भारत के ही कर्नाटक राज्य के कूर्ग जिले में लगभग 70 से 80 % नागरिको के पास बंदूके है, किन्तु वहां पर Gun Crime rate तुलनात्मक रूप से निम्न है। कर्नाटक भी भारत में ही है, और यदि भारतीयों को बंदूक देने से वे एक दुसरे को मार देंगे तो अब तक कूर्ग में लोगो ने एक दुसरो को मार क्यों नहीं दिया। मतलब यहाँ कोई लॉजिक लगाने की जगह ही नहीं है !! सीधा सबूत सामने है !!
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कूर्ग जिले के मूल निवासियों को बिना लाइसेंस बन्दुक रखने की छूट है। 1859 के आर्म्स एक्ट में से ब्रिटिश ने उन्हें ये छूट प्रदान की थी। ( आबादी 2 लाख, राज्य कर्नाटक )
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1947 आजादी के बाद में सिर्फ कूर्ग जिले के निवासियों को और राजाओ को बंदूके रखने की छूट थी। जब देवी इंदिरा गांधी ने राजाओ की Privy purse रद्द किये तो उनके बन्दुक रखने के अधिकार को भी Cancel कर दिया। लेकिन कूर्ग के निवासियों का विशेषाधिकार जारी रहा।
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वहां के प्रत्येक नागरिक को बंदूक रखने की छूट है, और महिला, पुरुष सभी बंदूके रखते है। और अनिवार्य रूप से रखते है। और कई कई बंदूके रखते है !!
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यह एक वास्तविक उदाहरण है जो यह सिद्ध करता है कि – भारतीयों को बंदूक रखने का अधिकार देने से वे एक दुसरे को मार देंगे , नामक धारणा पूरी तरह से झूठ है, और पेड मीडिया द्वारा भारतीयों के दिमाग में डाली गयी है।
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और ज्यादातर भारतीय इस धारणा के शिकार इसीलिए है क्योंकि पेड मीडिया इस सूचना को छिपाता है कि, कूर्ग जिले के 80% नागरिको के पास पंजीकृत बंदूके है !! और इसी तर्ज पर बंदूक के बारे में सही सूचना देने वाली कई खबरें छिपायी जाती है, और भ्रमित करने वाली खबरों को उछाला जाता है !!
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आजादी के बाद कूर्ग जिले के नागरिको से बंदूके छीनने की 2 बार तिकड़म लगायी गयी लेकिन दोनों बार कोई वाजिब वजह नहीं होने के कारण सरकार को पीछे हटना पड़ा। पहली कोशिश (शायद 1972 में) इंदिरा जी ने की थी और दूसरा प्रयास 2013 में चिदम्बरम ने किया।
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तब कूर्ग में चुनाव थे, अत: जिलाधीश ने सरकार को चिट्ठी लिखी कि – शांति पूर्ण ढंग से चुनाव सम्पन्न करवाने के लिए नागरिको के हथियार जब्त करने की अनुमति दी जाए, और चुनाव के बाद इन्हें बंदूके फिर से वितरित कर दी जाएगी !!
DC’s letter on Kodava firearm licence kicks up a row. .
जब नागरिको को यह जानकारी हुयी तो उन्होंने कलेक्टर एवं Police SP कार्यालय को घेर लिया। उनका तर्क था कि पिछले 150 वर्षो से हम बंदूके रख रहे है, और आज तक कभी क़ानून व्यवस्था की गड़बड़ी नहीं हुयी है, तो किस आधार पर इस तरह का पत्र लिखा गया है। अंतत: सरकार को पीछे हटना पड़ा।
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कूर्ग जिले के नागरिको को बंदूक रखने की छूट ब्रिटिश ने दी थी। और तब से उन्हें लगातार आर्म्स एक्ट में यह छूट दी जाती रही है। कूर्ग के प्रत्येक मूल निवासी को बंदूक रखने और धारण करने की छूट है। और जब वे अपने शहर से बाहर जाते है तब भी उन्हें छूट है कि वे 100 राउंड कारतूस एवं बंदूक साथ में लेकर जा सकते है !! अभी उनकी इस छूट को 2029 तक बढ़ा दिया गया है। और 2029 में इस छूट को फिर से 10 साल आगे बढ़ाना पड़ेगा, क्योंकि वे अपने हथियार किसी भी कीमत पर देने के लिए राजी नहीं है।
Government continues British-era exemption given to Kodavas of Coorg for arms licence
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और वे जब प्रदर्शन करने सड़को पर आते है तो भी उनके हाथो में बंदूक रहती है !! और फिर भी आपको भारत में अपने आस पास हर तरफ ऐसे लोग मिलेंगे जो लगातार यह बात दोहराते है कि भारतीयों को बंदूक देने से वे एक दुसरे को मार देंगे !! क्यों ?
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क्योंकि पेड मीडिया में उन्होंने यही सब देखा पढ़ा सुना है !!! मैं और मेरे जैसे कई कार्यकर्ता पिछले 6-7 साल से विभिन्न मंचो पर कूर्ग के बारे में यह तथ्य रख रहे है, लेकिन आश्चर्य का विषय है कि अभी तक पेड मीडिया के प्रायोजको को अभी तक कूर्ग के बारे में कोई लॉजिक नहीं सूझा है !! बहरहाल, उम्मीद है कि , जल्दी ही वे इस बारे में कोई थ्योरी गढ़ कर लायेंगे ताकि तथ्य होने के बावजूद इसे तर्क से काटा जा सके !!
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तलवार के बारे में यही छूट सिक्खों को 1923 में दी गयी थी। हालांकि सिक्खों को यह छूट ऑफिशियली नहीं है, किन्तु सिक्ख यदि तलवार धारण करता है, तो प्रशासन द्वारा इसकी अवहेलना की जाती है। उल्लेखनीय है कि मास्टर तारा सिंह जी ने कृपाण दा मोर्चा आन्दोलन चलाकर यह छूट देने के लिए गोरो को बाध्य कर दिया था।
भारत के ही कर्नाटक राज्य के कूर्ग जिले में लगभग 70 से 80 % नागरिको के पास बंदूके है, किन्तु वहां पर Gun Crime rate तुलनात्मक रूप से निम्न है।
