बजट से पहले पेश किया गया Economic Survey Report 2022-23

215

वित्‍तमंंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में कल दोपहर लगभग 1 बजे आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट पेश की इसमें अगले वित्‍तवर्ष के लिए 6 फीसदी से लेकर 6.5 फीसदी तक विकास दर अनुमान जाहिर किया गया है।

Economic Survey 2023 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वेक्षण 2023 को संसद में पेश कर दिया है। पिछले साल के आर्थिक सर्वेक्षण में 2022-23 के दौरान देश की जीडीपी विकास दर 8-8.5 फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया गया था। इस सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान देश की GDP growth दर 6 से 6.5 फीसदी तक रहने का अनुमानित किया गया है। भारत की राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार सुबह संसद के दोनों सदनों को संबोधित किया। उन्‍होंने कहा कि भारत को पंगु बनाने वाली नीतियां अब बदल चुकी हैं।

नई नीतियों से अब हमारा देश मजबूत और शक्तिशाली बन रहा है। यही कारण है कि भारत अब मदद लेने वाला नहीं बल्कि मदद करने वाला देश बन रहा है। कोरोना महामारी के दौरान पूरी दुनिया को टीका उपलब्‍ध कराकर अपने न सिर्फ अपनी काबिलियत दिखाई, बल्कि दुनिया को यह संदेश भी दिया कि साथ चलकर ही सतत विकास (Sustainable Development) का लक्ष्‍य हासिल किया जा सकता है।राइटर्स के द्वारा यह अनुमान लगाया है कि वित्‍तवर्ष 2023-24 में भारत की विकास दर 6 से लेकर 6.5 फीसदी तक रह सकती है‌।

यह बीते तीन साल में सबसे कम विकास दर होने वाली है। रिपोर्ट में यह कहा गया है कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था कोविड-19 महामारी के बाद तेजी से बाहर आ रही थी, लेकिन रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से दोबारा दबाव में आ गई है ग्‍लोबल मार्केट में सप्‍लाई पर असर पड़ा तो महंगाई बेतहाशा बढ़ोतरी होने लगी और भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था भी इसकी चपेट में आ गई।

Table of Contents

क्या होता है‌ Economic Survey?

यूनियन बजट (Union Budget) पेश होने से ठीक एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey)को सामने रखा जाता है। भारत में 1 फरवरी को बजट पेश होता है। तथा उसके 1 दिन पहले यानी 31 जनवरी को Economic Survey सामने रखा जाता है। ये आर्थिक सर्वेक्षण बजट का मुख्य आधार होता है और इसमें इकोनॉमी की पूरी तस्वीर सामने आती है।

इसमें साल भर में डेवलपमेंट ट्रेंड, किस सेक्टर में कैन सी योजनाएं किस तरह लागू हुई, किस सेक्टर से कितनी कमाई हुई, यह सब पेश किया जाता है। इसके जरिए सरकार देश की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) की पिछले साल की बजट के बारे में बताया जाता है।

बजट का मुख्य आधार क्या है?

Economic Survey को बजट का मुख्य आधार माना जाता है। लेकिन, ऐसा जरूरी नहीं है कि इसकी सिफारिशों को सरकार लागू ही करे। तथा Economic Servey Report पेश करना Compulsory नहीं है। आर्थिक सर्वेक्षण में सरकारी नीतियों, प्रमुख आर्थिक आंकड़े और क्षेत्रवार आर्थिक रूझानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है।

ये दो हिस्सों में पेश होता है, जिसके पहले हिस्सों में देश की Economy के बारे में जानकारियां बताई जाती है। वहीं दूसरे हिस्से में विभिन्न सेक्टर्स के प्रमुख आंकड़े प्रदर्शित किए जाते हैं। आर्थिक मामलों के विभाग Chief Economic Advisor के मार्गदर्शन में ये दस्तावेज तैयार किया जाता है।

