विदेशी निवेश से देश का विकास होता है एवं रोजगार के अवसर बढ़ते हैं :- सभी गुलाम नेता + उनके भक्त
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जब कोई विदेशी कम्पनी भारत में आती है तो सरकारें इनको टैक्स छूट, रियायती दर पर जमीन आदि देती हैं साथ में ये वादा भी करती हैं कि हम आप द्वारा कमाए गए रुपयों के बदले डॉलर देंगे।
ये तीनों छूटें भारतीय निर्माता को नहीं मिलती।
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अधिकतर से भी अधिक कम्पनियां उस क्षेत्र में आती हैं जिस क्षेत्र में कोई भारतीय पहले से ही कार्य कर रहा हो। बाद में सरकार की मदद से ये भारतीय निर्माताओं को निगल जाती हैं और अपना एकाधिकार(monopoly) स्थापित कर लेती हैं।
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रोजगार तो अवश्य ही बढाती होंगी ?
यदि कल पतंजलि का Unilever अधिग्रहण कर लें तो कितने नए लोगो को रोजगार मिलेगा ? ये प्रश्न ही आपका उत्तर है।
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खनन, प्राकृतिक संसाधनों व PSUs आदि को लूटने वाली कम्पनियों के बारे में फिर कभी चर्चा कर लेंगे।
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इन बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से
रतन टाटा लैक्मे को , चरणजीत सिंह कैम्पा कोला को, रमेश चौहान थम्स -अप को, मुकेश अम्बानी अपनी रिफाइनरी को व अटल बिहारी Modern Food Industries को नहीं बचा पाए।
आप किस खेत की मूली हो ?
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रिटेल वालों अपनी बारी का इन्तजार करो लॉकडाउन आपके लिए ही हमारे साहेब ने आयोजित किया था।
ध्यान दें रिटेल से मेरा अर्थ केवल दाल, चीनी चावल छोले से नहीं है एक बार Walmart-Flipkart की साईट पर जाकर देख लो जो आप बेचते हो वो इस साईट पर उपलब्ध होगा।
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रिटेल वयापारी :- इनसे बचने का क्या उपाय है ?
आरएसएस+सरकारी भक्त :- भारत माता की जय, हिंदुत्व खतरे में है व लॉकडाउन से मोदी साहेब ने करोड़ों जान बचाई है। इन मंत्रों का जाप करते रहो कृपा यहीं रुकी है।