LIC ( Life Insurance Corporation) अब आग्रह की नहीं, सट्टे की विषय वस्तु है। भारत सरकार (Government of Bhakto) ने जीवन बीमा निगम में IPO(Initial Public Offering) के जरिए अपनी 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर मात्र ₹21000 करोड़ उगाने जा रही है। इस हिस्सेदारी को बेचने के बाद LIC के मुनाफे में भारत सरकार की हिस्सेदारी घटकर 96.5 फीसदी रह जाएगी।
साधारण भाषा में कहे तो भारत सरकार सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को काटकर धन अर्जन करने जा रही है। GoB ने पहले भी (अमरीका के कहने पर) बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 74 फीसदी तक करके LIC पर कतरने का पूरा प्रयास किया था, लेकिन अब योजना लंबे समय में LIC को पूरी तरह निपटाने की है। सामान्य से कम बुद्धि रखने वाले यू समझे कि LIC का नाम तो Maruti की तरह रहेगा, पर उसमें भारतीय पुट धीरे धीरे खत्म होता जाएगा।
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IPO क्या है?
IPO का पूरा नाम (Initial Public Offering) है। अभी हाल ही में LIC का IPO जारी हुए हैं। भारत सरकार का कहना है कि इस IPO में लंबे समय तक निवेश करने से अच्छा लाभ प्राप्त होगा, तो LIC फिलहाल ही 5 साल में पैसा डबल करती है। अगर आप ₹200 रोज की पॉलिसी भी लेते है तो 20 वर्षों में 28 लाख और लाइफ कवर मिलता है, जो कि शत प्रतिशत तय होता है। IPO में कुछ भी तय नहीं है। GOB का कहना है कि एल.आई. सी. (LIC) के मूल्य को अनलॉक करने से भारतीय जनता को लाभ होगा, जो कि बेहद हास्यास्पद है क्योंकि शेयर बाजार में खुदरा निवेशक आबादी का लगभग 3% भी नहीं है।
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एक नजर LIC पर डालते है LIC में लगभग 30 करोड़ पॉलिसीधारक 40 करोड़ पॉलिसी लिए बैठे है और 13 लाख एजेंट हैं। वित्त वर्ष 2021 में बीमा क्षेत्र के कुल बीमा प्रीमियम का लगभग 64% बाजार LIC के हिस्से में है। LIC हर साल शेयर मार्केट में 2 लाख करोड़ रुपए निवेश करती है। LIC ने भारत सरकार को 100 करोड़ के निवेश पर हर साल 2611 करोड़ का लाभांश देती हैं।
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एलआईसी(LIC) की स्थापना कब हुई थी?
LIC की स्थापना 1 सितंबर 1956 को हुई थी। LIC का 1957 में यह 200 करोड़ का बिजनेस था। हर वर्तमान में यह 5.6 लाख करोड़ का हो गया है। एलआईसी (LIC) के वर्तमान अध्यक्ष सिद्धार्थ मोहंती को बनाया गया है। भारत सरकार ने इसे 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी को बेचकर लगभग 21000 करोड लिए हैं। LIC ने भारत में आधारभूत ढांचे के विकास में 36 लाख करोड़ का निवेश किया हुआ है।

