परिचय (Introduction)
प्राचीन काल में सूचनाओं के संचार के लिए या तो व्यक्ति से व्यक्तिगत रूप से मिला जाता था; अथवा उसे पत्र भेजा जाता था, लेकिन जैसे-जैसे science and technology ने विकास किया, वैसे वैसे मानव ने science का उपयोग करके विभिन्न प्रकार की संचार प्रणालियों को भी विकसित किया। वर्तमान परिदृश्य में, नेटवर्क, संचार का लोकप्रिय माध्यम बन गया है। इसने जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रवेश पा लिया है। कम से कम व्यय में कंप्यूटर द्वारा विश्व के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से सूचनाओं का आदान प्रदान किया जा सकता है। करोड़ों कंप्यूटर्स का जाल, जो फोन संपर्क, इथरनेट, ISDN या केबल मॉडम आदि से संलग्न है, इंटरनेट कहलाता है। इंटरनेट वस्तुतः संचार का विशाल जाल है और इसकी संभावनाएं भी अनंत है उसमें कुछ निम्न प्रकार है।
(1) स्थानीय टेलीफोन की दर पर आप विश्व के किसी भी भाग में बैठे अपने मित्र और निकट संबंधियों से टेलीफोन पर वार्तालाप कर सकते हैं।
(2) पल भर में चित्र, ध्वनि एवं लिखित डाटा को एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचाया जा सकता है।
(3) प्रबंधक दूरस्थ बैठे आपने सहयोगियों से विचार विमर्श कर सकते हैं।
(4) व्यवसायी, अपने व्यापार के संबंध में यात्रा करते हुए, अपने घर या कार्यालय से संपर्क रख सकते है और कुछ सरल क्लिको द्वारा अपना संदेश भेज सकते हैं।
(5) छात्रों को इंटरनेट के माध्यम से किसी भी विषय पर वांछित जानकारी प्राप्त हो सकती है।
(6) नौकरी के लिए इच्छुक व्यक्ति विश्व के विभिन्न भागों में नौकरी हेतु सूचना दें और ले सकते हैं।
(7) जो छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, वे विभिन्न प्रशिक्षण केंद्रों या विश्वविद्यालयों की जानकारी इंटरनेट के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं।
संचार की परिभाषा (Definition of communication) :
जब दो या दो से अधिक व्यक्ति आपस में कुछ सार्थक चिह्नों, संकेतों या प्रतीकों के माध्यम से विचारों या भावनाओं का आदान-प्रदान करते हैं तो उसे संचार कहते हैं।
संचार के प्रकार (Kinds of communication) :
संचार के प्रकार से तात्पर्य है, वे विभिन्न प्रणालियां जिनके द्वारा हम आंकड़ों का या सूचनाओं का आदान प्रदान करते हैं।
(1) मौखिक संचार (Oral communication)
(2) लिखित संचार (Written communication)
(1) मौखिक संचार (Oral communication) :
जब किसी भी प्रकार के आंकड़ों या सूचनाओं का आदान प्रदान मौखिक रूप से किया जाता है, तो इस प्रकार के आंकड़ों या सूचनाओं के संचार को ‘मौखिक संचार ‘कहते है। जब दो व्यक्ति एक दूसरे के समीप होते हैं तथा परस्पर मौखिक वार्तालाप करते हैं; तब इस परिस्थिति में संचार का माध्यम, वायु होती है।
मौखिक संचार के लिए विभिन्न प्रकार की संचार प्रणालियों का उपयोग किया जाता है। इन संचार प्रणालियों का वर्णन संक्षेप में निम्न प्रकार है।
(a) टेलीफोन :
टेलीफोन के द्वारा हम घर बैठे हुए विश्व के किसी भी स्थान पर स्थित व्यक्ति से वार्तालाप कर सकते हैं। वर्तमान समय में यह है एक अत्यंत महत्वपूर्ण संचार प्रणाली है। इस प्रणाली में संचार का माध्यम, धातु का तार होता है।
(b) इंटरकॉम :
यह टेलीफोन प्रणाली के समान ही होता है, लेकिन इसका प्रभाव क्षेत्र टेलीफोन प्रणाली की अपेक्षा अत्यधिक सीमित होता है। इसका उपयोग केवल किसी भवन में उपस्थित व्यक्तियों के आपस में वार्तालाप करने या किसी संस्था के कार्यालय में किया जाता है।
