डेंगू से फेल हो रहे मल्टीपल ऑर्गन: ब्रेन में अटैक कर रहा वायरस, वेंटिलेटर की पड़ रही जरूरत; पढ़ें ये तीन केस

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डेंगू से फेल हो रहे मल्टीपल ऑर्गन: ब्रेन में अटैक कर रहा वायरस, वेंटिलेटर की पड़ रही जरूरत; पढ़ें ये तीन केस डेंगू का मच्छर आपके अंगों को फेल कर सकता है। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। लखनऊ के अलग-अलग अस्पतालों में ऐसे कई मरीज भर्ती किए गए, जिन्हें डेंगू हुआ और उसके बाद उनके ऑर्गन फेल हो गए, जिससे उनकी मौत हो गई।

डॉक्टरों का कहना है कि डेंगू का वायरस शरीर में तेजी से फैल रहा है। यह एक साथ ही कई अंगों को नुकसान पहुंचा रहा है। अधिकतर मामलों में मरीज की किडनी और लिवर पर असर पड़ रहा है। प्रदेश में सबसे खतरनाक हालात प्रयागराज और लखनऊ के हैं। यहां अब तक सबसे ज्यादा डेंगू से हुई मौत की संख्या है।

सरकारी रिकॉर्ड में डेंगू से मौत का आंकड़ा 10

स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ. अविनाश सिंह ने बताया कि यूपी में अब तक 8 हजार 200 से ज्यादा डेंगू संक्रमित मिल चुके हैं। वहीं डेंगू से मरने वालों की संख्या 10 है। इनमें से प्रयागराज में 6, लखनऊ में 1, सीतापुर में 1, लखीमपुर खीरी में 1 और बरेली में भी 1 संक्रमित की मौत हुई है। लखनऊ में शनिवार को डेंगू के 40 नए मरीज सामने आए हैं।

आगे बढ़ने से पहले कुछ मामलों को जान लेते हैं…

केस – 1

लखनऊ में 29 अक्टूबर को डेंगू संक्रमित स्पोर्ट्स टीचर रीमा वर्मा (46) की मौत हो गई। उन्हें SGPGI में वेंटिलेटर पर रखा गया था। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक नेता विनय सिंह ने बताया कि SGPGI लाने से पहले 5 दिन तक रीमा को निरालानगर के एक बड़े निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां पर भी उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। महज 5 दिन के अंदर 5 लाख खर्च करने के बाद भी उनकी सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ। बाद में उन्हें SGPGI में भर्ती कराया गया। जहां पर इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। हालांकि इस मामले में CMO ने डेथ ऑडिट करने के निर्देश भी दिए हैं।

केस-2

लखनऊ के शारदा नगर के रश्मिखंड-2 निवासी रेलवे में वेल्डर पद पर तैनात रामलाल (58) को कई दिनों से बुखार आ रहा था। उन्होंने स्थानीय डॉक्टरों को दिखाया। इलाज के बावजूद फायदा नहीं हुआ। डॉक्टर की सलाह पर डेंगू की जांच कराई। रिपोर्ट पॉजिटिव आई। घरवालों ने मरीज को पहले लोहिया संस्थान में भर्ती कराया था। यहां मरीज को ब्रेन हैमरेज हो गया। संस्थान के डॉक्टरों ने मल्टीपल ऑर्गन फेल्यर की आशंका हुए मरीज को KGMU रेफर कर दिया। 2 नवंबर को उसे KGMU में भर्ती कराया गया। ट्रॉमा में मरीज को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। मरीज की तबीयत बिगड़ती चली गई। 3 नवंबर को हालत और भी गंभीर हो गई। देर रात मरीज की मौत हो गई। इलाज संबंधी दस्तावेज में मरीज की मौत की वजह कॉर्डियक अरेस्ट बताया गया है। हालांकि मरीज को डेंगू बुखार की वजह से भर्ती किया गया था।

केस-3

25 अक्टूबर को 35 साल के एक युवक को बेहद गंभीर हालत में KGMU लाया गया। डेंगू शॉक सिंड्रोम से ग्रस्त युवक को तत्काल डॉक्टरों ने वेंटिलेटर पर रखा। तमाम तरह की लाइफ सेविंग ड्रग्स के जरिए 2 दिनों तक इलाज चला पर तीसरे दिन उनकी भी मौत हो गई। डॉक्टरों ने इसे भी मल्टीपल ऑर्गन फेलियर का केस माना। इन 3 मामलों से साफ है कि यूपी में अब डेंगू बेहद खतरनाक रूप ले चुका है। अस्पतालों की OPD में एक तरफ डेंगू रोगियों की लंबी लाइन लगी है। वहीं चिकित्सा संस्थानों में वेंटिलेटर पर भी डेंगू के गंभीर मरीज भर्ती हैं। तमाम दावों के बीच डेंगू रोगियों की मौतें भी हो रही हैं।

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