दुनिया की सबसे लंबी नदी Nile River जोकि अफ्रीका में बहती है। इसकी लंबाई 6650 किलोमीटर है। Nile River दुनिया की सबसे लंबी नदी होने के साथ-साथ यह अफ्रीका की सबसे बड़ी नदी मानी जाती है। इस नदी का मुख्य स्रोत बुजम्बुरा है, जो बुरुंडी में स्थित है। इस नदी का बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अफ्रीका के उत्तरी और मध्यीय भागों के लोगों के लिए है, जो इसके आस-पास के क्षेत्रों में रहते हैं। Nile River की का उद्गम अफ्रीका की सबसे बड़ी झील विक्टोरिया झील से हुआ है। विक्टोरिया झील से शुरुआत होते हुए यह कुल 11 देशों से होकर गुजरती है।
Nile River : दुनिया की सबसे लंबी नदी Nile River जोकि अफ्रीका में बहती है। इसकी लंबाई 6650 किलोमीटर है। Nile River दुनिया की सबसे लंबी नदी होने के साथ-साथ यह अफ्रीका की सबसे बड़ी नदी मानी जाती है। इस नदी का मुख्य स्रोत बुजम्बुरा है, जो बुरुंडी में स्थित है। इस नदी का बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अफ्रीका के उत्तरी और मध्यीय भागों के लोगों के लिए है, जो इसके आस-पास के क्षेत्रों में रहते हैं।
Nile River की का उद्गम अफ्रीका की सबसे बड़ी झील विक्टोरिया झील से हुआ है। विक्टोरिया झील से शुरुआत होते हुए यह कुल 11 देशों से होकर गुजरती है। इस नदी के मैदानी क्षेत्र में स्थित देशों में शामिल हैं यह नदी बुरुंडी, रुआण्डा, केन्या, तंजानिया, युगांडा, सुडान, एथियोपिया और ईरिट्रिया जैसे देशों में बहते हुए भूमध्य सागर में जाकर मिलती है।

अगर लंबाई के दृष्टिकोण से देखा जाए तो इसकी कुल लंबाई 6650 किलोमीटर है लेकिन इस नदी की चौड़ाई की बात करें तो इसकी चौड़ाई अधिकतम 16 किलोमीटर से ज्यादा नहीं है। और तो और इसकी चौड़ाई कहीं-कहीं 200 मीटर से भी कम हो जाती है। इस नदी की कई सारी सहायक नदियां भी हैं।

जिसमें से मुख्य श्वेत नील तथा नीली नील है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह नदी अपने मुहाने पर 160 किलोमीटर लंबा तथा 240 किलोमीटर चौड़ा विशाल डेल्टा बनाती है।यह नदी इतना इंपॉर्टेंट है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इतिहास में बड़े बड़े नगरों का निर्माण इसी नदी के किनारे हुआ था। जिसमें से एक महान सभ्यता है मिस्र की सभ्यता।
Nile River का मिस्र की सभ्यता में अहम योगदान :-

मिस्र की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक मानी जाती है यह सभ्यता नील नदी के किनारे की फली फूली थी इस नदी ने प्राचीन मिस्र की सभ्यता को बहुत प्रभावित किया है मिस्र की सभ्यता के समय के मिश्र वासी इसी नदी पर ही आश्रित थे। मिस्र का अधिकतर हिस्सा रेतीली और बंजर भूमि है किंतु नील नदी के आसपास की भूमि बहुत उपजाऊ मानी जाती है। जिसका कारण यह है नील नदी का बाढ़।
Nile River का बाढ़ मिश्र वासियों के लिए तोहफा :-

नील नदी में हर साल अगस्त के महीने में भीषण बाढ़ आती है। जिसके कारण नील नदी का जलस्तर काफी बढ़ जाता है। यह बात शुरुआती दिनों में यहां के लोगों के लिए नुकसानदायक साबित होता है लेकिन बाढ़ का पानी घटते ही यहां के लोगों के लिए वरदान साबित होता है। क्योंकि बाढ़ का पानी घटते ही पूरे मैदान में उपजाऊ काली मिट्टी की परत जम जाती है जिसके बाद फसलों का पैदावार काफी बढ़ जाता है।
जिसमें मुख्य फसल गेहूं, पस्टन, कागज के पौधे और भी बहुत सारे मुख्य मुख्य फसलों का उत्पादन किया जाता है। जिसके कारण मिश्र वासी नील नदी के इस पार को “Nile River का तोहफा” भी कहते हैं। नील नदी का मेष राशि के उत्थान में बहुत बड़ी भूमिका थी। जिसमें से मुख्य रूप से यातायात, भोजन, घर बनाने के लिए उचित सामग्री एवं मुख्य रूप से कृषि पर पूर्ण रुप से मिश्रा वासी आश्रित थे।
भारत बना रहा है Haryana में उत्तर भारत का 1st Nuclear Power Plant, जानिये क्या है खबर
Nile River की बाढ़ से बचने के लिए बनाया गया “Aswan Dam” :-

वर्तमान समय में Nile River की बाढ़ से बचने के लिए “Aswan Dam” का निर्माण किया गया है। इस Dam को 1970 के दशक में बनाया गया था। या नबी मिस्र के लोगों के लिए इतना इंपॉर्टेंट था इस बात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि मिस्र के लोगों ने अपना कैलेंडर भी नील नदी के मौसम के चक्र के हिसाब से ही बनवाया था।
Read also –
भारत का अपना BharOS ऑपरेटिंग सिस्टम 2023, क्या Android और iOS को Replace कर पायेगी?
Swami Vivekananda was the driving force behind the Indian Independence movement – Nikhil Yadav
Nile River की मौसम की चक्र के अनुसार मिस्र वासियों ने बनाया था कैलेंडर :-

जिससे मिस्र वासी अपने कैलेंडर को तीन भागों में बांट दिए थे। पहला चक्र नील नदी का बाढ़ था दूसरा चक्र फसल लगाना तथा तीसरा चक्र फसल को काटना था।
इसी के आधार पर निवासी अपने खुद के कैलेंडर का निर्माण किया था नील नदी प्राचीन मिस्र वासी को घर बनाने के लिए बहुत सारी सामग्रियां उपलब्ध करवाती थी। जैसे कि चूना पत्थर, बालू, ईंट नील नदी का दक्षिणी भाग भूमध्य रेखा के समीप स्थित है। जहां बहुत ज्यादा मात्रा में वर्षा होती है जिसके कारण इस क्षेत्र में सवाना नामक उष्णकटिबंधीय घास के मैदान भी पाए जाते हैं।
साथ ही यहां पर गोद के पेड़ बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है यही कारण है कि आज सूडान विश्व का सबसे ज्यादा गोद उत्पादक वाला देश है। नील नदी अफ्रीका के लिए एक वरदान साबित हुआ है क्योंकि मिश्र सहित अफ्रीका के कई मॉडर्न शहर आज नील नदी के किनारे ही बसे हुए हैं।
Watch video –