6 करोड़ वर्ष पुरानी शालिग्राम शिलाओं से बनाईं जाएंगी प्रभु राम और माता सीता की प्रतिमा

अयोध्या के मंदिर में भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित करने के लिए नेपाल से शालिग्राम की दो शिलाएं लाई जा रही हैं। नेपाल के पोखरा में बहने वाली काली गंडकी जिसको शालिग्रामी नदी के नाम से भी जाना जाता है, यहीं से दो शिलाएं लाई जा रही हैं। यहां पूजा होने के बाद शिलाओं को ट्रक पर लादकर सड़क मार्ग से अयोध्या लाया जा रहा है। 

Shaligram Stone In Nepal : अयोध्या के मंदिर में भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित करने के लिए नेपाल से शालिग्राम की दो शिलाएं लाई जा रही हैं। नेपाल के पोखरा में बहने वाली काली गंडकी जिसको शालिग्रामी नदी के नाम से भी जाना जाता है, यहीं से दो शिलाएं लाई जा रही हैं। यहां पूजा होने के बाद शिलाओं को ट्रक पर लादकर सड़क मार्ग से अयोध्या लाया जा रहा है।

जानकारी के अनुसार, एक शिला का वजन 26 टन और दूसरी शिला का वजन 14 टन है‌। अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है, यह संभावना जताई गई है कि साल 2024 तक मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। इन शिलाओं के बारे में दावा किया जा रहा है कि ये करीब 6 करोड़ साल पुरानी हैं।

इस शिलाखंड का नाम शालिग्राम शिलाखंड (Shaligram Shilakhand) हैं जो कि नेपाल की गंडकी नदी (बड़ी गंडक) में पाए जाते हैं। शालीग्राम को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की प्रतिमूर्ति माना जाता है। इसी पत्थर से हिंदू घरों और मंदिरों में पूजे जाने वाले ठाकुरजी बनते हैं।

इसमें नेपाल की गृहमंत्री विमलेंद्र निधि की अहम भूमिका रही :-

नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बिमलेंद्र निधि के प्रयास से दोनों शिलाएं अयोध्या ले जाने के लिए लाई जा रही हैं। 31 जनवरी को सुबह 11.30 बजे शालिग्राम शिलाखंड कुशीनगर पहुंची थी। कुशीनगर में इन दोनों शिलाखंड का जोरो शोरो से स्वागत किया जाएगा और पूजा-अर्चना भी की गई।

इस दौरान विहिप के नेता इसका स्वागत करे अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के संयोजक मनीष श्रीवास्तव ने यह जानकारी दी। आरएसएस से जुड़े अरविंद राजपुरोहित ने जानकारी दी कि इन दोनों शिलाओं को जनकपुर से लाया जा रहा है। पत्थर की खुदाई करने से पहले गंडकी नदी में विधि-विधान से क्षमा याचना भी की गई।

शिलाएं देखकर भावभिभोर हुए श्रद्धालु :-

इन शिलाओं को बड़े ट्रक पर लाया जा रहा है। पुष्प मालाओं से सजी शिलाएं जिन रास्तों से होकर गुजर रहे हैं वहां श्रद्धालु उनकी एक झलक पाने के लिए उत्सुकता के साथ घर से बाहर निकल रहे हैं और पूजा-अर्चना भी कर रहे हैं। नेपाल में ऐसे ही उत्साहित लोगों का वीडियो भी सामने आया है जो शिलाओं के साथ तस्वीरें लेते और वीडियो बनाते भी दिख रहे हैं।

इनमें अधिकांश महिलाएं और पुरुष भी शामिल हैं। बता दें कि 2024 की शुरुआत में राम मंदिर आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। यहां मंदिर का निर्माण इस प्रकार से किया जा रहा है कि सूरज की किरणें भगवान राम के ललाट पर पड़ेंगी।शालिग्राम की दोनों शिलाओं को 26 जनवरी को लादा गया था, जो 2 फरवरी तक अयोध्या के पावन धरती पर पहुंच गई।

नेपाल ने दहेज की सौगात में दी शिलाएं :-

वहीं श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि कभी जनकपुर ने जानकी जी दी थीं। अब दहेज की सौगात में रामलला की मूर्ति का पत्थर हम दे रहे हैं लेकिन यह खरीदा नहीं जा रहा है। मुंबई के फाईन आर्ट्स के प्रोफेसर बासदेव कामत की डिजाइन पर रामलला की मूर्ति तैयार होगी।

शिलाखंड निकालने से पहले नदी से क्षमा मांगी गई :-

कामेश्वर चौपाल ने कहा कि नदी के किनारे से इन शिलाओं को निकालने से पहले धर्मिक अनुष्ठान भी किए गए। शिलाखंड निकालने से पहले नदी से क्षमा मांगी गई, इसके लिए विशेष पूजा की गई। शिला का गलेश्वर महादेव मंदिर में रुद्राभिषेक किया गया है। बता दें कि नेपाल में बहने वाली शालिग्रामी नदी को भारत में प्रवेश करने के बाद नारायणी नदी कहा जाता है‌।

वहीं भारत में सरकारी कागजों में इसे बूढ़ी गंडकी के नाम से जाना जाता है।शालिग्रामी नदी के काले पत्थर भगवान शालिग्राम के रूप में पूजे जाते हैं। वहां की मान्यता यह है कि शालिग्राम का पत्थर पूरी दुनिया में शालिग्रामी नदी में ही मिलता है। यह नहीं बिहार के सोनपुर में गंगा नदी में आकर मिल जाती है। दोनों शिलाओं के साथ में करीब 100 लोगों का जत्था चल रहा है। इनके लिए जगह-जगह आराम करने की व्यवस्था की गई है।

ये भी पढ़ें।

भारत का अपना BharOS ऑपरेटिंग सिस्टम 2023, क्या Android और iOS को Replace कर पायेगी?

मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य क्या है?( What is Fundamental rights and duties) 1 :-

भारत में मौलिक अधिकार कितने हैं? 1

Swami Vivekananda’s teaching inspires youth to work for nation-building – Nikhil Yadav 

Swami Vivekananda's teaching inspires youth to work for nation-building - Nikhil Yadav 

माटीकला से जुड़े 3 शिल्पकार को किया गया सम्मानित

माटीकला से जुड़े शिल्पकारों के उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए शुक्रवार 24 मार्च को सम्मानित किया गया। इसमें पहला पुरस्कार जिले के हस्त शिल्पकार सतीश चंद्र को , दिया गया। दूसरा पुरस्कार सिद्धार्थनगर के अवधेश कुमार को जबकि तीसरा पुरस्कार संत कबीर नगर के राजेंद्र कुमार को दिया गया।
Khushboo Guptahttps://untoldtruth.in/
Hii I'm Khushboo Gupta and I'm from UP ,I'm Article writer and write articles on new technology, news, Business, Economy etc. It is amazing for me to share my knowledge through my content to help curious minds.

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

BEST DEALS

Most Popular