MADE IN INDIA vs MAKE IN INDIA
MADE IN INDIA जहाँ देश में स्वदेशी तकनीक का विकास करके भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा, वहीँ MAKE IN INDIA से हमारी स्वदेशी इकाईया बंद होगी
.
‘MADE vs MAKE in India’
.
MADE IN INDIA जहाँ देश में स्वदेशी तकनीक का विकास करके भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा, वहीँ MAKE IN INDIA से हम तकनीक के क्षेत्र में पंगु हो जायेंगे,हमारी स्वदेशी इकाईया बंद होगी, प्राकृतिक संसाधन नीलाम होंगे, और भारत फिर से विदेशी सत्ताओ का उपनिवेश बन जाएगा ।
.
तो क्या चुनेगें आप ???
कृपया Make in india की वेबसाईट देखें, कि किस तरह इस नारे की आड़ में देश का चप्पा चप्पा विदेशियों को बेचा जा रहा है ।
कुछ बानगी :
: टेलीकॉम क्षेत्र में 100% विदेशी निवेश ।
: सिंगल ब्रांड रिटेल में 100% विदेशी निवेश ।
: रक्षा में विदेशी निवेश की सीमा 26% से बढ़ाकर 49% की गयी । यह सीमा विशेष मामलो में केबिनेट कमिटी की अनुमति से और भी बढ़ाई जा सकेगी ।
: बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 26% से बढ़ाकर 49% की गयी ।
: चाय प्लांट्स में विदेशी निवेश के प्रतिबंध को हटाया गया ।
: क्रेडिट इन्फोर्मेशन क्षेत्र में 74%, तथा पूंजीगत पुनर्निर्माण के क्षेत्र में 100% विदेशी निवेश को अनुमति ।
: रेलवे क्षेत्र में निर्माण, संचालन, अनुरक्षण तथा अन्य सम्बंधित गतिविधियों में 100% विदेशी निवेश की अनुमति ।
: कमोडिटी, स्टॉक, पॉवर एक्सचेंज, पेट्रोल शोधन और कूरियर सर्विस के क्षेत्र में ऑटोमेटिक रूट से विदेशी निवेश की अनुमति ।
और सुनिए make in india की website पर जाइए चमड़ा उद्योग leather sector पर click करिए !
साफ साफ लिखा
अब भारत बनेगा दुनिया का सबसे बड़ा चमड़ा एक्सपोर्टर वो भी
100% फोरेन डायरेक्ट निवेश
24% सालाना ग्रोथ
30% सबसिडी और
₹ 2 करोड़ की आर्थिक सहायता
हर प्रोजेक्ट को…..
.
गाय ,बैल और अन्य पशुओ को काटने के लिए कतलखानों का आधुनिकरण किया
जाएगा , नई मशीने लगाई जाएंगी जिससे कम समय मे ज्यादा गायों आदि का बढ़िया
ढंग से कत्ल किया जा सके !!
तो अब चायनीज़ यहाँ जो फेक्ट्रीयां लगायेंगे उनमे चीन की आधुनिक आयातित मशीने होंगी, चायनीज़ इंजिनियर और चायनीज़ प्रबंधक होंगे । भारतीयों के हिस्से इन फेक्ट्रीयों में चतुर्थ और तृतीय श्रेणी के गैर तकनिकी कार्य आने वाले है ।
चीन में स्वदेशी उद्योगों को कानूनों द्वारा सरंक्षित किया गया है, जबकि नमो ने भारत की स्वदेशी इकाइयों को सरंक्षण देने वाले कानूनों को पास करने से इनकार कर दिया है ।
ज्ञातव्य है कि अमेरिका में स्वदेशी इकाइयों को सरंक्षण देने के लिए जूरी सिस्टम है, जापान में आंशिक रूप से न्यायपालिका को प्रजा अधीन किया गया है, जबकि अब चीन भी न्यायतंत्र को प्रजा अधीन करने की दिशा में बढ़ रहा है, तब भारत भ्रष्ट और सुस्त जज सिस्टम से चिपका हुआ है ।
चीन में मुकदमो के तेजी से निपटान के लिए 2 लाख जज है, जबकि भारत में सिर्फ 20 हज़ार ।
चीन में निष्पक्ष जजों की नियुक्ति में लिखित परीक्षा को आधार बनाया गया है, जबकि भारत आज भी पाषाण युगीन साक्षात्कार और अनुशंषा आधारित नियुक्तियों को लागू किये हुए है, फलस्वरूप भारत की न्याय प्रणाली दिनों दिन सुस्त और भ्रष्ट होती जा रही है ।
