ISRO ने SSLV-D2 रॉकेट का सफल किया लॉन्चिंग

SSLV-D2 की दूसरी विकासात्मक उड़ान है। यह अपने साथ तीन सैटेलाइट लेकर अंतरिक्ष की उड़ान भरी। इसे Indian Space Research Organisation (ISRO) ने सबसे छोटे रॉकेट के रूप में विकसित किया है। अंतरिक्ष की सैटेलाइट Janus-1, स्पेसकिड्ज की सैटेलाइट AzaadiSAT-2 और इसरो की सैटेलाइट EOS-07 शामिल रहीं।

ISRO ने 2023 में एक और उपलब्धि हासिल की है। अब खबर आई है कि एसएसएलवी-डी2 ने पृथ्वी की निचली कक्षा में सफलतापूर्वक तीनों सैटेलाइट्स को स्थापित कर दिया है। शुक्रवार को इसने श्रीहरिकोटा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपना सबसे छोटा रॉकेट SSLV-D2 को लॉन्च किया गया है। ये कम Turn-Around Time और कई Satellites को एक साथ अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करने में सक्षम रहा।

ISRO Chief एस सोमनाथ ने तीनों सैटेलाइट को टीमों को ऑर्बिट में सही जगह पहुंचाने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि SSLV-D1 के दौरान जब दिक्कतें आईं, हमने उनका विश्लेषण किया और जरूरी कदम को भी उठाए और यह सुनिश्चित किया कि इस बार लॉन्चिंग सफल रहे। इससे पहले SSLV-D2 ने अपने साथ 3 सैटेलाइट लेकर अंतरिक्ष की उड़ान भरी, जिनमें अमेरिकी की कंपनी चेन्नई के स्पेस स्टार्टअप स्पेसकिड्ज की सैटेलाइट AzaadiSAT-2, अंतारिस की सैटेलाइट Janus-1 और इसरो की सैटेलाइट EOS-07 शामिल थी।

ये तीनों सैटेलाइट्स 450 किलोमीटर दूर सर्कुलर Orbit में स्थापित किए गए।आइए जानते हैं कि SSLVD2 रॉकेट क्या है और कब लांच हुआ? रॉकेट की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं? तथा मिशन के उद्देश्य क्या हैं?

SSLV-D2 रॉकेट क्या है तथा यह कब लांच हुआ? :-

स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी), SSLV-D2 की दूसरी विकासात्मक उड़ान है। यह अपने साथ तीन सैटेलाइट लेकर अंतरिक्ष की उड़ान भरी।

इसे Indian Space Research Organisation (ISRO) ने सबसे छोटे रॉकेट के रूप में विकसित किया है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से SSLV-D2 ने सुबह 9:18 बजे उड़ान भरी।

और अपनी 15 मिनट की उड़ान भरने के बाद इसने तीन उपग्रहों- Janus-1, EOS-07 और AzaadiSAT-2 को 450 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।

Janus-1 – यह अमेरिका की कंपनी अंतारिस का उपग्रह है। इसका वजन लगभग 10.2 Kg है।

EOS-07 – यह ISRO ने पूरी तरह से तैयार किया है। इसका वजन 156.3 Kg है।

AzaadiSAT-2 – यह चेन्नई के स्पेस स्टार्टअप स्पेसकिड्ज का उपग्रह है। इसका वजन लगभग 8.7Kg है।

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पहली उड़ान में भारत का मिशन रहा असफल :-

इस रॉकेट की पहली उड़ान August 2022 मैं भरी गई थी तब यह असफल हो गई थी। SSLV की पहली उड़ान के दौरान रॉकेट के दूसरे चरण के पृथक्करण के दौरान कंपन महसूस होने के कारण लॉन्चिंग सफल नहीं हो पाई थी। साथ ही इस रॉकेट का सॉफ्टवेयर उपग्रहों को गलत कक्षा में लॉन्च कर रहा था, जिसके चलते ISRO ने SSLV की लॉन्चिंग को रद्द कर दिया था।

इस रॉकेट की विशेषताएं क्या हैं? :-

ISRO के अनुसार, SSLV लगभग 500 Kg तक के उपग्रह को कक्षा में लॉन्च करने में काम में लाया जाता है।इसरो के अनुसार, SSLV 500 Kg तक की लोअर ऑर्बिट में लॉन्च करने में सैटेलाइट को काम में लाया जाता है। यह Rocket On Demand के आधार पर किफायती कीमत में सैटेलाइट लॉन्च करने की सुविधा देता है। 34m लंबे SSLV Rocket का व्यास 2m है। इस रॉकेट का वजन लगभग 120 टन है।

इस मिशन के उद्देश्य क्या-क्या है?

• निम्न भू-कक्षा में एसएसएलवी की डिजाइन की गई पेलोड क्षमता का प्रदर्शन करना।

• EOS-07 और दो यात्री उपग्रहों Janus-1 और AzaadiSAT-2 को 450 किमी की गोलाकार कक्षा में स्थापित करना।

गगनयान जैसे कई मिशन ISRO करेगा लांच :-

ISRO इस साल कई बड़े मिशन को लांच करने की तैयारी में है। ISRO संगठन के प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि फिलहाल हम जीएसएलवी मार्क 3 की लॉन्चिंग की तैयारी कर रहे हैं। जीएसएलवी मार्क 3 One Web India की 236 सैटेलाइट को एक साथ लॉन्च करने वाले हैं। यह लॉन्चिंग मार्च महीने के मध्य में होगी।

इसके अलावा ISRO पीएसएलवी-सी 55 के प्रक्षेपण की भी तैयारियों में जुटा है। मार्च के अंत तक यह लॉन्चिंग हो सकती है। इसरो प्रमुख ने बताया कि हम रियूजेबल लॉन्च व्हीकल की लैंडिंग पर भी काम कर रहे हैं। वर्तमान में एक टीम चित्रदुर्ग में लैंडिंग साइट पर मौजूद है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि सबकुछ ठीक रहा तो अगले कुछ दिनों में हम लैंडिंग की प्रैक्टिस शुरू कर देंगे। एस सोमनाथ ने कहा कि इस साल कई सारे मिशन लॉन्च होने वाले हैं। खासकर गगनयान कार्यक्रम को लेकर भी तैयारियां चल रही हैं।

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