48,000 वर्ष बाद सक्रिय हो रहा है Zombie Virus, क्या भारत पर भी होगा इसका असर?

बहुत सारे शोधकर्ताओं के मुताबिक, Global Warming के कारण जलवायु परिवर्तन होने से तेजी से प्राचीन पर्माफ्रॉस्ट को पिघला रहा है, जो इंसानों के लिए एक नया खतरा पैदा कर सकता है वैज्ञानिकों ने रूस में 48 हजार साल पुराना एक झील के नीचे जमे हुए वायरस Zombie Virus की खोज की है।

Zombie Virus : दुनिया अभी कोरोना महामारी से बड़ी मुश्किल से उबरी ही थी कि अब दुनिया के सामने एक नया खतरा Zombie Virus नाम से आ गया है। वैज्ञानिकों ने रूस में 48 हजार साल पुराना Zombie Virus की खोज की है। ये वायरस बहुत ज्यादा खतरनाक है। विशेषज्ञों ने बताया कि भारत समेत दुनिया के कई देशों को इससे आगाह किया गया है। तो क्या दुनिया एक और महामारी के मुहाने पर खड़ी है?

अब नए वायरस की दस्तक की खबर डर पैदा करने वाली है। दरअसल, रूस के बर्फबारी वाले इलाके में 48 हजार साल से दबे Zombie Virus को वैज्ञानिकों ने बताया कि यह वायरस फिर से सक्रिय हो गया है। ये खतरनाक वायरस रूस के एक झील में हजारों वर्ष पहले बर्फ के नीचे दबा हुआ था। लेकिन अब इसके सक्रिय होने के बाद भारत जैसे देशों के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरे का संकेत है।

दुनियाभर को ग्लोबल वार्मिंग को लेकर भारत चेतावनी देता आ रहा है। और यह कहा जा रहा है कि अगर दुनिया में बढ़ती गर्मी के कारण रूस और साइबेरिया की जमी बर्फ पिघल गई तो दुनिया में कोहराम मच जाएगा। Zombie Virus इतना ज्यादा खतरनाक है कि यह कोशिका वाले छोटे जीवों को भी संक्रमित कर देता है।अब सवाल उठता है कि क्या भारत को इससे बचने हेतु किस प्रकार से सावधानी बरतनी होगी? दरअसल, दुनिया कोरोना के बाद से अब आने वाली महामारी की काट खोजने में जुटी है।

भारत जैसे देश भी ऐसे वायरस से निपटने में सक्षम है। लेकिन कोरोना ने जो त्रासदी दुनिया को दी है वो डराने वाली थी। हालांकि, Zombie Virus का खतरा अभी वास्तविक तो नहीं है लेकिन हमें हर स्तर की तैयारी करके रखनी होगी।

Zombie Virus क्या है? :-

Zombie Virus एक ऐसा Virus है जो एक बार बर्फ में फंस गया था और “समय के साथ ही जम गया था।“ इसे एक Zombie Virus का नाम दिया गया, क्योंकि यह एक बार मानक वैज्ञानिक परिभाषा के अनुसार, जीवित था, फिर यह जम गया था और अब एक बार से यह वापस संरक्षित बर्फ पिघल जाने के बाद, ‘जीवित’ हो गया है।

Science Alert का ये कहना है कि जैसे-जैसे दुनिया गर्म होती जा रही है, वैसे-वैसे जो हिस्से जमे हुए थे, वे अब धीरे-धीरे पिघल रहे हैं। यह उन चीजों को मुक्त करता है जो अटकी हुई थीं, जैसे रोगाणुओं का एक गुच्छा जो अभी तक सो रहा होता।

दुनिया को ग्लोबल वार्मिंग से है खतरा :-

भारत में भी ग्लोबल वार्मिंग का खतरा काफी है। सुंदरवन इलाके का हिस्सा अब जलमग्न हो रहा है। इसके अलावा मुंबई शहर को लेकर भी कई प्रकार की भविष्यवाणी की गई है। विकसित देश विकासशील देशों पर तोहमत लगा देते हैं। लेकिन ये खतरा अब इतना बड़ा हो चुका है कि आने वाले समय में भारत समेत दुनिया के कई देशों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