(c) मोबाइल – फोन सर्विस :
यह प्रणाली में टेलीफोन के समान ही है। इस प्रणाली में संचार का माध्यम, विद्युत चुंबकीय तरंगे होती हैं।
(d) कंप्यूटर के द्वारा वॉइस -चैट :
किस प्रणाली के द्वारा भी हम अपने विचारों, सूचना या आंकड़ों को मौखिक रूप से प्रेषित कर सकते हैं या उन्हें प्राप्त कर सकते हैं। ‘ चैट’ का अर्थ होता है। ‘बातचीत’ अथवा ‘गपशप’। इसका प्रयोग प्रायः कंप्यूटर के द्वारा बातचीत करने में ही किया जाता है। कंप्यूटर के द्वारा वॉइस – चैट करने की यह प्रणाली इंटरनेट पर आधारित है। यह प्रणाली; माध्यम के रूप में, टेलीफोन सुविधा का उपयोग करती है।
इसके अतिरिक्त में मौखिक – संचार प्रणाली के अंतर्गत कंप्यूटर का अत्यधिक महत्व है।
उदाहरण के लिए – विमान उड़ाते हुए चालक से पृथ्वी पर स्थित केंद्र में बैठकर वार्तालाप करने के लिए, कंप्यूटर संचालित संचार – प्रणाली का प्रयोग किया जाता है।
(2) लिखित संचार (Written communication) :
जब किसी भी प्रकार के आंकड़ों या सूचनाओं का लिखित रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रेषित किया जाता है। तो इस प्रकार के संचार को लिखित संचार कहते हैं। लिखित संचार से संबंधित प्रमुख प्रणालियों की संक्षेप में जानकारी निम्न प्रकार है।
(a) पत्र :
यह अत्यंत पुरानी और वर्तमान में भी अत्यधिक प्रचलित प्रणाली है। वर्तमान में प्रचलित अन्य लिखित प्रणालियों की अपेक्षा, इस प्रणाली की गति बहुत धीमी है। इसी कारण वर्तमान समय में इसका प्रचलन कुछ कम हो गया है। यह लिखित संचार का सबसे सस्ता माध्यम है ।
(b) फैक्स :
इसके द्वारा किसी भी लिखित सामग्री का प्रेषण देश-विदेश में किया जा सकता है। इसमें प्रेषण के लिए; माध्यम के रूप में टेलीफोन प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा किसी भी प्रकार की लिखित सामग्री को बहुत कम समय में एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जा सकता है। यह प्रणाली अपेक्षाकृत कुछ महंगी होती है।
(c) पेजर :
इसके द्वारा भी लिखित सूचनाओं का संचार किया जाता है। इसके द्वारा कोई भी प्रयोग करता सूचनाओं को केवल ग्रहण कर सकता है। सूचना प्रेषण के लिए एक बड़ी उपकरण प्रणाली का प्रयोग किया जाता है, जिसको किसी संस्था द्वारा चला जाता है। पेजर के द्वारा केवल सूक्ष्म में सूचनाओं को ही ग्रहण किया जा सकता है। यह प्रणाली बेतार संचार पर आधारित होती है।
(d) ईमेल :
लिखित आंकड़ों एवं सूचनाओं को प्रेषित या ग्रहण करने की यह अत्यंत परिष्कृत प्रणाली है। इस प्रणाली के द्वारा हम आंकड़ों का प्रेषण एवं अभि – ग्रहण इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से करते हैं, इसीलिए इसे ईमेल कहते हैं। ई-मेल की सुविधा हमें इंटरनेट के द्वारा प्राप्त होती है।
इंटरनेट पर कुछ विशेष वेबसाइट है जो हमें ई-मेल के लिए स्थान प्रदान करती है। ईमेल के द्वारा हम किसी भी प्रकार के आंकड़ों को; चाहे वह श्रव्य रूप में हो या दृश्य रूप में, एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचा सकते हैं। इस प्रणाली के द्वारा सूचनाओं का प्रेषण एवं अभि – ग्रहण करने के लिए कंप्यूटर का प्रयोग किया जाता है।

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संचार के माध्यम ( Medium of communication) :
