखा- पीड़िता ने पहले गला दबाने की बात कही, 8वें दिन गैंगरेप; ऐसा लगता है बयान\s\sसिखाकर दिलवाया हाथरस कांड में कोर्ट ने तीन आरोपियों को बरी कर दिया है। एक आरोपी संदीप को गैर इरादतन हत्या का दोषी माना गया है, जिसे आजीवन करावास की सजा सुनाई गई है। घटना के 900 दिन बाद आए इस फैसले में पीड़िता के साथ गैंगरेप की पुष्टि नहीं हुई है। सीबीआई ने जिन तथ्यों और गवाहों के आधार पर आरोपियों पर गैंगरेप और हत्या के आरोप लगाए थे, वो कोर्ट में स्टैंड ही नहीं हुए।

35 लोगों की गवाही में 12 गवाहों ने सीधा कहा कि गैंगरेप जैसे हालात नहीं दिखे। पुलिस, सीबीआई की तमाम जांच रिपोर्ट और गवाहों को सुनने के बाद अदालत ने 167 पेजों का फैसला सुनाया है। हालांकि, पीड़ित परिवार ने फैसले को हाईकोर्ट में चैलेंज करने की बात कही है।
सबसे पहले पढ़िए कोर्ट का फैसला.. जिसमें अदालत ने साफ किया कि गैंगरेप हुआ ही नहीं….
पीड़िता की मां ने बताया था, घटना वाले दिन यानी 14 सितंबर को उसे अपनी बेटी बेहोशी की हालत में मिली थी। उसके गले में दुपट्टा बंधा हुआ था। बेटी ने उस
कोर्ट का कहना है, “किसी भी चिकित्सकीय परीक्षण में पीड़िता के साथ बलात्कार होना नहीं पाया गया है। एमआईएमबी (मल्टी इंस्टीट्यूशनल मेडिकल बोर्ड) की टीम ने भी पीड़िता के साथ बलात्कार की पुष्टि नहीं की है। अविवादित रूप से यह घटना राजनैतिक रूप ले चुकी थी। पीड़िता और पीड़िता के परिवार वालों से बहुत से लोग मिलने आ रहे थे। इस संभावना को नकारा नहीं जा सकता है कि लोगों अथवा परिवारीजनों के सिखाए पढ़ाए जाने पर पीड़िता ने अभियुक्त संदीप के अलावा अन्य आरोपियों के नाम घटना के आठ दिन बाद बताए।”
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पीड़िता की मां ने बताया था, उनकी बेटी ने घटना के 2-3 दिन बाद चारों आरोपियों के नाम बता दिए थे। अपने साथ बलात्कार होने की बात भी कही थी। यह साक्ष्य इसलिए भी अविश्वसनीय है क्योंकि घटना के 5 दिन बाद जब 19 सितंबर को महिला कांस्टेबल रश्मि पीड़िता का बयान लिया तो उसने सिर्फ 1 आरोपी संदीप का नाम बताया था। बलात्कार की बात नहीं कही थी। समय संदीप का नाम बताया था। यह साक्ष्य विश्वसनीय है क्योंकि पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट में उसके गले में लिगेचर मार्क पाया गया है। तमाम गवाहों के बयान में भी यह बताया गया कि संदीप ने पीड़िता के गले में दुपट्टा फंसाकर खींचा था।
तमाम साक्ष्यों के आधार पर
, यह साबित होता है कि 14 सितंबर 2020 को आरोपी संदीप ने ही पीड़िता के गले पड़े दुपट्टे से उसे खींचा था। जिससे वो घटनास्थल पर बेहोश हो गई थी। इलाज के दौरान 29 सितंबर को उसकी मौत हो गई थी। आरोपी संदीप का दोष धारा 304 भाग-1 (गैर इरादतन हत्या) के अंतर्गत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है न कि 302 (हत्या) की श्रेणी में।