48,500 वर्ष पुराना है ये Zombie Virus :-

• फ्रांस के (FCSR, France Center for Scientific Research) के दल ने बर्फ में दबे ऐसे दर्जनों वायरस का जिक्र किया था, जिसके बारे में दुनिया को जानकारी नहीं है। इनमे से Zombie Virus भी शामिल है। यहVirus 48,500 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है। इसी टीम ने 2013 में 30 हजार साल पुराने वायरस का पता लगाया था।

• रूस की एक झील में हजारों साल से ये Zombie Virus दबा हुआ था। वैज्ञानिकों ने इस वायरस का नाम पंडोरावायरस येडिमा (Pandoravirus Yedoma) रखा है। अभी इस खोज के बारे में कोई जानकारी प्रकाशित नहीं हो पाई है।

• ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण दुनिया के कई हिस्सों में जमी बर्फ पिघल रही है। इससे एक नया खतरा Zombie Virus पैदा होने का डर है। इन बैक्टीरिया में खतरनाक रोगाणु हो सकत

Zombie Virus लोगों के स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक हैं? :-

शोधकर्ताओं के अध्ययन द्वारा पता चला कि जिसकी अभी तक विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा नहीं की गई है, का कहना है कि यदि जलवायु परिवर्तन के कारण परमाफ्रॉस्ट पिघलता है और वायरस जो हजारों वर्षों से जमे हुए हैं, तो ज़ोंबी वायरस सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि प्राचीन पर्माफ्रॉस्ट से निकलने वाले ज्ञात वायरस हमारे पास पहले से मौजूद एंटीबायोटिक दवाओं से लड़े जा सकते हैं।

हालांकि, “स्थिति बहुत खराब होगी अगर पौधे, जानवर, या मानव रोगों को एक प्राचीन वायरस द्वारा वापस लाया गया जिसके बारे में हम नहीं जानते हैं,” ऐसा कहा गया।अध्ययन में कहा गया है, “यह संभावना है कि ये अज्ञात वायरस पुराने परमाफ्रॉस्ट पिघलने पर जारी किए जाएंगे।“जब ये ज़ोंबी वायरस जारी किए जाते हैं, तो यह स्पष्ट नहीं है कि वे कितने संक्रामक होंगे, लेकिन संक्रमण का जोखिम “ग्लोबल वार्मिंग के संदर्भ में बढ़ने के लिए बाध्य है, जब पर्माफ्रॉस्ट विगलन तेज रहेगा,” शोधकर्ताओं ने लिखा।

क्या यह वायरस करेगा लोगों को बीमार? :-

रूस, जर्मनी और फ्रांस के शोधकर्ताओं की टीम ने बताया कि वायरस को जिस प्रकार से उन्होंने देखा, उसका अर्थ यही था कि उन्हें वापस जीवन में लाने से “बिल्कुल कोई जैविक जोखिम नहीं होगा।“ अधिकांश समय, ये विषाणु अमीबा रोगाणुओं को भी संक्रमित कर देते हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि यह बहुत बुरा होगा यदि कोई वायरस जो जानवरों या लोगों को संक्रमित कर सकता है, वह वायरस वापस आ जाए और उनके काम का इस्तेमाल यह दिखाने के लिए किया जा सके कि खतरा वास्तविक है।

BioRxiv पर पोस्ट किए गए एक Contant में, शोधकर्ताओं ने बताया कि संभावना यह है कि ये अज्ञात वायरस प्राचीन पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने पर निकल कर सक्रिय हो जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यह जानना असंभव है कि ये वायरस बाहर के लोगों के संपर्क में आने के बाद कितने समय तक संक्रामक रह सकते हैं और इस बात की कितनी संभावना है कि वे उस समय के दौरान एक उपयुक्त मेजबान ढूंढ लेंगे और इसे संक्रमित कर देंगे।

शोधकर्ताओं ने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण जोखिम और भी बदतर हो जाएगा, जो पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने को तेज करेगा और औद्योगिक परियोजनाओं के कारण अधिक लोगों को आर्कटिक में लाएगा।

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