संचार माध्यम का अर्थ उन विविध भौतिक परिसरों से है जिनके द्वारा संचार संकेत गुजरते हैं। संचार माध्यम दो प्रकार के होते हैं।
(1) तार संचार
(2) बेतार संचार
तार संचार में चुंबकीय सिग्नलों के प्रेषण के लिए चालक की आवश्यकता होती हैं, जबकि बेतार संचार में इसकी आवश्यकता नहीं होती। प्रत्येक संचार माध्यम के कुछ विशिष्ट लक्षण होते हैं, अग्र लिखित घटको से संबंधित होते हैं।
(1) व्यय (Cost)
(2) क्षमता (Capacity)
(3) संस्थापन में सरलता (East of Installation)
(4) विद्युत चुंबकीय व्यतिकरण से प्रतिरक्षण (Immunity from Electro – magnetic Interface)
(5) क्षीणता (Attenuation)।
किसी भी संचार माध्यम की क्षमता को सामान्यतः ‘बैंड – चौड़ाई’ (Band width) में व्यक्त करते हैं। यह आवृत्तियों के उस समूह को इंगित करती हैं, जो आंकड़ों के संचार के लिए उपलब्ध है। वस्तुतः बैंड की चौड़ाई; किसी संचार प्रणाली के आंकड़ों के स्थानांतरण की क्षमता का प्रतीक है। तकनीकी शब्दों में, प्रति चक्र आवृत्ति के परास (Range) को ‘बैंड – चौड़ाई’ कहते हैं। इसे ‘हर्टज’ में मापा जाता है।
तार संचार माध्यम (Cable Transmission Media)
तार द्वारा संचार पर आधारित हम निम्न प्रकार के तार माध्यमों का प्रयोग करते हैं।
(1) व्यावर्तित युग्म तार (Twisted Pair Cable),
(2) समाक्ष तार (Co-axial Cable),
(3) प्रकाशिक तन्तु तार (Optical fibre cable)।
(1) व्यावर्तित युग्म तार (Twisted Pair Cable) :

इस प्रकार के संचार माध्यम का प्रयोग ऐसी व्यवस्था में किया जाता है जहां ट्रांसमीटर तथा रिसीवर के मध्य अधिक दूरी न हो। टेलीफोन लाइन इसी प्रकार का संचार माध्यम है जिसका डेटा संचरण में अत्यधिक प्रयोग किया जाता है। इसमें दो सुचालक तांबे के तारों को आपस में लिपटा कर एक तार का रूप दिया जाता है। इन्हीं आपस में से इसलिए लपेटा जाता है जिसे ने तारों में संचरित हो रहे डाटा के कारण इनके डेटा संचरण में कोई बाधा उत्पन्न ना हो। इन तारों की मोटाई 22 या 24 गेज की होती है। इन पर प्लास्टिक अथवा अन्य किसी कुचालक पदार्थ का आवरण चढ़ा होता है। बाहरी बाधाओं से बचाने के लिए इन दोनों तारों के ऊपर भी कभी-कभी एक प्लास्टिक का खोल चढ़ा दिया जाता है। खोल चढ़े तार से डाटा प्रसारण के समय न्यूनतम बाधा होती है।
लिफ्ट हुए तारों का प्रयोग सामान्यतः टर्मिनल को मुख्य कंप्यूटर से जुड़ने के लिए किया जाता है। इसकी डाटा प्रसारण गति 9600 BPS तक होती है। यह दोनों प्रकार के सिग्नल (एनालॉग एंड डिजिटल) प्रसारित कर सकते हैं, लेकिन टेलीफोन लाइन मात्र एनालॉग सिगनल प्रसारित करती है। यह सस्ता और आसानी से उपलब्ध होने वाला संचार माध्यम है।
विशेषताएं :
twisted pair cable की विशेषताएं निम्नलिखित हैं।
(1) वयावर्तित युग्म के द्वारा एनालॉग एवंडिजिटल दोनों ही प्रकार के आंकड़ों को संचारित किया जाता है।
(2) यह माध्यम तुलनात्मक रूप से काफी सस्ता होता है।
(2) समाक्ष तार ( Co – axial cable) :

समक्ष तार भी टेलीफोन लाइन की तरह खत्री प्रचलित संचार माध्यम है। घर में प्रयोग होने वाले केबल टीवी नेटवर्क के लिए प्रयुक्त होने वाला संचार माध्यम तार ही है, जिससे केबल के नाम से भी जाना जाता है।