भारत में कितनी रह सकती है महंगाई दर? :-

कल अर्थात 31 जनवरी को आई आर्थिक सर्वे में सबसे ज्‍यादा नजरें अगले साल की विकास दर को लेकर सरकार के अनुमानों पर होने वाली है। वित्‍तवर्ष 2021-22 में जारी Economic Survey Report में वित्‍तवर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी विकास का अनुमान 8 फीसदी से लेकर 8.5 फीसदी तक लगाया गया था, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से इस अनुमान तक पहुंच पाना काफी मुश्किल लग रहा है। फिलहाल सरकार ने 7 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया है। आर्थिक सर्वे अमृत काल थीम पर आधारित है।

सर्वे में कहा गया है कि कोविड-19 का खतरा कम होने से सप्लाई चेन में सुधार और मजबूत घरेलू डिमांड से ग्रोथ को सपोर्ट मिलेगा। सर्वे में आगे कहा गया है कि अगले वित्त वर्ष में रिटेल मंहगाई दर 6 फीसदी से कम रहने की उम्मीद है। Economic Survey में बताया गया है कि कॉरपोरेट और कंपनियों की बैलेंसशीट में मजबूती मिलने के संकेत मिले हैं।

साथ ही यह भी कहा गया है कि IBC की व्यवस्था से ‘ईज ऑफ डुइंग’ बिजनेस बढ़ा है। सरकार ने सर्वेक्षण में बताया है कि स्टील प्रोडक्शन में भारत दुनिया की बड़ी ताकत बना है। देश में विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार है। इससे करेंट डेफिसिट की भरपाई हो जाएगी। RBI के पास रुपये को गिरने से बचाने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में हस्तक्षेप करने की भी गुंजाइश रहने वाली है।

Economic Survey में बताया गया है कि कॉरपोरेट और कंपनियों की बैलेंसशीट में मजबूती के संकेत मिले हैं. साथ ही ये भी कहा गया है कि IBC की व्यवस्था से ‘ईज ऑफ डुइंग’ बिजनेस बढ़ा है. सरकार ने सर्वे में बताया है कि स्टील प्रोडक्शन में भारत दुनिया में बड़ी ताकत बना है. सर्वे में कहा गया है कि देश में विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार है. इससे करेंट डेफिसिट (CAD) की भरपाई हो जाएगी. रिजर्व बैंक के पास रुपये को गिरने से बचाने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में हस्तक्षेप करने की भी गुंजाइश रहेगी।

Economic Survey में कहा गया है कि आज भी देश की आबादी का 65 फीसदी हिस्सा गांवों में रहता है. इसमें से 47 फीसदी आबादी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। इसलिए ग्रामीण इलाकों के विकास पर सरकार के लिए फोकस करना बेहद जरूरी है।

RBI ने महंगाई के दबाव में बढ़ाया रेपो रेट :-

महंगाई का दबाव इस कदर हावी हो रहा है कि बानगी रिजर्व बैंक के फैसलों से दिखाई देती है। RBI ने इस साल मई से अब तक महंगाई को थामने के लिए रेपो रेट में 5 बार बढ़ोतरी की है। इस दौरान ब्‍याज दर 2.25 फीसदी और बढ़ गई, जिससे कर्ज महंगा हो गया। हालांकि, महंगाई को कुछ हद तक थामने में सफलता मिलती नजर आ रही है।

RBI को बदलनी पड़ी अपनी रणनीति :-

रॉयटर्स ने बताया कि महंगाई की मार महामारी से भी ज्‍यादा घातक सिद्ध हो रही है, क्‍योंकि भारतीय रिजर्व बैंक ने कोविड-19 के दौरान जो राहतें दीं थी, उसे महंगाई के दबाव में वापस लेना पड़ा। RBI ने 2022-23 के लिए खुदरा महंगाई का अनुमान 6.5 फीसदी रखा था, लेकिन आर्थिक सर्वे रिपोर्ट में इस अनुमान को बढ़ाए जाने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं अगले वित्‍तवर्ष के लिए भी खुदरा महंगाई की दर का अनुमान ज्‍यादा रह सकता है।

