क्या हम भारत में चीनी उत्पादों से छुटकारा पा सकते हैं?

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चीन की सेना भारत की सेना से कई गुना ज्यादा ताकतवर है, अत: हम चीनी उत्पादों से बच नहीं सकते। यदि हम अपनी सेना को चीन से ज्यादा ताकतवर बना ले तो हम चीन के बढ़ते नियंत्रण से छुटकारा पा सकते है। किन्तु तब अमेरिकी-ब्रिटिश कम्पनियां हमारी पूरी अर्थव्यवस्था को टेक ओवर कर लेगी। और यदि हमें अमेरिकी-ब्रिटिश से बचना है तो यह जरुरी है कि हमारी सेना अमेरिका के बराबर ताकतवर हो।
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इस जवाब में मैंने ज्यादातर चीन के बढ़ते हुए नियंत्रण के बारे में बताया है, इसके समाधान के बारे में मैं फिर किसी जवाब में लिखा जाएगा।

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(0) चीन का नियंत्रण भारत में क्यों बढ़ रहा है ?
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(A) चीन के पास बड़े पैमाने पर तकनिकी उत्पादन करने का आधार है, जिसकी वजह से वे ऐसी वस्तुएं बनाते है, जो भारत नहीं बना पाता। और इसीलिए चीन से हमें ये वस्तुएं लेनी पड़ती है। यदि भारत को चीनी उत्पादों से छुटकारा पाना है तो गेजेट में ऐसे क़ानून छापने होंगे जिससे हम भारत में स्वदेशी तकनिकी उत्पादन बढ़ा सके।
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अमेरिकी-ब्रिटिश कम्पनियां बेहद उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाती है, और भारत के विशाल मध्य वर्ग के लिए यह काफी महंगे है। अत: हम सस्ते और चिल्लर तकनिकी उत्पादो के लिए चीन पर निर्भर होते जा रहे है। या तो खुद बनाओ या चीन से लो। दूसरा कोई रास्ता नहीं है। चीनी वस्तुओ का बहिष्कार करना इतना बकवास रास्ता है कि मैं इस पर बात करके भी अपना टाइम जाया नहीं करना चाहता।
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(B) लेकिन सिर्फ तकनिकी उत्पादन करने से भी हम चीनी सामान से छुटकारा नहीं पा सकते। इसके लिए यह जरुरी है कि हमारी सेना चीन का मुकाबला करने में आत्मनिर्भर हो। मतलब यदि चीन के मोबाईल रोकने है तो सिर्फ चीन से बेहतर मोबाईल बनाकर हम उन्हें नहीं रोक सकते। इसके लिए हमें चीन से अच्छे फाइटर प्लेन बनाने होंगे !! हम चीन से बेहतर फाइटर प्लेन बनेंगे तो चीन के मोबाईल रुकेंगे। वर्ना नहीं।
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भारत की सेना कमजोर होने के कारण चीन भारत पर उन कानूनों को गेजेट में छापने के लिए दबाव बनाता है जिससे चीन का भारत की अर्थव्यवस्था में नियंत्रण बढे। और इस तरह का दबाव सैन्य ताकत द्वारा बनाया जाता है। अन्तराष्ट्रीय मामलों में कोई कूटनीति वगेरह नहीं होती है। ये परले दर्जे की बकवास है, जिसे पेड मीडिया एवं पेड रक्षा विशेषज्ञों द्वारा नागरिको की आँखों में धुल झोंकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। सारी कूटनीति बातें सीधे लफ्जो में होती है।
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उदाहरण के लिए, चीनी आकर सीधे यह कहते है कि हमें भारत के अमुक ट्रेन ट्रेक पर रेल चलाने के ठेके दो, इतने उतने कर मुक्त सेज दो, वर्ना हम अपनी सेना भारत की सीमा में घुसा देंगे। अब यदि भारत उनकी बात मान जाता है तो कूटनीति सफल है, और भारत अपनी अर्थव्यवस्था के क्षेत्र चीनियों के हवाले कर देगा। यदि भारत टालता रहता है तो शी जिनपिंग भारत की सीमा में सेना घुसाना शुरू करेंगे। जैसे ही 5 किलोमीटर सेना अन्दर घुसेगी भारत उनकी मांगे मान लेगा और सेना लौट जाएगी। बस यही विदेश नीति है।
