Chemtrail से सूर्य की किरणों को रोकने वाले विवादित प्रोजेक्ट में अरबपतियों ने दिखाई अपनी रुचि

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Chemtrail पर म्यूनिख सिक्योरिटी कांफ्रेंस में जार्ज सोरोस(George Soros Hungarian-American businessman) ने जलवायु परिवर्तन के कारण मानव सभ्यता को होने वाले खतरों का जिक्र किया था। 92 साल के अमेरिकी अरबपति ने सलाह दी है कि लगातार पिघलती बर्फ को सूर्य की किरणों से बचाने के लिए आर्कटिक उत्तरी ध्रुव के ऊपर बादलों पर रॉकेट से केमिकल छिड़का जाए। सोरोस केवल अकेले अमीर नहीं हैं, जिन्होंने ऐसा विवादग्रस्त प्रोजेक्ट मे रुचि दिखाई है। सवाल ये है कि , क्या सोरोस जैसे अरबपति व्यक्ति सोलर जियोइंजीनियरिंग को आगे बढ़ाने के लिए सही हैं ? जो अपने प्रॉफ़िट के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं

बिल गेट्स ने 2021 में केमिकल छिड़काव पे लगाए थे पैसे

और साथ मे बात करें तो माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर बिल गेट्स ने 2021 में स्कैंडिनेविया के आसमान पर केल्शियम कार्बोनेट छिड़कने के लिए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोजेक्ट में काफी पैसा लगाया था। पर वहाँ के स्थानीय लोगों और पर्यावरणवादियों के विरोध की वजह से प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया ।

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जेफ बेजोस ने chemtrail का अध्ययन किया

वहीं जेफ बेजोस ने उस साल वातावरण में भारी मात्रा में सल्फर डाई ऑक्साइड (एसओटू) डालने की योजना के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए अमेजन के सुपरकंप्यूटर का इस्तेमाल किया था। इस माह फेसबुक के को- फाउंडर डस्टिन मोस्कोविट्ज ने माली, ब्राजील, थाइलैंड और अन्य देशों के वैज्ञानिकों को सोलर जियोइंजीनियरिंग के प्रभावों की स्टडी के लिए सात करोड़ रुपए दिए हैं। सूर्य की किरणों को रोकने या कहीं और मोड़ने की साइंस सोलर जियोइंजीनियरिंग के दायरे में आती है।

chemtrail मे छोटे निवेशक ने भी दिखाई रुचि

छोटे निवेशक भी आगे आए हैं। वेंचर कैपिटलिस्टों ने एसओटू का इस्तेमाल करने वाले सोलर जियोइंजीनियरिंग प्रोजेक्ट के लिए एक कंपनी को छह करोड़ रुपए दिए हैं। मेक सनसेट्स नामक कंपनी ने पिछले सप्ताह नेवादा, अमेरिका में एसओटू के बैलून छोड़े हैं। पर तापमान कम करने के लिए बादलों में केमिकल छिड़कने से नुकसान भी हो सकते हैं।

मौसम पर असर

वातावरण को प्रभावित करने वाले ऐसे प्रोजेक्ट लंबे समय से विवादों के घेरे में हैं। इनसे दुनिया का मौसम प्रभावित हो सकता है। चिंता जताई जा रही है कि ऐसे तात्कालिक समाधानों से जीवाश्म ईंधन से होने वाले कार्बन उत्सर्जन की समस्या से निपटने के लिए राजनीतिक दबाव कम होगा। जनमत कमजोर पड़ेगा।

दुनिया मे कहीं भी बारिश कराई जा सकती है

वातावरण को जहरीला बना कर जीवों को नुकसान पहुचाया जा सकता है

धरती पे ऐसिड रैन कराया जा सकता है जिससे मानव जीवन संकट मे अ सकता है

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