Economic Survey में सरकार ने यह भी बताया है कि वित्तीय वर्ष 2023 में RBI के बदले हुए रुख के चलते सरकार के सरप्लस कैश की स्थिति में सुधार हुआ नजर आ रहा है। नीतिगत दरों में वृद्धि के बाद उधार और जमा दरों में वृद्धि हुई है। इसके अलावा जून 2022 तक बॉन्ड प्रतिफल भी ऊपर रहा। बीते साल घरेलू बाजार में लोन की मांग काफी बढ़ी है। इस दौरान कमर्शियल बैंकों समेत नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन की ओर से बांटे गए लोन में अभूतपूर्व तरीके से बढ़ोतरी देखने को मिली है। वहीं बीते हुए साल में कमर्शियल बैंक की वसूली दर भी सबसे ज्यादा रही।

फार्मा सेक्‍टर में भारत का है तीसरे स्‍थान पर :-

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार भारत का फार्मास्‍युटिकल्‍स उद्योग वैश्विक पटल पर अपना खास स्‍थान बना चुका है।मूल्य के आधार पर 14वें स्‍थान पर है और फार्मा उत्‍पादों के उत्‍पादन में भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर है। 60 फीसदी बाजार हिस्‍सेदारी के आधार पर भारत वैश्विक स्‍तर पर अग्रणी वैक्‍सीन निर्माता है। फार्मा क्षेत्र में सितंबर 2022 तक संचयी विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश 20 बिलियन डालर से ज्‍यादा था।

वित्‍तमंत्री ने बताया कि एफडीआई नी‍तियों में बदलाव के बाद फार्मा सेक्‍टर को अब तक करीब 20 अरब डॉलर का प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश मिला है। सितंबर, 2022 तक देखें तो पिछले पांच साल में फार्मा सेक्‍टर में एफडीआई चार गुना बढ़ गया है।

GST का कलेक्शन बढ़ा :-

1.5 करोड़ रुपये के औसत मासिक संग्रह के साथ चालू वित्‍त वर्ष के दौरान सभी महीनों में जीएसटी संग्रह में लगातार वृद्धि होती चली गई। जीएसटी करदाताओं की संख्‍या वर्ष 2017 में 70 लाख थी, जो वर्ष 2022 में बढ़कर 1.4 करोड़ से अधिक हो गई है।

सामाजिक सेवा कार्यों पर खर्च में वृद्धि होगी :-

आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि जारी वित्त वर्ष में केंद्र व राज्य सरकारों ने अब तक सामाजिक कार्यों पर संयुक्त रूप से 21.3 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए। इस खर्च में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। बीते वित्त वर्ष यह 26.1 फीसदी था। तथा यह जारी वित्त वर्ष में कुल सरकारी खर्च का 26.6 फीसदी रहने का अनुमान है।

निर्यात पर भारत ने बड़ी सफलता मिली :-

भारत ने चालू वित्‍तवर्ष में तमाम दुश्‍वारियों के बावजूद बेहतर रणनीति और प्रबंधन के दम पर निर्यात के मोर्चे पर बड़ी सफलता हासिल किया है राष्‍ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने भी कहा है कि भारत अब खरीदने नहीं बल्कि बेचने वाला देश बन रहा है।

मोदी सरकार की देश को दुनिया की फैक्‍ट्री बनाने की रणनीति सफल होती दिख रही है, क्‍योंकि 2021-22 की तुलना में देखें तो चालू वित्‍तवर्ष के दौरान देश का निर्यात करीब 16 फीसदी बढ़ गया है। हालांकि, ग्‍लोबल मार्केट में ऊपर नीचे होने के कारण कच्‍चे तेल की कीमतें बढ़ने से आयात बिल पर जरूर बोझ पड़ा है।

