घर अगर आप या आपके घर में कोई पेट की बीमारी से परेशान है, जैसे डायरिया, टाइफाइड, कॉलरा, या फिर किसी को बार-बार अस्थमा अटैक आ रहा है, तो यह हो सकता है कि इन समस्याओं का कारण आपके घर में मौजूद कॉकरोच हो सकते हैं। इन कॉकरोच की वजह से हर साल लाखों लोगों की जान चली जाती है। घर में इनकी मौजूदगी बच्चों के लिए भी घातक हो सकती है। आप अपने घर में मौजूद चीजों का इस्तेमाल करके इनसे छुटकारा पा सकते हैं।
यदि आप अपने घर में कॉकरोच से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो निम्नलिखित उपायों का इस्तेमाल कर सकते हैं:
- घर की सफाई: कॉकरोच घर में रहने के लिए खाद्य स्रोत और छिपने के स्थान की तलाश करते हैं। नियमित रूप से घर को साफ और साफ़-सुथरा रखने से इनकी वृद्धि रुक जाती है। रसोई और भोजन बनाने के स्थान को खाद्य संचारित करने के लिए तत्पर रहें।
- भोजन संग्रह सुरक्षा: अपने खाद्य सामग्री को सुरक्षित रखें।
धरती पर 35 करोड़ साल से कॉकरोच, इंसानों से 300 गुना ज्यादा आबादी
क्या आप जानते हैं कि कॉकरोच धरती पर इंसानों और डायनासोर से भी पहले पैदा हुए हैं? जी हां, कॉकरोच धरती पर अत्यंत पुराने समय से मौजूद हैं। डायनासोर करीब 16 करोड़ साल पहले आए और 6 करोड़ साल पहले खत्म हो गए, जबकि इंसानों के पूर्वज महज 60 लाख साल पहले धरती पर जन्मे। हालांकि, कॉकरोच यहां 35 करोड़ साल से हैं और अब तक कोई आपदा इनका बाल भी नहीं काट सकी।
कॉकरोच सभी महाद्वीपों पर, अंटार्कटिका को छोड़कर, मौजूद हैं। यहां धरती के हर हिस्से पर आप इन्हें पाएंगे। विश्व में कॉकरोच की 4,600 से अधिक प्रजातियाँ हैं, और इनमें से 30 प्रजातियाँ इंसानों के आसपास बासे हुए हैं। इनकी आबादी तेजी से बढ़ती है और उनकी उम्र 12 महीने तक ही होती है, लेकिन इतने कम समय में मादा कॉकरोच 30 बार अंडे दे देती है।विश्व में लगभग ढाई खरब कॉकरोच हैं, जो इंसानों की संख्या से 300 गुना अधिक है।
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गंदगी के कीड़े हैं कॉकरोच, भूख लगने पर इंसानों को भी कुतर लेते हैं
विशेष बनाएँ – WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार, कॉकरोच अंधकार, गंदगी और सीलन वाले स्थानों पर रहने की प्राथमिकता देते हैं। इन्हें रोशनी पसंद नहीं होती है। वे जमीन पर पड़े खाने-पीने के वस्त्रों के साथ कागज, कपड़ा, मरे हुए कीट-मकोड़ों और लेदर का सेवन करते हैं। इन कॉकरोच का आहार इंसानों के शव से नाखून, पलकें और हाथ-पैरों तक फैला सकता है। यद्यपि वे आमतौर पर जीवित इंसानों से डरते हैं और उन्हें नहीं काटते, लेकिन भूख लगने पर वे भी आक्रामक हो सकते हैं। समुद्री जहाजों पर मौजूद कॉकरोच जब उन्हें कुछ नहीं मिलता है, तो उन्हें थके-हारे सो रहे नाविकों को काटने लगते हैं।
अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंसन (CDC) के मुताबिक, कॉकरोच के कांटेदार पैर की खरोंच से जलन, सूजन और घाव हो सकते हैं। कॉकरोच में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस इंसानों तक पहुंच सकते हैं।
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कॉकरोच में कई तरह के बैक्टीरिया और वायरस, फैलाते कई बीमारियां
विशेष बनाएँ – ‘साल्मोनेला पैराटाइफी’ के साथ कॉकरोच द्वारा फैलाए जाने वाले बैक्टीरिया के अलावा इसके साथ अन्य जीवाणु, फंगस और पैरासाइट्स भी प्रभावित होते हैं। इसके कारण लोग हैजा, पेचिश, प्लेग, गैस्ट्रोएंटेरिटिस, लेप्रोसी, जिआर्डिया, लिस्टेरियोसिस, साल्मोनेलोसिस जैसी बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। कॉकरोच कैंपाइलोबेक्टर नामक बीमारी भी इनके द्वारा फैलती है, जिससे मरीज को डायरिया, उल्टी-दस्त, बुखार और पेट दर्द हो सकता है।
विश्वभर में हर साल लगभग 2.5 करोड़ लोग टाइफाइड और पैराटाइफाइड के संक्रमण का शिकार होते हैं, और इसमें से सवा 2 लाख से अधिक लोग जान गंवा देते हैं। इनमें से लगभग आधे केस भारत में ही पाए जाते हैं। यह घातक बीमारी एक व्यक्ति को प्रभावित करने के साथ-साथ उसके आसपास के लोगों को भी संक्रमित करने का खतरा बढ़ा देती है। इस संक्रमण की वजह ‘साल्मोनेला पैराटाइ।