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और फिर समाधान की गलत दिशा में धकलने के लिए पेड मीडिया एवं आई टी सेल को चीनी आयटमो का बहिष्कार करने के लिए कैम्पेन चलाने के लिए कह दिया जाता है। कार्यकर्ता इस बात को समझ नहीं पाते कि चीनी भारत सरकार के जरिये घुस रहे है, तो इस तरह के फर्जी बहिस्कार कैम्पेन से चीनियों को रोका नहीं जा सकता।
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निचे कुछ उदाहरण दिए है जिससे आप जान सकते है कि चीनी आयटमो के इस तरह के फर्जी बहिष्कार कैम्पेन किस तरह चीनियों के लिए कवर का काम करते है, और वे सरकार को बाध्य करके किस तरह भारत में तथा भारत की सीमओं पर अपना नियंत्रण बढाते जा रहे है :
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(1) इंडस्ट्रियल पार्क एवं सेज : 2014 में मोदी साहेब के पीएम बनने के बाद शी जिनपिंग पहली बार मोदी साहेब से मिलने भारत आये थे। और जब वे भारत आये तो अपनी सेना साथ लेकर आये। जैसे ही शी ने अहमदाबाद में लेंड किया वैसे ही चीन की सेना ने भारत में घुसना शुरू किया।
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चीनी दो मोर्चो पर भारत की सीमा में 5 किलोमीटर तक अन्दर घुस आये। भारत ने चीन को 5 इंडस्ट्रियल पार्क, सेज और हाई स्पीड ट्रेन चलाने के ठेके दिए। डील होने के बाद जब शी जिनपिंग भारत से निकल गए तब चीन की सेना ने भारत छोड़ा !!! और जब शी जिनपिंग भारत आये तो इससे पहले उन्होंने अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करने वाले बयान दिए व अरुणाचल प्रदेश को चीन के नक़्शे में भी दिखाया !!!
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यह खबर पढ़ें – China’s President Talks Trade in India as Troops Face Off at Border
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1.1. और ये इंडस्ट्रियल पार्क एवं सेज क्या है ?
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इनका आकार 100 एकड़ से 1000 एकड़ होगा, इन चाइनीज़ पार्को में यातायात, परिवहन, बिजली, पानी आदि के लिए चाइनीज़ नियम लागू होंगे। लेबर लॉ, PF लॉ, LBT , कस्टम, जीएसटी आदि टेक्स इन पर या तो इन पर लागू नही होंगे या फिर इन्हें कई प्रकार की छूटें मिलेगी। इन कम्पनियों को 30% आयकर भी नही देना होगा। हमारी देशी कम्पनियो को ये सब टेक्स चुकाने होंगे और वो लागत बढ़ने से मार्केट से बाहर हो जायेगी। चाइनीज़ हमारे यहाँ का कच्चा माल और सस्ता लेबर उपयोग कर के भारत के बाज़ार में अकल्पनीय माल डंप कर देंगे और उन्हें भारी मुनाफा होगा ।
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1.2. और हमें इस मुनाफे के बदले में डॉलर भी चुकाने होंगे !!!
तो आप खुद अंदाजा लगा सकते है कि जब सरकार चीनियों को 1000 एकड़ के कर मुक्त प्लाट पकड़ा रही है, ताकि वे यहाँ आकर उत्पादन करे तो आप उन्हें कैसे रोकेंगे !!! ये सेज / इंडस्ट्रियल पार्क उत्पादन इकाइयां नहीं है, बल्कि भारतीय इकाईयों के लिए क़त्ल खाने है।
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सेज में एक्सपोर्ट के नाम पर ये टेक्स में छूट ले लेते है, और यह खुली हुयी बात है कि सेज इकाइयां शेल कम्पनियां खोलकर राउंड ट्रिपिंग करती है, और फर्जी एक्सपोर्ट दिखाती है। चीनियों के पास काफी डॉलर है। वे भारत में आने बाद हमारे मंत्रियो को घूस देकर और भी ऐसे क़ानून छपवाएंगे जिससे भारत की स्थानीय इकाइयां और भी बर्बाद हो जायेगी। और समस्या यह है कि भारत के कार्यकर्ता नेताओं के भाषण सुनते है, लेकिन इस बात पर ध्यान नहीं देते कि उनके नेता गेजेट में क्या क़ानून छाप रहे है !!
