जम्मू कश्मीर में मिले हैं 59 लाख टन Lithium के भंडार (White Gold)

हालांकि में देश के अलग-अलग कई राज्यों में गोल्ड और Lithium समेत अन्य खनिजों का भंडार मिला है। इनमें सबसे बड़ा भंडार जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना इलाके में करीब 59 लाख टन का Lithium का भंडार मिला है। इसे वाइट गोल्ड लिखा गया है। Geological Survey of India (GSI) ने 51 ब्लॉकों को राज्य सरकारों और कोयला मंत्रालय को सौंप दिया है।

White Gold : देश के अलग-अलग कई राज्यों में गोल्ड और Lithium समेत अन्य खनिजों का भंडार मिला है। इनमें सबसे बड़ा भंडार जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना इलाके में करीब 59 लाख टन का Lithium का भंडार मिला है। इसे वाइट गोल्ड भी कहा जा रहा है। देश के 11 राज्यों में Gold, Lithium समेत अन्य खनिजों के भंडार मिले है। Geological Survey of India (GSI) ने 51 ब्लॉकों को राज्य सरकारों और कोयला मंत्रालय को सौंप दिया है।

जम्मू-कश्मीर के रियासी में मिले Lithium के इतने बड़े भंडार की यह पहली साइट है, जिसकी पहचान GSI ने की है। गुरुवार को हुई 62वीं (Central geological programming board, CGPB) की बैठक के दौरान 15 अन्य संसाधनों वाली भूवैज्ञानिक रिपोर्ट और 35 भूवैज्ञानिक ज्ञापनों के साथ यह रिपोर्ट संबंधित राज्य सरकारों को सौंप दी गई है।

माइंस मंत्रालय के सचिव और CGPB चेयरमैन विवेक भारद्वाज ने बताया मंत्रालय के द्वारा बताया गया कि 2015 से अबतक राज्य सरकारों को 287 भूगर्भीय दस्तावेज सौंपे गए हैं। उन्होंने कहा कि GSI जीएसआई इस गति को बढ़ाएगी। वहीं 9 फरवरी को GSI ने Lithium और Gold के अलावा कोयला मंत्रालय को 7897 मिलियन टन के संसाधन वाले कोयला और लिग्नाइट की 17 रिपोर्टें भी सौंपी हैं।

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने पहली बार जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में 5.9 मिलियन टन के Lithium अनुमानित संसाधन स्थापित किए हैं।

जम्मू कश्मीर में पहली बार मिला है भंडार :-

खनन सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा है कि, Lithium एक अलौह धातु है। इसका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल Batries में होता है। पहली बार जम्मू कश्मीर में Lithium का भंडार मिला है। Lithium का उपयोग Mobile phone, Laptop, Desktop, Electric Vehicles, Digital camera और भी Electric Devices के लिए रिचार्बेल बैट्री में किया जाता है।

इसके अलावा Lithium का उपयोग खिलौनों और घड़ियों के लिए भी किया जाता है। इस समय भारत Lithium के लिए पूरी तरह दूसरे देशों पर निर्भर है‌। सोलर पैनल, मोबाइल फोन समेत कई उपकरणों में Lithium, निकल और कोबाल्ट जैसे महत्वपूर्ण खनिज का इस्तेमाल होता है। इससे पहले खनन मंत्रालय ने कहा था कि Technology में इस्तेमाल होने वाले Minerals की सप्लाई चेन को मजबूत करने के लिए सरकार विभिन्न कदम उठा रही है। इसमें अर्जेंटीना और ऑस्ट्रेलिय से Lithium मंगाया जा रहा है।

आत्मनिर्भर भारत के लिए जरूरी है खनिजों का पता लगाना :-

माइंस सेक्रेटरी विवेक भारद्वाज ने बताया कि देश में पहली बार जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में Lithium के इतने बड़े भंडार को खोजा गया है। उन्होंने कहा कि चाहे मोबाइल फोन हो या सोलर पैनल, महत्वपूर्ण खनिजों की हर जगह आवश्यकता होती है। हमें जितने भी महत्वपूर्ण इलेक्ट्रिकल डिवाइस इसकी जरूरत होती है उसमें जो बैटरी लगी होती है वह बैटरी ली थी के द्वारा ही बनाई जाती है।

आत्मनिर्भर बनने के लिए देश के लिए महत्वपूर्ण खनिजों का पता लगाना और उन्हें संसाधित करना बहुत महत्वपूर्ण है। आत्मनिर्भर बनने के लिए सबसे जरूरी है कि हम खनिज पदार्थों को ढूंढे और उसे देश को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करें। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सोने का आयात घट जाता है तभी हम आत्मनिर्भर बन पाएंगे।

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51 खनिज ब्लॉकों में से पांच ब्लॉक सोने से संबंधित हैं :-

आपको बता दें कि 62वीं केंद्रीय भूवैज्ञानिक प्रोग्रामिंग बोर्ड (CGPB) की बैठक के दौरान Lithium और Gold समेत 51 खनिज ब्लॉकों में से पांच ब्लॉक सोने से संबंधित हैं। वहीं, दूसरे ब्लॉक पोटाश, मोलिब्डेनम, बेस मेटल आदि वस्तुओं से संबंधित हैं। ये 51 खनिज ब्लॉकों पर एक रिपोर्ट राज्य सरकारों को सौंपी गई।

यह ब्लॉक भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) द्वारा 2018-19 से अब तक के फील्ड सीजन में किए गए कार्य के आधार पर तैयार किए गए थे। वर्ष 2023-24 में GSI 12 समुद्री खनिज जांच परियोजनाओं समेत कुल 318 खनिज एक्सप्लोरेशन प्रोजेक्ट पर 966 प्रोग्राम चला रहा है। खनन मंत्रालय के मुताबिक, सर्वे से जुड़े 35 दस्तावेज राज्यों को सौंप दिए गए, जबकि 7897 मिलियन टन के कुल संसाधन वाले कोयला और लिग्नाइट की रिपोर्टें कोयला मंत्रालय को सौंपी गई हैं।

ये खनिज संसाधन 11 राज्यों में मिले :-

आपको बता दें खनन मंत्रालय ने कहा कि इन 51 खनिज ब्लॉकों में से 5 ब्लॉक सोने से संबंधित हैं। इसके अलावा पोटाश, मोलिब्डेनम, बेस मेटल से जुड़े हुए हैं। ये ब्लॉक 11 राज्यों के अलग-अलग जिलों में मिले हैं। जम्मू और कश्मीर, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना में फैले हुए हैं‌।

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