जहां तक गैंगरेप की बात है उसमें मेरा विचार है कि साक्ष्य की विवेचना में पीड़िता के साथ बलात्कार साबित नहीं हुआ है। इसलिए, लवकुश सिंह, रामू और रवि सिंह द्वारा पीड़िता के साथ रेप किया जाना भी सही नहीं पाया गया है। इसलिए उन्हें दोषमुक्त किया जाता है। ”
अब पढ़िए गवाहों के वो बयान… जिनके आधार पर कोर्ट ने फैसला सुनाया-
पहला गवाह – मीडिया कर्मी जो सबसे पहले पीड़िता से मिला
सबसे पहले गवाही एक मीडिया कर्मी की हुई। जिस पर कोर्ट ने कहा, मीडिया कर्मी ने अपने बयान में कहा है कि मैंने हाथरस बागला जिला अस्पताल में अपने मोबाइल से सुबह 11:40 बजे वीडियो बनाया। जिसमें पीड़िता बोल रही है। वो होश में हैं, प्रश्नों का सटीक जवाब दे रही है। वह एक नाम संदीप बता रही है। पीड़िता ने वीडियो में बलात्कार या सामूहिक बलात्कार का आरोप नहीं लगाया है। पीड़िता अपने साथ मारपीट होना बता रही है। वहीं पीड़िता की मां ने घटना के पीछे 14-15 साल की रंजिश होना बताया है।
लड़की के साथ जाने वाली कांस्टेबल बोली- रास्ते में लड़की ने रेप की बात नहीं कही
मैं होमगार्ड के साथ लड़की को लेकर बागला अस्पताल गई थी। मैंने सीबीआई को भी यही बताया था कि रास्ते में न तो लड़की की मां और न लड़की ने गैंगरेप की कोई बात कही। जबकि मैंने लड़की कि मां से खुद पूछा था कि कहीं लड़की के साथ कुछ ऐसी वैसी बात तो नहीं हुई है।
इस पर लड़की की मां ने मना कर दिया था। जिस समय मैंने लड़की की मां से पूछा था, उस समय पीड़िता भी सीट पर उसके साथ लेटी हुई थी। पीड़िता को मैंने देखा था। उसकी स्थिति और कपड़ों को देखकर गैंगरेप जैसा कुछ नहीं लग रहा था।
डॉक्टर ने कहा- 22 सितंबर को पहली बार दुष्कर्म की बात सामने आई
पीड़िता का इलाज करने वाली डॉ. एमएफ हुदा ने यह बताया कि 14 सितंबर को ही पेशाब के लिए पीड़िता के नली लगाई गई थी। यह सही है कि जब पेशाब के लिए नली लगाई जाती है तो निश्चित रूप से जननांग को अच्छी तरह से देखा गया होगा, क्योंकि उसके बगैर नली लगाना संभव नहीं है।उस समय जननांग पर कोई चोट या सेक्सुल असाल्ट का लक्षण नहीं देखा गया था। यदि ऐसा कोई भी लक्षण देखा जाता तो जरूर लिखा जाता।
मैंने यह भी कहा था कि पीड़िता बातों का जवाब दे रही थी। पीड़िता के साथ दुष्कर्म होने की बात मुझे 22 सितंबर को पहली बार पता चली।जेएन मेडिकल कॉलेज में पीड़िता का मेडिकल करने वाली डॉक्टर ने कोर्ट में कहा, जांच के दौरान मुझे पीड़िता के साथ गैंगरेप होने जैसा कोई लक्षण नहीं मिला। प्राइवेट पार्ट पर कोई चोट के निशान नहीं थे।
हाथरस कांड में ढाई साल बाद SC/ST कोर्ट ने फैसलासुनाया
हाथरस कांड में गुरुवार को ढाई साल बाद SC/ST कोर्ट ने फैसला सुनाया था। कोर्ट ने 4 आरोपियों में से हाथरस कांड में गुरुवार को ढाई साल बाद SC/ST कोर्ट ने फैसला सुनाया था। कोर्ट ने 4 आरोपियों में से सिर्फ एक संदीप सिसौदिया को दोषी माना है। जबकि 3 आरोपियों लवकुश, रामू उर्फ रामकुमार और रवि उर्फ रविंद्र सिंह को सभी आरोपों से बरी कर दिया था। हाथरस कांड के तीन आरोपियों को अलीगढ़ जेल से रिहा कर दिया गया है। ये तीनों हाथरस में अपने घर न जाकर किसी रिश्तेदार के यहां चले गए हैं।