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1.3. 2014 में एग्रीमेंट हुआ था, और फिर आगे की प्रक्रिया शुरू हुयी। बीच में भारत की तरफ से काम में रुकावटें डाली जाने लगी तो 2017 में चीन ने फिर से अपनी सेना भारत में भेजकर हमारे दो बंकर नष्ट कर दिए, और मानसरोवर यात्रियों का जत्था रुकवा दिया !!
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Face-off between Chinese, Indian troops in Sikkim after PLA ‘transgression’ – Times of India ►
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1.4. अभी चाइना ने विभिन्न राज्यों में अपने पार्क का इन्फ्रास्त्रक्चर लगाना शुरू किया है, और जल्दी ही ये कार्यशील हो जायेंगे
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2018 की खबर – Chinese investments in special economic zones in India
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बीच में यदि रुकावट आई तो फिर से चीन की सेना भारत में घुसेगी !!
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(2) चाइनीज रेलवे : अब चाइना की नजर भारत के हाई स्पीड रेलवे नेटवर्क पर है। चीन भारत में कई हाई स्पीड कोरिडोर्स खरीदना चाहता है, ताकि रेलवे सेक्टर को टेक ओवर कर सके।
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India seeks China’s help for speeding-up of Bangalore-Chennai train corridor
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2.1. चाइना कुमिंग को कलकत्ता से भी जोड़ना चाहता है। यदि चीन यह रूट हथिया लेता है तो पूर्वोतर राज्यों पर भारत की पकड़ कमजोर हो जायेगी। ट्रेन रूट द्वारा चीन भारत के बाजार को चीनी उत्पादों से पाट देगा। पेड बुद्धिजीवी इस योजना को यात्रियों की संख्या की नजर से अव्यवहारिक बता रहे है। किन्तु चीन की योजना इस रूट से भारत में बड़े पैमान पर माल डंप करने की है।
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China wants to build bullet train service with India that connects Kunming and Kolkata
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अब यदि आप किसी भी समझदार किस्म के पेड विशेषग्य से पूछेंगे कि, जब शी जिनपिंग भारत आते है तो अपनी सेना भी साथ ले आते है, और फिर उनके सैनिक आकर हमारे बंकर नष्ट कर देते है, तो हम उन्हें भारत में कर मुक्त सेज क्यों दे रहे है ? तो वे बहुत ही राजदाराना लहजे में आपको यह समझायेंगे कि यह कूटनीति है, तुम नहीं समझोगे !!! और फिर वे इसे विकास से भी जोड़ देंगे !!
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(3) चीन का POK पर नियंत्रण : चीन ने POK स्थित झेलम नदी पर 1100 मेगावाट जो की क्षमता में दुनिया का सबसे बड़ा पॉवर प्रोजेक्ट होगा का निर्माण शुरू किया। भारत ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया है क्योंकि इससे हमारी सुरक्षा को खतरा है। किन्तु 2015 में चीन ने हमारे विरोध को खारिज कर दिया !! और तो और इस प्रोजेक्ट के लिए पैसा भी उस बैंक (AIIB) से आ रहा है जिसमे हमने बिलियंस ऑफ़ डॉलर्स दे रखें है !!
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China firm to build mega dam in PoK despite India’s strong opposition
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तो जब हमारे सम्बन्ध इतने अच्छे है कि 2014 में हम चीनियों को कर मुक्त सेज देते है, तो चीन बाँध पर भारत के ऐतराज को खारिज क्यों कर देता है ? पेड रक्षा विशेषग्य कर्हेंगे कि यह अन्तराष्ट्रीय कूटनीति है। पर मैं कहूँगा कि चीन की सेना इतनी ताकतवर हो चुकी है कि वह हमारे ऐतराज वगेरह सुनता भी नहीं है, और हमारे नेता भी जब ऐतराज दर्ज करवाते है तो उन्हें पता होता है कि वे एक रस्म पूरी कर रहे है !!
