योगी जी हमे माफ करना, गलती म्हारे से हो गई, और हाथ में तख्ती लेकर पुलिस के सामने सरेंडर करने पहुंचा बदमाश अपराध से तौबा कर मुझे माफ कारण कहते हुए बदमाश हाथों में तख्ती लेकर पहुंच गया। उसमे लिखा था योगी जी माफ करना गलती म्हारे से हो गई। बदमाश ने प्रभारी निरीक्षक रोजंत त्यागी के समक्ष आत्मसमर्पण किया
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मंसूरपुर (मुजफ्फरनगर) : अपराधियों पर पुलिस का खौफ किस तरह भारी पड़ रहा है, इसका दृश्य बुधवार को मंसूरपुर थाने में देखने को मिला। अपराध से कर क्षमा मांगते हुए बदमाश हाथों में तख्ती लेकर पहुंच गया। आरोपित ने तख्ती पर लिख रखा था, योगी जी माफ करना, गलती म्हारे से हो गई। बदमाश ने प्रभारी निरीक्षक रोजंत त्यागी के समक्ष आत्मसमर्पण किया।
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बदमाश के दो साथियों को पुलिस ने मंगलवार रात मुठभेड़ में गिरफ्तार किया था। इंस्पेक्टर रोजंत त्यागी ने बताया कि मंगलवार को दो बदमाशों को पकड़कर लूटी गई बाइक बरामद की गई थी। आरोपितों का एक साथी फरार हो गया था, जो बुधवार सुबह हाथ में तख्ती लेकर अपराध तौबा करते हुए थाने आया। साथ में उसके स्वजन भी थे।
आत्मसमर्पण करने वाला अपराधी अंकुर उर्फ राजा निवासी गांव गोयला थाना शाहपुर ने अपने दो अन्य साथियों अजय पुत्र सुभाष निवासी करड़ी थाना छपरौली जनपद बागपत और वंश छोकर पुत्र omveer सिंह निवासी नंगली साधारण थाना दौराला merth के साथ मिलकर थाना मंसूरपुर क्षेत्र और थाना Ratanpur क्षेत्र में बाइक लूट की दो घटनाओं को अंजाम दिया था। अंकुर को मुठभेड़ का डर सता रहा था। पुलिस ने आरोपित को न्यायालय में पेश किया। जहां से उसे जेल भेज दिया गया।
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एवरेज स्पीड 160 किमी प्रति घंटा बोली गई थी, लेकिन बाद में ट्रेन सिर्फ 90 किमी की स्पीड से चल रही । तो अलग से ये ट्रेन बनाने का फायदा क्या है?
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जब पहली वंदे भारत चलाई गई, तो वह दिल्ली से वाराणसी 8 घंटे में कवर करती थी। एवरेज स्पीड लगभग 97 किलोमीटर थी। साथ ही राजधानी के मुकाबले करीब 10 घंटे बचा देती है। तो एक बहुत अच्छी शुरुआत हुई थी
इसके बाद जहां-जहां ट्रेन चलाई गई, वहां उस रफ्तार पर ट्रेन नहीं चल पाई जितनी स्पीड के लिए वो बनाई गई थी। वजह ये कि ट्रैक्स की हालत ऐसी ट्रेनों के लिए बेहतर नहीं हैं। इसलिए आगे सरकार को इस पर भी काम करना चाहिए।
5 बातें जो वंदे भारत को बनाती सेंस ऑफ
1. डिजाइन और टेक्नीक पूरी तरह मेड इन इंडिया है।
2. 4 साल से नॉन स्टॉप सर्विस दे रही पहली वंदे भारत ।
3. भारत में ट्रेन बनाने का खर्चा विदेश की ट्रेन से 60% कम है।
4. विदेशी ट्रेन 3 साल में तैयार होती जबकि यहां 18 महीने में बन रही।
5. आगे का हिस्सा ऐसे बनाया है कि एक्सीडेंट होने पर पैसेंजर्स सुरक्षित रहें।
2026 तक 150 वंदे भारत और 2029 तक 500 वंदे भारत बनाने का प्लान था। अब ये प्लान कहांतक पहुंचा?
जब मैं साल 2019 में रिटायर हुआ, तो दो ट्रेन बन चुकीं थीं। उसके बाद कोरोना की वजह से काम रुक गया। साल 2022 तक काम रुका रहा।जब पीएम मोदी ने अपनी स्पीच में बार-बार ट्रेन का जिक्र करना शुरू किया, तब इसको बनाने में तेजी आई। उसके बाद से 8 ट्रेनें बन गईं। अब तक देश भर में 10 ट्रेन चल रही हैं। साथ ही 11वीं और 12वीं ट्रेन तैयार हैं
यह मेड इन इंडिया ट्रेन है। तो क्या इसके सभी पार्ट्स भी भारत के ही हैं?
जब भी हम कोई भी चीज बनाते हैं, तो उसको डिजाइन हम खुद करते हैं। उसको बनाने में जरूरत की चीजों को लिखा जाता है। ऐसे में कई बार होता है कि कुछ चीजें देश में ना मिलें। जैसे ट्रेन में लगे व्हील और उसकी सीट्स हमें बाहर से मांगनी पड़ीं। क्योंकि उस वक्त देश में सीट बनाने वाला कोई नहीं था ।साथ में ट्रेन में सुरक्षा के लिहाज से अलग तरह का दरवाजा लगा है, तो उसे भी बाहर से ही मंगाया गया है। लेकिन इसकी डिजाइन और टेक्नीक पूरी तरह मेड इन इंडिया है।