LIC ने सरकार को स्थापना के बाद से 28,695 करोड़ रुपये से अधिक के संचयी लाभांश का भुगतान किया है। LIC में सरकार का पूंजी निवेश 5 करोड़ रूपए था, मतलब LIC ने 5 करोड़ की पूंजी से व्यापार शुरू किया था। जो पैसा LIC मुनाफे में कमाती है, वो देश के विकास में लगता है, आईपीओ आने के बाद ऐसा नहीं होगा।
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देश के विकास में सबसे ज्यादा योगदान है LIC का :-
• देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम का आईपीओ (LIC IPO) एंकर निवेशकों के लिए 2 मई को खुल चुका है. आम लोगों के लिए एलआईसी का आईपीओ 4 से 9 मई overline d Phi खुला रहेगा. मोदी सरकार एलआईसी की 3.5 फ़ीसदी हिस्सेदारी बेचकर ₹21000 करोड़ जुटाना चाहती है. एलआईसी के आईपीओ के लिए प्राइस बैंड ₹902 से ₹949 प्रति इक्विटी शेयर तय किया गया है. शेयर बाजार में एलआईसी 17 मई 2022 को लिस्ट हो सकती है.
सरकार की जब भी फटी पड़ी होती है, तो वो LIC के ऊपर कटोरा लिए खड़ी होती है। देश के विकास में LIC का सबसे ज्यादा योगदान है। जब भी शेयर बाजार औंधे मुंह गिरा होता है, लोअर पे लोअर सर्किट मार रहा होता है, कोई खरीदार नहीं मिल रहा होता है, तब LIC खरीदारी करती है और बाजार में “भरोसा” डालती है। वास्तविक अर्थों में LIC में हिस्सेदारी बेचना – अमीर, कॉर्पोरेट और विदेशी पूंजी को सस्ती कीमत पर भारतीय सार्वजनिक संपत्ति हासिल करने के लिए अवसर प्रदान करना है।

अगर मनमोहन सिंह अमेरिका WTO, IMF का एजेंट था, तो नरेंद्र मोदी अमेरिका का पालतू है, कोई यू ही 7 बार खड़े होकर ताली नहीं बजाता है। अगर आप खुद को बचाना चाहते हैं, LIC को बचाना चाहते हैं, देश को बचाना चाहते हैं, तो LIC की पॉलिसी खरीदे, उसमे हिस्सेदारी नहीं। आप का IPO में लगाया एक रुपया भी LIC के काम नहीं आएगा, नेताओं, नोकरशाहों की अय्याशी में उड़ जाएगा और पॉलिसी में लगाया हुआ हर रुपया LIC को और मजबूत और जिम्मेदार बनाएगा।
LIC की पॉलिसी में निवेश करें, IPO में नहीं :-

अगर आप IPO को हतोत्साहित करते है, तो सरकार अगली बार बची हुई हिस्सेदारी बेचने के पहले हजार बार सोचेगी और उसे जनता के क्रोध के कोप का सामना भी करना होगा। खैर, आज के दौर में सबसे महंगी कोई चीज है तो वो है “समझ”। भक्तिकाल में तो उसका अकाल सा है। भारत सरकार या भक्तों की सरकार इतना ही बता दे,
कि LIC की पॉलिसी में निवेश करना, ज्यादा सुरक्षित है और ज्यादा रिटर्न देने वाला है या IPO में निवेश करना? ऐसा कौन सा खर्चा भारत सरकार कर रही है कि कई लाख के GST कलेक्शन, कई गुना पेट्रोल डीजल पर टैक्स, देश विदेश से बेतहाशा कर्जा लेने के बाद और घाटा दिखाकर धड़ाधड़ बेचते सरकारी उपक्रमों को बेचने के बाद LIC जैसे ऑक्सीजन सपोर्ट को आने पौने दाम पर बेचा जा रहा है? मोदीजी अब तो विदेश भी नहीं जा रहे हैं। LIC की हिस्सेदारी को बेचना भारत की आर्थिक संप्रभुता को खतरे में डालना है।
आज अगर राजीव दीक्षित जीवित होते तो यही कर रहे होते, जो मैं कर रहा हूं, निजीकरण, विदेशीकरण के खिलाफ जागरूक कर रहे होते। LIC के IPO का बहिष्कार करे और देश के दलालों को साफ संदेश दे। लाखों एजेंट मिलकर कल जो IPO का विरोध कर रहे थे, सुना है आज लाइन लगाएं खड़े है, बिकाऊ मीडिया के हल्ले में गुम न होए। देश के सबसे बड़े IPO का सबसे तगड़ा विरोध करे। जहां सारे चोर एक हो, चुप हो, वहां तुम्हारा बोलना बहुत ज्यादा जरूरी है।
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