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(4) तिब्बत : चीन ने तिब्बत में दुनिया का सबसे ऊँचे और बड़े बाँध का निर्माण कर लिया है। ब्रह्मपुत्र नदी पर बने इस विशालकाय बाँध से चीन 2.5 बिलियन किलो वॉट बिजली का सालाना उत्पादन करेगा। थोड़ी बहुत बिजली तिब्बत को भी मिलेगी, बाकी चीन को जायेगी। भारत इस परियोजना पर शुरू से ही एतराज जताता आ रहा था, क्योंकि इससे पूर्वोत्तर भारत की पारिस्थितिकी चीन के नियंत्रण में आ जायेगी, और चीन किसी भी समय बाँध के गेट खोलकर पूर्वोत्तर के राज्यों को जल-मग्न कर सकता है।
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China operationalises biggest dam on Brahmaputra in Tibet, India worried
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(5) श्रीलंका : श्रीलंका ने अपने तट का १०० हेक्टेयर का इलाका चीन को 99 साल की लिज़ पर दे दिया है। चीन वहाँ पर 1.4 बिलियन डॉलर खर्च करके अपना पोर्ट बना रहा है, और चीन ने वहाँ अपना युद्धपोत और पनडुब्बी भी तैनात की। भारत ने श्रीलंका से इस प्रोजेक्ट को नामंजूर करने को कहा तथा इसे श्रीलंका ने रोक भी दिया था। लेकिन इस प्रोजेक्ट को फिर से मंजूरी मिल गयी और काम शुरू हो गया। मोदी साहेब और अजित डोभाल साहेब ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया, जिसे श्रीलंका सरकार ने खारिज कर दिया है।
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India Asked Lanka to Stop Colombo Port City Project, Says Gotabaya
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(6) मालदीव भी : मालदीव ने चीन को मालदीव के टापू खरीदने और उनको विकसित करने के लिए क़ानून बनाकर अनुमति दी। अब चीन भारत और मालदीव के बीच बिखरे इन टापुओं का अधिग्रहण करके और नए टापू भी बना रहा है। इससे भारत और चीन के बीच मालदीव की उपस्थिति लुप्त हो जायेगी और चीन सीधे भारत तक बढ़ आएगा। भारत सरकार ने इस पर चिंता व्यक्त की है, किन्तु चीन और मालदीव ने भारत को “चिंता न करने” को कहा है।
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Get Ready: China Could Build New Artificial Islands Near India
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(7) और नेपाल भी : मधेशी नेपाल और भारत के उत्तरी राज्यों की सीमा से लगे नेपाल के तराई क्षेत्र में रहते है, तथा भारत के प्रतीकात्मक प्रतिनिधी माने जाते है। चीन ने नेपाल को चाबी दी जिसके फलस्वरूप नेपाल ने अपने नए संविधान में मधेशीयों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं दिया, और इस वजह से भारत और नेपाल के रिश्ते बिगड़े।
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विरोध प्रदर्शन की हिंसा में 50 से ज्यादा मधेशी मारे गए और नेपाल के स्थानीय गैर मधेसी समुदाय में एंटी इंडिया सेंटीमेंट्स पैदा हो गए। चीन ने नए संविधान का स्वागत किया, और चीन ने नेपाल को तेल-गैस आदि की आपूर्ति शुरू कर दी है। पहली बार चीन एवं नेपाल ने साझा युद्धाभ्यास करना शुरू किया। भारत की नाराजगी पर नेपाल के प्रधानमंत्री का कहना है कि भारत उनके निजी मामलो में टांग न अड़ाए तो बेहतर होगा !!
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नेपाल को इंटरनेट सेवा अब तक भारत उपलब्ध करवाता था, किन्तु अब चीनी उस पर कब्ज़ा कर रहे है !!!
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Nepal to get internet connection from China
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चाइना एवं नेपाल को चीन से जोड़ने के लिए अब ट्रेन ट्रेक भी डाल रहा है। ट्रेन रूट से कनेक्ट हो जाने के बाद चीन का नियंत्रण नेपाल पर काफी बढ़ जाएगा।
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China’s growing footprint in Nepal: Challenges and opportunities for India | ORF
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कुल मिलाकर नेपाल में चीन अपने कदम बढ़ा चुका है और जल्दी ही हम श्री लंका, मालदीव की तरह नेपाल भी चीन के हाथों गँवा देंगे !! आखिर नेपाल को भी चीन के तकनिकी उपकरण जैसे मोबाईल फोन, डीवीडी प्लेयर, हथियार आदि चाहिए। भारत तो ये सब खुद चीन से ले रहा है, तो नेपाल को भारत क्या आर्थिक लाभ दे सकेगा !!
