नए कृषि कानून को जाने तार्किक ढंग के साथ

तीन काले(नये कृषि अध्यादेश) कानूनों में तीसरा कानून आवश्यक वस्तु अधनियम जिसको किसान रद्द कराने की माँग कर रहे है असल मे वो किसान से सबंधित कम और बाकी सारी जनता से सबंधित ज्यादा है । इस विधेयक के अनुसार कोई भी कितना भी सामान स्टॉक कर सकता है । जबकि पहले ऐसा नही था व्यपारी को खाद्य पदार्थ बाजार में उतरने पड़ते थे मगर अब वो किसान से फ़सल खरीद सारा माल अंदर कर मनचाहे दाम बढ़ा पाएगा बाजार में माल की कमी दिखा कर । और उसके पास खाद्य पदार्थ आयेंगे दूसरे नंबर के कानून कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग द्वारा और वो किसान तब करने को मजबूर होगा जब पहले नंबर के कानून द्वारा सरकारी मंडी और आढ़ती सिस्टम खत्म हो जाएगा और किसान को ग्राहक ढूढ़ने के लिए कम्पनी से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिग करनी पड़ेगी । अब इस से किसान तो आधा बर्बाद होगा मगर आम जनता पूरी तरह बर्बादी के कागार पहुँच जाएगी । जब कम्पनी पर रोक नहीं होगी कितना भी माल स्टॉक कर सकती है तो बाजार से महंगा आटा , चावल , दाल , तेल खरीदना पड़ेगा । कुछ शहरी मित्र कहेगे हम आटा चावल क्या करेगे हम बाजार से सस्ता समोसा ,बर्गर , पिज़्ज़ा खा लेगे तो बता दु ये सब उसी मंहगे आटे , सब्जियों और तेल से बनेगा जो कम्पनी के पास बिना रोक टोक के होगा , अब जब दुगने दाम पर माल आएगा तो ये चीजें भी महँगी होगी , 300 वाला पिज़्ज़ा 600 में मिलेगा ।।इसी तरह जो कपड़े पहनते हो वो भी कपास से बनते है वो भी एकाधिकार पर ही बिकेंगे ।

अब आप कहेंगे दुकानदार कैसे प्रभावित होंगे उन्होंने तो माल बेचना है जो पीछे से आया उसी हिसाब से । तो भाई बता दु एक छोटी दुकान भी 2 लाख का सौदा डाल कर शुरू हो जाती थी पर आगे उसी दुकान को खोलने को लिये 3 से 4 लाख डालने पड़ेगे यानी पूंजी ज्यादा तो बैंक का ब्याज emi भी ज्यादा । अब मान ले कोई 4 चीज 1 हजार की आती है तो हर एक पर दुकानदार को 50 रुपये बचत हो गई यानी 200 रुपये बच गए ।

मगर आगे उन्ही 1000 रुपये में 3 चीज आई वो 50 रुपये बचत के हिसाब से एक तो बचत 200 से 150 रहेगी ऊपर से महँगी चीज हर कोई खरीद नहीं पाएगा तो उसके ग्राहक कम होकर 2 ही रह जाएंगे यानी सिर्फ 100 रुपये बचत उसी समय में कम हुई। अब आप सोचेंगे की कम्पनी कैसे ग्राहक खिंचेगी तो कम्पनी ग्रहक बाजार से बाज़ार से खिंचने के लिए नई बड़ी बाजार कीमत के हिसाब उसी दाम में बढ़िया पैकिंग ac शोरूम में बेचेगी और क्रेडिट कार्ड की शुरवात करेगी जो आपके खाते से फ़सल बीमा की तर्ज पर जुड़े होंगे । ये आधार कार्ड , फैमली id इसी लिए तो बनी है ।

अब आम उपभोक्ता जो खासकर शहरी है वो किसान के साथ नहीं आ रहा जबकि किसान उनकी ही लड़ाई लड़ रहे है । अगर सरकार सिर्फ पहले कानून सिर्फ रद्द कर दे जो सिर्फ किसानों से जुड़ा है तो किसान तो सब नुकसान से बच जाएगा मगर आवश्यक वस्तु नियम के चलते कम्पनी माल कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की बजाए अपना कुछ प्रॉफिट कम कर मंडी से फ़सल उठा कर सारी फ़सल तक स्टॉक कर लेगी और तब भी जनता पर बुरा असर पड़ेगा ।

भाई लोगो किसान आम आदमी , दुकानदार , दिहाड़ी मजदूर , नोकरी पेशा की लड़ाई लड़ रहा है , अगर आप किसान का साथ नही देगे तो किसान को मजबूरन सिर्फ अपनी एक जरुरी मांग पूरी करवा के घर जाना पड़ेगा जो की लगभग सरकार भी मानने को तैयार है । फिर भाई आप से इतना बड़ा शांतिपूर्ण तरीके का आंदोलन खड़ा नहीं होगा । थोड़ी सी अक्ल तो करो किसान आपकी लड़ाई लड़ रहा है और आप उसको देशद्रोही या टुकड़े टुकड़े गैंग बोल रहे हो , अगर शहरी वर्ग या दूसरे उपभोक्ता वर्ग का साथ किसानों को नहीं मिलता तो मेरी राय है की जो खुद बर्बाद होना चाहता है उनको बचा के भी हम क्या करेगे , ये किसानों को ही उल्टा बोलेंगे , हम अपनी msp और मंडीकरण की मेन माँग पर ही फोकस करना चाहिए ।

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Today Breaking News: 28 May 2023

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Bindesh Yadav
Bindesh Yadavhttps://untoldtruth.in
I'm Bindesh Yadav A Advance information security expert, Android Application and Web Developer, Developed many Website And Android app for organization, schools, industries, Commercial purpose etc. Pursuing MCA degree from Indira Gandhi National Open University (IGNOU) and also take degree of B.Sc(hons.) in Computer Science from University of Delhi "Stop worrying what you have been Loss,Start Focusing What You have been Gained"

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