राज्यों की उधार लेने की सीमा को बढ़ा दिया :-

आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने कहा है कि केंद्र सरकार वित्‍तीय वर्ष 2023 में राजकोषीय घाटे की पूर्ति के लिए बजट अनुमान प्राप्‍त करने के ट्रैक पर है। वर्ष के पहले 8 महीनों में प्रत्‍यक्ष करों में वृद्धि उनके दीर्घावधि औसत की तुलना में बहुत अधिक रही है। केंद्र सरकार ने पूंजीगत व्‍यय को बढ़ावा देने के लिए राज्‍यों की उधार लेने की सीमा को बढ़ा दिया है।

ये भी पढ़ें।

UP Board class 10th previous years Computer question papers pdf For both Hindi & English Medium

UP Board English Medium Science Previous Year Paper

UP Board Class 12th previous Years Question Paper PDF For both Hindi & English Medium

उत्पादन गतिविधियों को मिला बढ़ावा :-

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, निजी खपत में वृद्धि से उत्पादन गतिविधियों को बढ़ावा मिला. बेहतर टीकाकरण व्यवस्था के कारण लोग एक बार फिर रेस्तरां, होटल, सिनेमाघरों व शॉपिंग मॉल में आ पाए और आर्थिक चक्र एक बार फिर कुछ हद तक पहले की तरह चलने लगा है।

केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय ने भी इसमें बड़ा योगदान दिया है सर्वेक्षण के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 के पहले आठ महीने में केंद्र का पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) 63.4 फीसदी बढ़ा। सर्वे में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि के 2 मुख्य कारण निजी खपत और पूंजी संरचना ही रही है।

इससे रोजगार सृजन को बढ़ावा मिला है जिसका सबूत कर्मचारी भविष्य निधि के पंजीकरण के रूप में देखा जा सकेगा। हालांकि, प्राइवेट कंपनियों द्वारा अब खर्च को बढ़ाकर रोजगार सृजन में अब अपनी भूमिका भी निभानी होगी।

Economic Survey : फिर भी खास रहा 2022-2023 :-

भारत के लिए साल 2022 कई मायनों में खास रहा। डॉलर के मौजूदा मापदंड के अनुसार हम दुनिया की 5वीं बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बन चुके हैं और मार्च तक खत्‍म होने वाले वित्‍तवर्ष में देश की Nominal GDP करीब 3.5 लाख करोड़ डॉलर होगी। इस दौरान अर्थव्‍यवस्‍था 7 फीसदी की गति से बढ़ने का अनुमान है, जो दुनिया में अन्‍य किसी भी बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था वाले देश से कहीं ज्‍यादा है।

देश का पूंजीगत व्‍यय भी वृद्धि :-

आर्थिक सर्वे (India Economic Survey 2023) में सरकार ने बताया है देश का पूंजीगत व्‍यय में भी वृद्धि हुई। केंद्र सरकार का कैपेक्‍स जीडीपी के 1.7 प्रतिशत के दीर्घकालिक औसत से बढ़कर वित्‍त वर्ष 2022 में जीडीपी का 2.5 फीसदी हो गया है।

Economic Survey: कमजोर मुद्रा से मिली भारत को दोहरी चुनौती :-

भारत को सिर्फ महंगाई और महामारी से ही नहीं कमजोर मुद्रा जैसी स्थिति का भी सामना करना पड़ा। अमेरिका ने अपनी मुद्रा यानी डॉलर को मजबूत रखने के लिए लगातार ब्‍याज दरें बढ़ाई। नतीजा यह निकला कि भारत का आयात महंगा होने लगा और व्‍यापार घाटा भी बढ़ गया।

महामारी के दौरान चालू खाते में जहां सरप्‍लस पैसा जमा था, वहीं डॉलर के आगे रुपया कमजोर होने से चालू खाते का घाटा यानी कैड भी काफी बढ़ गया। आयात वाली सभी वस्‍तुएं और सेवाएं महंगी हो गईं‌। हालांकि, हम इस चुनौती से भी भारत पार पा चुका है और रुपये पर भी दबाव कुछ कम हो रहा है।

