चीन में शीतकालीन ओलंपिक :
चीन में शीतकालीन ओलंपिक शुरू होने जा रही है। इस ओलंपिक में लगभग 32 देशों के राष्ट्राध्यक्ष इस कार्यक्रम में उपस्थित होंगे। यह 4 फरवरी से 20 फरवरी के बीच आयोजित होंगे। यह इनका 24वां संस्करण है। शीतकालीन ओलंपिक और ग्रीष्मकालीन ओलंपिक दोनों अलग-अलग होते हैं। शीतकालीन ओलंपिक में बर्फ पर खेल खेले जाते हैं जिस प्रकार से ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में बिना बर्फ के खेल खेले जाते हैं। यहां शीतकालीन में बर्फ पर खेल खेले जाते हैं जैसे – बर्फ के ऊपर हॉकी खेलना, फुटबॉल का खेलना, स्कैटरिंग का करना, रेस
ऐसे विभिन्न प्रकार के खेल जो बर्फ पर खेले जा सकते हैं और चीन में चीन के उत्तरी हिस्सों में बर्फ आज भी पड़ती है। और वहां पर बर्फ के साथ-साथ खेलों का आयोजन भी हो रहा है। जिसमें 32 देश यहां पर आमंत्रित किए गए हैं। उनमें से यह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी हैं। जो यहां पर आ रहे हैं इनके साथ साथ मध्य एशिया के पांचों देश और गल्फ के देश भी इसके अंदर शिरकत करने के लिए उपस्थित हो रहे हैं; दुनिया में इमरान खान की मुलाकात भारत के लिए बहुत मायने रखती हैं। क्योंकि पुतिन हमेशा से भारत के समर्थक रहे हैं और कश्मीर विषय पर हमेशा भारत का समर्थन किया है। ऐसी स्थिति में भारत भी नहीं चाहता कि इमरान खान पुतिन से मुलाकात करें।
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इमरान खान ने पुतिन को किया धन्यवाद :
हाल ही में इस साल की शुरुआत में इमरान खान ने पुतिन को फोन किया था और फोन पर धन्यवाद बोला था। धन्यवाद इन्होंने पुतिन के एक स्टेटमेंट के लिए बोला था। पति ने अपनी स्टेटमेंट में कहा था कि हर व्यक्ति को उसका मजहब मारने की आजादी होनी चाहिए और जो उनके Religious ideology है उनका सम्मान करना चाहिए। अर्थात आपको यदि मालूम हो तो फ्रांस के केस में फ्रांस के एक अखबार में चार्ली एप दो ने प्रोफेट मुहम्मद की एक आपत्तिजनक फोटो प्रकाशित की थी जिस फोटो के चलते हुए दुनिया भर के मुस्लिम राष्ट्रों में फ्रांस विरोधी नारे लगे थे और उनका विरोध हुआ था यहां पर इमरान खान ने पुतिन के इसी बयान की प्रशंसा की है जिसमें पुतिन ने कहा है कि धर्म का सम्मान होना चाहिए और जो उनके Religious ideology है उनको स्वीकार किया जाना चाहिए ऐसी स्थिति में इमरान खान को लगा पुतिन इस विषय पर चर्चा कर रहे हैं कि इमरान खान पुतिन को अपने समर्थन में पा सकते हैं। और इस विषय पर इमरान खान ने पुतिन को फोन भी कर दिया और धन्यवाद बोल दिया।
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व्लादीमीर पुतिन किसी से भी मुलाकात नहीं करेंगे :
पुतिन के बयान से और इमरान खान उस बयान से प्रभावित होकर धन्यवाद बोला इन सब से यह लगा कि इमरान खान में पुतिन के रिश्ते सामान्य हो रहे हैं। अर्थात इमरान खान के नेतृत्व में पाकिस्तान के साथ वो रिश्ते बनाने में कामयाब हो जाएंगे। जैसा कि भारत और रूस का पहले से ही चले आ रहा है। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान की मीडिया इस न्यूज़ को बहुत ही उठा रही थी कि इमरान खान की मुलाकात तो दिन से होगी। लेकिन रूस के राष्ट्रपति की आज्ञा से दी गई न्यूज़ के अनुसार यह बताया गया है कि बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक में पुतिन किसी से भी मुलाकात नहीं करेंगे। कहने का अर्थ यह है कि पुतिन को लेकर जो पाकिस्तान में एजेंडा चल रहा था इमरान खान पुतिन से मुलाकात करेंगे। इस एजेंडे को इन्होंने कैंसिल कर दिया।
चीन के हिसाब से इस ओलंपिक में 32 देश शामिल होंगे। :
इस टूर्नामेंट के दौरान 32 देश अपनी राजनेताओं को भेज रहे हैं बाकी देशों के विशेष रूप से पश्चिमी देशों ने और अमेरिका के नेतृत्व वाले देशों ने इसका Diplomatic boycott करने का निर्णय लिया। Diplomatic boycott का अर्थ यह है कि यहां पर 32 देश के प्रधानमंत्री या फिर राष्ट्राध्यक्ष पहुंच रहे हैं। लेकिन अमेरिका और अमेरिका के समर्थन वाले जो देश हैं वह यहां पर खिलाड़ी तो भेज रहे हैं लेकिन खिलाड़ियों के साथ अपने राजनेताओं को नहीं भेज रहे हैं। और इस चीज का ग्लोबल टाइम्स ने मजाक ही बनाया है। ग्लोबल टाइम्स जो कि चीन का अखबार है। उसने लिखा है –
अमेरिका के द्वारा कहे गए आवाहन का Bankruptcy हो चुका है। यानी कि कोई उस बात पर नहीं गया कि अमेरिका ने भी तवज्जो नहीं दी इसके बावजूद 32 राष्ट्र अध्यक्ष यहां आ रहे हैं।
Boycott करने का US का कहना है। ओलंपिक में मत जाइए क्योंकि बहुत सारे विषय पर अमेरिका दुनिया के देशों को एक टेबल पर लाना चाहता है जैसे – उइगुर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार, हांगकांग और ताइवान का विषय, इस स्थिति पर और मानवाधिकार को लेकर जो चीन का रवैया है। उस पर अमेरिका ने दुनिया भर के देशों से आवाहन किया था आप सब लोग बिजी में होने वाले ओलंपिक का जो कि एक इंटरनेशनल इवेंट है उसका राजनैतिक Boycott करिए। राजनैतिक Boycott का अर्थ हुआ कि अपने राजनेताओं को वहां मत भेजिए। और वह 32 राष्ट्राध्यक्ष को आप नीचे फोटो में देख सकते हैं।

इस फोटो में जो 32 लोग तो है। लेकिन असल मायने में उसमें मध्य एशिया के देश, मुस्लिम देश और साथ में पाकिस्तान और रूस है। यानी कि कुल मिलाकर इसमें 32 देश नहीं है। लेकिन चीन इसको 32 देशों के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं यह दिखा रहा है जबकि ऐसा नहीं है।