इन दिनों नेपाली नागरिकों को 500 और 2,000 रुपये के पुराने भारतीय करेंसी को बदलने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं। एक बार फिर से Nepal ने भारत को टेंशन दी है। भारतीय करेंसी से नेपाल में सामान खरीदना अब मुश्किल हो गया है। Nepal की सरकार ने 100 रूपये से ऊपर की सभी करेंसी पर रोक लगा दिया है। देश के केंद्रीय बैंक ने गुरुवार को भारत के 500 और 2,000 रुपये के नए नोटों को बदलने पर प्रतिबंध लगा दिया।
Nepal : जिससे Nepal में खरीदारी करने वाले भारतीय लोग बैरंग वापस लौट रहे हैं। नेपाल के बदले व्यवहार से उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के सीमांत क्षेत्र के लोगों में आक्रोश है। नेपाल राष्ट्र बैंक के पूर्वी क्षेत्र के प्रमुख रामू पौडेल ने बिराटनगर में व्यापारिक समुदाय के सदस्यों को यह कहा कि नए भारतीय रुपये को “अवैध” माना जाता है और जब तक भारतीय पक्ष द्वारा नई व्यवस्था नहीं की जाती तब तक इसका आदान-प्रदान Nepal में नहीं किया जा सकता है।
लोगों ने कहा है कि भारतीय करेंसी से Nepal में सालों से खरीददारी होती आ रही है, अब Nepal के कारोबारियों के व्यवहार में बदलाव आने से वे हैरान हो गये हैं। पड़ोसी देश Nepal के बाजार में इन दिनों व्यापारी भारतीय रुपये नहीं ले रहे हैं।

दरअसल क्या हुआ, कि Nepal में भारत की 100 से ऊपर की करेंसी को बंद कर दिया गया है। इस संबंध में वर्ष 2020-21 में आदेश पारित किया गया था। नेपाल के व्यापारी लोग भारतीय करेंसी को लेने से इसीलिए मना कर रहे हैं। क्योंकि इन दिनों इस विधेयक को सख्ती से लागू किया जा रहा है। राजनीतिक कारण इसके पीछे अहम माना जा रहा है। बाजार में नेपाल में मौजूदा सरकार नेपाली करेंसी रूपए को ही बढ़ावा देनी चाहती है।
100 से बड़े नोटों पर नेपाल सरकार ने लगा दी बैन :-

अब तक, भारतीय रिजर्व बैंक के साथ हमारी समझ यह है कि एक नेपाली नागरिक 500 रुपये और 2,000 रुपये के पुराने नोटों में 25,000 भारतीय रुपये तक रख सकता है। यहां तक कि उन पुराने नोटों का भाग्य भी अनिश्चित है, बाजार में आने वाले इन नए भारतीय नोटों को कानूनी कैसे माना जा सकता है? इसे देखते हुए नेपाल सरकार ने बाजार में 100 से बड़े नोटों पर बैन लगा दी है। पहले नेपाली करेंसी को भारतीय करेंसी में बदलने के लिए कमीशन देना पड़ता था। लेकिन अब ये उल्टा हो गया है।
कुछ लोग अब अपनी करेंसी एक्सचेंज करवा रहे हैं तो इसके लिए कमीशन तक देना पड़ रहा है। नेपाल और भारत के बीच नेपाली नागरिकों द्वारा वापस लिए गए नोटों के आदान-प्रदान के तौर-तरीकों पर एक समझौता होना बाकी है। पोडेल ने कहा कि दो केंद्रीय बैंक इस मुद्दे को हल करने के लिए निकट संपर्क में हैं लेकिन अभी तक कोई रास्ता नहीं निकला है। इस समस्या से सिर्फ भारतीय पर्यटक ही नहीं बल्कि भारतीय-नेपाल सीमा पर कारोबार से जुड़े व्यापारी और भारत में रोजगार के लिए पहुंचने वाले लाखों नेपाली नागरिक भी परेशान हो गए हैं।
भारत में कितने National Park है तथा National Park आखिर क्यों बनाए जाते हैं?
Nepal के सुदूर पश्चिम विश्वविद्यालय के योजना प्रमुख व अर्थशास्त्री सुरेश भंडारी का ये कहना है कि नेपाली बाजार में भारतीय करेंसी की स्थिति बीते 6 महीने से कमजोर चल रही है। Nepal के केंद्रीय बैंक ने यह भी स्पष्ट करके बता दिया है कि वह वापस ली गई भारतीय मुद्रा रखने वाले नेपाली नागरिकों को ओवर-द-काउंटर विनिमय सुविधा प्रदान नहीं करेगा क्योंकि उसके पास नकली मुद्रा की पहचान करने के लिए विशेषज्ञता और तकनीक का अभाव है।
विशेषज्ञों द्वारा यह भी बताया गया कि भारत किसी विदेशी देश के नागरिकों को विनिमय की सुविधा प्रदान करने के बारे में सतर्क है क्योंकि उसे डर है कि नकली मुद्रा को परिवर्तित करने के लिए इसका “समाशोधन गृह” के रूप में दुरुपयोग किया जा सकता है।
Case – 1: Nepal के बैतड़ी खरीदारी करने पहुंचे भारतीय नागरिक प्रकाश व रेखा द्वारा यह बताया गया कि नेपाली नागरिकों ने भारतीय करेंसी नहीं ली। इससे मजबूरन उन्हें बगैर खरीदारी के ही घर लौटना पड़ा।
Case – 2 : नेपाली कैलाली स्थित गेटा अस्पताल में आखों का इलाज करा रहे राजेंद्र गुप्ता द्वारा यह बताया। कि पूर्व में उन्होंने भारतीय करेंसी से इलाज करवाया। लेकिन भारतीय करेंसी अब अस्पताल प्रबंधक लेने से मना कर रहा है। एक्सचेंज के दौरान भारतीय करेंसी का मूल्य कम हो गया है। पूर्व में 500 भारतीय रुपये पर 800 रुपये मिलते थे लेकिन अब 700 रुपये ही मिल रहे है।
https://newsxpresslive.com/election-results-2023-bjp-gets-majority-again-in-tripura-nagaland-state/
नेपाली मजदूरों को भी अब हो रही है चिंता :-

