देश में कोरोना वायरस के नये वेरिएंट से एक बार फिर से दहशत का माहौल बनता जा रहा है लोगों को कफी समस्या हो रही है
देशभर में फिर से अनिवार्य हुआ मास्क, कोरोना प्रोटोकॉल भी करना होगा पालन
कोरोना के नये वेरिएंट को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को अधिकारियों के साथ बैठक की स्वास्थ्य मंत्री का मनाना है अगर लोग को रोना से थोड़ी सी भी लपर्वही करेंगे तो कफी समस्या हो सकती है इसलिय लोगन को पहले से ही जरुरत है जिसके बाद उन्होंने अधिकारियों को प्रभावी कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करने और वेरिएंट का जल्द पता लगाने के लिए जीनोम अनुक्रमण को मजबूत करने का निर्देश दिया
कोरोना का नया वैरिएंट लोगों के लिए काफी खतरनाक साबित हो रहा है

ओमीक्रोन का सब वेरिएंट है BF.7 और BA.5.1.7
बताया जा रहा है कि कोरोना का नया वेरिएंट BA.5.1.7 ओमीक्रोन का सब वेरिएंट है. जिसका पता सबसे पहले गुजरात के बायोटेक्नॉलोजी रिसर्च सेंटर ने लगाया था यह कफी खतरनाक संस्करण है जो लोगों के कफी तेजी से आगरा आक्रमण कर रहा है नये वेरिएंट को लेकर विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गयी है.
तेजी से फैसला है कोरोना का नया वेरिएंट
विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना का नया स्वरूप ओमिक्रॉन का सब-वेरिएंट BA.5.1.7 काफी तेजी से फैलता है इसलिय लोगन को भीड भड़ वाले स्थानों पर जाने से बचना चाहिए हाल के दिनों में चीन में कोरोना की रफ्तार में वृद्धि के लिए नये वैरियंट को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है चिन में हवाई स्थिति तेजी से असफल रहा है

त्योहारी सीजन में बढ़ सकता है कोरोना का खतरा
देश में हाल के दिनों में कई सारे त्योहार मनाये जाने हैं. दिवाली, छठ में बिहार, झारखंड सहित कई राज्यों में भारी भीड़ होती है ऐसे में कोरोना करतार और भी तेज देखने को मिलेगा इसलिय लोगन को पहले से ही सावधान रहाणे की जरूरत है . वैसे में कोरोना के नये वेरिएंट ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है.
एंटीबॉडी से नहीं खत्म होता है ओमीक्रोन का नया स्वरूप
हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार ओमीक्रोन का बीए.2.75.2 स्वरूप रक्त में मौजूद एंटीबॉडी से खत्म नहीं होता है याही करन है की कोरोना पूरी तरह से खतम नहीं हो पा रहा है तथा कोविड-19 एंटीबॉडी संबंधी कई उपचारों का भी इस पर असर नहीं होता है. यह अध्ययन लैंसेट इंफेक्शस डिजीज नाम पत्रिका में प्रकाशित हुआ है ऐसे में लोगों को खुद से अलर्ट रहने की जरूरत है कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं के निष्कर्ष के अनुसार सर्दी के मौसम में सार्स-कोव-2 स्वरूप से संक्रमण के बढ़ने का जोखिम है, जब तक कि नये विकसित टीके लोगों की प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ावा देने में मदद नहीं देते.