समक्ष तार का प्रयोग लंबी दूरी के टेलीफोन नेटवर्क एवं LAN कंप्यूटर नेटवर्क के लिए भी किया जाता है। इसमें भी दो सुचालक होते है, लेकिन वह एक दूसरे के संपर्क में नहीं रहते हैं। केवल के सबसे भीतर के भाग में एक से चालक तार के रूप में होता है, जो तांबे का बना होता है। इसके ऊपर एक प्लास्टिक का आवरण चढ़ा होता है। इस आवरण के ऊपर दूसरा सुचालक, तांबे की महीन जाली के रूप में लिपटा होता है अर्थात यह दोनों सुचालक एक दूसरे से कुचालक के माध्यम से पृथक रहते हैं, जिस कारण इन दोनों में संचरित हो रहे अलग-अलग तीव्रता के डाटा सिग्नल एक दूसरे के संचरण में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं करते हैं। बाहर वाले सुचालक के ऊपर पुनः एक प्लास्टिक की परत चढ़ी होती है जो केवल को मौसम संबंधी व्यवधानों से भी सुरक्षित रखती है। समाक्ष तार का व्यास 0.4 इंच से लेकर 1.0 इंच तक हो सकता है। समक्ष तार की बैंड – विथ अधिक होती है, फलस्वरूप ये 10 मेगा बिट प्रति सेकंड की उच्च गति से डाटा संचरित कर सकते हैं। यह दोनों प्रकार के सिग्नल, डिजिटल एवं एनालॉग प्रसारित कर सकते हैं। इनकी उच्च डाटा प्रसारण क्षमता के कारण इनका प्रयोग कंप्यूटर से कंप्यूटर के मध्य संचरण में भी किया जाता है।
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विशेषताएं :
समक्ष तार की विशेषताएं निम्नलिखित है।
(a) समक्ष तार का प्रयोग मध्यम दूरी के लिए किया जाता है।
(b) इसका प्रयोग आसान है, लेकिन twisted pair cable की तुलना में महंगा है।
(c) इसकी बैंडविथ twisted pair से अधिक होती है।
(3) प्रकाशिक तंतु तार (Optical fibre cable) :
यह ऑप्टिक्स तार, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिगनल (Analogue and Digital) को प्रकाश तरंग में परिवर्तित कर संचरित करता है, अतः डाटा संचरण प्रकाश तरंग की गति से होता है। एक फाइबर ऑप्टिक केबल में हजारों महीने लाइने होते हैं जो शीशे अथवा प्लास्टिक की बनी होती हैं। यह लाइने अत्यंत महीन मात्र 2 से 200 माइक्रोमीटर व्यास की होती हैं। इन लाइनों को ‘फाइबर’ कहते हैं, वैसे तो फाइबर के निर्माण के लिए उच्चतम धातु अल्ट्रा शुद्ध सिलिका है, लेकिन यह आसानी से उपलब्ध नहीं होती है। इसकी जगह सही से अथवा प्लास्टिक का प्रयोग किया जाता है। जो कि संस्था एवं आसानी से उपलब्ध होने वाला साधन है। इन सभी फाइबर को एक बंडल के रूप में इकट्ठा कर इन पर प्लास्टिक अथवा शीशे का आवरण चढ़ा कर एक केवल का रूप दे दिया जाता है, जिसका स्वरूप बेलनाकार होता है।

प्रकाशिक तंतु की प्रतीक लाइन अलग तीव्रता का इनपुट डाटा संचरित कर सकता है। इस प्रकार एक ही प्रकाशिक तंतु केवल हजारों टेलीफोन लाइनों का डाटा अथवा हजारों ट्रांसमीटरों का डाटा अलग-अलग प्रसारित कर सकता है। इसके द्वारा प्रसारण में किसी प्रकार का शोर अथवा अन्य व्यवधान उत्पन्न नहीं होते हैं। इसकी तेज प्रसारण गति एवं अधिक मात्रा में डाटा प्रसारण करने की क्षमता के कारण बड़ी-बड़ी कंपनियों में LAN कंप्यूटर नेटवर्क के लिए इसी माध्यम का प्रयोग किया जा रहा है।
प्रकाशिक तंतु व्यवस्था में, पहले एनालॉग अथवा डिजिटल सिग्नल को मॉड्यूलर युक्ति द्वारा प्रकाश सिंग्नल में परिवर्तित कर प्रकाश स्रोत को दे दिया जाता है। प्रकाश स्रोत के रूप में लाइट उत्पन्न करने वाले डायोड का प्रयोग किया जाता है, जो प्रकाश किरणों को प्रकाशित तंत्तु खिलौनों में प्रसारित कर देता है। प्रकाशिक तंतु केबल के दूसरे सिरे पर फोटो इलेक्ट्रिक डायोड लगा होता है जो इन प्रकाश तरंगों को ग्रहण कर उन्हें पुनः एनालॉग और डिजिटल सिग्नल में परिवर्तित कर एंपलीफायर को दे देता है, जो रिसीवर को प्रसारित करता है।
