अब आप कहेंगे दुकानदार कैसे प्रभावित होंगे उन्होंने तो माल बेचना है जो पीछे से आया उसी हिसाब से । तो भाई बता दु एक छोटी दुकान भी 2 लाख का सौदा डाल कर शुरू हो जाती थी पर आगे उसी दुकान को खोलने को लिये 3 से 4 लाख डालने पड़ेगे यानी पूंजी ज्यादा तो बैंक का ब्याज emi भी ज्यादा । अब मान ले कोई 4 चीज 1 हजार की आती है तो हर एक पर दुकानदार को 50 रुपये बचत हो गई यानी 200 रुपये बच गए ।
मगर आगे उन्ही 1000 रुपये में 3 चीज आई वो 50 रुपये बचत के हिसाब से एक तो बचत 200 से 150 रहेगी ऊपर से महँगी चीज हर कोई खरीद नहीं पाएगा तो उसके ग्राहक कम होकर 2 ही रह जाएंगे यानी सिर्फ 100 रुपये बचत उसी समय में कम हुई। अब आप सोचेंगे की कम्पनी कैसे ग्राहक खिंचेगी तो कम्पनी ग्रहक बाजार से बाज़ार से खिंचने के लिए नई बड़ी बाजार कीमत के हिसाब उसी दाम में बढ़िया पैकिंग ac शोरूम में बेचेगी और क्रेडिट कार्ड की शुरवात करेगी जो आपके खाते से फ़सल बीमा की तर्ज पर जुड़े होंगे । ये आधार कार्ड , फैमली id इसी लिए तो बनी है ।
अब आम उपभोक्ता जो खासकर शहरी है वो किसान के साथ नहीं आ रहा जबकि किसान उनकी ही लड़ाई लड़ रहे है । अगर सरकार सिर्फ पहले कानून सिर्फ रद्द कर दे जो सिर्फ किसानों से जुड़ा है तो किसान तो सब नुकसान से बच जाएगा मगर आवश्यक वस्तु नियम के चलते कम्पनी माल कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की बजाए अपना कुछ प्रॉफिट कम कर मंडी से फ़सल उठा कर सारी फ़सल तक स्टॉक कर लेगी और तब भी जनता पर बुरा असर पड़ेगा ।

भाई लोगो किसान आम आदमी , दुकानदार , दिहाड़ी मजदूर , नोकरी पेशा की लड़ाई लड़ रहा है , अगर आप किसान का साथ नही देगे तो किसान को मजबूरन सिर्फ अपनी एक जरुरी मांग पूरी करवा के घर जाना पड़ेगा जो की लगभग सरकार भी मानने को तैयार है । फिर भाई आप से इतना बड़ा शांतिपूर्ण तरीके का आंदोलन खड़ा नहीं होगा । थोड़ी सी अक्ल तो करो किसान आपकी लड़ाई लड़ रहा है और आप उसको देशद्रोही या टुकड़े टुकड़े गैंग बोल रहे हो , अगर शहरी वर्ग या दूसरे उपभोक्ता वर्ग का साथ किसानों को नहीं मिलता तो मेरी राय है की जो खुद बर्बाद होना चाहता है उनको बचा के भी हम क्या करेगे , ये किसानों को ही उल्टा बोलेंगे , हम अपनी msp और मंडीकरण की मेन माँग पर ही फोकस करना चाहिए ।