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Should Rising China-Nepal Military Ties Worry India?
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ऊपर दिया गया सारा विस्तार पिछले 6-7 वर्षो के दौरान किया गया है। उपरोक्त ब्यौरों से मैं यह बिंदु स्पष्ट करना चाहता हूँ कि चीन सभी तरफ से भारत की तरफ तेजी से बढ़ रहा है, और उसने अब भारत में भी अपना सेट अप लगाना शुरू कर दिया है।
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चीन हमले की स्थिति में है। हमारी सेना परजीवी होने के कारण हम चीन के इस सामरिक-आर्थिक हमले को नहीं रोक सकते। यदि हम आर्थिक रूप से रोकने की कोशिश करेंगे तो चीन सामरिक नुकसान पहुंचाकर भारत में घुसेगा। और यदि हम चीन को रोकने के लिए अमेरिका की शरण लेंगे तो अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारत को पूरी तरह से निगल जायेगी !!
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यदि बचना है तो सिर्फ एक रास्ता है – हमें अपनी सेना को आत्मनिर्भर बनाना होगा। इतना आत्मनिर्भर कि हम अमेरिका के सामने टिक जाएँ। वर्ना चीन से बचाने की एवज में अमेरिका हमें खा जाएगा। भारत के तमाम नेता और राजनैतिक पार्टियाँ अमेरिका के सामने पूरी तरह से समर्पण कर चुके है और वे भारत को अमेरिकी कम्पनियों के सुपुर्द करने के लिए काम कर रहे है !!
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तो कार्यकर्ताओ को यह बात समझ लेनी चाहिए कि , जब भी हम चीनी उत्पादों को रोकने की कोशिस करेंगे तो हमें चीन की सेना से डील करना पड़ेगा। हम चीन की सेना से डील नहीं कर सकते और इसीलिए हमें चीनियों को भारत में घुसने की अनुमति देनी पड़ रही है। और भारत ही क्यों हमारे सभी पडौसी देशो की यही स्थिति है। चीन सभी को बलात रूप से टेक ओवर करता जा रहा है।
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(8) टाइम पास समाधान : चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करो। ये समाधान बकवास इसीलिए है क्योंकि पैसा मुफ्त में नहीं आता। व्यक्ति जब कोई वस्तु खरीदता है तो वह चाहता है कि उसे कम पैसे में बेहतर वस्तु मिले। उसे आप राष्ट्रवाद का चकमा देकर घटिया एवं महंगी वस्तु खरीदने के लिए सिर्फ क्षणिक तौर पर ही प्रेरित कर सकते है। वास्तव में नहीं।
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(9) वास्तविक समाधान : सेना को आत्मनिर्भर एवं मजबूत बनाने के लिए हमें नए कानूनों की पूरी सीरिज चाहिए। किसी देश के तकनिकी उत्पादन की गुणवत्ता को तय करने वाले कई तत्व है। इन तत्वों में निम्नलिखित 5 तत्व इसे सबसे अधिक प्रभावित करते है :
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(A) अदालतें
(B) कर प्रणाली
(C) भू प्रबंधन के क़ानून
(D) जज-पुलिस-राजनेता का भ्रष्टाचार
(E) गणित-विज्ञान की शिक्षा का स्तर
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जजों का भ्रष्टाचार इंजीनियरिंग गुणवत्ता को सबसे ज्यादा एवं गणित-विज्ञान की शिक्षा का स्तर सबसे कम प्रभावित करता है। भारत के सभी सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार है, किन्तु भारत के जज तुलनात्मक रूप से सबसे ज्यादा भ्रष्ट है। और इसीलिए भारत तकनिकी उत्पादन में पिछड़ गया है। इनमे से दो तत्वों के बारे में विवरण एवं समाधान मैंने अन्य जवाबो में लिखा है। शेष 3 तत्वों पर मैं फिर किसी जवाब में लिखूंगा।

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