लेजर डायोड का उपयोग करने पर डाटा प्रसारण गति 2500 mega BPS तक पहुंच सकती है, जो कि अत्यधिक तीव्र है।
विशेषताएं :
(a) प्रकाशिक तंतु कॉपर की तुलना में बहुत हल्के होते हैं तथा कॉपर की तुलना में स्थान भी कम घेरते हैं।
(b) प्रकाशिक तंतु द्वारा आंकड़े संचरित किए जाने वाले प्रकाश सिंग्नलो पर किसी भी प्रकार के इंटरफ़ेस का प्रभाव नहीं होता।
(c) प्रकाशिक तंतु तकनीक तुलनात्मक रूप से जटिल तथा महंगी होती है।
(d) इसका प्रयोग एनालॉग एवं डिजिटल दोनों ही प्रकार की ट्रांसमिशन में किया जा सकता है।
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बेतार संचार माध्यम (Wireless communication medium)
बेतार संचार प्रणाली में, सिगनलों का प्रेषण एवं अभि – ग्रहण बिना किसी तार के होता है। इसलिए इन्हें ‘बेतार संचार प्रणाली’ कहते हैं। इन्हीं निम्नलिखित माध्यमों के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है।
(1) रेडियो तरंग (Radiowave),
(2) सूक्ष्म तरंग (Microwave),
(3) अवरक्त प्रकाश (Infrared light)।
(1) रेडियो तरंग (Radiowave) :
विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम के उस भाग को; जिसकी आवृति 10 किलो हर्टज से 1 गीगा हर्टज के मध्य होती है, सामान्यतः ‘रेडियो – आवृत्ति’ कहते हैं। निम्नलिखित प्रसारण बैंड इसी आवृत्ति के अंतर्गत आते हैं।
(a) लघु तरंग रेडियो,
(b) अति उच्च आवृत्ति वाले टेलीविजन और FM रेडियो,
(c) अत्यधिक उच्च आवृत्ति वाले रेडियो और टेलीविजन।
(2) सूक्ष्म तरंग (Microwave) :
सूचना संचार में, कुछ विशेष प्रकार के उपकरणों द्वारा, रेडियो सिग्नलों का प्रेषण किया जाता है; वे आवृतियां; जिन पर सूक्ष्मतरंग रेडियो सिनलों का परीक्षण किया जाता है; उनको ‘रेडियो आवृत्तियां’ कहते हैं। माइक्रोवेव सिग्नल दो प्रकार से संचारित किए जा सकते हैं।
(a) रिपीटर केंद्र के माध्यम से,
(b) उपग्रह संचार के माध्यम से।
यह दोनों ही तकनीक ट्विस्टेड केबल तकनीक की अपेक्षा उच्च गति और बृहद मात्रा में डाटा का संचरण करती है।
(3) अवरक्त प्रकाश (Infrared light) :
बेतार संचार का एक अन्य माध्यम ‘अवरक्त प्रकाश’ है। औरत प्रकाश द्वारा संचार प्रणाली के अंतर्गत केंद्रों के मध्य आंकड़ों के आदान-प्रदान के लिए विशेष प्रकार के डायोड वाल्वो का प्रयोग किया जाता है। अवरक्त प्रकाश; दिवार या अन्य अपारदर्शी माध्यमिक यार पर नहीं जा सकता। औरत प्रकाश संचार प्रणाली का प्रयोग अधिकांशतः छोटा खुले स्थान पर संचालित किया जाता है।
अवरक्तप्रकाश संचार प्रणाली के लाभ :
बेतार संचार प्रणाली पर आधारित इस माध्यम के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं।
(a) अवरक्तप्रकाश के उपकरण अपेक्षाकृत सस्ते होते हैं।
(b) इनमें कुछ संचार दर संभव होती है।
(c) इनमें प्रच्छन्न श्रवण नहीं होता।
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संक्षेप में
हमने आपको ऊपर अपने पोस्ट में जितनी आवश्यक जानकारियां दी गई हैं संचार क्या है? कितने प्रकार का होता है? संचार के माध्यम क्या है? संसार के कितने माध्यम होते हैं? मौखिक और लिखित संचार की प्रणालियां और इनके प्रकार । इन सारी जानकारियों के बारे में अगर आपको पता हो तो कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं इन पूरी जानकारियों को विस्तार से अच्छे से पढ़ लीजिएगा।
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