यही नही, नमो ने स्वदेशी उद्योगों को बचाने के लिए प्रोविडेंट फंड, लेबर लॉ, उत्पाद शुल्क और पर्यावरण सम्बन्धी कानूनों में सुधार करने से भी इनकार कर दिया है, जबकि MNCs को आयकर और अन्य करो में छूट ज़ारी है ।
ऐसे में यह तय है कि चायनीज़ हमारी पहले से बदहाल स्वदेशी इकाइयों को निर्ममता से हलाल कर देंगे और बचे खुचे उद्योगों को अमेरिकन कम्पनियां निगल जायेंगी । जितना ही ये MNCs रूपये में मुनाफा कमाएगी हमें उसका भुगतान डॉलर में करना होगा, हम पहले ही डॉलर के क़र्ज़ में गले गले तक डूब चूके है, ऐसे में ये FDI की सुनामी भारत को तहस नहस कर देगी ।
भारत में हर कोई जानता है कि MADE in india के मायने होते है, स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा देना,स्वदेशी तकनीको का आविष्कार करना तथा स्वदेशी संसाधनों की सहायता से स्वयं के बूते उत्पादन करना, ताकि देश आत्मनिर्भर बन सके ।
लेकिन नमो ने सदियों से चले आ रहे इस सिद्धांत को ही पलट दिया है, वे अपने झोले में से एक नया सिद्धांत MAKE in india निकाल लाये है ।
आज के 400 वर्ष पहले भारतीय राजाओं ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को अनुमति दी थी, नतीजे में हमने 200 वर्ष की गुलामी भुगती ।
तब यदि मोदी साहब जैसे मार्केटिंग के कलावंत होते तो, इसे विकास के लिए MAKE in india का नाम देते । आखिर ईस्ट इंडिया कम्पनी ने देश में रेल की पटरियां बिछाई, टेलीग्राफ ले आये और न जाने कितना विकास किया, वे भी भारत को तकनीक ही देने आये थे ।
शायद हमें उन्हें रोक लेना चाहिए था ।
अब नमो विदेशी उद्योगपतियों को ढोल बजाकर कह रहे है, कि आप तकनीक लेकर आओ और भारत का विकास करो । शायद भारत इसीलिए पिछड़ गया था, क्योंकि तब विकास की जिम्मेदारी सिर्फ एक कम्पनी पर थी, लेकिन अब विकास की गति 3000 गुना ज्यादा रहने वाली है । मतलब जो फैसले मनमोहन ने सिर झुका कर चुपचाप किये, उन्हें मोदी साहब पूरी दबंगई से कर रहे है ।
मन को इसके लिए गालियाँ मिली थी, जबकि नमो को तालियाँ मिल रही है ।
निदा फाजली कहते है :
सब के जैसे होकर भी, बाइज्ज़त है बस्ती में,
कुछ है लोगो का सीधापन, कुछ है अपनी अय्यारी भी ।
नमो भी पहुंचेले अय्यार है । उन्होंने सिर्फ made को make कहा, FDI को First Devlope India कहा, और जनता को विश्वास दिला दिया कि यह UPA -3 नही है ।
.
असल में FDI के सियार को MAKE in india की नील से रंगा जा रहा है । इस से देश में MNCs को भारत में पाँव जमाने का और भी अच्छा अवसर मिलेगा ।
यह अनुभव सिद्ध है कि MNCs के आने से हमारी स्वदेशी इकाइयां टेक ओवर या बंद हो जायेगी, गणित विज्ञान की शिक्षा टूटने से हम तकनीकी रूप से परजीवी हो जायेंगे, इस से हमारा पहले से गिरा हुआ निर्यात और गिरेगा, हम डॉलर संकट में और भी गहरे फंस जायेंगे, डॉलर ख़त्म होने और सोना लुटने के बाद हमारे खनिज और राष्ट्रीय संपदाएँ नीलाम हो जायेंगी, MNCs के बढ़ते मुनाफे से SCR में वृद्धि होगी, फलस्वरूप बड़े पैमाने पर धर्मान्तरण होंगे और हम फिर से एक औपनिवेशिक राष्ट्र बन जायेंगे ।
इसी सर्कस को नमो द्वारा MAKE in india कहा जा रहा है, जो कि देश के लिए दु:स्वप्न साबित होगा ।
समाधान : @PMOIndia से कानून की मांग
जूरी सिस्टम, WOIC, राईट टू रिकाल पीएम तथा DDMRCM के कानूनी ड्राफ्ट्स गेजेट में छापे जाए