रोज 40-45 करोड़ आते, बिना गिने कार्टन में डालते: ड्राइवर-नौकरों को बनाया पार्टनर, सीकर के 300 से ज्यादा पुलिसवालों को ठगा

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धोलेरा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के नाम पर शेखावाटी सहित देशभर में लाखों लोगों से हुई ठगी के मामले में हर दिन चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं।

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के नाम पर लोगों को लूटने वाले ठग फर्जी डिग्री बनाकर बेचने और सुअर फार्म प्रोजेक्ट के नाम पर भी लोगों से करोड़ों रुपए ऐंठ चुके हैं। कंपनी का एमडी रणवीर पहले जेल भी जा चुका है।

ठगी के मास्टरमाइंड ने ड्राइवर और नौकरों को भी एजेंट बनाकर पार्टनर बना लिया था। सीकर पुलिस दो एजेंटों और जयपुर पुलिस ने एक डायरेक्टर को गिरफ्तार किया है। अभी भी पुलिस कंपनी के एमडी सुभाष बिजारणियां, रणवीर बिजारणियां सहित अन्य लोगों को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। नेक्सा एवरग्रीन कंपनी के एमडी व एजेंटों ने बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों व आर्मी से रिटायर जवानों को टारगेट किया था। कई बड़े रिटायर्ड डीएसपी, थानेदार भी जाल में फंस चुके हैं। ये अधिकारी पहले लोगों के पास जाकर प्रोजेक्ट का प्रचार करते रहते थे। अब ठगे जाने के बाद इनमें से कोई भी अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है।

पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

पुलिसवाले ने चाय वाले के 1.50 लाख करा दिए इंवेस्ट

ठगे गए लोगों का दावा है कि इंस्पेक्टर, आरपीएस के अलावा एक-दो आईपीएस अधिकारियों ने भी कंपनी में इन्वेस्ट किया है।

इतना हीं नहीं सीकर एसपी ऑफिस से 25 पुलिसकर्मी, उद्योगनगर थाने से 20 व सीकर सदर थाने से भी 25 पुलिसकर्मियों के अलावा जिले के कई थानों से पुलिसकर्मियों ने नेक्सा एवर ग्रीन प्रोजेक्ट में इन्वेस्ट किया है। लोगों का कहना है कि सीकर के 300 से ज्यादा पुलिसवाले इस पूरे स्कैम में ठगे गए हैं। भास्कर ने कुछ पुलिसकर्मियों से बात करने की कोशिश की, लेकिन कोई भी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है। ठगी का मायाजाल ऐसा था कि एक पुलिसकर्मी ने सीकर एसपी ऑफिस में चाय पिलाने वाले सुरेंद्र के भी डेढ़ लाख रुपए प्रोजेक्ट में इन्वेस्ट करा दिए गए। सुरेंद्र ने बताया कि उसके करीब 30 हजार रुपए तो आ गए, लेकिन 1.20 लाख रुपए फंस गए।

एक दिन में 40-45 करोड़ रुपए पहुंचते

रणवीर और सुभाष बिजारणियां दोनों पलनावां गांव के रहने वाले हैं। सीकर के पिपराली रोड पर इन्होंने नेक्सा एवरग्रीन का ऑफिस खोला था। एक साल से ऑफिस में कर्मचारियों के साथ ही एजेंट बैठते थे। शुरुआत में तो कलेक्शन काफी कम आता था। लोगों का दावा है कि एक दिन में पहले 2 करोड़ से लेकर 5 करोड़ रुपए आते थे। बाद में कलेक्शन 20 करोड़ रुपए हो गया था। पिछले 4 महीने से एक दिन में 40 से 45 करोड़ रुपए रोजाना आने लग गए थे।

ऑफिस में कैश गिनने के लिए दो मशीनें रखी हुई थीं। मशीनों से दिन-रात रुपयों को गिनने का काम होता था। ठगी के शिकार दिलीप सिंह ने बताया कि जब वह रुपए लेकर ऑफिस में गए तो काफी भीड़ लगी हुई थी। काफी इंतजार करने के बाद नंबर आया था। उनके रुपए बिना गिने ही एक बड़े कॉर्टन में डाल दिए थे। कई बार ऐसा होता था कि रुपए सीधे लेकर बॉक्स में डाल देते थे। उनके ऑनलाइन आईडी बनाकर रुपयों की एंट्री कर दी जाती थी।

पहले सुअर फॉर्म से ठगी की शुरुआत

रणवीर बिजारणियां और सुभाष बिजारणियां ने ठगी की शुरुआत पहले एक सुअर फार्म प्रोजेक्ट से की थी। इसमें भी काफी लोगों ने झांसे में आकर रुपए इन्वेस्ट किए थे।

रणवीर के साथ सुअर फार्म प्रोजेक्ट में कई पार्टनर थे। सीकर, झुंझुनूं के अलावा हरियाणा के हजारों लोगों से ठगी की थी।

सीकर, झुंझुनूं के अलावा हरियाणा के हजारों लोगों से ठगी की थी। रणवीर नेक्सा एवरग्रीन का नया प्रोजेक्ट लेकर आया तो लोगों ने विश्वास नहीं किया था। तब रणवीर पत्नी लक्ष्मी और सुभाष बिजारणियां, बनवारी महरिया को प्रोजेक्ट में आगे लेकर आया । सुभाष आर्मी से रिटायर्ड है। उसने आर्मी के सीकर, झुंझुनूं के जवानों को टारगेट किया। लोगों का मानना है कि सुअर फार्म के रुपयों से ही उसने गुजरात में जमीनें ली थीं।

पुलिस का आई कार्ड दिखाकर भरोसा बनाती थी

रणवीर बिजारणियां की पत्नी कॉन्स्टेबल लक्ष्मी सीकर एसपी ऑफिस में ही कार्यरत थी । रणवीर ने प्रोजेक्ट में इन्वेस्टमेंट कराने के लिए पत्नी को जिम्मेदारी सौंपी थी। लक्ष्मी ने सबसे पहले अपने जानकारों को प्रोजेक्ट में फंसा लिया। सीकर एसपी ऑफिस से 25 से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने इन्वेस्ट कर दिया। साथी पुलिसकर्मी होने के कारण लक्ष्मी पर सभी ने भरोसा कर लिया था। इसके बाद उद्योगनगर, सीकर सदर व कोतवाली थाने के अलावा कई थानों के पुलिसकर्मियों को फंसा लिया था। पुलिस के संपर्क में रहने वाले कुछ लोगों ने भी भरोसे में आकर 30 लाख से लेकर 50 लाख रुपए तक इन्वेस्ट कर दिए थे। आम लोगों को भी लक्ष्मी अपना पुलिस का आईडी कार्ड दिखा कर भरोसे में ले लेती थी और उनसे रुपए इन्वेस्ट कराती थी।

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