बस्ती के सरयू घाट पर डूबने से हुई मौत के बाद भंगुरा के गांव में बड़ा हहाकार मचा दिया है। यह घटना भंगुरा गांव की है। जहां तीन दोस्तें स्नान कर रही थी। और वह तीनों बालिकाएं गहरे पानी में डूबने लगी। वहां के स्थानीय लोगों ने तीनों को पानी से बाहर निकाला।
बस्ती के सरयू घाट पर डूबने से हुई मौत के बाद भंगुरा के गांव में बड़ा हहाकार मचा दिया है। यह घटना भंगुरा गांव की है। जहां तीन दोस्तें स्नान कर रही थी। और वह तीनों बालिकाएं गहरे पानी में डूबने लगी। वहां के स्थानीय लोगों ने तीनों को पानी से बाहर निकाला। एक बालिका की स्थिति सामान्य थी, जबकि दो बालिकाओं को तत्काल एंबुलेंस से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, बहादुरपुर कलवारी, भेजा गया। लेकिन वहां जाने के बाद पता चला कि डॉक्टरों ने उन दोनों बालिकाओं को मृत घोषित कर दिया।
इसी साल, यही दोस्त गांव के प्राथमिक विद्यालय के पांचवें कक्षा से उत्तीर्ण हुई थीं। परिवार के सदस्य चाहते थे कि इन दोनों बच्चियों को आगे पढ़ाई करनी चाहिए, लेकिन किस्मत का आदेश कुछ और ही था। ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर सरयू नदी के विभिन्न घाटों पर आस-पास के तमाम गांवों के लोग स्नान करने जाते हैं। इस दिन वहां मेले जैसी चहल-पहल का माहौल रहता है। भंगुरा गांव के निवासी राकेश भी इस बार सरयू घाट पर जाने के लिए तैयार हो गए।
उनके साथ नहाने जाने के लिए उनकी भतीजी शिव कुमारी भी तैयार हो गई। लेकिन जब शिव कुमारी तैयार हुई तो उसकी गांव की सहेली नैना को भी जानें के लिए बोला और नैना भी उसने भी अपने पिता अनिल कुमार अग्रहरि से शिवकुमारी के साथ जाने की इजाजत लेकर चली गई।गांव के कुछ अन्य लोग भी उनके साथ थे, और सबके चेहरों पर आस्था और खुशी का भाव था। इसी भाव से हो सरयू घाट पर पहुंचे।
किसी ने बताया था कि सुबह नौ बजे तक ही पूर्णिमा रहेगी,इसलिए राकेश जल्दी से जल्दी घर से निकल लिए थे। और सूरज निकलने से पहले वे लोग घाट पर पहुंच गए थे।
स्नान करने पहुंची बच्चियों की चली गई जान :-
कलवारी थाना क्षेत्र के भंगुरा गांव में अनिल की बेटी नैना की उम्र 12 वर्ष और राकेश की बेटी शिव कुमारी की उम्र 11 वर्ष तथा रेनू की उम्र 13 वर्ष की थी। ये तीनों लड़कियों ने साथ मिलकर नदी में स्नान करने जा पहुंची।नदी में उतरते ही उनका पैर फिसलने लगा और तीनों गहरे पानी में डूबने लगी।
उस नदी में आसपास स्नान कर रहे लोगों और नाविकों ने आनन-फानन तीनों लड़कियों को बाहर निकाला। पुलिस ने दोनों शव को अपने कब्जे में लेकर पंचनामा भरने की कार्रवाई में जुटी हुई है। घटना की सूचना मिलते ही परिजन कलवारी अस्पताल पर पहुंचे। दोनों बेटियों की मौत की खबर पाते ही परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया है।
नदी में उतरते ही डूबने लगी बच्चियां :-
हादसे से विह्वल राकेश बताते हैं कि उन्होंने अपनी दो बेटियों को सुबह के समय पहले स्नान करने के लिए कहा। और परिवार के सदस्यों ने नदी में नहाने के लिए नदी में उतरे। पर्यटकों और शहरवासियों की भीड़ थी, जो इस खूबसूरत स्थल का आनंद लेने के लिए आए थे। जैसे ही उनकी बड़ी बेटी अंशिका और उनकी छोटी बेटी शिवकुमारी नदी में उतरीं, वे उत्साह से खेलने लगीं। नदी का पानी मुद्दे में ठंडा था और उन्हें यह बहुत पसंद आया। लगभग दो मिनट बाद, एक अकस्मात घटना घट गई।
वे अचानक डूबने लगीं और डूबते-डूबते उनकी आंखों में दर्शकों को देख लेने की क्षमता थी। राकेश भयभीत हो गए और वे शोर मचाने लगे, किन्तु बहुत जल्द ही वे दोनों पानी में समा गईं। कुछ वर्ष पहले, शिवकुमारी के पिता प्रमोद की एक दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, और उनकी मृत्यु हो गई थी। उसकी पत्नी मीरा पांव से दिव्यांग है इनकी दो बेटियों में अंशिका बड़ी है। शिव कुमारी दूसरी बेटी थी। अब राकेश ही पूरे परिवार की देखभाल करते हैं।
बेटी की मौत सदमे में हैं परिवार के लोग :-
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हादसे में जान गंवाने वाली नैना के पिता अनिल कुमार अग्रहरि की दिमागी हालत ठीक नहीं है। वह साइकिल से फेरी करके बच्चों के कपड़े, चप्पल, खिलौने इत्यादि को बेच कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। उनके पांच बच्चे हैं, जिसमें चार बेटियां और एक बेटा है। उनकी बड़ी बेटी प्रिया, दूसरी नैना, मानवी, गोलू, व भोलू है।