सीमांत जनपद में रोजगार के लिए पहुंचे नेपाली मजूदरों को भी चिंता सता रही है। राम सिंह थापा, बहादुर सिंह ने कहा कि वे जिला मुख्यालय में मजदूरी का कार्य करते हैं। पूर्व में वतन वापसी के दौरान वे नेपाल में भारतीय करेंसी का ही इस्तेमाल कर रहे थे। लेकिन अब बाजार में करेंसी ही नहीं चल रही है।
कोई व्यापारी रूपए को ले भी रहा है तो वह भारतीय करेंसी की कीमत कम करके दे रहा है।भारतीय मुद्रा का मूल्य कम करना यह एक चिंता का विषय है। नेपाल के अधिकतर नागरिक रोजगार के लिए भारत पर ही निर्भर रहते हैं। नेपाल के जुलाघाट में पूर्व में पांच लाख से अधिक का व्यापार हुआ करता था। ज्यादातर ग्राहक भारतीय लोग ही हैं। लेकिन बड़े नोट नेपाल में प्रतिबंधित होने से व्यापार में गिरावट आ गयी है।
https://newsxpresslive.com/what-is-g-20-organization-know-in-detail/
नेपाली नागरिकों को बैंकों और वित्तीय संस्थानों में खोलने होंगे खाते :-
नेपाली पक्ष ने यह भी सुझाव दिया कि नेपाली नागरिकों को बैंकों और वित्तीय संस्थानों में खाते खोलने होंगे और बराबर राशि सीधे अपने खातों में प्राप्त करने के लिए विमुद्रीकृत भारतीय मुद्रा जमा करनी होगी। प्रधान मंत्री पुष्प कमल दहल “प्रचंड” और वित्त मंत्री कृष्ण बहादुर महारा पहले ही अपने भारतीय समकक्षों से नेपाली नागरिकों के लिए विनिमय सुविधाओं की व्यवस्था करने का आग्रह कर चुके हैं।
नेपाल राष्ट्र बैंक ने कहा है कि देश की वित्तीय प्रणाली में 33.6 मिलियन भारतीय रुपये के 500 रुपये और 2,000 रुपये के नोट हैं। इस राशि में बैंक वाल्टों, वित्तीय संस्थानों और केंद्रीय बैंक में नकदी शामिल है। हालांकि, वास्तविक राशि इससे कहीं अधिक मानी जा रही है।
इसे भी पढ़ें।
48,000 वर्ष बाद सक्रिय हो रहा है Zombie Virus, क्या भारत पर भी होगा इसका असर?
अब हमें नेपाल भी आंख दिखाने लगा है ?
नेपाल में भारत की बेटियों को नागरिकता देने को लेकर बवाल क्यों हो रहा है? 1