बता दे कि ये जो भी रूस और यूक्रेन के बीच हो रहा है इसको शुरू करने में सबसे बड़ा हाथ अमेरिका का है, जिसकी वजह से रूस ,यूक्रेन को पूरी तरह से हथियाना चाहता है।
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आखिर अमेरिका कैसे है इसका सबसे बड़ा कारण:
यह जानने के लिए की अमेरिका इसका कारण कैसे है इसके लिए थोड़ा पीछे के इतिहास को देखना होगा और तब समझ आएगा की अमेरिका ही क्यों वजह है इन सब का। तो इन सभी बातों को जानने के लिए पहले हमे ये जानना होगा कि रूस और अमेरिका में एक दूसरे के प्रति भेदभाव कैसे आ गया और कैसे ये दोनो देश एक दूसरे को सबसे अच्छा बनाना चाहते है पूरी दुनिया में।
तो इन सभी कारणों को एक एक करके जानते है की इसकी शुरुआत कहां से और कैसे हुई।
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1- द्वितीय विश्व युद्ध :
बता दे कि द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका ,रूस फ्रांस, आदि देश एक साथ थे और जर्मनी के साथी देशों के साथ युद्ध लड़ रहे थे।युद्ध के दौरान जर्मनी तो बुरी तरह से हार गया और अपने घुटने भी टेक दिए फिर हिटलर ने आत्महत्या भी कर लिया। पर वही जापान अपने घुटने नही टेक रहा था तो अमेरिका ने उसे घुटने के बल गिराने के लिए जापान के दो बड़े शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला कर दिया जिससे जापान पूरी तरह से विवश हो गया अपने घुटने टेकने के लिए और उसके घुटने टेकते के साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध भी खत्म हो गया पर रूस इस परमाणु हमले से खुश नहीं था वो अमेरिका से नाराज हो गया की उसने रूस को बिना बताए ये सब क्यो किया और तब रूस अमेरिका से अलग हो गया हो।
2- समाजवादी और पूजीवादी विचारधारा:
आपको बता दे की अमेरिका एक पूजीवादी विचारधारा वाला देश है उसे सिर्फ पूजी से मतलब रहता है पर वही रूस समाजवादी विचारधारा वाला देश है जो अपने नागरिकों को एक सामना बनाने का प्रयास करता है और दूसरे देशी से भी यही करने को कहता है पर जब अमेरिका ने जापान पर परमाणु हमला किया तो रूस की इस विचारधारा को बहुत ठेस पहुचां जिसके करना वो अमेरिका से नाराज हो गया और इसका साथ छोड़ दिया ।
ये सारी घटनाएं सन् 1945 के दशक की हैं और तब से लेकर आज तक ये दोनों देश एक दूसरे को पीछे करने में लगे हुए है और अपने वर्चस्व को दुनिया में स्थापित करना चाहते है।
3- दोनो देशो ने अपना – अपना संगठन बनाया:
युद्ध खत्म होने के बस जब रूस अमेरिका से अलग हुआ तो अमेरिका को डर था कि कही रूस उससे आगे न निकल जाए इसके लिए उसने एक संस्था की स्थापना किया जिसे NATO नाम दिया। इसमें उसने अपने जैसे पूंजीवादी देशी को शामिल किया। ताकि वो पूरी दुनिया में अपने विचारधारा का वर्चस्व स्थापित कर पाए। फिर रूस ने जब। ये देखा तो उसने अपनी विचारधार के वर्चस्व को स्थापित करने लिए एक संघ बनाया जिसे सोवियत संघ का नाम दिया।
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4- सोवियत संघ का विघटन और उन सभी देशों का NATO में शामिल होना:
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बता दे की सोवियत संघ में शामिल देशो में भेदभाव बढ़ गया और उसका विघटन हो गया। तब रूस से 15 देश अलग हो गए जिसमे से एक है यूक्रेन। जब ऐसा हुआ तो अमेरिका ने इसका बहुत लाभ उठाया। रूस के अगल बगल के जितने देश थे अमेरिका ने उनमें से बहुत से देशों को NATO में शामिल कर लिया ताकि रूस चारो तरफ से घिर जाए।फिर अमेरिका ने यूक्रेन को भी NATO में शामिल होने के लिए कहा क्योंकि यूक्रेन रूस के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण देश है। रूस की गैस की सारी पाइप लाइन यूक्रेन से होकर ही यूरोपीय देशो तक जातीं है। जिससे रूस की आर्थिक स्थिति को बहुत मजबूती मिलती है। इसके लिए रूस यूक्रेन को फंड भी देता है।पर जब अमेरिका ने यूक्रेन को NATO में शामिल होने के लिया का तो रूस को इस बात बहुत दुख हुआ कि उसके देश के भाग का ही देश है यूक्रेन और वो उसी के खिलाफ पूजीवादी विचारधारा में शामिल होने जा रहा है। क्योंकि इससे रूस को बहुत नुकसान होता इसीलिए उसने यूक्रेन को मना किया की वो अमेरिका के साथ न मिले और NATO में शामिल न हो पर यूक्रेन ने रूस की बात नही मानी।
5- अमेरिका ने यूक्रेन से कहा ,रूस ने न डरो मैं तुम्हारे साथ हूं:
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बता दे कि रूस के इतना कुछ कहने के बाद भी यूक्रेन नही माना और अमेरिका के कहने पर NATO में शामिल होने के लिए तैयार हो गया और रूस के धमकी देने पर युद्ध के लिए भी तैयार हो गया और तब रूस ने अपना वर्चस्व बचाए रखने के लिए यूक्रेन पर हमला कर दिया और अभी तक नही रुक रहा है। वही यूक्रेन की हालत गंभीर होती जा रही है क्युकी अमेरिका ने अपने कहे मुताबिक काम नही किया और इन दोनो देशों को एक दूसरे से भड़काने का काम किया फिर यूक्रेन की मदद करने से पीछे हट गया।
अमेरिका ने अपने फायदे के लिए इन दोनो देशों को युद्ध करने के लिए मजबूर कर दिया और अब पूरी दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के कगार पर आ खड़ी है। अमेरिका खुद को पूरी दुनिया के सामने सबसे बड़ा घोषित करने में लगा है और इसके लिए वो अभी क्या क्या करेगा इसका कुछ पता नहीं हैं।