भारत अब सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। ऐसे में सऊदी अरब का BRICS में जुड़ना भारत के लिए अच्छी बात हो सकती है। BRICS इंटरनेशनल फोरम की अध्यक्ष पूर्णिमा आनंद ने गुरुवार को रूसी मीडिया को बताया कि सऊदी अरब, तुर्की और मिस्र BRICS में शामिल होने की योजना बना रहे हैं और उनकी संभावित सदस्यता पर चर्चा की जा सकती है और अगले साल दक्षिण अफ्रीका में होने वाले शिखर सम्मेलन में इसका जवाब दिया जा सकता है।
पूर्णिमा आनंद ने रूसी अखबार इजवेस्टिया को बताया, ‘‘इन सभी देशों ने (BRICS) में शामिल होने में अपनी रुचि को दिखाई है और सदस्यता के लिए आवेदन करने की तैयारी कर रहे हैं मेरा मानना है कि यह एक अच्छा कदम है, क्योंकि विस्तार को हमेशा अनुकूल रूप से देखा जाता है, यह निश्चित रूप से ब्रिक्स के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाएगा।BRICS देशों में (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) की वैश्विक आबादी का 40 प्रतिशत से अधिक और दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग एक चौथाई हिस्सा है।
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ब्लॉक के घोषित उद्देश्यों में विश्व स्तर पर शांति, सुरक्षा, विकास और सहयोग को बढ़ावा देना और मानवता के विकास में योगदान देना शामिल है।पूर्णिमा आनंद ने कहा कि इस साल के BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान विस्तार का मुद्दा उठाया गया था, जो जून के अंत में बीजिंग में हुआ था।BRICS फोरम के अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सऊदी अरब, तुर्की और मिस्र के विलय में ज्यादा समय नहीं लगेगा, क्योंकि वे ‘पहले से ही इस प्रक्रिया में लगे हुए हैं।

हालांकि उन्हें संदेह है कि तीनों एक ही समय में गठबंधन में शामिल होंगे।पूर्णिमा आनंद ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि ये देश जल्द ही ब्रिक्स में शामिल हो जाएंगे, क्योंकि कोर सदस्यों के सभी प्रतिनिधि विस्तार में रुचि रखते हैं तो यह बहुत जल्द होगा।BRICS में शामिल होने की तीन देशों की योजना की खबरें ईरान और अर्जेंटीना द्वारा आधिकारिक तौर पर जून के अंत में सदस्यता के लिए आवेदन करने के बाद आती हैं।
ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खतीब जादेह ने ब्लॉक को ‘व्यापक पहलुओं के साथ एक बहुत ही रचनात्मक तंत्र’ के रूप में बताया।
BRICS में बढ़ रही है अब अमेरिका विरोधी देशों की संख्या :-
BRICS को आर्थिक तौर पर पश्चिम के विकल्प के तौर पर गठित किया गया है ताकि उनके मोल-भाव की ताकत बढ़ सके। इसके अलावा बाकी दुनिया की पश्चिम के ऊपर निर्भरता भी खत्म की जा सके। वर्तमान में पांच सदस्यों में से दो चीन और रूस खुले तौर पर अमेरिका विरोधी हैं। ईरान ने पहले BRICS की सदस्यता के लिए दावा पेश किया है, जो अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन है। इसके अलावा आज कल सऊदी अरब के साथ भी अमेरिका से संबंध ठीक नहीं है।
ऐसे में सऊदी अरब के शामिल होने के बाद BRICS में अमेरिका विरोधी देशों की संख्या चार हो जाएगी। वहीं, बाकी के सदस्य देश जैसे भारत, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील की अमेरिका को लेकर नीति मध्यमार्गी है। रूस को छोड़कर ब्रिक्स के बाकी सदस्य देश अभी विकासशील हैं और अपनी अर्थव्यवस्था को तेजी से बढ़ा रहे हैं। 2019 तक पांचों ब्रिक्स देश दुनिया की कुल 42 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करते थे।
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एक अनुमान के अनुसार इन पांचों देशों का संयुक्त विदेशी मुद्रा भंडार चार खरब अमेरिकी डॉलर से भी ज्यादा है। इन देशों की GDP (Gross Domestic Product) 15 खरब डॉलर है। BRICS देश वैश्विक GDP में 23 फीसदी का योगदान करते हैं। विश्व व्यापार में इन पांच देशों की हिस्सेदारी 18 फीसदी है। फिलहाल सऊदी अरब की GDP इस समय तेजी से बढ़ रही है। आइए जानते हैं BRICS क्या है के बारे में।
BRICS क्या है? :-
BRICS दुनिया की 5 प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं के संगठन का एक नाम है इस संगठन में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।BRICS की स्थापना जून 2006 में हुई थी। पहले इसमें चार देश शामिल थे जिससे इसका नाम BRIC था। शुरुआत में इसमें ब्राजील, रूस, भारत और चीन शामिल थे। साल 2010 में इस संगठन में दक्षिण अफ्रीका भी शामिल हो गया।

जिसके बाद इस संगठन का नाम बदलकर ये BRIC से बदलकर BRICS हो गया। साल 2009 में पहला BRICS सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस संगठन के और विस्तार की भी चर्चा है BRICS के सदस्य अपने क्षेत्रीय मसलों पर अपने अहम प्रभाव के लिए जाने जाते हैं BRICS को दुनिया की अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में जाना जाता है। BRICS शिखर सम्मलेन की अध्यक्षता हर साल इसके सदस्य राष्ट्रों की ओर से की जाती है।
पांच देशों में से हर साल बदल-बदलकर इस सम्मेलन की मेजबानी करते हैं। इस बार वर्चुअल शिखर सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है और इसकी मेजबारी चीन कर रहा है।
BRICS संगठन का क्या है मकसद? :-
ब्रिक्स (BRICS) संगठन एक बहुपक्षीय मंच है जिसमें दुनिया की 5 अहम उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। जिसमें दुनिया की जनसंख्या का 41 फीसदी, वैश्विक GDP का करीब 24% और विश्व व्यापार में 16% भाग शामिल है। BRICS समिति में क्षेत्रीय मसलों के साथ वैश्विक मामलों पर भी चर्चा होती है।

इसका अहम मकसद अलग-अलग क्षेत्रों में सदस्य राष्ट्रों के बीच पारस्परिक लाभकारी सहयोग को आगे बढ़ाना है ताकि इनके विकास को गति मिल सके। जलवायु परिवर्तन (Climate Change), आतकंवाद (Terrorism), विश्व व्यापार, ऊर्जा, आर्थिक संकट जैसे मसलों पर चर्चा होती रही है।
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