70 मौतें…आखिर कैसे? पुलिस के खौफ से: 2000 जुर्माना और FIR के डर से नहीं पहुंचे अस्पताल; उल्टी के लिए नमक- साबुन का घोल पिलाते रहे जहरीली शराब से 70 मौत..। क्या इसका कोई इलाज नहीं था? इन्हें क्यों नहीं बचाया जा सका ? क्या शराब के नाम पर ये जहर पी गए थे?
इन सबके सिलसिलेवार जवाब के पहले बताते हैं अस्पताल में पहुंचने वाले पहले मरीज कृणाल सिंह की मौत की पूरी कहानी–
कृणाल सिंह की उम्र 38 साल। 12 दिसंबर की शाम 5 बजे काम से लौटते समय शराब पी। घर पहुंचते ही बेचैनी होने लगी। पेट में जलन भी। पत्नी को जैसे ही पता चला कि शराब पी है, उल्टी कराने के लिए नमक का घोल दिया। पर उल्टी नहीं हुई। घर में रखी कुछ दवाएं भी दी, पर कोई फायदा नहीं हुआ। 13 दिसंबर का पूरा दिन और 14 दिसंबर की शाम तक घेरलू इलाज करते रहे। कृणाल जब बेहोश होने लगा तो पत्नी की चिंता बढ़ गई। शाम 5 बजे वह मशरख सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंची। डॉक्टरों ने कहा- ऑक्सीजन सेचुरेशन कम हो गया है। बीपी बहुत ज्यादा है। उसे सलाइन चढ़ाया गया। आधे घंटे बाद ही कृणाल की सांसें उखड़ गईं।

मरने वालों ने 12 दिसंबर की रात शराब पी थी। 48 घंटे बाद पहली मौत होती है। जिन 70 की मौत हुई, यदि उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाते तो ज्यादातर जिंदा होते। शुरुआत के सबसे जरूरी 12 घंटे घरवालों ने बर्बाद कर दिए । कारण- पुलिस का डर… 2 हजार से 5 हजार रुपए जुर्माना देना पड़ेगा। FIR भी दर्ज हो सकती है। बस इसी जुर्माने और FIR के डर से किसी का पिता तो किसी की पत्नी या बेटा घरेलू इलाज करते रहे। नमक का घोल पीलाकर उल्टी कराई तो किसी को साबुन का घोल दिया गया। तबीयत और बिगड़ी, तो गांव के आसपास झोलाछाप डॉक्टर के पास पहुंचे। ऐसा करते-करते 24 घंटे बीत गए। आंखों से दिखना बंद होने लगा और सांसें फूलने लगी तो घबराए। जुर्माना और सजा की परवाह किए बगैर मरीज को लेकर सरकारी अस्पताल पहुंचे। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मशरख पहुंचे तब तक 24 से 48 घंटे बीत चुके थे। अधिकतर की हालत गंभीर थी। डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए और कहा कि छपरा सदर अस्पताल ले जाओ। छपरा यहां से 35 किमी दूर है। मरीजों की सांसें उखड़ने लगी। इस 35 किमी के सफर में ज्यादातर मौत हो गई।
क्या है शराबबंदी कानून… जिससे डरकर इतनी मौत हुई
बिहार सरकार ने इस साल मार्च में शराबबंदी कानून में संशोधन किया। शराब पीने वालों के लिए थोड़ी राहत के प्रावधान किए। पहली बार शराब पीने वालों पर 2000 से 5000 रुपए तक का जुर्माना लगाया। दूसरी बार शराब पीते पकड़े जाने पर जेल भेजा जाएगा, इसमें एक साल तक की सजा हो सकती है। शराब के मामलों में पुलिस FIR करती है। अफसरों का भी कहना है कि ऐसे मरीजों से जानकारी ली जाती है कि शराब का सेवन कहां किया और इसका नेटवर्क कैसे चलता है। पुलिस की जांच भी शराब पीने वालों से ही शुरू होती है। इस कारण लोग डरते हैं।
जिनकी मौत हुई है, उनमें ज्यादातर दिहाड़ी मजदूरी करने वाले हैं। इनके लिए 2 या 5 हजार रुपए का जुर्माना दे पाना आसान नहीं रहा होगा। रहा होता तो शायद ब्रांडेड शराब पीते । शराब कांड के दौरान पुलिस किस तरह अमानवीय बर्ताव करती है, यह भी लोग देख चुके हैं, इसलिए भी इनमें खौफ था।
बिहार के पूर्व DGP अभयानंद कहते हैं-
शराबबंदी कानून का लोगों में डर है । पुलिसिया कार्रवाई के डर से ही लोग अस्पताल नहीं गए। अगर पुलिस आगे आती और कानूनी कार्रवाई के साथ इलाज कराती तो इतनी मौत नहीं होती।

शरीर को ऐसे खराब करती है जहरीली शराब जहरीली शराब से गैस बहुत अधिक बनती है। मरीजों को पेट दर्द के साथ सांस लेने में भी समस्या होने लगती है। शुगर लेवल भी तेजी से बढ़ता है। शुगर और बीपी कंट्रोल करने की दवाएं दी जाती हैं। ऑक्सीजन लेवल पर टॉक्सिन का बड़ा असर होता है। सांस लेने में परेशानी होने पर ऑक्सीजन दी जाती है।