वैश्विक संकट के बावजूद विकास दर में सबसे आगे रहा भारत :-

भारत सरकार द्वारा जारी आर्थिक सर्वेक्षण (India Economic Survey 2023) में कहा गया है कि 2020 के बाद दुनिया को आर्थिक स्तर पर झटकों का सामना करना पड़ा है। कई देशों पर बुरा असर पड़ा है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था तब भी काफी मजबूत बनी रही। वित्त वर्ष 2022 में देश की अर्थव्यवस्था ने अन्य मुल्कों से बेहतर विकास दर हासिल की।

जयंत सिन्हा : भारत ने अपने आर्थिक मुद्दों को बेहतर तरीके से संभाला :-

Economic Survey 2023 : आर्थिक सर्वे पर बीजेपी सांसद जयंत सिन्हा ने कहा, “6.5 फीसदी की विकास दर कम नहीं है. तमाम वैश्विक संकटों के वावजूद भारत ने अपने आर्थिक मुद्दों को बेहतर ढंग से संभाला.”

देश के सकल कर राजस्‍व में 15.5 फीसदी की वृद्धि :-

अप्रैल से नवंबर 2022 तक देश के सकल कर राजस्‍व में 15.5 फीसदी की वृद्धि हुई। प्रत्‍यक्ष करों और जीएसटी संग्रहण में वृद्धि होने से सकल कर राजस्‍व भी बढ़ा है।अप्रैल से दिसंबर 2022 तक वार्षिक आधार पर जीएसटी संग्रह में 24.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

मुद्रास्फीति कम हुई तो आएगी ऋण संवृद्धि में तेजी :-

सर्वे डॉक्टूमेंट में कहा गया है कि यदि वित्त वर्ष 2024 में मुद्रास्फीति कम होती है और यदि लोन की वास्तिवक लागत नहीं बढ़ती है तो वित्त वर्ष 2024 में ऋण संवृद्धि में तेजी आने की संभावना भी बढ़ जायेगी।

अनुमान से भी ज्‍यादा मिला टैक्‍स :-

वित्‍तमंत्री ने बताया कि इस साल हमें बजट में लगाए गए अनुमान से भी कहीं ज्‍यादा टैक्‍स मिला है। NHAI InvIT ने विदेशी और भारतीय निवेशकों से 10,200 करोड़ रुपये जुटा लिए। हमारा फोकस विनिवेश पर भी है, लेकिन इसमें बाहरी कारक भी बड़ी भूमिका निभाते हैं।

सड़क निर्माण पर 1.49 लाख करोड़ किया गया खर्च :-

वित्‍तमंत्री ने बताया कि सड़क निर्माण पर सरकार ने चालू वित्‍तवर्ष में अपना खर्च दोगुना से भी अधिक कर दिया है। इस दौरान कुल 1.49 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। यह पिछले वित्‍तवर्ष से 109 फीसदी ज्‍यादा है।

वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें।

https://youtu.be/dXkiptfYRp4

महंगाई काबू में आते ही बढ़ेगी विकास दर :-

वित्‍तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि अगले वित्‍तवर्ष में जैसे ही महंगाई नीचे आएगी, विकास दर को और बढ़ाने में मदद मिल सकेगी। स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र पर सरकार का खर्च जीडीपी का 2.3 फीसदी पहुंच चुका है।

इसे भी पढ़ें।

भारत की पूर्व 47th CJI बोबडे का दावा : संस्कृत क्यों नहीं है आधिकारिक भाषा (Official Language)?

बजट प्रस्तावों ने दी क्रिप्टोकरेंसी पर भावी कानून की रूपरेखा

ऋषि सुनक ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री, हमें 200 साल गुलाम रखने वाला ब्रिटेन की सरकार चलाएगा एक भारतीय

(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here